NCERT Class 7 Kathputli Question Answer - PDF

Premium NCERT Class 7 Kathputli Question Answer - PDF
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Ah, step right up, intrepid learners and seekers of the wondrous! Today, we delve deep into the enchanting world of "Kathputli," a tale woven into the rich tapestry of Class 7 Hindi literature that dances off the page and into your imagination. Imagine, if you will, a realm where words paint the vibrant colors of life, emotions play the strings of the heart, and every verse is a step in the dance of discovery. This isn't just any story; it's an odyssey of wood and string, of life captured in poetic stillness. Are you ready to unravel the mysteries of the Kathputli with our Class 7 question answer guide? Let's set the stage!

As we pull the curtain on this dramatic journey, let's arm ourselves with the Kathputli poem Class 7 question answer key, your trusted companion in decoding the rhythm and rhyme of the puppet's tale. Each question is a key, unlocking deeper meanings and insights, urging you to look beyond the apparent. But ah, the plot thickens! For those daring souls thirsting for knowledge, the Kathputli poem Class 7 summary in Hindi awaits, offering a glimpse into the soul of the poem, wrapped in the embrace of its native language.

Now, wouldn't it be magical to have all this wisdom at your fingertips? Behold, the Kathputli poem Class 7 PDF! A treasure trove that brings the entire spectacle of lessons, questions, and answers into the palm of your hand. From the detailed Kathputli Class 7 summary to the meticulously crafted Kathputli Class 7 PDF questions and answers, every scroll is a step deeper into the heart of this poetic marvel.

But wait, there's more! For those insatiable minds craving extra intrigue, the Kathputli Class 7 extra questions beckon. These aren't just queries; they are lanterns lighting the path to lesser-seen corners of the poem's universe. Alongside, the Kathputli Class 7 worksheet with answers serves as your compass, guiding your exploration through the maze of metaphors and meanings.

And for the champions of trivia, the Kathputli Class 7 MCQs challenge you to a duel of wits, where every choice leads you closer to mastery.

So, dear learners, as we embark on this journey through Chapter 3 of Class 7 Kathputli, remember, this is more than just a lesson; it's a voyage into the heart of storytelling. Every line a thread, every stanza a step, and you, the puppeteer of knowledge, commanding the dance of learning with the strings of curiosity. Let the show begin!

kathputli class 7 summary -  कठपुतली कविता का सारांश

प्रस्तुत कविता कवि भवानी प्रसाद द्वारा लिखित है। कवि ने कठपुतलियों के मन की व्यथा को दर्शाया है। ये सभी धागों में बंधे-बंधे परेशान हो चुकी हैं और इन्हें दूसरों के इशारों पर नाचने में दुख होता है। इस दुख से बाहर निकलने के लिए एक कठपुतली विद्रोह के शुरुआत करती है, वह सब धागे तोड़कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती है। अत: वह आजाद होना चाहती है और इच्छानुसार जीना चाहती है। उसकी बात सुनकर अन्य सभी कठपुतलियाँ भी उसकी बातों से सहमत हो जाती हैं और स्वतंत्र होने की चाह व्यक्त करती हैं। मगर, जब पहली कठपुतली पर सभी की स्वतंत्रता की ज़िम्मेदारी आती है, तो वो सोच में पड़ जाती है। फलस्वरूप पहली कठपुतली सोच समझकर कदम उठाना चाहती है।

कठपुतली कविता

भावार्थ

कठपुतली

गुस्‍से से उबली

बोली- यह धागे

क्‍यों हैं मेरे पीछे-आगे?

इन्‍हें तोड़ दो;

मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।

भावार्थ- इन पंक्तियों में कवि ने एक कठपुतली के मन के भावों को दर्शाया है। कठपुतली दूसरों के हाथों में बंधकर नाचने से परेशान हो गयी है और अब वो सारे धागे तोड़कर स्वतंत्र होना चाहती है। वो गुस्से में कह उठती है कि मेरे आगे-पीछे बंधे ये सभी धागे तोड़ दो और अब मुझे मेरे पैरों पर छोड़ दो। मुझे अब बंधकर नहीं रहना, मुझे स्वतंत्र होना है।

सुनकर बोलीं और-और

कठपुतलियाँ कि हाँ,

बहुत दिन हुए

हमें अपने मन के छंद छुए।

भावार्थ- इन पंक्तियों में अन्य सभी कठपुतलियों के मन के भाव दर्शाए हैं। पहली कठपुतली की बात सुनकर दूसरी कठपुतलियों के मन में भी आजाद होने की इच्छा सिर उठाने लगती है। वे सभी उसकी हाँ में हाँ मिलाने लगती हैं कि सचमुच बहुत दिन हो गए, उन्होंने अपने मन की कोई इच्छा पूरी नहीं की। उन्हें अपनी मर्जी से काम करने का अवसर नहीं मिला। अत: सभी कठपुतलियाँ विद्रोह करने के लिए तैयार हो जाती है।

मगर…

पहली कठपुतली सोचने लगी-

यह कैसी इच्‍छा

मेरे मन में जगी?

भावार्थ- कविता की इन अंतिम पंक्तियों में कवि ने पहली कठपुतली के मन के असमंजस के भावों को दिखाया है। जब बाकी सभी कठपुतलियाँ पहली कठपुतली की स्वतंत्र होने की बात का समर्थन करती हैं, तो पहली कठपुतली सोच में पड़ जाती है कि क्या वो सही कर रही है? क्या वो इन सबकी स्वतंत्रता की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले पाएगी? क्या उसकी इच्छा जायज़ है? अंतिम पंक्तियाँ उसके इन्हीं मनभावों को समर्पित हैं।


 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 7 HINDI

kathputli class 7 question answer - कठपुतली के प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1 कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?

उत्तर- कठपुतली को धागे से बाँधकर रखा जाता था। वह इस बंधन से तंग आ गई थी। वह स्वतंत्र रहना चाहती थी, अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी। धागे से बँधे रहना उसे पराधीनता लगती है इसीलिए उसे गुस्सा आता है।

प्रश्न 2 कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?

उत्तर- कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है किन्तु वह खड़ी इसलिए नही होती क्योंकि उसके पास स्वतंत्र रूप से खड़े हो सकने की क्षमता नहीं है। जब सारे कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी उस पर आती है तो उसे लगता है कि कहीं उसका यह कदम सबको मुसीबत में ना डाल दे।

प्रश्न 3 पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी?

उत्तर- पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को इसलिए अच्छी लगी क्योंकि स्वतंत्रता सभी को प्रिय होती है।वे भी बंधन में दुखी हो चुकी थीं और अपना जीवन इच्छानुसार जीना चाहती थीं।

प्रश्न 4 पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि -'ये धागे/ क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन्हें तोड़ दो;/ मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।'-तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि- 'ये कैसी इच्छा/ मेरे मन में जगी?' नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए-

·       उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।

·       उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।

·       वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।

·       वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।

उत्तर- पहली कठपुतली स्वतंत्र होकर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है परन्तु जब उसपर सभी कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है, तो वह डर जाती है। उसे लगने लगता है कहीं उसका उठाया गया कदम सबको मुसीबत में ना डाल दे। वह स्वतंत्रता प्राप्त करने के उपाय तथा उसे हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगती है। उसे लगता है कि अभी उसकी उम्र कम है, वह सबकी जिम्मेदारी नही उठा सकती।

कविता से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 20-21)

प्रश्न 1 'बहुत दिन हुए/ हमें अपने मन के छंद छुए।' - इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-

a.   बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नही आई।

b.   बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।

c.   बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।

d.   बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।

उत्तर- बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।

प्रश्न 2 नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए-

a.   सन् 1857 ................

b.   सन् 1942 ................

उत्तर-

a.   सन् 1857

·       वीर कुंवर सिंह

·       रानी लक्ष्मीबाई

b.   सन् 1942

·       सुभाषचंद्र बोस

·       सरदार वल्लभ भाई पटेल

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 21)

प्रश्न 1 स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियाँ कैसे लड़ी होंगी और स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे? यदि उन्हें फिर से धागे में बाँधकर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह के उपायों से की होगी?

उत्तर- स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियों ने मिलकर लड़ी होगी क्योंकि उन सबका दुख एक था और सबको एक जैसे ही धागों से आजादी चाहिए थी। सबने मिलकर संघर्ष की योजना बनाई होगी और पूरी ताकत लगाकर एक साथ अपने धागे तोड़ डाले होंगे। आजाद होने के बाद कठपुतलियों ने अपने पाँव पर खड़े होने के लिए बहुत संघर्ष किया होगा। सदियों की गुलामी के बाद एकाएक मिली आजादी सँभालने के लिए उन्हें बहुत मुश्किलें उठानी पड़ी होंगी। आपस में मिल-जुल कर एक दूसरे की सहायता से उन्होंने स्वयं को स्वावलंबी बनाया होगा। यदि उन्हें फिर से धागे में बाँधकर नचाने का प्रयास किया गया होगा तो उन्होंने एकजुट होकर इसका विरोध किया होगा क्योंकि गुलामी में सारे सुख होने के बावजूद आजाद रहना ही सबको प्रिय होता है। उन्होंने अपने सम्मिलित प्रयास से अपने दुश्मनों की हर चाल को नाकाम किया होगा। इस तरह उन्होंने अपनी स्वतंत्रता बनाए रखी।

भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 21)

प्रश्न 1 कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए-

जैसे- काठ (कठ) से बना - कठगुलाब, कठफोड़ा

हाथ-हथ, सोना-सोन, मिट्टी-मट

उत्तर- हाथ-हथ- हथकरघा, हथकड़ी, हथगोला

सोना-सोन- सोनभद्रा, सोनजूही, सोनपापड़ी

मिट्टी-मट- मटमैला, मटका, मटर

प्रश्न 2 कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे- आगे-पीछे अधिक प्रचलित शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में 'पीछे-आगे' का प्रयोग हुआ है। यहाँ 'आगे' का '...बोली ये धागे' से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए- दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि ।

उत्तर- पतला - दुबला

उधर - इधर

नीचे - ऊपर

बाएँ - दाएँ

काला - गोरा

पीला - लाल

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