Tum Kab Jaoge Atithi Class 9: NCERT Solutions for Chapter 3 Sparsh

Tum Kab Jaoge Atithi Class 9: NCERT Solutions for Chapter 3 Sparsh
Share this

Are you looking for detailed insights on Tum Kab Jaoge Atithi, the engaging chapter from Class 9 Hindi Sparsh book? You've landed on the right page! The chapter beautifully explores the relationship between hosts and their guests, and it's a must-read for every Class 9 student. From Tum Kab Jaoge Atithi question answers to a thorough Class 9 Hindi Chapter 3 Sparsh summary, we've got it all covered for you.

Parents often worry if their children are grasping the essence of the chapter and its teachings. The chapter Tum Kab Jaoge Atithi is not just another lesson in your Hindi syllabus, but it’s a beautiful narrative that emphasizes values like hospitality and kindness. Teachers who are looking for a comprehensive guide for Chapter 3 Hindi Class 9 Sparsh, you’re in the right place. We offer a wide range of resources including question answers, summaries, and much more.

Understanding this chapter is crucial for your Class 9 exams and we make sure to provide the most accurate and easy-to-understand Tum Kab Jaoge Atithi Class 9 question answers. If you're looking for a PDF version for easier access, we have that option too. Our Tum Kab Jaoge Atithi Class 9 PDF is designed to make learning straightforward for students as well as their parents.

Students looking to excel in their exams can benefit from our detailed Class 9 Hindi Chapter 3 question answer Sparsh guide. It's a one-stop solution for everyone seeking to grasp the core concepts of this chapter. Don't miss out on understanding the depth of Tum Kab Jaoge Atithi. It's not just a chapter but a life lesson that Class 9 students should not skip. With our extensive resources, acing your Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 is now easier than ever!

अध्याय-3: तुम कब जाओगे अतिथि

सारांश

प्रस्तुत पाठ तुम कब जाओगे, अतिथि लेखक शरद जोशी जी के द्वारा लिखित है | इस पाठ में लेखक ने ऐसे व्यक्तियों की व्यंग्यात्मक ढंग से ख़बर ली है, जो अपने किसी परिचित या रिश्तेदार के घर बिना कोई पूर्व सूचना दिए चले आते हैं और फिर जाने का नाम ही नहीं लेते | भले ही उनका ज्यादा समय तक टिके रहना मेज़बान के लिए तकलीफ़ देय ही क्यूँ हो |

प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक अतिथि सत्कार से ऊबकर उसे अपने मन की भावना से संबोधित करते हुए कहते हैं कि आज तुम्हारे आगमन के चतुर्थ दिवस पर यह प्रश्न बार-बार मन में घुमड़ रहा हैतुम कब जाओगे, अतिथि ? तुम जानते हो, अगर तुम्हें हिसाब लगाना आता है कि यह चौथा दिन है, तुम्हारे सतत् आतिथ्य का चौथा भारी दिन ! पर तुम्हारे जाने की कोई सम्भावना प्रतीत नहीं होती | अब तुम लौट जाओ, अतिथि ! तुम्हारे जाने के लिए यह उच्च समय है | क्या तुम्हें तुम्हारी पृथ्वी नहीं पुकारती ?

आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि अतिथि ! तुम्हें देखते ही मेरा बटुआ काँप गया था | फिर भी हमने मुस्कुराहट के साथ तुम्हारा स्वागत किया था | मेरी पत्नी ने तुम्हें सादर नमस्ते किया था | रात के भोजन को मध्यम-वर्गीय डिनर में बदल दिया था | सोचा था कि तुम दूसरे दिन किसी रेल से एक शानदार मेहमाननवाज़ी की छाप अपने हृदय में बसाकर एक अच्छे अतिथि की तरह चले जाओगे |परन्तु, ऐसा नहीं हुआ | तुम यहाँ आराम से सिगरेट के छल्ले उड़ा रहे | उधर मैं तुम्हारे सामने कैलेण्डर की तारीखें बदल-बदलकर तुम्हें जाने का संकेत दे देता रहा हूँ |

आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि तीसरे दिन तो तुमने कपड़े धुलवाने की फ़रमाइश कर दी | पत्नी ने सुना तो वह भी आँखें तरेरने लगी | जब चौथे दिन कपड़े धुलकर गए, तो फिर भी तुम डटे रहे | अतिथि ! तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त होने लगी है | ठहाकों के रंगीन गुब्बारे, जो कल तक इस कमरे के आकाश में उड़ते थे, अब नज़र नहीं आते | बार-बार यह प्रश्न उठ रहा हैतुम कब जाओगे, अतिथि ?

आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बातचीत के सभी विषय समाप्त हो गए हैं | दोनों खुद में मग्न होकर पढ़ रहे हैं | आपसी सौहार्द समाप्ति के कगार पर है | सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो चुकी है | अब भोजन में खिचड़ी बनने लगी है | लेखक कहते हैं कि घर को स्वीट होम कहा गया है, परन्तु तुम्हारे होने से घर का स्वीटनेस खत्म हो गया है | अब तुम चले जाओ वर्ना मुझे मजबूरनगेट आउटकहना पड़ेगा | माना कि तुम देवता हो, किंतु मैं तो आदमी हूँ | मनुष्य और देवता अधिक देर तक साथ नहीं रह सकते | तुम लौट जाओ अतिथि ! इसी में तुम्हारा देवत्व सुरक्षित रहेगा | उफ ! तुम कब जाओगे, अतिथि…?


 

class 9 hindi ch 3 sparsh

प्रश्न-अभ्यास (मौखिक) प्रश्न (पृष्ठ संख्या 32-33)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए–

प्रश्न 1 अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?

उत्तर- अतिथि लेखक के घर चार दिनों से अधिक समय तक रहता है।

प्रश्न 2 कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?

उत्तर- कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही थी।

प्रश्न 3 पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?

उत्तर- पति ने स्नेह-भीगी मुस्कराहट के साथ गले मिलकर तथा पत्नी ने सादर नमस्ते कहकर मेहमान का स्वागत किया।

प्रश्न 4 दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गयी?

उत्तर- दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गयी।

प्रश्न 5 तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

उत्तर- तीसरे दिन अतिथि ने कपड़े धुलवाने हैं कहकर धोबी के बारे में पूछा।

प्रश्न 6 सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?

उत्तर- सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लंच डिनर की जगह खिचड़ी बनने लगी। खाने में सादगी आ गई और अब भी अतिथि नहीं जाता तो उपवास तक रखना पड़ सकता था। ठहाकों के गुब्बारों की जगह एक चुप्पी हो गई। सौहार्द अब धीरे-धीरे बोरियत में बदलने लगा।

प्रश्न-अभ्यास (लिखित) प्रश्न (पृष्ठ संख्या 33)

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए–

प्रश्न 1 लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?

उत्तर- लेखक अतिथि को एक भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह चाहता था कि जब अतिथि जाए तो पति-पत्नी उसे स्टेशन तक छोड़ने जाए। उन्हें सम्मानजनक विदाई देना चाहते थे परंतु उनकी यह मनोकामना पूर्ण नहीं हो पाई।

प्रश्न 2 पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए–

     i.        अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।

   ii.        अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।

 iii.        लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।

 iv.        मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।

   v.        एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

उत्तर-

     i.        जब लेखक ने अतिथि को  देखा था तब उन्हें लगा उनका खर्च बढ जायेगा इसलिए उनका बटुआ काँप गया यानी अत्यधिक खर्चे होने का एहसास हुआ।

   ii.        हमारी संस्कृति में अतिथि को देवता समान माना गया है। परन्तु यही अतिथि जब ज्यादा दिन रह जाए तो वह बोझ लगने लगता और थोड़े अंशो में राक्षस प्रतीत होता है।

 iii.        हर व्यक्ति अपने घर को सजाता है, सुख शान्ति स्थापित करता है। अपने घर को स्वीट होम बनाता है। लेकिंग जब कोई अनचाहा व्यक्ति आकर रहने लगता है तो वह  स्वीटनेस को काटने दौड़ने जैसा लगता है।

 iv.        अतिथि लेखक के घर पर चार दिनों से रह रहा था। कल पाँचवा दिन हो जाएगा। यदि कल भी अतिथि नहीं गया तो लेखक अपनी सहनशीलता खो बैठेगा और अतिथि सत्कार भूलकर गेट आउट बोलने में देर नही लगाएगा।

   v.        हम अतिथि को देवता मानते हैं इसलिए लेखक अपने अतिथि को बताना चाह रहा कि देवता और मनुष्य कभी एक साथ हैं। आप कृपा कर हमारे कर हमारे घर से प्रस्थान करें।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50 -60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1 कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर- तीसरे दिन जब अतिथि ने धोबी से कपड़े धुलवाने की इच्छा प्रकट की तो लेखक के लिए ये अप्रत्याशित आघात था चूँकि उन्हें लगा था वे चले जाएंगे। धोबी को कपड़े धुलने देने का मतलब था कि अतिथि अभी जाना नहीं चाहता। इस आघात का लेखक पर यह प्रभाव पड़ा कि वह अतिथि को राक्षस समझने लगा। उनके सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गयी।

प्रश्न 2 ‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’ – इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।

उत्तर- ‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’ – इस पंक्ति का आशय है संबंधों में परिवर्तन आना। जो संबंध आत्मीयतापूर्ण थे अब घृणा और तिरस्कार में बदलने लगे। जब लेखक के घर अतिथि आया था तो उसके संबंध सौहार्द पूर्ण थे। उसने उसका स्वागत प्रसन्नता पूर्वक किया था। लेखक ने अपनी ढ़ीली-ढ़ाली आर्थिक स्थिति के बाद भी उसे शानदार डिनर खिलाया और सिनेमा दिखाया। लेकिन अतिथि चार पाँच दिन रुक गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुँचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था।

प्रश्न 3 जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उत्तर- जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। लेखक ने उसके साथ मुस्कुराकर बात करना छोड़ दिया, बातचीत के विषय समाप्त हो गए। सौहार्द व्यवहार अब बोरियत में बदल गया। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुँचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था। इसके बाद लेखक उपवास तक जाने की तैयारी करने लगा। लेखक अतिथि को ‘गेट आउट’ तक कहने के लिए तैयार हो गया।

भाषा - अध्ययन प्रश्न (पृष्ठ संख्या 33-34)

प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्द के दो-दो पर्याय लिखिए–

चाँद, ज़िक्र, आघात, ऊष्मा, अंतरंग

उत्तर-

     i.        चाँद = राकेश, शशि

   ii.        ज़िक्र = उल्लेख, वर्णन

 iii.        आघात = हमला, चोट

 iv.        ऊष्मा = गर्मी, घनिष्ठता

   v.        अंतरंग = घनिष्ठ, आंतरिक

प्रश्न 2 निम्नलिखित वाक्य को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए−

     i.        हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)

   ii.        किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)

 iii.        सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल)

 iv.        इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची)

   v.        कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)

उत्तर-

     i.        हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएँगे।

   ii.        किसी लॉण्ड्री पर दे देने से क्या जल्दी धुल जाएँगे?

 iii.        सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाएगी।

 iv.        इनके कपड़े यहाँ देने हैं।

   v.        ये अब नहीं टिकेंगे।

प्रश्न 3

उत्तर-

प्रश्न 4

उत्तर-

  • Tags :
  • तुम कब जाओगे अतिथि

You may like these also

© 2024 Witknowlearn - All Rights Reserved.