Mere Sang Ki Auraten Question Answer: NCERT Class 9 Kritika

Premium Mere Sang Ki Auraten Question Answer: NCERT Class 9 Kritika
Share this

Are you a student, parent, or teacher exploring Class 9 Hindi Kritika Chapter 2, better known as "Mere Sang Ki Auraten"? Look no further! Our platform offers a one-stop solution for all your needs related to this fascinating chapter. Known for its deep narrative and unique storyline, Mere Sang Ki Auraten is a topic of interest for Class 9 students nationwide. From Mere Sang Ki Auraten question answer sections to the Mere Sang Ki Auraten summary, we have everything that will make your study time productive.

Looking for detailed Mere Sang Ki Auraten question answers? We offer precise and easy-to-understand answers that can significantly help in your exam preparation. We know how crucial scoring well in Class 9 Hindi Kritika can be, and our Mere Sang Ki Auraten Class 9th resources are tailored to meet that objective. क्या आप 'मेरे संग की औरतें पाठ का सारांश' ढूँढ रहे हैं? हमारा सारांश जानकारी भरपूर और सहज समझने योग्य है।

But what if you want to dive deeper? Our platform also offers 'मेरे संग की औरतें questions answers' that delve into the nuances of the chapter, letting you gain insights that textbooks might not provide. Are you specifically searching for Mere Sang Ki Auraten Class 9 question and answers? We've got a dedicated section for that, ensuring you get all the information in one place.

Understanding Hindi literature has never been easier. Whether you're focusing on Mere Sang Ki Auraten or exploring the entire Class 9 Hindi Kritika book, we have the study material that can make a difference in your academic journey. So why waste time on fragmented information when you can have a comprehensive study guide right here? From summaries to question answers, make your study time count with our complete range of Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 materials.

अध्याय-2: मेरे संग की औरतें

सारांश

Mere sang ki aurte summary


प्रस्तुत संस्मरण लेखिका मृदुला गर्ग द्वारा लिखा गया है। इसमें लेखिका ने अपने परिवार की औरतों के व्यक्तित्व और स्वभाव पर प्रकाश डाला है। लेखिका ने अपनी नानी के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था। लेखिका की नानी अनपढ़, परंपरावादी और पर्दा-प्रथा वाली औरत थीं। उनके नाना ने तो विवाह के बाद कैंब्रिज विश्वविद्यालय से बैरिस्ट्री पास की और विदेशी शान-शौकत से जिंदगी बिताने लगे, परंतु नानी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अत: नानी ने अपनी पुत्री की शादी की ज़िम्मेदारी अपने पति के एक मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारे लाल शर्मा को सौंप दी कि वे अपनी बेटी की शादी आज़ादी के सिपाही से करवाना चाहती हैं। अत: लेखिका की माँ की शादी एक स्वतंत्रता सेनानी से हुई। वे अब खादी की साड़ी पहना करती थीं, जो उनके लिए असहनीय थी। लेखिका ने अपनी माँ को कभी भारतीय माँ जैसा नहीं देखा था। वे घर-परिवार और बच्चों के खान-पान आदि में ध्यान नहीं देती थीं। उन्हें पुस्तकें पढ़ने और संगीत सुनने का शौक था। उनमें दो गुण मुख्य थे-पहला, कभी झूठ न बोलना और दूसरा, वे एक की गोपनीय बात को दूसरे पर जाहिर नहीं होने देती थीं। इसी कारण उन्हें घर में आदर तथा बाहरवालों से दोस्ती मिलती थी।

लेखिका की परदादी को लीक से हटकर चलने का शौक था। उन्होंने मंदिर में जाकर विनती की कि उनकी पतोहू का पहला बच्चा लड़की हो। उनकी यह बात सुनकर लोग हक्के-बक्के से रह गए थे। ईश्वर ने उनके घर में पूरी पाँच कन्याएँ भेज दीं।

एक बार घर के सभी लोग घर से बाहर एक बरात में गए हुए थे और घर में जागरण था। अत: लेखिका की दादी शोर मचने की वजह से दूसरे कमरे में जाकर सोई हुई थीं। तभी चोर ने सेंध लगाई और उसी कमरे में घुस आया। परदादी की नींद खुल गई। उन्होंने चोर से एक लोटा पानी माँगा। बूढ़ी दादी के हठ के आगे चोर को झुकना पड़ा और वह कुएँ से पानी ले आया। परदादी ने आधा लोटा पानी खुद पिया और आधा लोटा पानी चोर को पिला दिया और कहा कि अब हम माँ-बेटे हो गए। अब तुम चाहे चोरी करो या खेती करो। उनकी बात मानकर चोर चोरी छोड़कर खेती करने लगा।

लेखिका की बहनों में कभी इस हीन-भावना की बात नहीं आई कि वे एक लड़की हैं। पहली लड़की जिसके लिए परदादी ने मन्नत माँगी  थी वह मंजुला भगत थीं। दूसरे नंबर की लड़की खुद लेखिका मृदुला गर्ग  (घर का नाम उमा) थीं। तीसरी बहन का नाम चित्रा और उसके बाद  रेणु और अचला नाम की बहनें थीं। इन पाँच बहनों के बाद एक भाई  राजीव था।

लेखिका का भाई राजीव हिंदी में और अचला अंग्रेजी में लिखने  लगी और रेणु विचित्र स्वभाव की थी। वह स्कूल से वापसी के समय गाड़ी में बैठने से इनकार कर देती थी और पैदल चलकर ही पसीने से तर होकर घर आती थी। उसके विचार सामंतवादी व्यवस्था के खिलाफ़ थे। वह बी०ए० पास करना भी उचित नहीं मानती थी। लेखिका की तीसरी बहन चित्रा को पढ़ने में कम तथा पढ़ाने में अधिक रुचि थी। इस कारण उसके शिष्यों से उसके कम अंक आते थे। उसने अपनी शादी के लिए एक नज़र में लड़का पसंद करके ऐलान किया कि वह शादी करेगी तो उसी से और उसी के साथ उसकी शादी हुई।

अचला, सबसे छोटी बहन, पत्रकारिता और अर्थशास्त्र की छात्रा थी। उसने पिता की पसंद से शादी कर ली थी और उसे भी लिखने का रोग था। सभी ने शादी का निर्वाह भली-भाँति किया। लेखिका शादी के बाद बिहार के एक कस्बे, डालमिया नगर में रहने लगीं। वहीं पर वहाँ की औरतों के साथ उन्होंने नाटक भी किए। इसके बाद मैसूर राज्य के कस्बे, बागलकोट में रहीं। वहाँ लेखिका ने अपने बलबूते पर प्राइमरी स्कूल खोला, जिसमें उनके और अन्य अफसरों के बच्चों ने अपनी पढ़ाई की तथा भिन्न-भिन्न शहरों के अलग-अलग विद्यालयों में दाखिला लिया। विद्यालय खोलकर लेखिका ने दिखा दिया कि वे अपने प्रयास में कभी असफल नहीं हो सकतीं। परंतु लेखिका स्वयं को अपनी छोटी बहन रेणु से कमतर आँकती थीं। वे एक अन्य घटना का स्मरण करते हुए लिखती हैं कि दिल्ली में 1950 के अंतिम दौर में नौ इंच तेज बारिश हुई तथा चारों तरफ़ पानी भर गया था। रेणु की स्कूल-बस नहीं आई थी। सबने कहा कि स्कूल बंद होगा, अतः वह स्कूल न जाए किंतु वह नहीं मानी। अपनी धुन की पक्की वह दो मील पैदल चलकर स्कूल गई और स्कूल बंद होने पर वापस लौटकर आई। लेखिका मानती हैं कि अपनी धुन में मंजिल की ओर चलते जाने का और अकेलेपन का कुछ और ही मज़ा होता है।


 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 9 CHAPTER 2 KRITIKA

Mere sang ki auraten class 9 question and answers

प्रश्न 1 लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?

उत्तर- लेखिका की नानी की मृत्यु उनकी माँ की शादी से पहले हो गई थी परन्तु उनकी माँ के द्वारा उन्होंने नानी के विषय में बहुत कुछ सुन रखा था। बेशक उनकी नानी शिक्षित स्त्री नहीं थीं, न ही कभी पर्दा व घर से बाहर ही गई थीं। परन्तु वे एक स्वतंत्र व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं। उनके मन में आज़ादी की लड़ाई करने वालों के लिए विशेष आदर था। यही कारण था कि अपने अंत समय से पहले अपने पति के मित्र से उन्होंने निवेदन किया था कि उनकी पुत्री का विवाह उनके पति की पसंद से न हो, क्योंकि वह स्वयं अंग्रेज़ों के समर्थक थे, बल्कि उनके मित्र करवाएँ। वह अपनी ही तरह आज़ादी का दीवाना ढूँढे। वे देश की आज़ादी के लिए भी जूनून रखती परन्तु कभी घर से बाहर उन्होंने कदम नहीं रखा था।

प्रश्न 2 लेखिका की नानी आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?

उत्तर- लेखिका की नानी आज़ादी के आंदोलन में प्रत्यक्ष रुप में भले ही भाग नहीं ले पाईं परन्तु अप्रत्यक्ष रुप में सदैव इस लड़ाई में सम्मिलित रहीं और इसका मुख्य उदारहण यही था कि उन्होनें अपनी पुत्री की शादी की ज़िम्मेदारी अपने पति के स्वतंत्रता सेनानी मित्र को दी थी। वह अपना दामाद एक आज़ादी का सिपाही चाहती थीं न कि अंग्रेज़ों की चाटुकारी करने वाले को। उन्हें अंग्रेजों और अंग्रेज़ियत से चिढ़ थी। उनके मन में आज़ादी के लिए एक जुनून था।

प्रश्न 3 लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में-

     i.        लेखिका के माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए।

   ii.        लेखिका की दादी के घर के महौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।

उत्तर-

     i.        लेखिका की माँ बहुत ही नाजुक, सुंदर और स्वतंत्र विचारों की महिला थीं। उनमें ईमानदारी, निष्पक्षता और सचाई भरी हुई थी। वे अन्य माताओं की तरह कभी भी अपनी बेटी को अच्छे-बुरे की न सीख दी और न खाना पकाकर खिलाया। उनका अधिकांश समय अध्यन अथवा संगीत को समर्पित था। वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं और न कभी इधर की बात उधर करती थीं। शायद यही कारण था कि हर काम में उनकी राय ली जाती थी और सब कोई उसे सहर्ष स्वीकारता भी था।

   ii.        लेखिका की दादी के घर में कुछ लोग जहाँ अंग्रेज़ियत के दीवाने थे, वहीं कुछ लोग भारतीय नेताओं के मुरीद भी थे। घर में बहुमति होने के बाद भी एकता का बोलबाला था। घर में किसी प्रकार की संकीर्णता नहीं थी। सभी लोग अपनी-अपनी स्वतंत्रता एवं निजता बनाए रख सकते थे। घर के बच्चों के पालन-पोषण में घर के सभी लोग जिम्मेदार थे। कोई भी सदस्य अपने विचार किसी पर थोप नहीं सकता था। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि घर का माहौल अमन-चैन से भरपूर और सुखद था।

प्रश्न 4 आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?

उत्तर- लेखिका की दादी स्वतंत्र और साहसी महिला थी। उस समय लड़की की चाह रखना मेरे अनुसार उनके साहस और लीक से हटकर सोचना था।

प्रश्न 5 डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है- पाठके आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर- लेखिका के अनुसार एक बार उनके घर में चोर घुस आया था। उस पर चोर की ही बदकिस्मती थी कि वह लेखिका की दादी माँ के कमरे में घुस गया। उनकी दादी माँ ने यह जानते हुए भी कि वह चोर है उसको न डराया न धमकाया बल्कि सहजता पूर्वक उसे सुधार दिया। उन्होंने न सिर्फ़ उसके हाथ का पानी पिया अपितु उसी लोटे से पानी पिलाकर उसे अपना बेटा बना लिया। जिसके परिणामस्वरूप उस चोर ने चोरी करना छोड़कर खेतीबाड़ी कर अपना पूरा जीवनयापन किया।

प्रश्न 6 ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’-इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। लेखिका को यह बात तब पूरी तरह समझ में आ गई, जब उनके दो बच्चे स्कूल जाने लायक हो गए। लेखिका कर्नाटक के एक छोटे कस्बे में रहती थी। उन्होंने वहाँ के कैथोलिक चर्च के विशप से एक स्कूल खोलने का आग्रह किया। परंतु उन्होंने क्रिश्चियन बच्चों की संख्या कम होने की बात कहकर स्कूल खोलने से मना कर दिया। लेखिका ने कहा कि गैर- क्रिशचन बच्चों को भी शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, परंतु विशप तैयार नहीं हुए। ऐसे में लेखिका ने आगे बढ़ते हुए अपने दम पर एक ऐसा स्कूल खोलने का मन बना लिया जिसमें अंग्रेज़ी, कन्नड़ और हिन्दी तीन भाषाएँ पढ़ाई जाएँगी। लोगों ने भी लेखिका का साथ दिया और वे बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाने में सफल रहीं।

प्रश्न 7 पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जो लोग कभी झूठ नहीं बोलते और सच का साथ देते हैं। जो किसी की बात को इधर-उधर नहीं करते अर्थात् चुगलखोरी से दूर रहते हैं। जिनके इरादे मजबूत होते हैं, जो हीन भावना से ग्रसित नहीं होते तथा जिनका व्यक्तित्व सरल, सहज एवं पारदर्शी होता है, उन्हें पूरा समाज श्रद्धा भाव से देखता है।

प्रश्न 8 ‘सच अकेलेपन का मजा ही कुछ और है’ इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर- लेखिका और उनकी बहन जो सोचती थी उसे करके ही दम लेती थी। उनकी बहन बड़ी जिद्दी थी परन्तु उनके इस जिद्दीपन ने उनका दृढ निशचय स्वभाव झलकता है। अत्यधिक बारिश होने के बावजूद, सब के मना करने के बावजूद लेखिका की बहन विद्यालय जाती है, तो दूसरी ओर लेखिका जब डालमिया नगर में रहतीं थीं तब उन्होंने स्त्री-पुरुष के नाटकों द्वारा सामाजिक कार्यों के लिए धन एकत्रित किया। कर्नाटक में स्कूल खोला। ये सारी बातें लेखिका के स्वतंत्र व्यक्तित्व, हिम्मत, धैर्य और लीक से हटकर अपनी अलग राह चलनेवाले वाले व्यक्तित्व की ओर संकेत करते हैं।

  • Tags :
  • मेरे संग की औरतें

You may like these also

© 2024 Witknowlearn - All Rights Reserved.