Megh Aaye Class 9th: NCERT Solutions For Chapter 12 Hindi Class 9

Megh Aaye Class 9th: NCERT Solutions For Chapter 12 Hindi Class 9
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अध्याय-13: मेघ आए 

सारांश - megh aaye summary

‘मेघ आए’ कविता में कवि श्री सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ने प्रकृति का अद्भुत वर्णन किया है। मानवीकरण के माध्यम से कवि ने कविता को चत्ताकर्षक बना दिया है। कवि ने बादलों को मेहमान के समान बताया है। पूरे साल भर के इंतशार के बाद जब बादल आएए ग्रामीण लोग बादलों का स्वागत उसी प्रकार करने लगे जिस प्रकार कोई अपने (दामाद) का स्वागत करता है। किसी ने स्वागत किया तो किसी ने उलाहना भी दिया। बादलों के स्वागत में सारी प्रकृति ही उपस्थित हो गई। बादल मेहमान अर्थात दामाद की तरह बन-ठन कर तथा सज-ध्जकर आए हैं। हवा भी चंचल बालिका की तरह नाच-गाकर उनका स्वागत कर रही है। मेघों को देखने के लिए हर आदमी उतावला हो रहा है।

इसीलिए सबने अपने.अपने घरों के दरवाजे तथा खिड़कियाँ खोल दिए हैं और बादलों को देख रहे हैं। आँधी चली और धूल इधर-उधर भागने लगी। धूल का भागना ऐसा लगाए मानो कोई गाँव की लड़की अपना घाघरा उठाकर घर की तरपफ भाग चली। गाँव की नदी भी एक प्रेमिका की तरह अपने मेहमान मेघों को देखकर ठिठक गई तथा उन्हें तिरछी नजर से देखने लगी। गाँव की सुंदरियों ने अपना घूँघट उठाकर बने-ठने? सजे.सँवरे मेहमानों के समान बादलों को देखा। बादल रूपी मेहमानों के आने पर पीपल ने गाँव के एक बड़े-बूढ़े बुजुर्ग की तरह झुककर उनका स्वागत किया। साल भर की गर्मी सहकर मुरझाई लताएँ ऐसे दरवाजे के पीछे चिपकी खड़ी थीं जैसे कोई नायिका दरवाशे के पीछे खड़े होकर आने वाले को उलाहना दे रही हो कि पूरा साल बिताकर अब आए हो। अभी तक याद नहीं आई कि मैं मरी या जी। तालाब भी पानी से लबालब भरा हुआ ऐसे लहरा रहा था कि मानो वह बादलों के स्वागत के लिए परात में पानी भर कर लाया हो। चारों ओर बादल गरजने लगेए बिजली चमकने लगी और झरझर पानी बरसने लगा। कोई कहने लगा कि मुझे क्षमा कर दोए ‘वर्षा होगी कि नहीं’ यह मेरा भ्रम टूट गया है। अब मुझे विश्वास हो गया है कि वर्षा अवश्य होगी। मेघ रूपी मेहमान को लता रूपी अपनी प्रिया से मिलते देखकर सारी प्रकृति खुश हो गई। सभी खुश हुए। वर्षा रूपी खुशी के आँसू बहने लगे।

काव्यांश 1.

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली ,

दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली ,

पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के।

भावार्थ –

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि जिस प्रकार लंबे समय बाद जब एक दामाद अपने ससुराल  सज धज कर आता है। तो गांव की नवयुवतियों (किशोर लड़कियों) उसके आने की खबर पूरे गांव वालों को उसके गांव पहुंचने से पहले ही दे देती हैं। और सभी लोग अपने घरों की खिड़कियों और दरवाजे गली की तरफ खोल कर शहर से आए अपने उस दामाद को देखने लगते हैं।

ठीक उसी प्रकार जब भीषण गर्मी के बाद वर्षा ऋतु का आगमन होता है।और काले-काले धने , पानी से भरे हुए बादल आकाश में छाने लगते हैं। उन बादलों के आकाश में छाने से पहले तेज हवायें चलने लगती हैं। जो काले धने बादलों के आकाश में छाने का संकेत देती है।

कवि आगे कहते हैं कि तेज हवाओं के कारण घर के दरवाजे व खिड़की खुलने लगती हैं। लोग अपने घरों से बाहर निकल कर उत्सुकुतावश आकाश की तरफ देखने लगते हैं। और आकाश में काले-काले धने बादलों को देखकर सबके मन उल्लास व प्रसन्नता से भर जाते हैं।

उस समय ऐसा प्रतीत होता है मानो शहर से रहने वाला बादल रूपी दामाद बड़े बड़े लंबे समय बाद बन सँवर कर गांव लौटा हो। “पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के” में उत्प्रेक्षा अलंकार हैं। गली-गली में पुनरुक्ति अलंकार हैं।

काव्यांश 2.

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,

आंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये,

बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूंघट सरके।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

भावार्थ –

जब तेज हवाएं बहने लगती है तो पेड़ कभी नीचे की तरफ झुक जाते हैं तो कभी ऊपर की तरफ उठ जाते हैं। उन पेड़ों को देखकर ऐसा लगता हैं जैसे गांव के लोग (यहां पर पेड़ों की तुलना गांव के लोग से की हैं) अपने उस मेहमान को गरदन उचका-उचका कर देख रहे हैं ।यानि गांव के सभी लोग शहर से आये अपने उस मेहमान को एक नजर भर देख लेना चाहती हो।

तेज आंधी के आने से धूल एक जगह से उड़ कर तेजी से दूसरी जगह पहुंच जाती है। कवि ने उस धूल की तुलना गांव की उस किशोरी से की हैं जो मेहमान के आने की खबर गांव के लोगों को देने के लिए अपना घागरा उठा कर तेजी से भागती हैं। कवि को ऐसा लगता है कि जैसे गांव की किशोरी मेहमान आने की खबर गांव वालों को देने के लिए अपना घागरा उठाए दौड़ रही है।

 अगली पंक्तियों में कवि नदी को गांव की एक बहू के रूप में देखते हैं। जो गांव में दामाद के आने की खबर सुनकर , थोड़ा रुक कर और अपने घुंघट को थोड़ा सरका कर , तिरछी निगाहों से  , उस दामाद की झलक पाना चाहती है। यानि आकाश में बादलों के आने से नदी में भी हलचल शुरू हो जाती हैं। क्योंकि बादल रूपी दामाद बड़े बन सँवर कर लौटे हैं।

काव्यांश 3.

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,

‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ –

बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,

हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

भावार्थ –

तेज हवाओं के चलने के कारण बूढा पीपल का पेड़ कभी झुक जाता है तो कभी ऊपर उठ जाता हैं। पीपल के पेड़ की बहुत लंबी उम्र होती है। इसीलिए यहां पर उसे बूढा कहा गया है ।

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि जैसे गांव में कोई मेहमान आता हैं तो गांव के बड़े -बुजुर्ग आगे बढ़ कर उसका स्वागत करते हैं। उसको प्रणाम करते हैं। ठीक उसी प्रकार बादलों के आने पर बूढ़े पीपल के पेड़ ने झुक कर उसका स्वागत किया। और उसको प्रणाम किया।

कवि आगे कहते हैं कि उस बूढ़े पीपल के पेड़ से लिपटी लता (बेल) भी थोड़ी हरकत में आ गई। कवि ने यहां पीपल से लिपटी हुई लता को उस घर की बेटी के रूप में माना है जो घर आये उस मेहमान को किवाड़ की ओट से देख रही है। यानि भीषण गर्मी में प्यासी लता बादलों के आने से बेहद खुश हैं।

साथ ही साथ वह (लता) मेहमान (बादल) से शिकायत भी कर रही है कि पूरे एक साल के बाद तुमने मेरी खबर ली। क्योंकि बरसात का मौसम साल भर के बाद आता है।

जैसे पुराने समय में दामाद के आने पर परात में उसके पैर रखकर , घर के किसी सदस्य द्वारा पानी से उसके पैर धोये जाते थे। यहां पर तालाब को उसी सदस्य के रूप में माना गया है। कवि कहते हैं कि तालब खुश होकर परात के पानी से उस मेहमान के पैर धोता है। तालाब इसलिये खुश हैं क्योंकि बरसात में पानी से वह फिर से भर जायेगा।

काव्यांश 4.

क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी,

‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,

बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

भावार्थ –

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि जिस प्रकार अटारी (ऊंची जगह ) पर पहुंचे अपने पति को देखकर पत्नी का तन-मन खुशी से भर जाता है। उसके मन में जो संदेह था कि उसका पति नहीं लौटेगा। अब वह भी दूर हो चुका हैं क्योंकि अब उसका पति लौट चुका है। वह मन ही मन उससे माफी मांगती है और दोनों के मिलन से खुशी के आंसू छलक पड़ते हैं।

ठीक उसी प्रकार बादल (पति)  क्षितिज ( जहाँ धरती आसमान मिलते हुए प्रतीत होते हैं ) में छा चुके हैं। और बिजली जोर जोर से चमकती हैं। क्षितिज पर छाये बादलों को देखकर धरती (पत्नी)  बेहद प्रसन्न हैं। उसका यह संदेह भी समाप्त हो जाता कि वर्षा नहीं होगी। यानि अब धरती को पक्का विश्वास हो जाता हैं कि बादल बरसेंगे। और फिर बादल और बिजली के मिलने से झर-झर कर पानी बरसने लगता हैं। और धरती का आँचल भीग जाता हैं।


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प्रश्न-अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 128)

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प्रश्न 1 बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया हैउन्हें लिखिए।

उत्तर- बादलों के आने पर प्रकृति के निम्नलिखित क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है-

1.   बादल मेहमान की तरह बन-ठन कर, सज-धज कर आते हैं।

2.   उसके आगमन की सूचना देते हुए आगे-आगे बयार चलती है।

3.   उनके आगमन की सूचना पाते ही लोग अतिथि सत्कार के लिए घर के दरवाज़े तथा खिड़कियाँ खोल देते हैं।

4.   वृक्ष कभी गर्दन झुकाकर तो कभी उठाकर उनको देखने का प्रयत्न कर रहे हैं।

5.   आँधी के आने से धूल का घाघरा उठाकर भागना।

6.   प्रकृति के अन्य रुपों के साथ नदी ठिठक गई तथा घूँघट सरकाकर आँधी को देखने का प्रयास करती है।

7.   सबसे बड़ा सदस्य होने के कारण बूढ़ा पीपल आगे बढ़कर आँधी का स्वागत करता है।

8.   ग्रामीण स्त्री के रुप में लता का किवाड़ की ओट से देर से आने पर उलाहना देना।

9.   तालाब मानो स्वागत करने के लिए परात में पानी लेकर आया हो।

10.              इसके बाद आकाश में बिजली चमकने लगी तथा वर्षा के रुप में उसके मिलन के अश्रु बहने लगे।

प्रश्न 2 निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं?

  • धूल,
  • पेड़,
  • नदी,
  • लता,
  • ताल

उत्तर-

  • धूल - स्त्री
  • पेड़- नगरवासी
  • नदी - स्त्री
  • लता - मेघ की प्रतिक्षा करती नायिका
  • ताल सेवक

प्रश्न 3 लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?

उत्तर- लता ने बादल रुपी मेहमान को किवाड़ की ओट से देखा क्योंकि वह मेघ के देर से आने के कारण व्याकुल हो रही थी तथा संकोचवश उसके सामने नहीं सकती थी।

प्रश्न 4 भाव स्पष्ट कीजिए

     i.        क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की।

   ii.        बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।

उत्तर-

     i.        भावनायिका को यह भ्रम था कि उसके प्रिय अर्थात् मेघ नहीं आएँगे परन्तु बादल रूपी नायक के आने से उसकी सारी शंकाएँ मिट जाती है और वह क्षमा याचना करने लगती है।

   ii.        भावमेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है।

प्रश्न 5 मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?

उत्तर- मेघ के आगमन से दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने लगे। हवा के तेज़ बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ अपना संतुलन खो बैठते हैंकभी उठते हैं तो कभी झुक जाते हैं। धूल रुपी आँधी चलने लगती है। हवा के चलने से संपूर्ण वातावरण प्रभावित होता है - नदी की लहरें भी उठने लगती हैपीपल का पुराना वृक्ष भी झुक जाता हैतालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है। अन्ततबिजली कड़कती है और आसमान से मेघ पानी के रुप में बरसने लगते हैं।

प्रश्न 6 मेघों के लिए 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात क्यों कही गई है?

उत्तर- बहुत दिनों तक आने के कारण गाँव में मेघ की प्रतीक्षा की जाती है। जिस प्रकार मेहमान (दामाद) बहुत दिनों बाद आते हैं, उसी प्रकार मेघ भी बहुत समय बाद आए हैं। अतिथि जब घर आते हैं तो सम्भवत: उनके देर होने का कारण उनका बन-ठन कर आना ही होता है। कवि ने मेघों में सजीवता डालने के लिए मेघों के 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात कही है।

प्रश्न 7 कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर- मानवीकरण अलंकार:

1.   आगे-आगे नाचती बयार चली।

यहाँ बयार का स्त्री के रुप में मानवीकरण हुआ है।

2.   मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

मेघ का दामाद के रुप में मानवीकरण हुआ है।

3.   पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए।

पेड़ो का नगरवासी के रुप में मानवीकरण किया गया है।

4.   धूल भागी घाघरा उठाए।

धूल का स्त्री के रुप में मानवीकरण किया गया है।

5.   बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की।

पीपल का पुराना वृक्ष गाँव के सबसे बुज़र्ग आदमी के रुप में है।

6.   बोली अकुलाई लता।

लता स्त्री की प्रतीक है।

रूपक अलंकार:

1.   क्षितिज अटारी।

यहाँ क्षितिज को अटारी के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

2.   दामिनी दमकी।

दामिनी दमकी को बिजली के चमकने के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

3.   बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।

झर-झर मिलन के अश्रु द्वारा बारिश को पानी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।

प्रश्न 8 कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।

उत्तर- गाँव में मेहमान चाहे किसी के भी घर आए परन्तु उत्सुकता और उल्लास पूरे गाँव में होता है। सभी लोग अपने-अपने तरीकों से मेहमान के स्वागत में जुट जाते हैं। गाँव की स्त्रियाँ मेहमान से पर्दा करने लगती है, बुजुर्ग झुककर उनका स्वागत करते हैं,पैरों को धोने के लिए परात में पानी लाया जाता है। इस प्रकार से इस कविता में कुछ ग्रामीण रीति-रिवाजों का चित्रण हुआ है।

प्रश्न 9 कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामादके आने का जो रोचक वर्णन किया हैउसे लिखिए।

उत्तर- कविता में कवि ने मेघों के आगमन तथा गाँव में दामाद के आगमन में काफी समानता बताई है। जब गाँव में मेघ दिखते हैं तो गाँव के सभी लोग उत्साह के साथ उसके आने की खुशियाँ मनाते हैं। हवा के तेज़ बहाव से पेड़ अपना संतुलन खो बैठते हैंनदियों तथा तालाबों के जल में उथल-पुथल होने लगती है। मेघों के आगमन पर प्रकृति के अन्य अव्यव भी प्रभावित होते हैं।

ठीक इसी प्रकार किसी गाँव में जब कोई दामाद आता है तो गाँव के सभी सदस्य उसमें बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। स्त्रियाँ चिक की आड़ से दामाद को देखने का प्रयत्न करती है, गाँव के सबसे बुज़र्ग आदमी सर्वप्रथम उसके समक्ष जाकर उसका आदर-सत्कार करते हैं। पूरी सभा का केन्द्रिय पात्र वहीं होता है।

प्रश्न 10 काव्य-सौंदर्य लिखिए-

पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों में पाहुन अर्थात् दामाद के रूप में प्रकृति का मानवीकरण हुआ है। कवि ने प्रस्तुत कविता में चित्रात्मक शैली का उपयोग किया है। इसमें बादलों के सौंदर्य का मनोरम चित्रण हुआ है। कविता की भाषा सरल तथा सहज होने के साथ ग्रामीण भाषा जैसे पाहुन शब्द का भी इस्तेमाल किया गया है। यहाँ पर बन ठन में वर्ण की आवृत्ति होने के कारण अनुप्रास अलंकार है।

रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न (पृष्ठ संख्या 129)

प्रश्न 1 वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर- वर्षा के आने पर वातावरण में ठंड बढ़ जाती है। पेड़ पौधे ताजा दिखाई देने लगते हैं। गड्ढो में पानी भर जाता है। सड़के चमकने लगती हैं। बच्चो का झुण्ड बारिश का मजा लेते दिखाई देने लगता है। सड़को पर पानी जमा होने कारण चलने में असुविधा भी होती है और यातायात सम्बन्धी दिक्कते भी होती हैं। वातावरण में गरमी की समाप्ति होने से लोगो को राहत मिलती है।

प्रश्न 2 कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है? पता लगाइए।

उत्तर- पीपल वृक्ष की आयु सभी वृक्षों से बड़ी होती है। गाँवों में पीपल की पूजा की जाती है इसी कारण गाँव में पीपल वृक्ष का होना अनिवार्य माना जाता है इसीलिए पुराना और पूजनीय होने के कारण पीपल को बड़ा बुजुर्ग कहना उचित है।

प्रश्न 3 कविता में मेघ को 'पाहुन' के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्व प्राप्त है,लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नज़र आते हैं, लिखिए।

उत्तर- हमारी संस्कृति में अतिथि को देव तुल्य माना जाता रहा है - 'अतिथि देवो भव:'। परन्तु आज के समाज में इस विषय को लेकर बहुत परिवर्तन आए हैं। इसका प्रमुख कारण भारत में पाश्चात्य संस्कृति का आगमन है। पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण करते-करते आज का मनुष्य इतना आत्मकेन्द्रित होता जा रहा है कि उसके पास दूसरों के लिए समय का अभाव हो गया है। इसी कारण आज संयुक्त परिवार की संख्या धीरे-धीरे घटती जा रही है। ऐसी अवस्था में अतिथि का सत्कार करने की परम्परा प्राय: लुप्त होती जा रही है।

भाषा-अध्ययन प्रश्न (पृष्ठ संख्या 129)

प्रश्न 1 कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।

उत्तर-

     i.        बन-ठन के - (तैयारी के साथ) मेहमान हमेशा बन-ठन के हैं ।

   ii.        सुधि लेना - (खबर लेना) मैंने अपने प्रिया मित्र की कई दिनों तक सुधि नहीं ली है।

 iii.        गाँठ खुलना - (समस्या का समाधान होना) आपसी बातचीत द्वारा मन की कई गाँठे खुल जाती है।

 iv.        बाँध टूटना - (धैर्य समाप्त होना) कई घंटे बिजली कटी होने से मोहन के सब्र का बाँध टूट गया।

प्रश्न 2 कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूची बनाइए।

उत्तर- बयार, पाहुन, उचकाना, जुहार, सुधि-लीन्हीं, किवार, अटारी, बन ठन, बाँकी, परात।

प्रश्न 3 मेघ आए कविता की भाषा सरल और सहज है – उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- निम्न उदाहारणों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है कि मेघ आए कविता की भाषा सरल और सहज है–

·       पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।

·       मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर।

·       बरस बाद सुधि लीन्हीं।

·       पेड़ झुककर झाँकने लगे गर्दन उचकाए।

आदि उपर्युक्त पंक्तियों में अधिकतर आम बोलचाल की भाषा का ही प्रयोग हुआ है। ग्रामीण परिवेश को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण भाषा का भी उचित प्रयोग हुआ है जैसे सुधि पाहुन भरम आदि। कहीं पर भी भाषा को समझने में कोई मुश्किल नहीं होती है।


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  • मेघ आए

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