Smriti Class 9 Question Answer & Summary: NCERT Hindi chapter 2

Smriti Class 9 Question Answer & Summary: NCERT Hindi chapter 2
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-श्रीराम शर्मा जी

सारांश

प्रस्तुत पाठ या संस्मरण स्मृति लेखक श्रीराम शर्मा जी के द्वारा लिखित है | इस पाठ के माध्यम से लेखक ने अपने बाल्यावस्था के अविस्मरणीय घटना का वर्णन किया है | प्रस्तुत संस्मरण में लेखक ने उस घटना का चित्रण किया है, जिसमें उन्होंने साँप से लड़कर चिट्ठीयों को सुरक्षा प्रदान किया था |

आगे प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के अनुसार, ठंड का मौसम गतिमान था | एक रोज शाम में जब लेखक अपने दोस्तों के साथ क्रीड़ा अथवा खेल-कूद कर रहे थे, तभी एक आदमी ने उन्हें आवाज़ दी कि तुम्हारे भाई बुला रहे हैं | लेखक

पने छोटे भाई के साथ डरे-सहमे घर की तरफ़ चल पड़ते हैं | लेखक के मन में किसी गलती के कारण पिटने का ख़ौफ़ सता रहा था | जब लेखक अपने घर पहुँचते हैं तो वे देखते हैं कि उनके बड़े भाई चिट्ठी लिख रहे हैं | तत्पश्चात्, लेखक को उनके बड़े भाई ने चिट्टियाँ सौंपी तथा उन्हें मक्खनपुर पोस्ट ऑफिस में पोस्ट करने को कहा | लेखक और उनके छोटे भाई ने चिट्ठीयों को टोपी में रखा और अपने-अपने डंडे पकड़कर चल दिए | आगे पाठ के अनुसार, वे लोग गाँव से चार फर्लांग दूर उस कुएँ के पास आ पहुँचे, जहाँ पर एक भयंकर काला साँप मौजूद था | देखा जाए तो कुआँ कच्चा था तथा लगभग चौबीस हाथ गहरा था | पानी के नाम पर उस कुएँ में कुछ भी नहीं था | वास्तव में, जब लेखक और उसके सहपाठी स्कूल के लिए जाते थे, तब उस वक़्त वे लोग कुएँ में ढेला मारते और साँप की आवाज़ सुनकर मजे लेते थे | आज भी कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला | लेखक ने ढेला उठाया और एक हाथ से टोपी उतारते हुए साँप पर ढेला मार दिया | टोपी के हाथ में लेते ही तीनों चिट्ठीयाँ कुएँ में गिर पड़ी | लेखक को ऐसा लगा मानों उसकी जान ही निकल गई हो | तत्पश्चात्, लेखक और उनके छोटे भाई दोनों कुएँ के समीप बैठकर दहाड़ें मार-मार कर रोने लगते हैं | कुछ समय गुजर जाने के पश्चात् दोनों के मध्य यह भयमुक्त फैसला लिया गया कि लेखक कुएँ के अंदर जाकर चिट्ठीयाँ निकाल कर लाएँगे |

आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, उन लोगों ने धोतियों और रस्सियों में गाठें लगाकर एक बड़ी रस्सी तैयार की | तत्पश्चात्, रस्सी के एक छोर पर डंडा बाँधा गया और उसे कुएँ में डाल दिया गया | लेखक ने रस्सी के दूसरे छोर को लकड़ी से बाँधकर अपने छोटे भाई के हाथ में थमा दिया | कुएँ के अंदर साँप फ़न फैलाकर बैठा था | लेखक भी अपने साहस का परिचय देते हुए धीरे-धीरे कुएँ के अंदर उतरने लगे | लेखक अपनी आँखें साँप के फ़न की तरफ़ ही टिकाकर रखे थे | लेकिन जहाँ साँप था, वहाँ पर डंडा चलाने का स्थान भी नहीं था | इन्हीं सब वजहों से लेखक को अपनी योजना कहीं न कहीं असफल होते लगने लगी थीं | अभी तक साँप ने लेखक पर किसी प्रकार का हमला नहीं किया था | इसलिए लेखक ने भी अपने डंडे से फ़न को दबाने की कोई कोशिश नहीं की थी | तत्पश्चात्, ज्यों ही लेखक ने डंडे को साँप के दायीं ओर पड़ी चिट्ठी की तरफ बढ़ाया, साँप ने अपना विष डंडे पर छोड़ दिया | लेकिन इसके बाद लेखक के हाथ से डंडा छूट गया | तत्पश्चात्, साँप ने डंडे के ऊपर लगातार तीन प्रहार किए | इस दृश्य को देखकर लेखक के छोटे भाई को अंदेशा हुआ कि कहीं लेखक को साँप ने डस तो नहीं लिया है | यह सोचकर लेखक का भाई चीखता है | आगे पाठ के अनुसार, लेखक ने डंडे को पुन: उठाकर चिट्ठीयाँ उठाने का प्रयत्न किया, परन्तु साँप ने फिर से वार किया | लेकिन इस बार लेखक ने अपने हाथों से डंडा नहीं गिरने दिया | पर तत्पश्चात् जैसे ही साँप का पिछला भाग लेखक के हाथों में स्पर्श हुआ, लेखक ने फ़ौरन डंडा पटक दिया | इसी उठा-पटक में साँप का जगह बदल गया | तभी लेखक ने तुरंत चिट्ठीयों को उठाया और रस्सी में बाँध दिया | तत्पश्चात्, लेखक के भाई ने रस्सी से बंधे चिट्ठीयों को ऊपर की ओर खींच लिया |

आगे पाठ के अनुसार, नीचे गिरे अपने डंडे को साँप के पास से लेने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा | आगे लेखक के साथ और भी मुश्किल सामने आई, उसे अब अपने हाथों के बल पर ऊपर चढ़ना था | लेखक ने ग्यारह वर्ष की उम्र में 36 फुट चढ़ने का कारनामा किया था | वो भी जान हथेली पर रखकर उन्होंने ऐसे साहस भरे काम को अंजाम दिया था | तत्पश्चात्, लेखक और उनके छोटे भाई ने वहीं पर विश्राम किया | जब लेखक 10वीं की परीक्षा पास किए तो उन्होंने यह साहसिक घटना अपनी माँ को सुनाई | उस वक़्त लेखक की माँ ने उन्हें अपनी गोद में बैठाकर लेखक के प्रति प्रशंसा के पुल बाँधे |


 

NCERT SOLUTIONS

बोध-प्रश्न प्रश्न (पृष्ठ संख्या 17)

प्रश्न 1 भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?

उत्तर- भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक डर गया था। उसे लगा कि उसके बड़े भाई झरबेरी से बेर तोड़-तोड़कर खाने के लिए डाँटेंगे और उसे खूब पीटेंगे।

प्रश्न 2 मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?

उत्तर- लेखक के गाँव से मक्खनपुर जाने वाली राह में 36 फीट के करीब गहरा एक कच्चा कुआँ था। उसमें एक साँप न जाने कैसे गिर गया था। मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली उस कुएँ में इसलिए ढेले फेंकती थी ताकि साँप क्रुद्ध होकर फुफकारे और बच्चे उस फुफकार को सुन सकें।

प्रश्न 3 ‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं’–यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?

उत्तर- यह कथन लेखक की बदहवास मनोदशा को स्पष्ट करता है। जैसे ही लेखक ने टोपी उतारकर कुएँ में ढेला फेंका, उसकी ज़रूरी चिट्ठियाँ कुएँ में जा गिरी। उन्हें कुएँ में गिरता देखकर वह भौंचक्का रह गया। उसका ध्यान चिट्ठियों को बचाने में लग गया। वह यह देखना भूल गया कि साँप को ढेला लगा या नहीं और वह फुसकारा या नहीं।

प्रश्न 4 किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?

उत्तर- लेखक द्वारा चिट्ठियों को कुएँ से निकालने के निम्नलिखित कारण हैं-

·       लेखक को झूठ बोलना नहीं आता था।

·       चिट्ठियों को डाकखाने में डालना लेखक अपनी जिम्मेदारी समझता था।

·       लेखक को अपने भाई से रुई की तरह पिटाई होने का भय था।

·       वह साँप को मारना बाएँ हाथ का काम समझता था, जिससे चिट्ठियाँ उठाना उसे आसान लग रहा था।

प्रश्न 5 साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाईं?

उत्तर- साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने निम्नलिखित युक्तियाँ अपनाईं-

·       उसने मुट्ठीभर मिट्टी फेंककर साँप का ध्यान उधर लगा दिया।

·       उसने अपने हाथ का प्रहार करने की बजाय उसकी तरफ डंडा बढ़ा दिया, जिससे साँप ने सारा विष डंडे पर उगल दिया।

प्रश्न 6 कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- कुएँ में चिट्ठियाँ गिर जाने पर लेखक ने रोना-धोना छोड़कर भयानक निर्णय लिया। उसने अपनी और अपने छोटे भाई की पाँचों धोतियों को एक-दूसरे से बाँधा। इसके एक छोर में डंडा बाँधकर उसे कुएँ में उतार दिया और दूसरे सिरे को कुएँ की डेंग में बाँधकर भाई को पकड़ा दिया। अब उन धोतियों के सहारे लेखक कुएँ में उतर गया और कुएँ के धरातल से चार पाँच गज ऊपर लटककर साँप को देखने लगा। साँप भी फन फैलाए लेखक की प्रतीक्षा कर रहा था। लेखक ने कुएँ की दीवार में पैर जमाकर कुछ मिट्टी गिराई। इससे साँप का ध्यान बँट गया। वह मिट्टी पर मुँह मार बैठा।

इस बीच लेखक ने डंडे से जब चिट्ठियाँ सरकाईं तो साँप ने जोरदार प्रहार किया और अपनी शक्ति के प्रमाण स्वरूप डंडे पर तीन-चार जगह विषवमन कर दिया। इससे लेखक का साहस बढ़ा। उसने चिट्ठियाँ उठाने का प्रयास किया तो साँप ने वार किया और डंडे से लिपट गया। इस क्रम में साँप की पूँछ का पिछला भाग लेखक को छू गया। यह देख लेखक ने डंडे को पटक दिया और चिट्ठियाँ उठाकर धोती में बाँध दिया, जिन्हें उसके भाई ने ऊपर खींच लिया। अब लेखक ने कुएँ की दीवार से कुछ मिट्टी साँप की दाहिनी ओर फेंकी। साँप उस पर झपटा। अब लेखक ने डंडा खींच लिया। लेखक ने मौका देखा और जैसे-तैसे हाथों के सहारे सरककर छत्तीस फुट गहरे कुएँ से ऊपर आ गया।

प्रश्न 7 इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

उत्तर- बालक प्रायः शरारती होते हैं। उन्हें छेड़छाड़ करने में आनंद मिलता है। यदि उनकी छेड़छाड़ से कोई हलचल होती हो तो वे उसमें बहुत मज़ा लेते हैं। साँप को व्यर्थ में ही फॅफकारते देखकर वे बड़े खुश होते हैं।

बालकों को प्रकृति के स्वच्छंद वातावरण में विहार करने में भी असीम आनंद मिलता है। वे झरबेरी के बेर तोड़-तोड़कर खाते हैं तथा मन में आनंदित होते हैं। वे आम के पेड़ पर चढ़कर डंडे से आम तोड़कर खाने में खूब आनंद लेते हैं।

प्रश्न 8 मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’–का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- मनुष्य किसी कठिन काम को करने के लिए अपनी बुद्धि से योजनाएँ तो बनाता है, किंतु समस्याओं का वास्तविक सामना होते ही ये योजनाएँ धरी की धरी रह जाती हैं। तब उसे यथार्थ स्थिति को देखकर काम करना पड़ता है। इस पाठ में लेखक ने सोचा था कि कुएँ में उतरकर वह डंडे से साँप को मार देगा और चिट्ठियाँ उठा लेगा, परंतु कुएँ का कम व्यास देखकर उसे लगा कि यहाँ तो डंडा चलाया ही नहीं जा सकता है। उसने जब साँप को फन फैलाए अपनी प्रतीक्षा करते पाया तो साँप को मारने की योजना उसे एकदम मिथ्या और उलटी लगने लगी।

प्रश्न 9 ‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’-पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने के लिए कुएँ में उतरने का दृढ़ निश्चय कर लिया। इस दृढ़ निश्चय के सामने फल की चिंता समाप्त हो गई। उसे लगा कि कुएँ में उतरने तथा साँप से लड़ने का फल क्या होगा, यह सोचना उसका काम नहीं है। परिणाम तो प्रभु-इच्छा पर निर्भर है। इसलिए वह फल की चिंता छोड़कर कुएँ में घुस गया।


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  • Smriti class 9

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