रुबाइयाँ, गज़ल NCERT Solutions For Class 12 Hindi Chapter 8 Aaroh

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Rubaiya, a chapter in the Class 12 Hindi curriculum, is an important part of the Hindi literature studies for students. It is typically included in the Aroh textbook and is known for its unique poetic form and rich literary content.

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अध्याय-8: रुबाइयाँ, गज़ल 

रुबाइयाँ’ फ़िराक गोरखपुरी द्वारा रचित काव्य है जो उनके काव्य-संग्रह ‘गुले नगमा’ से संग्रहित है। इस कविता में कवि ने वात्सल्य रस का अनूठा चित्रण प्रस्तुत किया है। यह वात्सल्य भावना से ओत-प्रोत कविता है। माँ अपने चाँद के टुकड़े को अपने आँगन में खड़ी । होकर अपने हाथों में झुला रही है। माँ अपने नन्हें बच्चे को अपने आँचल में भरकर बार-बार हवा में उछाल देती है जिससे नन्हें बच्ची । की हँसी सारे वातावरण में गूंज उठती है। माँ अपने बच्चे को निर्मल जल से नहलाती है।

उसके उलझे बालों को कंघी से संवारती है। बच्चा भी माँ को बड़े प्यार से देखता है जब माँ अपनी गोदी में लेकर उसे कपड़े पहनाती है। दीवाली के अवसर पर संध्या होते ही घर पुते और सजे हुए दिखते हैं। घरों में चीनी मिट्टी के चमकते खिलौने सुंदर मुख पर नई चमक ला देते हैं। माँ प्रसन्न होकर अपने नन्हें बच्चे द्वारा बनाए मिट्टी के घर में दीपक जलाती है। बच्चा अपने आँगन में ठिनक रहा है।

वह ठिनकता हुआ चाँद को देखकर उस पर : मोहित हो जाता है। बच्चा चंद्रमा को माँगने की हठ करता है तो माँ दर्पण में उसे चाँद उतारकर दिखाना चाहती है। रक्षा-बंधन एक रस का बंधन है। सावन मास में आकाश में हल्के-हल्के बादल छाए हुए हैं। राखी के कच्चे धागों पर लगे लच्छे बिजली के समान चमकते हैं। कवि कहता है कि सावन का जो संबंध घटा से है, घटा का जो संबंध बिजली से है, वही संबंध भाई का बहन से है। इसी बिजली के समान चमकते लच्छेदार कच्चे धागे को बहन अपने भाई की कलाई में बाँधती है।


 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 12 HINDI CHAPTER 8 AAROH

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 60)

पाठ के साथ

प्रश्न 1. शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है?

उत्तर- शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर यह भाव व्यंजित करना चाहता है कि रक्षाबंधन सावन के महीने में आता है। इस समय आकाश में घटाएँ छाई होती हैं तथा उनमें बिजली भी चमकती है। राखी के लच्छे बिजली कौधने की तरह चमकते हैं। बिजली की चमक सत्य को उद्घाटित करती है तथा राखी के लच्छे रिश्तों की पवित्रता को व्यक्त करते हैं। घटा का जो संबंध बिजली से है, वही संबंध भाई का बहन से है।

प्रश्न 2. खुद का परदा खोलने से क्या आशय है?

उत्तर- परदा खोलने से आशय है – अपने बारे में बताना। यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे की निंदा करता है या बुराई करता है। तो वह स्वयं की बुराई कर रहा है। इसीलिए शायर ने कहा कि मेरा परदा खोलने वाले अपना परदा खोल रहे हैं।

प्रश्न 3. किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं – इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तनातनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए।

उत्तर- कवि अपने भाग्य से कभी संतुष्ट नहीं रहा। किस्मत ने कभी उसका साथ नहीं दिया। वह अत्यधिक निराश हो जाता है। वह अपनी बदकिस्मती के लिए खीझता रहता है। दूसरे, कवि कर्महीन लोगों पर व्यंग्य करता है। कर्महीन लोग असफलता मिलने पर भाग्य को दोष देते हैं और किस्मत उनकी कर्महीनता को दोष देती है।

प्रश्न 4. टिप्पणी करें।

     i.        गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता।

   ii.        सावन की घटाएँ व रक्षाबंधन का पर्व।

उत्तर-

     i.        गोदी के चाँद से आशय है – बच्चा और गगन के चाँद से आशय है – आसमान में निकलने वाला चाँद। इन दोनों में गहरा और नजदीकी रिश्ता है। दोनों में कई समनाताएँ हैं। आश्चर्य यह है कि गोदी का चाँद गगन के चाँद को पकड़ने के लिए उतावला रहता है तभी तो सूरदास को कहना पड़ा ”मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।”

   ii.        रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार सावन के महीने में आता है। सावन की घटाएँ जब घिर आती हैं तो चारों ओर खुशी की बयार बहने लगती है। राखी का यह त्यौहार इस मौसम के द्वारा और अधिक सार्थक हो जाता है। सावन की काली-काली घटाएँ भाई को संदेश देती हैं कि तेरी बहन तुझे याद कर रही है। यदि तू इस पवित्र त्यौहार पर नहीं गया तो उसकी आँखों से मेरी ही तरह बूंदें टपक पड़ेगी।

कविता के आसपास

प्रश्न 1. इन रुबाइयों से हिंदी, उर्दू और लोकभाषा के मिले-जुले प्रयोग को छाँटिए।

उत्तर- हिंदी के प्रयोग-

·       आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी

·       हाथों में झुलाती है उसे गोद-भरी

·       गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी

·       किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को

·       दीवाली की शाम घर पुते और सजे

·       रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली

·       छायी है घटा गगन की हलकी-हलकी

·       बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे

·       भाई के है बाँधती चमकती राखी

उर्दूके प्रयोग-

·       उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके

·       देख आईने में चाँद उतर आया है

लोकभाषा के प्रयोग-

·       रह-रह के हवा में जो लोका देती है।

·       जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े

·       आँगन में दुनक रहा है जिदयाया है

·       बालक तो हई चाँद पै ललचाया है

प्रश्न 2. फिराक ने ‘सुनो हो, ‘रक्खो हो’ आदि शब्द मीर की शायरी के तर्ज पर इस्तेमाल किए हैं। ऐसी ही मीर की कुछ गज़लें ढूँढ़ कर लिखिए।

उत्तर-

(1) उलटी हो गई सब तदबीरें
कुछ दवा ने काम किया
अहदे जवानी रो-रो काटा
पीरी मैली आँखें मूंद
यानि रात बहुत जागे थे।
सुबह हुई आराम किया
मीर के दीन इमां को

आख़िर इस बीमारी--दिल ने
दिल का काम तमाम किया
तुम पूछते हो क्या?
उसने तो कशकां खींचा
दैर में बैठा कबका
अर्क इस्लाम किया।

(2) मर्ग एक मादंगी का वक्फा है।
यानि आगे चलेंगे दम लेकर
हस्ती अपनी हबाब की-सी है।

ये नुमाइश सबाब की-सी है।
चश्मे दिल खोल इस ही आलम पर
याँकि औकात ख्वाब की-सी है।

(3) हस्ती अपनी हुबाब की-सी है।
ये नुमाइश सराब की-सी है।
नाजुक उसके लब की क्या कहिए
पंखुड़ी इक गुलाब की-सी है।
सहमे दिल खोल इस भी आलम पर
याँ की औकता ख्वाब की-सी है।

बारहा उसके दर पे जाता हूँ।
हालत अब इज्तिराब की-सी है।
मैं जो बोला कहा कि ये आवाज
उसी खाना खराब की-सी है।
मीर उन नीम बाज आँखों में
सारी मस्ती शराब की-सी है।

(4) हमने अपनी सी की बहुत लेकिन
मरीजे-इश्क का इलाज नहीं
जफायें देखीं लियाँ बेवफाइयाँ देखीं
भला हुआ कि तेरी सब बुराइयाँ देखीं
दिल अजब शहर था ख्यालों
आवारगाने इश्क का पूछा जो मैं निशां

मुश्ते-गुबारे लेके सबा ने उड़ा दिया
शाम से ही बुझा-सा रहता है।
दिल हुआ है चिराग मुफलिस का
क्या पतंगों ने इल्तिमास किया।
का दिल की वीरानी का क्या मज्कूर है।
ये नगर सौ मरतबा लूटा गया।

(5) इब्तिदाए इश्क है रोता है क्या
आगे आगे देखिये होता है क्या,
अब तो जाते हैं मयकदे से मीर
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया
मेरे रोने की जिसमें थी
एक मुद्द्दत तक वो कागज़ नम रहा
इस इस शोर से मीर रोता रहेगा

तो हमसाया काहे को सोता रहेगा
तो हमसाया काहे को सोता रहेगा
हम फकीरों से बेवफाई की
आन बैठे जो तुमने प्यार किया
सख्त क़ाफिर था जिसने पहले मीर
मज़हब इश्क इख्तियार किया।
मिले सलीके से मेरी निभी मुहब्बत में
तमाम उम्र मैं नाकामियों से काम लिया

आपसदारी

प्रश्न 1. कविता में एक भाव, एक विचार होते हुए भी उसका अंदाजे बयाँ या भाषा के साथ उसका बर्ताव अलग-अलग रूप में अभिव्यक्ति पाता है। इस बात को ध्यान रखते हुए नीचे दी गई कविताओं को पढ़िए और दी गई फ़िराक की गज़ल-रूबाई में से समानार्थी पंक्तियाँ ढूंढ़िए

     i.        मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।

-सूरदास

   ii.        वियोगी होगा पहला कवि

आह से उपजा होगा गान

उमड़ कर आँखों से चुपचाप

बही होगी कविता अनजान

-सुमित्रानंदन पंत

 iii.        सीस उतारे भुईं धरे तब मिलिहैं करतार

-कबीर

उत्तर-

     i.        आँगन में तुनक रहा है जिदयाया है।

बालक तो हई चाँद पै ललचाया है।

   ii.        आबो ताबे अश्आर न पूछो तुम भी आँखें रक्खो हो

ये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोले हैं।

ऐसे में तू याद आए हैं अंजमने मय में रिंदो को,

रात गए गर्दै पे फरिश्ते बाबे गुनह जग खोले हैं।

 iii.        “ये कीमत भी अदा करे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो हवास

तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी होलें हैं।”

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