हिंदी व्याकरण पदबंध की परिभाषा, भेद और उसके उदहारण कक्षा 9

Premium हिंदी व्याकरण पदबंध की परिभाषा, भेद और उसके उदहारण कक्षा 9
Share this

पदबंध की परिभाषा


वाक्य में प्रयुक्त शब्द पद कहलाता है।

पद :- वाक्य से अलग रहने पर ‘शब्द’ और वाक्य में प्रयुक्त हो जाने पर शब्द ‘पद’ कहलाते हैं।

पदबंध :- जब दो या अधिक (शब्द) पद नियत क्रम और निश्र्चित अर्थ में किसी पद का कार्य करते हैं तो उन्हें पदबंध कहते हैं।

कई पदों के योग से बने वाक्यांशो को, जो एक ही पद का काम करता है, ‘पदबंध’ कहते है।

डॉ.हरदेव बाहरी ने ‘पदबन्ध’ की परिभाषा इस प्रकार दी है-वाक्य के उस भाग को, जिसमें एक से अधिक पद परस्पर सम्बद्ध होकर अर्थ तो देते हैं, किन्तु पूरा अर्थ नहीं देते-पदबन्ध या वाक्यांश कहते हैं।

जैसे –

Ø सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र जीत गया।

Ø यह लड़की अत्यंत सुशील और परिश्रमी है।

Ø नदी बहती चली जा रही है।

Ø नदी कल-कल करती हुई बह रही थी।

उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द पदबंध है। पहले वाक्य के ‘सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र’ में पाँच पद है, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात संज्ञा का कार्य कर रहे हैं। दूसरे वाक्य के ‘अत्यंत सुशील और परिश्रमी’ में भी चार पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात विशेषण का कार्य कर रहे हैं।

तीसरे वाक्य के ‘बहती चली जा रही है’ में पाँच पद हैं किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया का काम कर रहे हैं। चौथे वाक्य के ‘कल-कल करती हुई’ में तीन पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया विशेषण का काम कर रहे हैं।

इस प्रकार रचना की दृष्टि से पदबन्ध में तीन बातें आवश्यक हैं-एक तो यह कि इसमें एक से अधिक पद होते हैं। दूसरे ये पद इस तरह से सम्बद्ध होते हैं कि उनसे एक इकाई बन जाती है। तीसरे, पदबन्ध किसी वाक्य का अंश होता है।

अँगरेजी में इसे phrase कहते हैं। इसका मुख्य कार्य वाक्य को स्पष्ट, सार्थक और प्रभावकारी बनाना है। शब्द-लाघव के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है- खास तौर से समास, मुहावरों और कहावतों में। ये पदबंध पूरे वाक्य नहीं होते, बल्कि वाक्य के टुकड़े हैं, किन्तु निश्र्चित अर्थ और क्रम के परिचायक हैं। हिंदी व्याकरण में इनपर अभी स्वतन्त्र अध्ययन नहीं हुआ है।

पदबंध के भेद

मुख्य पद के आधार पर पदबंध के पाँच प्रकार होते हैं-

·       संज्ञा-पदबंध

·       विशेषण-पदबंध

·       सर्वनाम पदबंध

·       क्रिया पदबंध

·       अव्यय पदबंध

1.   संज्ञा-पदबंध

वह पदबंध जो वाक्य में संज्ञा का कार्य करे, संज्ञा पदबंध कहलाता है।

दूसरे शब्दों में :- पदबंध का अंतिम अथवा शीर्ष शब्द यदि संज्ञा हो और अन्य सभी पद उसी पर आश्रित हो तो वह ‘संज्ञा पदबंध’ कहलाता है।

जैसे –

a) चार ताकतवर मजदूर इस भारी चीज को उठा पाए।

b) राम ने लंका के राजा रावण को मार गिराया।

c)  अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्र थे।

d) आसमान में उड़ता गुब्बारा फट गया।

उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द ‘संज्ञा पदबंध’ है।

2.   विशेषण पदबंध

वह पदबंध जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बतलाता हुआ विशेषण का कार्य करे, विशेषण पदबंध कहलाता है।

दूसरे शब्दों में :- पदबंध का शीर्ष अथवा अंतिम शब्द यदि विशेषण हो और अन्य सभी पद उसी पर आश्रित हों तो वह ‘विशेषण पदबंध’ कहलाता है।

जैसे –

a) तेज चलने वाली गाड़ियाँ प्रायः देर से पहुँचती हैं।

b) उस घर के कोने में बैठा हुआ आदमी जासूस है।

c)  उसका घोड़ा अत्यंत सुंदर, फुरतीला और आज्ञाकारी है।

d) बरगद और पीपल की घनी छाँव से हमें बहुत सुख मिला।

 उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द ‘विशेषण पदबंध’ है।

3.   सर्वनाम पदबंध

वह पदबंध जो वाक्य में सर्वनाम का कार्य करे, सर्वनाम पदबंध कहलाता है।

उदाहरण

बिजली-सी फुरती दिखाकर आपने बालक को डूबने से बचा लिया।

शरारत करने वाले छात्रों में से कुछ पकड़े गए।

विरोध करने वाले लोगों में से कोई नहीं बोला।

उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द सर्वनाम पदबंध हैं क्योंकि वे क्रमशः ‘आपने’ ‘कुछ’ और ‘कोई’ इन सर्वनाम शब्दों से सम्बद्ध हैं।

4.   क्रिया पदबंध

वह पदबंध जो अनेक क्रिया-पदों से मिलकर बना हो, क्रिया पदबंध कहलाता है।

क्रिया पदबंध में मुख्य क्रिया पहले आती है। उसके बाद अन्य क्रियाएँ मिलकर एक समग्र इकाई बनाती है। यही ‘क्रिया पदबंध’ है।

जैसे –

a) वह बाजार की ओर आया होगा।

b) मुझे मोहन छत से दिखाई दे रहा है।

c)  सुरेश नदी में डूब गया।

d) अब दरवाजा खोला जा सकता है।

उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द ‘क्रिया पदबंध’ है।

5.   अव्यय पदबंध

वह पदबंध जो वाक्य में अव्यय का कार्य करे, अव्यय पदबंध कहलाता है।

इस पदबंध का अंतिम शब्द अव्यय होता है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्य देखिए-

 

अपने सामान के साथ वह चला गया।

सुबह से शाम तक वह बैठा रहा।

इन वाक्यों में काला छपे शब्द अव्यय पदबंध हैं।

पदबन्ध और उपवाक्य में अन्तर

उपवाक्य (Clause) भी पदबन्ध (Phrase) की तरह पदों का समूह है, लेकिन इससे केवल आंशिक भाव प्रकट होता है, पूरा नहीं। पदबन्ध में क्रिया नहीं होती, उपवाक्य में क्रिया रहती है

जैसे -‘ज्योंही वह आया, त्योंही मैं चला गया।’ यहाँ ‘ज्योंही वह आया’ एक उपवाक्य है, जिससे पूर्ण अर्थ की प्रतीति नहीं होती।

  • Tags :
  • हिंदी व्याकरण पदबंध

You may like these also

© 2024 Witknowlearn - All Rights Reserved.