बादल राग NCERT Solutions For Class 12 Hindi Aaroh Chapter 6

बादल राग NCERT Solutions For Class 12 Hindi Aaroh Chapter 6
Share this

"Badal Raag" is a significant chapter in the Class 12 Hindi curriculum, featured in the Aroh textbook. This chapter, which delves into the nuances of poetry and emotions, is an integral part of the Hindi literature studies for Class 12 students.

For those seeking a comprehensive overview, the Badal Raag Class 12 Summary or Badal Rag Class 12 Summary provides an in-depth look at the chapter. These summaries are designed to help students understand the main themes, narrative structure, and the poetic elements used in the chapter. They are particularly useful for students needing a quick recap or for those who are just starting to study the chapter.

Students interested in a deeper exploration of the poem can refer to resources like the Badal Raag Kavita Ki Vyakhya PDF, which offers detailed explanations and analyses of the poem. This can include interpretations of the poem's symbolism, themes, and literary techniques.

The Badal Raag Question Answer and Badal Rag Question Answer sections are crucial for students preparing for exams. These resources typically include a variety of questions related to the chapter, along with detailed answers. They aid in understanding the poem's subtleties and prepare students for potential exam questions.

For Class 12th Hindi Chapter 7, the Question Answer resources are tailored to the curriculum. They cover the chapter "Badal Raag" extensively, providing comprehensive answers to common questions that help students grasp the chapter's intricacies.

The Badal Rag Class 12 NCERT Solutions provide official answers and explanations as per the NCERT guidelines. These solutions are indispensable for students who wish to align their understanding with the NCERT standards.

In summary, for Class 12 students, access to a range of study materials and question-answer resources for the chapter Badal Raag is essential. These resources not only aid in exam preparation but also enhance students' understanding and appreciation of the chapter's literary beauty and emotional depth. Whether it's detailed chapter summaries, in-depth explanations, or comprehensive question and answer resources, students have a wealth of materials at their disposal to master this chapter.

अध्याय-6: बादल राग 

बादल राग’ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की ओजपूर्ण कविता है जो उनके सुप्रसिद्ध काव्य-संग्रह अनामिका से संकलित है। निराला जी साम्यवादी चेतना से प्रेरित कवि माने जाते हैं। उन्होंने अपने काव्य में शोषक वर्ग के प्रति घृणा, शोषित वर्ग के प्रति गहन सहानुभूति । और करुणा के भाव अभिव्यक्त किए हैं। इस कविता में कवि ने बादल को क्रांति और विप्लव का प्रतीक मानकर उसका आहवान किया – है। किसान और जनसामान्य की आकांक्षाएँ बादल को नव-निर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं।

बादल पृथ्वी पर मँडरा रहे हैं। वायु रूपी सागर पर इनकी छाया वैसे ही तैर रही है जैसे अस्थिर सुखों पर दुखों की छाया मँडराती रहती – है। वे पूँजीपति अर्थात शोषक वर्ग के लिए दुख का कारण हैं। कवि बादलों को संबोधित करते हुए कहता है कि वे शोषण करनेवालों । के हृदयों पर क्रूर विनाश का कारण बनकर बरसते हैं। उनके भीतर भीषण क्रांति और विनाश की माया भरी हुई है। युद्ध रूपी नौका के – समान बादलों में गरजने-बरसने की आकांक्षा है, उमंग है।

युद्ध के समान उनकी भयंकर नगाड़ों रूपी गर्जना को सुनकर मिट्टी में दबे हुए बीज अंकुरित होने की इच्छा से मस्ती में भरकर सिर उठाने लगते हैं। बादलों के क्रांतिपूर्ण उद्घोष में ही अंकुरों अर्थात निम्न वर्ग । का उद्धार संभव है। इसलिए कवि उनका बार-बार गरजने और बरसने का आह्वान करता है। बादलों के बार-बार बरसने तथा उनकी । बज्र रूपी तेज हुँकार को सुनकर समस्त संसार भयभीत हो जाता है। लोग घनघोर गर्जना से आतंकित हो उठते हैं। बादलों की वन रूपी

हुँकार से उन्नति के शिखर पर पहुँचे सैकड़ों-सैकड़ों वीर पृथ्वी पर गिरकर नष्ट हो जाते हैं। गगन को छूने की प्रतियोगिता रखने वाले लोग अर्थात सुविधाभोगी पूँजीपति वर्ग के लोग नष्ट हो जाते हैं। लेकिन उसी बादल की वज्र रूपी हुँकार से मुक्त विनाशलीला में छोटेछोटे पौधों के समान जनसामान्य वर्ग के लोग प्रसन्नता से भरकर मुसकराते हैं। वे क्रांति रूपी बादलों से नवीन जीवन प्राप्त करते हैं। शस्य-श्यामल हो उठते हैं। वे छोटे-छोटे पौधे हरे-भरे होकर हिल-हिलकर, खिल-खिलकर हाथ हिलाते हुए अनेक प्रकार के संकेतों से बादलों को बुलाते रहते हैं। क्रांति रूपी स्वरों से छोटे पौधे अर्थात निम्न वर्ग का जनसामान्य ही शोभा प्राप्त करता है। समाज के ऊँचे-ऊँचे भवन महान नहीं होते। वे तो वास्तव में आतंक और भय के निवास होते हैं।

ऊँचे भवनों में रहनेवाले पूँजीपति वर्ग के ऊँचे लोग सदा : भयभीत रहते हैं। जैसे बाढ़ का प्रभाव कीचड़ पर होता है। वैसे ही क्रांति का अधिकांश प्रभाव बुराई रूपी कीचड़ या शोषक वर्ग पर ही – होता है। निम्न वर्ग के प्रतीक छोटे पौधे रोग-शोक में सदा मुसकराते रहते हैं। इन पर क्रांति का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। शोषक वर्ग ने निम्न वर्ग का शोषण करके अपने खजाने भरे हैं लेकिन उन्हें फिर भी संतोष नहीं आता।

उनकी इच्छाएँ कभी पूर्ण नहीं होती लेकिन वे – क्रांति से गर्जना सुनकर अपनी प्रेमिकाओं की गोद में भय से काँपते रहते हैं। कवि क्रांति के दूत बादलों का आह्वान करता है कि वह जर्जर और शक्तिहीन गरीब किसानों व जनसामान्य की रक्षा करें। पूँजीपतियों ने इनका सारा खून निचोड़ लिया है। अब उनका शरीर हाड़ मात्र ही रह गया है। इसलिए कवि ने बादलों को ही क्रांति के द्वारा उन्हें नवजीवन प्रदान करने का आह्वान किया है।


 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 12 HINDI CHAPTER 6 AAROH

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 43-44)

कविता के साथ

प्रश्न 1. ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में ‘दुख की छाया’ किसे कहा गया हैं और क्यों?

उत्तर- कवि ने ‘दुख की छाया’ मानव-जीवन में आने वाले दुखों, कष्टों को कहा है। कवि का मानना है कि संसार में सुख कभी स्थायी नहीं होता। उसके साथ-साथ दुख का प्रभाव रहता है। धनी शोषण करके अकूत संपत्ति जमा करता है परंतु उसे सदैव क्रांति की आशंका रहती है। वह सब कुछ छिनने के डर से भयभीत रहता है।

प्रश्न 2. ‘अशानि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर ‘ पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया है?

उत्तर- इस पंक्ति में कवि ने पूँजीपति या शोषक या धनिक वर्ग की ओर संकेत किया है। ‘बिजली गिरना’ का तात्पर्य क्रांति से है। क्रांति से जो विशेषाधिकार-प्राप्त वर्ग है, उसकी प्रभुसत्ता समाप्त हो जाती है और वह उन्नति के शिखर से गिर जाता हैं। उसका गर्व चूर-चूर हो जाता है।

प्रश्न 3. ‘ विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते ‘ पंक्ति में  ‘ विप्लव-रव ‘ से क्या तात्पर्य है? ‘ छोटे ही है हैं शोभा पाते ‘ एसा क्यों कहा गया है?

उत्तर- विप्लव-रव से तात्पर्य है-क्रांति-गर्जन। जब-जब क्रांति होती है तब-तब शोषक वर्ग या सत्ताधारी वर्ग के सिंहासन डोल जाते हैं। उनकी संपत्ति, प्रभुसत्ता आदि समाप्त हो जाती हैं। कवि ने कहा है कि क्रांति से छोटे ही शोभा पाते हैं। यहाँ ‘छोटे’ से तात्पर्य है-आम आदमी। आम आदमी ही शोषण का शिकार होता है। उसका छिनता कुछ नहीं है अपितु उसे कुछ अधिकार मिलते हैं। उसका शोषण समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 4. बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती हैं?’

उत्तर- बादलों के आगमन से प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं

     i.        बादल गर्जन करते हुए मूसलाधार वर्षा करते हैं।

   ii.        पृथ्वी से पौधों का अंकुरण होने लगता है।

 iii.        मूसलाधार वर्षा होती है।

 iv.        बिजली चमकती है तथा उसके गिरने से पर्वत-शिखर टूटते हैं।

   v.        हवा चलने से छोटे-छोटे पौधे हाथ हिलाते से प्रतीत होते हैं।

 vi.        गरमी के कारण दुखी प्राणी बादलों को देखकर प्रसन्न हो जाते हैं।

व्याख्या कीजिए

प्रश्न 1. तिरती है समीर-सागर पर

अस्थिर सुख पर दुख की छाया-

जग के दग्ध हृदय पर

निर्दय विप्लव की प्लावित माया-

प्रश्न 2. अट्टालिका नहीं है रे

आतंक-भवन

सदा पंक पर ही होता

जल-विप्लव-प्लावन,

उत्तर- इनकी व्याख्या के लिए क्रमश: व्याख्या-1 व 3 देखिए।

कला की बात

प्रश्न 1. पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको  प्रकृति का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया और क्यों?

उत्तर- कवि ने पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया है। मुझे प्रकृति का निम्नलिखित मानवीय रूप पसंद आया-

हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार-

शस्य अपार,

हिल-हिल

खिल-खिल,

हाथ हिलाते,

तुझे बुलाते,

इस काव्यांश में छोटे-छोटे पौधों को शोषित वर्ग के रूप में बताया गया है। इनकी संख्या सर्वाधिक होती है। ये क्रांति की संभावना से प्रसन्न होते हैं। ये हाथ हिला-हिलाकर क्रांति का आहवान करते हुए प्रतीत होते हैं। यह कल्पना अत्यंत सुंदर है।

प्रश्न 2. कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है ? संबंधित वाक्यांश को छाँटकर लिखिए ।

उत्तर- रूपक अलंकार के प्रयोग की पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं-

·       तिरती है समीर-सागर पर

·       अस्थिर सुख पर दुख की छाया

·       यह तेरी रण-तरी

·       भेरी–गर्जन से सजग सुप्त अंकुर

·       ऐ विप्लव के बादल

·       ऐ जीवन के पारावार

प्रश्न 3. इस कविता में बादल के लिए ‘ऐ विप्लव के वीर! ‘ तथा ‘ के  ‘ ऐ जीवन के पारावार!’ जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। ‘ बादल राग ‘कविता के शेष पाँच खंडों में भी कई संबोधानें का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- ‘ओर वर्ष के हर्ष !’ मेरे पागाल बादल !, ऐ निर्बंध !, ऐ स्वच्छंद! , ऐ उद्दाम! ,

ऐ सम्राट! ,ऐ विप्लव के प्लावन! , ऐ अनंत के  चंचल शिशु सुकुमार! उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएँ कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य हैं?

उत्तर- इन संबोधनों का प्रयोग करके कवि ने न केवल कविता की सार्थकता को बढ़ाया है, बल्कि प्रकृति के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपादान का सुंदर चित्रण भी किया है। बादल के लिए किए संबोधनों की व्याख्या इस प्रकार है-

प्रश्न 4. कवि बादलों को किस रूप में देखता हैं? कालिदास ने ‘मेघदूत’ काव्य में मेघों को दूत के रूप में देखा/अप अपना कोई काल्पनिक बिंब दीजिए।

उत्तर- कवि बादलों को क्रांति के प्रतीक के रूप में देखता है। बादलों के द्वारा वह समाज में व्याप्त शोषण को खत्म करना चाहता है ताकि शोषित वर्ग को अपने अधिकार मिल सकें। काल्पनिक बिंब- हे आशा के रूपक हमें जल्दी ही सिक्त कर दो अपनी उजली और छोटी-छोटी बूंदों से जिनमें जीवन का राग छिपा है। हे आशा के संचारित बादल!

प्रश्न 5. कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता हैं जैसे-अस्थिर सुख। सुख के साथ अस्थिर विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में विशेष प्रभाव पैदा कर दिया हैं। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ हैं?

उत्तर- कविता में कवि ने अनेक विशेषणों का प्रयोग किया है जो निम्नलिखित हैं

     i.        निर्दय विप्लव- विनाश को अधिक निर्मम व विनाशक बताने हेतु ‘निर्दय’ विशेषण।

   ii.        दग्ध हृदय- दुख की अधिकता व संतप्तता हेतु’दग्ध’विशेषण।

 iii.        सजग- सुप्त अंकुर- धरती के भीतर सोए, किंतु सजग अंकुर-हेतु ‘सजग-सुप्त’ विशेषण।

 iv.        वज्रहुंकार- हुंकार की भीषणता हेतु ‘वज्र’ विशेषण।

   v.        गगन-स्पर्शी- बादलों की अत्यधिक ऊँचाई बताने हेतु ‘गगन’।

 vi.        आतंक-भवन- भयावह महल के समान आतंकित कर देने हेतु।

vii.        त्रस्त नयन- आँखों की व्याकुलता।

viii.        जीर्ण बाहु- भुजाओं की दुर्बलता।

 ix.        प्रफुल्ल जलज- कमल की खिलावट।

   x.        रुदध कोष- भरे हुए खजानों हेतु।

  • Tags :
  • बादल राग

You may like these also

© 2024 Witknowlearn - All Rights Reserved.