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अध्याय-4: वैज्ञानिक चेतना के वाहक
धीरंजन मालवे
यह लेख वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकट रामन की संघर्षमय जीवन यात्रा तथा उनकी उपलब्धियों की जानकारी बखूबी कराता है। रामन ग्यारह साल की उम्र में मैट्रिक, विशेष योग्यता की साथ इंटरमीडिएट, भौतिकी और अंग्रेज़ी में स्वर्ण पदक के साथ बी. ए. और प्रथम श्रेणी में एम. ए. करके मात्र अठारह साल की उम्र में कोलकाता में भारत सरकार के फाइंनेस डिपार्टमेंट में सहायक जनरल एकाउटेंट नियुक्त कर लिए गए थे। इनकी प्रतिभा से इनके अध्यापक तक अभिभूत थे। इस दौरान वे बहूबाज़ार स्थित प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों का इस्तेमाल करके शोध कार्य करते थे।
फिर उन्होंने अनेक भारतीय वाद्ययंत्रों का अध्ययन किया और वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर पश्चिम देशों की इस भ्रांति को तोड़ने का प्रयास किया कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्यों की तुलना में घटिया हैं। बाद में वे सरकारी नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद को स्वीकार किया । यहां वे अपना सारा समय अध्ययन, अध्यापन और शोध में बिताने लगे। सन 1921 में जब रामन समुद्री यात्रा पर थे तो समुद्र के नीले रंग को देखकर उसके वज़ह का सवाल हिलोरें मारने लगा। उन्होंने इस दिशा में आगे प्रयोग किए तथा इसका परिणाम ‘रामन प्रभाव’ की खोज के रूप में सामने लाया। रामन की खोज की वजह से पदार्थों मे अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया।
उन्हें ‘भारत रत्न’ तथा ‘नोबल पुरस्कारों’ सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाज़ा गया। भारतीय संस्कृति से रामन को हमेशा ही लगाव रहा। उन्होंने अपनी भारतीय पहचान को हमेशा बनाए रखा। वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे। उन्होंने बैंगलोर में एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध-संस्थान ‘रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की स्थापना की। रामन वैज्ञानिक चेतना और दृष्टि की साक्षात प्रतिमुर्त्ति थे।उन्होंने हमेशा प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन वैज्ञानिक दृष्टि से करने का संदेश दिया।
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प्रश्न-अभ्यास (मौखिक) प्रश्न (पृष्ठ संख्या 42-43)
निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए–
प्रश्न 1
रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?
उत्तर- रामन्
भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक सुयोग्य और जिज्ञासु वैज्ञानिक एवं अनुसंधानकर्ता
थे।
प्रश्न 2
समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं?
उत्तर- समुद्र
को देखकर रामन् के मन में दो जिज्ञासाएँ उठीं–
i.
समुद्र के पानी का रंग नीला
ही क्यों होता है?
ii.
पानी का रंग कोई और क्यों नहीं
होता है?
प्रश्न 3
रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?
उत्तर- रामन्
के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। उन्होंने ने रामन् में गणित और भौतिकी की सशक्त
नींव डाली।
प्रश्न 4
वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे?
उत्तर- रामन्
वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के द्वारा उनके कंपन के पीछे छिपे रहस्य की परतें खोलना चाहते
थे।
प्रश्न 5
सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की क्या भावना थी?
उत्तर- सरकारी
नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की भावना थी कि वह पढ़ाई करके विश्वविद्यालय के शिक्षक
बनकर, अध्ययन अध्यापन और शोध कार्यों में अपना पूरा समय लगाए।
प्रश्न 6
‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था?
उत्तर- रामन्
का सवाल था कि आखिर समुद्र के पानी का रंग नीला ही क्यों है? इसके लिए उन्होंने तरल
पदार्थ पर प्रकाश की किरणों का अध्ययन किया। उनके प्रयोग की परिणति ‘रामन् प्रभाव’
की महत्त्वपूर्ण खोज के रूप में हुई।
प्रश्न 7
प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?
उत्तर- प्रकाश
तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया था कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा
के समान है। उन्होंने इन कणों की तुलना बुलेट से की और इन्हें ‘फोटॉन’ नाम दिया।
प्रश्न 8
रामन् की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?
उत्तर- रामन्
की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं के बारे में खोज के अध्ययन को सहज बनाया।
प्रश्न-अभ्यास (लिखित) प्रश्न (पृष्ठ संख्या 43-44)
निम्नलिखित
प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1
कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?
उत्तर- कॉलेज
के दिनों में रामन् की दिली इच्छा थी कि वे नए-नए वैज्ञानिक प्रयोग करें, पूरा जीवन
शोधकार्यों में लगा दें। उनका मन और दिमाग विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने के लिए बैचेन
रहता था। उनका पहला शोधपत्र फिलॉसॉफिकल मैग़जीन में प्रकाशित हुआ।
प्रश्न 2
वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?
उत्तर- रामन्
ने देशी और विदेशी दोनों प्रकार के वाद्ययंत्रों का अध्ययन किया। इस अध्ययन के द्वारा
वे पश्चिमी देशों की भ्रांति को तोड़ना चाहते थे कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों
की तुलना में घटिया है।
प्रश्न 3
रामन् के लिए नौकरी संबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था?
उत्तर- रामन्
के लिए नौकरी संबंधी यह निर्णय कठिन था, जब एक दिन प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री सर आशुतोष
मुखर्जी ने रामन् से नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद लेने के
लिए आग्रह किया। सरकारी नौकरी की बहुत अच्छी तनख्वाह अनेकों सुविधाएँ छोड़कर कम वेतन,
कम सुविधाओं वाली नौकरी का फैसला मुश्किल था। परन्तु रामन् ने सरकारी नौकरी छोड़कर
विश्वविद्यालय की नौकरी कर ली क्योंकि सरस्वती की साधना उनके लिए महत्वपूर्ण थी। इसलिए
यह काम सचमुच हिम्मत का काम था।
प्रश्न 4
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
उत्तर- सर
चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1924 में
'रॉयल सोसायटी' की सदस्यता प्रदान की गई। 1929 में उन्हें 'सर' की उपाधि दी गई।
1930 में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार 'नोबल पुरस्कार' प्रदान किया गया। रॉयल सोसायटी
का ह्यूज पदक प्रदान किया गया। फ़िलोडेल्फ़िया इंस्टीट्यूट का 'फ्रेंकलिन पदक' मिला।
सोवियत संघ का अंतर्राष्ट्रीय 'लेनिऩ पुरस्कार मिला। 1954 में उन्हें देश के सर्वोच्च
सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
प्रश्न 5
रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया
है?
उत्तर- रामन्
को समय-समय पर मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। इनमें से अधिकांश
पुरस्कार विदेशी थे और प्रतिष्ठित भी। अंग्रेज़ों की गुलामी के दौर में एक भारतीय वैज्ञानिक
को इतना सम्मान दिए जाने से भारत को आत्मविश्वास और आत्मसम्मान मिला और लोगों को प्रेरणा
भी।
निम्नलिखित
प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1
रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?
उत्तर- रामन्
के समय में शोधकार्य करने के लिए परिस्थितियाँ बिल्कुल विपरीत थीं। वे सरकारी नौकरी
करते थे, वे बहुत व्यस्त रहते थे। परन्तु फिर भी रामन् फुर्सत पाते इंडियन एसोसिएशन
फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस की प्रयोगशाला में काम करते। इस प्रयोगशाला में साधनों का
अभाव था लेकिन रामन् इन काम चलाऊ उपकरणों से भी शोध कार्य करते रहें। ऐसे में अपनी
इच्छाशक्ति के बलबूते पर अपना शोधकार्य करना आधुनिक हठयोग ही कहा जा सकता है। यह हठयोग
विज्ञान से सम्बन्धित था इसलिए आधुनिक कहना उचित था।
प्रश्न 2
रामन् की खोज रामन् प्रभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- रामन्
की खोज को रामन् प्रभाव के नाम से जाना जाता है। रामन् के मस्तिष्क में समुद्र के नीले
रंग को लेकर जो सवाल 1921 की समुद्र यात्रा के समय आया, वह ही रामन् प्रभाव खोज बन
गया। अर्थात् रामन् द्वारा खोजा गया सिद्धांत, इसमें जब एक वर्णीय प्रकाश की किरण किसी
तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है। एक वर्णीय
प्रकाश की किरण के फोटॉन जब तरल ठोस रवे से टकराते हैं तो उर्जा का कुछ अंश खो देते
हैं या पा लेते हैं। दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण में (रंग में) बदलाव लाती हैं।
प्रश्न 3
'रामन् प्रभाव' की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?
उत्तर- 'रामन्
प्रभाव' की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में अनेक कार्य संभव हो सके। विभिन्न पदार्थों
के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया। रामन् की खोज के बाद
पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी का
सहारा लिया जाने लगा।रामन् की तकनीक एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन के आधार
पर पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देने लगी। अब पदार्थों
का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रुप में निर्माण
संभव हो गया।
प्रश्न 4
देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्वपूर्ण
योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- सर
चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में अत्यंत
महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर वैज्ञानिक कार्यों के लिए जीवन
समर्पित कर दिया। उन्होंने रामन् प्रभाव की खोज कर नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। बंगलोर
में शोध संस्थान की स्थापना की, इसे रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता
है। भौतिक शास्त्र में अनुसंधान के लिए इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स नामक शोध पत्रिका आरंभ
की, करेंट साइंस नामक पत्रिका भी शुरु की, प्रकृति में छिपे रहस्यों का पता लगाया।
प्रश्न 5
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- सर
चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से हमें सदैव आगे बढ़ते रहने का संदेश मिलता है। व्यक्ति
को अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करना चाहिए। भले ही इसके लिए रामन् की तरह सुख-सुविधाओं
को छोड़ना पड़े। इच्छा शक्ति हो तो राह निकल आती है। रामन् ने संगीत के सुर-ताल और
प्रकाश की किरणों की आभा के अंदर से वैज्ञानिक सिद्धांत खोज निकाले। इस तरह रामन् ने
संदेश दिया है कि हमें अपने आसपास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन वैज्ञानिक
दृष्टि से करनी चाहिए। हमें प्रकृति के बीच छुपे वैज्ञानिक रहस्य का भेदन करना चाहिए।
निम्नलिखित
का आशय स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 1
उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
उत्तर- जब
सर आशुतोष मुखर्जी ने रामन् से नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का
पद लेने के लिए आग्रह किया तब उन्होंने यह सहर्ष स्वीकार किया जबकि वे तनख्वाह और सुख
सुविधाओं वाले पद पर कार्यरत थे जो की उन्हें प्रोफेसर रहते नही मिलने वाला था। इससे
पता चलता है कि उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण
थी।
प्रश्न 2
हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीज़ें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।
उत्तर- रामन्
ने संगीत के सुर-ताल और प्रकाश की किरणों की आभा के अंदर से वैज्ञानिक सिद्धांत खोज
निकाले। इस तरह रामन् ने संदेश दिया है कि हमें अपने आसपास घट रही विभिन्न प्राकृतिक
घटनाओं की छानबीन वैज्ञानिक दृष्टि से करनी चाहिए। हमें प्रकृति के बीच छुपे वैज्ञानिक
रहस्य का भेदन करना चाहिए। हमारे आस-पास के वातावरण में अनेक प्रकार की चीज़ें बिखरी
होती हैं। उन्हें सही ढंग से सँवारने वाले व्यक्ति की आवश्यकता होती है। वही उनको नया
रुप देता है।
प्रश्न 3
यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।
उत्तर- रामन्
के समय में शोधकार्य करने के लिए परिस्थितियाँ बिल्कुल विपरीत थीं। रामन् किसी न किसी
प्रकार अपना कार्य सिद्ध कर लेते थे। वे हठ की स्थिति तक चले जाते थे। योग साधना में
हठ का अंश रहता है। वे सरकारी नौकरी करते थे, वे बहुत व्यस्त रहते थे। परन्तु फिर भी
रामन् फुर्सत पाते इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस की प्रयोगशाला में काम
करते। इस प्रयोगशाला में साधनों का अभाव था लेकिन रामन् मामूली उपकरणों से भी अपनी
प्रयोगशाला का काम चला लेते थे। यह एक प्रकार का हठयोग ही था।
उपयुक्त शब्द
का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए−
प्रश्न 1
इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस, फिलॉसॉफिकल
मैगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट
i.
रामन् का पहला शोध पत्र
............ में प्रकाशित हुआ था।
ii.
रामन् की खोज
............... के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
iii.
कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला
का नाम ................. था।
iv.
रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान
......... नाम से जानी जाती है।
v.
पहले पदार्थों के अणुओं और
परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए .......... का सहारा लिया जाता था।
उत्तर-
i.
रामन् का पहला शोध पत्र फिलॉसॉफिकल
मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।
ii.
रामन् की खोज भौतिकी
के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
iii.
कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला
का नाम इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस था।
iv.
रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान
रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट नाम से जानी जाती है।
v.
पहले पदार्थों के अणुओं और
परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी
का सहारा लिया जाता था।
भाषा - अध्ययन प्रश्न (पृष्ठ संख्या 44-45)
प्रश्न 1
नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें
कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके।
i.
प्रमाण ........
ii.
प्रणाम ........
iii.
धारणा ........
iv.
धारण ........
v.
पूर्ववर्ती ........
vi.
परवर्ती ........
vii.
परिवर्तन ........
viii.
प्रवर्तन ........
उत्तर-
i.
प्रमाण – मैं यह बात प्रमाण
सहित कह सकता हूँ।
ii.
प्रणाम - अपने से बड़ों को
प्रणाम करना चाहिए।
iii.
धारणा - धर्म के प्रति हमारी
धारणा बदलनी चाहिए।
iv.
धारण - सदा स्वच्छ वस्त्र धारण
करो।
v.
पूर्ववर्ती - कई किले पूर्ववर्ती
राजाओं ने बनाए।
vi.
पूर्ववर्ती - कई किले पूर्ववर्ती
राजाओं ने बनाए।
vii.
परिवर्तन - अब सृष्टि में भी
अनेकों परिवर्तन हो रहे हैं।
viii.
प्रवर्तन - प्रवर्तन कार्यालय
में जाना है।
प्रश्न 2
रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए–
i.
मोहन के पिता मन से सशक्त
होते हुए भी तन से ____________ हैं।
ii.
अस्पताल के अस्थायी
कर्मचारियों को ____________ रुप से नौकरी दे दी गई है।
iii.
रामन् ने अनेक ठोस रवों
और ____________पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
iv.
आज बाज़ार में देशी
और ____________ दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
v.
सागर की लहरों का आकर्षण
उसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद ____________में परिवर्तित हो जाता है।
उत्तर-
i.
मोहन के पिता मन से सशक्त
होते हुए भी तन से अशक्त हैं।
ii.
अस्पताल के अस्थायी
कर्मचारियों को स्थायी रुप से नौकरी दे दी गई है।
iii.
रामन् ने अनेक ठोस रवों
और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
iv.
आज बाज़ार में देशी
और विदेशी दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
v.
सागर की लहरों का आकर्षण
उसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद विकर्षण में परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न 3
नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है−
उदाहरण: चाऊतान
को गाने-बजाने में आनंद आता है।
उदाहरण के
अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए−
i.
सुख-सुविधा
.......................
ii.
अच्छा-खासा
.......................
iii.
प्रचार-प्रसार
.......................
iv.
आस-पास
.......................
उत्तर-
i.
सुख-सुविधा- रोहन को सुख-सविधा में रहने की आदत है।
ii.
अच्छा-खासा- माँ ने अच्छा-खासा खाना बनाया था।
iii.
प्रचार-प्रसार- नेताजी प्रचार-प्रसार में लगे हैं।
iv.
आस-पास- हमारे आस-पास हरियाली है।
प्रश्न 4
प्रस्तुत पाठ में आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को निम्न तालिका में लिखिए –
|
अनुस्वार |
|
अनुनासिक |
(क) |
अंदर |
(क) |
ढूँढ़ते |
(ख) |
...................... |
(ख) |
...................... |
(ग) |
...................... |
(ग) |
...................... |
(घ) |
...................... |
(घ) |
...................... |
(ङ) |
...................... |
(ङ) |
...................... |
उत्तर-
|
अनुस्वार |
|
अनुनासिक |
(क) |
अंदर |
(क) |
ढूँढ़ते |
(ख) |
सदियों |
(ख) |
पहुँचता |
(ग) |
असंख्य |
(ग) |
सुविधाएँ |
(घ) |
रंग |
(घ) |
स्थितियाँ |
(ङ) |
नींव |
(ङ) |
वहाँ |
प्रश्न 5
पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट
कीजिए−
i.
घंटों खोए रहते
ii.
स्वाभाविक रुझान बनाए रखना
iii.
अच्छा खासा काम किया
iv.
हिम्मत का काम था
v.
सटीक जानकारी
vi.
काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए
vii.
कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया
था,
viii.
मोटी तनख्वाह।
उत्तर-
i.
घंटों खोए रहते – बहुत देर तक ध्यान में लीन रहते।
ii.
स्वाभाविक रुझान बनाए
रखना – सहज रूप से रुचि बनाए रखना।
iii.
अच्छा खासा काम किया – अच्छी मात्रा में ढेर सारा काम किया।
iv.
हिम्मत का काम था – कठिन काम था।
v.
सटीक जानकारी – बिल्कुल सही और प्रामाणिक जानकारी।
vi.
काफ़ी ऊँचे अंक हासिल
किए – बहुत अच्छे अंक पाए।
vii.
कड़ी मेहनत के बाद खड़ा
किया था – बहुत मेहनत करने के बाद शोध संस्थान
की स्थापना की थी।
viii.
मोटी तनख्वाह – बहुत अधिक आय या वेतन।
प्रश्न 6
पाठ के आधार पर मिलान कीजिए-
उत्तर-
प्रश्न 7
पाठ में आए रंगों की सूची बनाइए। इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए।
उत्तर- पाठ
में आए रंग – बैंजनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
अन्य रंग – काला, सफ़ेद, गुलाबी, संतरिया, महरून, मुँगिया, तोतिया, फ़िरोजी, भूरा,
सलेटी।
प्रश्न 8
नीचे दिए गए उदाहरण के अनुसार ‘ही’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उदाहरण : उनके ज्ञान की सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की थी।
i.
समुद्र को निहारना रामन् को
अच्छा लगता ही था।
ii.
आखिर समुद्र का रंग नीला ही
क्यों होता है?
iii.
रामन् के पिता गणित और भौतिकी
के शिक्षक ही थे।
iv.
कलकत्ता के शोध संस्थान की
स्थापना एक डॉक्टर ने ही की थी।
v.
रामन् ने आखिरकार सरकारी नौकरी
त्याग ही दी।