Kale Megha Pani De Question Answers & Summary: NCERT Aaroh

Kale Megha Pani De Question Answers & Summary: NCERT Aaroh
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अध्याय-12: काले मेघा पानी दे

काले मेघा पानी दे’ संस्मरण धर्मवीर भारती द्वारा रचित है। इसमें लोक-प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वन्द्व का सुंदर चित्रण हुआ है। विज्ञान का अपना तर्क है और विश्वास की अपनी सामर्थ्य। इसमें कौन कितना सार्थक है, यह प्रश्न पढ़े-लिखे समाज को उत्तेजित करता रहता है। इसी दुविधा को लेकर लेखक ने पानी के संदर्भ में असंग रचा है। लेखक ने अपने किशोरपन जीवन के इस संस्मरण में दिखलाया है कि अनावृष्टि दूर करने के लिए गाँव के बच्चों की इंद्रसेना द्वार-द्वार पानी मांगते चलती है। लेखक का तर्कशील किशोर मन भीषण सूखे में उस पानी को निर्मम बर्बादी के रूप में देखता है।

आषाढ़ के उन सूखे दिनों में जब चहुँ ओर पानी की कमी होती है ये इंद्रसेना गाँव की गलियों में जयकारे लगाते हुए पानी माँगते फिरती है। अभाव । के बावजूद भी लोग अपने-अपने घरों से पानी लेकर इन बच्चों को सिर से पैर तक तर कर देते हैं। आषाढ़ के इन दिनों में गाँव-शहर के सभी लोग गर्मी से परेशान त्राहिमाम कर रहे होते हैं तब ये मंडली ‘काले मेघा पानी दे’, के नारे लगाती हुई यहाँ-वहाँ घूम रही होती है।

अनावृष्टि के कारण शहरों की अपेक्षा गाँवों की हालत त्रासदपूर्ण हो जाती है। खेतों की मिट्टी सूख कर पत्थर हो जाती है। जमीन फटने लगती है। पशु प्यास के कारण मरने लगते हैं। लेकिन बारिश का कहीं नामोनिशान नहीं होता। बादल कहीं नज़र नहीं आते। ऐसे में लोग पूजा-पाठ कर हार जाते तो यह इंद्रसेना निकलती है। लेखक मानता है कि लोग अंधविश्वास के कारण पानी की कमी होते हुए भी पानी को बर्बाद कर रहे हैं। इस तरह के अंधविश्वासों से देश की बहुत क्षति होती है जिसके कारण हम अंग्रेजों से पिछड़ गए और उनके गुलाम बन गए हैं। लेखक वैसे तो इंद्रसेना की उमर का था लेकिन वह आर्यसमाजी संस्कारों से युक्त तथा कुमार-सुधार सभा का उपमंत्री था। अत: उसमें समाज सुधार का जोश अधिक था। : अंधविश्वासों से वह डटकर लड़ता था। लेखक को जीजी उसे अपने बच्चों से ज्यादा प्रेम करती थी। तीज-त्योहार, पूजा अनुष्ठानों को जिन्हें ।

लेखक अंधविश्वास मानता था, जीजी के कहने पर उसे सब कछ करना पड़ता था। इस बार जीजी के कहने पर भी लेखक ने मित्र-मंडली पर पानी नहीं डाला, जिससे वह नाराज हो गई। बाद में लेखक को समझा-बुझाकर उसने अनेक बातें कहीं। पानी फेंकना अंधविश्वास नहीं। यह तो हम उनको अर्घ्य चढ़ाते हैं, जिससे खुश होकर इंद्र हमें पानी देता है। उन्होंने बताया कि ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान । 1 दिया है। जीजी ने लेखक के तर्कों को बार-बार काट दिया। अंत में लेखक को कहा कि किसान पहले पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ बीज रूप : में अपने खेत में बोता है, तत्पश्चात वह तीस-चालीस मन अनाज उगाता है। वैसे ही यदि हम बीज रूप में थोड़ा-सा पानी नहीं देंगे तो । बादल फ़सल के रूप में फिर हमें पानी कैसे देंगे?

व संस्मरण के अंत में लेखक की राष्ट्रीय चेतना का भाव मुखरित होता है कि हम आजादी मिलने के बावजूद भी पूर्णत: आजाद नहीं। हुए। हम आज भी अंग्रेजों की भाषा संस्कृति, रहन-सहन से आजाद नहीं हुए और हमने अपने संस्कारों को नहीं समझा। हम भारतवासी माँगें तो बहुत करते हैं लेकिन त्याग की भावना हमारे अंदर नहीं है। हर कोई भ्रष्टाचार की बात करता है लेकिन कभी नहीं देखता कि क्या | हम स्वयं उसका अंग नहीं बन रहे। देश की अरबों-खरबों की योजनाएं न जाने कहाँ गम हो जाती हैं? लेखक कहता है कि काले मेघा

खूब बरसते हैं लेकिन फूटी गगरी खाली रह जाती है, बैल प्यासे रह जाते हैं। न जाने यह स्थिति कब बदलेगी? लेखक ने देश की भ्रष्टाचार की समस्याओं के प्रति व्यंग्य व्यक्त किया है।


 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 12 HINDI CHAPTER 12 AAROH

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 104-105)

पाठ के साथ

प्रश्न 1. लोगों ने लड़कों की टोली की मेढक-मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?

उत्तर- गाँव के कुछ लोगों को लड़कों के नंगे शरीर, उछल-कूद, शोर-शराबे और उनके कारण गली में होने वाले कीचड़ से चिढ़ थी। वे इसे अंधविश्वास मानते थे। इसी कारण वे इन लड़कों की टोली को मेढक-मंडली कहते थे। यह टोली स्वयं को ‘इंदर सेना’ कहकर बुलाती थी। ये बच्चे इकट्ठे होकर भगवान इंद्र से वर्षा करने की गुहार लगाते थे। बच्चों का मानना था कि वे इंद्र की सेना के सैनिक हैं तथा उसी के लिए लोगों से पानी माँगते हैं ताकि इंद्र बादलों के रूप में बरसकर सबको पानी दें।

प्रश्न 2. जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया? (CBSE-2010, 2011)

उत्तर- यद्यपि लेखक बच्चों की टोली पर पानी फेंके जाने के विरुद्ध था लेकिन उसकी जीजी (दीदी) इस बात को सही मानती है। वह कहती है कि यह अंधविश्वास नहीं है। यदि हम इस सेना को पानी नहीं देंगे तो इंदर हमें कैसे पानी देगा अर्थात् वर्षा करेगा। यदि परमात्मा से कुछ लेना है तो पहले उसे कुछ देना सीखो। तभी परमात्मा खुश होकर मनुष्यों की इच्छाएँ पूरी करता है।

प्रश्न 3. पानी दे, गुड़धानी दे मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?

उत्तर- गुड़धानी गुड़ व अनाज के मिश्रण से बने खाद्य पदार्थ को कहते हैं। बच्चे मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग करते हैं। पानी से प्यास बुझती है, साथ ही अच्छी वर्षा से ईख व धान भी उत्पन्न होता है, यहाँ ‘गुड़धानी’ से अभिप्राय अनाज से है। गाँव की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित होती है जो वर्षा पर निर्भर है। अच्छी वर्षा से अच्छी फसल होती है जिससे लोगों का पेट भरता है और चारों तरफ खुशहाली छा जाती है।

प्रश्न 4. गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?

उत्तर- इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात इसलिए मुखरित हुई है कि एक तो वर्षा नहीं हो रही। दूसरे जो थोड़ा बहुत पानी गगरी (घड़े) में बचा था। वह भी घड़े के टूटने से गिर गया। अब घड़े में भी कुछ पानी नहीं बचा। इसलिए बैल प्यासे रह गए। बैल तभी खेत-जोत सकेंगे जब उनकी प्यास बुझेगी। हे मेघा! इसलिए पानी बरसा ताकि बैलों और धरती दोनों की प्यास बुझ जाए! चारों ओर खुशी छा जाए।

प्रश्न 5. इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?

उत्तर- वर्षा न होने पर इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय बोलती है। इसका कारण यह है कि भारतीय जनमानस में गंगा, नदी को विशेष मान-सम्मान प्राप्त है। हर शुभ कार्य में गंगाजल का प्रयोग होता है। उसे ‘माँ’ का दर्जा मिला है। भारत के सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश में नदियों का बहुत महत्त्व है। देश के लगभग सभी प्रमुख बड़े नगर नदियों के किनारे बसे हुए हैं। इन्हीं के किनारे सभ्यता का विकास हुआ। अधिकतर धार्मिक व सांस्कृतिक केंद्र भी नदी-तट पर ही विकसित हुए हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, काशी, बनारस, आगरा आदि शहर नदियों के तट पर बसे हैं। धर्म से भी नदियों का प्रत्यक्ष संबंध है। नदियों के किनारों पर मेले लगते हैं। नदियों को मोक्षदायिनी माना जाता है।

प्रश्न 6. रिश्तों में हमारी भावना-शक्ति बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुधि की शक्ति को कमज़ोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।

उत्तर- लेखक का अपनी जीजी के प्रति गहरा प्यार था। वह अपनी जीजी को बहुत मानता था। दोनों में भावनात्मक संबंध बहुत गहरा था। लेखक जिस परंपरा कां या अंधविश्वास का विरोध करता है जीजी उसी का भरपूर समर्थन करती है। धीरे-धीरे लेखक और उसकी जीजी के बीच की भावनात्मक शक्ति बँटती चली जाती हैं। लेखक का विश्वास डगमगाने लगता है। वह कहता भी है कि मेरे विश्वास का किला ढहने लगा था। उसकी जीजी लेखक की बुधि शक्ति को भावनात्मक रिश्तों से कमजोर कर देती है। इसलिए लेखक चाहकर भी किसी बात का विरोध नहीं कर पाता । यद्यपि वह विरोध जताने का प्रयास करता है लेकिन अंत में उसे जीजी के आगे समर्पण करना पड़ता है।

पाठ के आसपास

प्रश्न 1. क्या इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणा स्रोत हो सकती है? क्या आपके स्मृति-कोश में ऐसा कोई अनुभव है। जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो, उल्लेख करें।

उत्तर- हाँ, इंदर सेना आज के युवा वर्ग के लिए प्रेरणा-स्रोत हो सकती है। यह सामूहिक प्रयास ही है जो किसी भी समस्या को सुलझा सकता है। सामूहिक शक्ति के कारण ही बड़े-बड़े आंदोलन सफल हुए हैं। ‘वृक्ष बचाओ’, महात्मा गांधी के आंदोलन, जेपी आंदोलन आदि युवाओं की सामूहिक शक्ति के कारण ही सफल हो सके हैं। आज भी युवा यदि संगठित होकर कार्य करें, तो अशिक्षा, आतंकवाद, स्त्री-अत्याचार जैसी समस्याएँ शीघ्र समाप्त हो सकती हैं। समाजोपयोगी रचनात्मक काय सबधी अनुभव विद्यार्थी स्वय लिखें।

प्रश्न 2. तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह बहुत महत्त्वपूर्ण हैं पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता है?

उत्तर- भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की लगभग 78 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। इसलिए तकनीकी विकास के बाद भी बहुत कुछ कृषि पर निर्भर रहता है। कृषि के लिए सभी महीने महत्त्वपूर्ण हैं। लेकिन इनमें से वैशाख महीना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी महीने में कटाई प्रारंभ होती है। यदि इस महीने में धूप खिली रहे, बरसात न हो, तो धन धान्य भरपूर होता है। किसानों के चेहरे खिले रहते हैं। इसलिए आषाढ़ का चढ़ना किसानों में उल्लास भर देता है। वह बेहद खुश हो जाता है।

प्रश्न 3. पाठ के संदर्भ में इसी पुस्तक में दी गई निराला की कविता बादल-राग पर विचार कीजिए और बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है?

उत्तर- निराला की ‘बादल-राग’ कविता में बादलों को क्रांति करने के लिए पुकारा गया है। बादल समाज के शोषक वर्ग को समाप्त करके शोषित को उनका अधिकार दिलाता है। बादल क्रांति के प्रतीक हैं। बादलों की गर्जना से पूँजीपति वर्ग भयभीत होता है तथा निर्धन वर्ग प्रसन्न होता है। हमारे जीवन में बादल की अह भूमिका है। बादल धरती की प्यास बुझाते हैं, जीवों व वनस्पतियों में प्राणों का संचार करते हैं। बादलों पर हमारा जीवन निर्भर है। इससे कृषि-कार्य संपन्न होता है।

प्रश्न 4. त्याग तो वह होता ………. उसी का फल मिलता है। अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।

उत्तर- मैं मध्यवर्गीय परिवार से हूँ। किंतु हमारा परिवार बड़ा है कमाने वाले सदस्य दो ही हैं। इसलिए कमाई का साधन ज्यादा नहीं है। पिछले दिनों एक भिखारी मेरे घर आया। कपड़ों के नाम पर उसके बदन पर फटा हुआ कुर्ता और टूटी हुई चप्पल थी। सरदी के दिन थे, ऐसी हालत में और अधिक दयनीय लग रहा था। मेरे पास भी दो ही स्वेटर थे। मैंने उसकी स्थिति को देखते हुए अपना एक स्वेटर उसे दे दिया और वह आशीर्वाद देता चला गया। शायद मेरे लिए यही त्याग था।

प्रश्न 5. पानी का संकट वर्तमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए।

उत्तर- पर्यावरण से संबंधित अन्य संकट निम्नलिखित हैं –

     i.        उद्योगों व वाहनों के कारण वायु-प्रदूषण होना।

   ii.        भूमि का बंजर होना।

 iii.        वर्षा की कमी।

 iv.        सूखा पड़ना।

   v.        बाढ़ आना।

 vi.        धरती के तापमान में दिन पर दिन बढ़ोतरी।

प्रश्न 6. आपकी दादी-नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती हैं? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है? लिखिए।

उत्तर- हमारी दादी-नानी भी ठीक उसी तरह बातें करती हैं जिस प्रकार की बातें लेखक की जीजी करती हैं। हमारी दादी-नानी भी तरह-तरह के अंधविश्वास को सच्चा मानती हैं। वे कहती हैं कि पेड़ पर भूत बसते हैं। कभी दोपहर में मीठा खाकर बाहर नहीं जाना चाहिए। यदि कोई छींक दे तो भी शुभ कार्य के लिए नहीं जाना चाहिए। दादी कहती है कि यदि बिल्ली रास्ता काट जाए तो काम बिगड़ जाता है। इसी प्रकार चिमटा बजाने से घर में लड़ाई हो जाती है। मैं इन सारे विश्वासों को सुनकर अनसुना कर देती हूँ/देता हूँ।

चर्चा करें

प्रश्न 1. बादलों से संबंधित अपने-अपने क्षेत्र में प्रचलित गीतों का संकलन करें और कक्षा में चर्चा करें।

उत्तर-

गरज बरस प्यासी धरती को
फिर पानी दे मौला
फिर पानी दे मौला
गुड़धानी दे मौला।
आलो रे आलो रे सामण महीनो
आलो रे
बिजली चमकै

बादल बरसै
आलो री सामण आलो।
सामण का महीना, ठाडढ़ा झड़ लाया, हे,
सलोभण अपनी गेल्यां बीरा ने लाया है

जल कै मरुंगी तरणी तीज नै,
तेरे पै ही तै बाल्लम नै घाल।

प्रश्न 2. पिछले 15-20 सालों में पर्यावरण से छेड़छाड़ के कारण भी प्रकृति-चक्र में बदलाव आया है, जिसका परिणाम मौसम का असंतुलन है। वर्तमान बाड़मेर (राजस्थान) में आई बाढ़, मुंबई की बाढ़ तथा महाराष्ट्र का भूकंप या फिर सुनामी भी इसी का नतीजा है। इस प्रकार की घटनाओं से जुड़ी सूचनाओं, चित्रों का संकलन कीजिए और एक प्रदर्शनी का आयोजन कीजिए, जिसमें बाजार दर्शन पाठ में बनाए गए विज्ञापनों को भी शामिल कर सकते हैं। अगर हाँ ऐसी स्थितियों से बचाव के उपाय पर पर्यावरण की राय को प्रदर्शनी में मुख्य स्थान देना न भूलें।

उत्तर- हमारे विद्यालय में पिछले दिनों एक प्रदर्शनी लगाई गई। इसमें पर्यावरण विशेषज्ञों ने भाग लिया। वे विशेष आमंत्रित सदस्य थे। उन्होंने पर्यावरण असंतुलन से बचने के कई उपाय सुझाए जो इस प्रकार हैं

·       पानी का रिसाब रोका जाए।

·       देश की नदियों को जोड़ा जाए।

·       पेड़ों की अंधाधुंध कटाई रोकी जाए।

·       बरसाती पानी को इकट्ठा किया जाए।

·       ऐसी योजनाएँ लागू करें जो यथार्थ में लागू हों।

·       खतरनाक गैसों को रोकने का उपाय किए जाए।

·       फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित जल की निकासी का उचित प्रबंध हो।

·       निर्धारित मात्रा से अधिक खतरनाक कैमिकल्स का इस्तेमाल न करें।

·       मिल मालिकों को चाहिए कि वे पर्यावरण के संकट के प्रति सचेत रहें।

·       गिरते भूजल स्तर को रोका जाए।

विज्ञापन की दुनिया

प्रश्न 1. ‘पानी बचाओ’ विज्ञापनों को एकत्र कीजिए। इस संकट के प्रति चेतावनी बरतने के लिए आप किस प्रकार का विज्ञापन बनाएंगे।

उत्तर- पानी संकट आज का सबसे बड़ा संकट है। इसे हर हाल में दूर करने की आवश्यकता है। संकट से बचने का विज्ञापन इस प्रकार हैपानी बचाओ, पानी बचाओगे तो अपना जीवन बचा पाओगे। यदि पानी न रहा तो कहाँ जाओगे। पानी की हर बूंद कीमती है। इसे बचाओ।

“पानी है तो जीवन है।

वरना जीना कठिन है।”

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