NCERT Solutions For Hindi Aaroh Chapter 5 Gazal: गजल

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The Ghazal section in Class 11 Hindi is a beautiful foray into one of the most lyrical and emotional forms of poetry. A Ghazal is known for its expressive verses that convey deep sentiments, often of love or loss, within a strict rhythmic and rhyming structure. For Class 11 students, studying Ghazals is not just about learning the poems, but also about understanding the emotions and cultural context behind them.

At WitKnowLearn, we're committed to making every aspect of learning enriching and accessible. The Ghazal chapter in the Class 11 Hindi Aroh book is explained in a way that students can easily grasp the essence of this poetic form. We offer detailed vyakhya (explanations) and provide comprehensive answers to the questions that typically follow the Ghazals in the textbook. Each Ghazal is broken down to ensure that students appreciate the thematic nuances and the poetic devices used by the poets.

The questions and answers pertaining to the Ghazal chapter in Class 11 Hindi are created with the student's understanding in mind. They are not only designed to help students perform well academically but also to foster an appreciation for the art of Ghazal writing. By carefully explaining each verse and providing context, students can engage with the text on a deeper level.

Our resources are designed to empower students to confidently tackle their exams with a robust understanding of the Ghazals covered in their Hindi syllabus. With clear explanations and a focus on key concepts, students can find joy in the beauty of Ghazal poetry while also mastering the content for their assessments.

In summary, the Ghazal chapter in Class 11 Hindi is a portal to the rich literary tradition of expressive poetry, and WitKnowLearn is here to guide students through this portal with ease and confidence, illuminating the path of learning with the lamp of knowledge.

अध्याय-5: गजल

सारांश


कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,

कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए।

यहाँ दरखतों के साय में धूप लगती है,

चलो यहाँ से चल और उम्र भर के लिए।

अर्थ - कवि कहता है कि नेताओं ने घोषणा की थी कि देश के हर घर को चिराग अर्थात् सुख-सुविधाएँ उपलब्ध करवाएँगे। आज स्थिति यह है कि शहरों में भी चिराग अर्थात् सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं। नेताओं की घोषणाएँ कागजी हैं। दूसरे शेर में, कवि कहता है कि देश में अनेक संस्थाएँ हैं जो नागरिकों के कल्याण के लिए काम करती हैं। कवि उन्हें ‘दरख्त’ की संज्ञा देता है। इन दरख्तों के नीचे छाया मिलने की बजाय धूप मिलती है अर्थात् ये संस्थाएँ ही आम आदमी का शोषण करने लगी हैं। चारों तरफ भ्रष्टाचार फैला हुआ है। कवि इन सभी व्यवस्थाओं से दूर रहकर अपना जीवन बिताना चाहता है। ऐसे में आम व्यक्ति को निराशा होती है।

न हो कमीज़ तो पाँवों से पेट ढक लगे,

ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए।

खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख्वाब सही,

कोई हसीन नजारा तो हैं नजर के लिए।

अर्थ - कवि आम व्यक्ति के विषय में बताता है कि ये लोग गरीबी व शोषित जीवन को जीने पर मजबूर हैं। यदि । इनके पास वस्त्र भी न हों तो ये पैरों को मोड़कर अपने पेट को ढँक लेंगे। उनमें विरोध करने का भाव समाप्त हो चुका है। ऐसे लोग ही शासकों के लिए उपयुक्त हैं, क्योंकि इनके कारण उनका राज शांति से चलता है। दूसरे शेर में, कवि कहता है कि संसार में भगवान नहीं है तो कोई बात नहीं। आम आदमी का वह सपना तो है। कहने का तात्पर्य है कि ईश्वर मानव की कल्पना तो है ही। इस कल्पना के जरिये उसे आकर्षक दृश्य देखने के लिए मिल जाते हैं। इस तरह उनका जीवन कट जाता है।

वे मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,

मैं बकरार हूँ आवाज में असर के लिए।

तेरा निजाम है सिल दे जुबान शायर की,

 

ये एहतियात जरूरी हैं इस बहर के लिए।

जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले,

मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए।

अर्थ - पहले शेर में कवि आम व्यक्ति के विश्वास की बात बताता है। आम व्यक्ति को विश्वास है कि भ्रष्ट व्यक्तियों के दिल पत्थर के होते हैं। उनमें संवेदना नहीं होती । कवि को इसके विपरीत इंतजार है कि इन आम आदमियों के स्वर में असर (क्रांति की चिनगारी) हो। इनकी आवाज बुलंद हो तथा आम व्यक्ति संगठित होकर विरोध करें तो भ्रष्ट व्यक्ति समाप्त हो सकते हैं। दूसरे शेर में, कवि शायरों और शासक के संबंधों के बारे में बताता है। शायर सत्ता के खिलाफ लोगों को जागरूक करता है। इससे सत्ता को क्रांति का खतरा लगता है। वे स्वयं को बचाने के लिए शायरों की जबान अर्थात् कविताओं पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। जैसे गजल के छद के लिए बंधन की सावधानी जरूरी है, उसी तरह शासकों को भी अपनी सत्ता कायम रखने के लिए विरोध को दबाना जरूरी है। तीसरे शेर में, शायर कहता है कि जब तक हम अपने बगीचे में जिएँ, गुलमोहर के नीचे जिएँ और जब मृत्यु हो तो दूसरों की गलियों में गुलमोहर के लिए मरें। दूसरे शब्दों में, मनुष्य जब तक जिएँ, वह मानवीय मूल्यों को मानते हुए शांति से जिएँ। दूसरों के लिए भी इन्हीं मूल्यों की रक्षा करते हुए बाहर की गलियों में मरें।

 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 11 HINDI AAROH POEM 5 

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 167-168)

गज़ल के साथ

प्रश्न. 1 आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है? समझाकर लिखें।

उत्तर- गुलमोहर एक फूलदार वृक्ष है। यह शांति प्रदान करने वाला है। कवि ने इस शब्द का यहाँ विशेष अर्थ के लिए प्रयोग किया है। मनुष्य अपने घर में शांति व मानवीय गुणों से युक्त होकर रहे। यदि उसे बाहर रहना पड़े तो भी वह शांति व मानवीय गुणों को बनाए रखे। इससे समाज की व्यवस्था बनी रहेगी तथा अराजकता की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।

प्रश्न. 2 पहले शेर में चिराग शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में। अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्त्व है?

उत्तर- जब कवि एक घर के लिए चिरागाँ (अनेक दीपक) तय था की बात करता है तो केवल योजनाओं में दिखाए गए सुनहरे ख्वाबों की ओर संकेत करता है। दूसरी पंक्ति में वह स्पष्ट करता है कि सब्जबाग दिखाने वाली इस योजना को कार्यान्वित करने के समय दशा यह है कि एक पूरे शहर के हिस्से में एक चिराग भी नहीं आया। काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से चिरागाँ के बदले चिराग का न मिलना एक चमत्कारी प्रयोग है जो शाब्दिक कम और अर्थपूर्ण सौंदर्य अधिक बिखेर रहा है।

प्रश्न. 3 गज़ल के तीसरे शेर को गौर से पढ़े। यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है?

उत्तर- तीसरे शेर में कवि ने उत्साहहीन, दीन हीन लोगों की ओर संकेत किया है जो हर स्थिति को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं। वे अन्याय का विरोध नहीं करते। उनकी प्रतिरोध शक्ति समाप्त प्राय: हो चुकी है। राजनेता व अफसरशाही जनता की इसी उदासीनता का लाभ उठाकर उसका शोषण करते रहते हैं।

प्रश्न. 4 आशय स्पष्ट करें:

तेरा निज़ाम है सिल दे जुबान शायर की,

ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए।

उत्तर- कवि दुष्यंत ने वर्तमान शासन-व्यवस्था के चलते बुद्धिजीवी वर्ग की भयभीत विवशता पर प्रकाश डाला है। शासन अपनी कमी सुनने के लिए तैयार नहीं है। अतः वह शायरों और कवियों के मुँह सिल सकता है। कवि स्पष्ट करता है कि मुँह बंद कर लेना वह सावधानी भरा कदम है जो एक शायर द्वारा अपनी गज़ल के लिए उठाया गया है। मूक रहकर रचना को अंजाम देना शायर की विवशता और समय की माँग दोनों ही है।

गज़ल के आस-पास

प्रश्न. 1 दुष्यंत की इस गज़ल का मिजाज बदलाव के पक्ष में है। -इस कथन पर विचार करें।

उत्तर- कवि बदलाव के पक्ष में है। वह जनता, समाज, शासक, प्रशासन व मानव के मूल्यों आई गिरावट से चिंतित है और उसमें बदलाव चाहता है। आज पूरी राजनीतिक व्यवस्था भ्रष्टाचार से ओत-प्रोत है। आम व्यक्ति निराश हो चुका है तथा यथाशक्ति सहने का आदी बन चुका है। कवि अपनी आवाज से लोगों को जागरूक कर रहा है। सत्ता उसे भी कुचलना चाहती है, अत: कवि क्रांति की इच्छा रखता है।

प्रश्न. 2 हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन

दिल के खुश रखने को गालिब ये खयाल अच्छा है।

दुष्यंत की गज़ल का चौथा शेर पढ़े और बताएँ कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है?

उत्तर-

खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख्वाब सही,

कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए।

दोनों शेर अद्भुत भाव साम्य के उदाहरण हैं। दोनों में सुलह की सलाह-सी दी गई है।

पहले में गालिब स्वर्ग न सही उसके खयाल (स्वप्न), कल्पना से मन बहलाकर समझौता करते हैं और यहाँ दुष्यंत ईश्वर के न मिलने पर मनुष्य से ही दिल को धीरज दे रहे हैं।

प्रश्न. 3 यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है-यह वाक्य मुहावरे की तरह अलग-अलग परिस्थितियों में अर्थ दे सकता है। मसलन, यह ऐसी अदालतों पर लागू होता है, जहाँ इंसाफ़ नहीं मिल पाता। कुछ ऐसी परिस्थितियों की कल्पना करते हुए निम्नांकित अधूरे वाक्यों को पूरा करें।

     i.        यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है, ……..

   ii.        यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है, ……..

 iii.        यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, ……..

 iv.        यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है, ……..

उत्तर-

     i.        यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है, जिनमें प्यार नहीं होता।

   ii.        यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है, जहाँ विद्या के नाम पर अविद्या सिखाई जाती है।

 iii.        यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, जहाँ इलाज की जगह रोग बढ़ता है।

यह ऐसी पुलिस-व्यवस्था पर लागू होता है, जहाँ सुरक्षा के बजाय भय मिलता है।
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  • गजल

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