NCERT Class 9 Hindi रसखान के सवैया - MCQ And Extra Question Answer

Premium NCERT Class 9 Hindi रसखान के सवैया - MCQ And Extra Question Answer
Share this

The chapter Raskhan ke Savaiye in Class 9 Hindi, featured in the Kshitij textbook as Chapter 9, presents students with the exquisite poetry of Raskhan, a renowned poet in Indian literature. This chapter is an exploration of Raskhan's devotion and love for Lord Krishna, depicted through the Savaiye, a form of poetic composition. At WitKnowLearn, we recognize the significance of this chapter in enhancing students' understanding of classical poetry and its cultural context.

Click here to download raskhan ke savaiye class 9 Questions Answer 

Raskhan ke Savaiye is more than just a literary piece; it's a window into the devotion and spiritual expression of the Bhakti movement. Raskhan's verses are rich in imagery, emotion, and devotion, capturing the essence of his deep spiritual connection with Lord Krishna. These poems not only provide literary enjoyment but also offer students a glimpse into the historical and cultural backdrop of the era.

To aid in the study of this chapter, WitKnowLearn offers a diverse range of educational resources. These include comprehensive explanations of Raskhan ke Savaiye Class 9, along with MCQs, worksheets, and extra questions with answers. Our resources are tailored to enhance students' understanding and engagement with the poetry.

The Raskhan ke Savaiye Class 9 MCQs are particularly valuable for students preparing for exams. These multiple-choice questions help in assessing comprehension and provide a format familiar to exam scenarios. Additionally, the Raskhan ke Savaiye Class 9 worksheet is a practical tool for both classroom learning and home study, offering structured exercises to reinforce learning.

For those seeking deeper insights, our Raskhan ke Savaiye extra question answer section delves into the nuances of the poems, encouraging students to explore beyond the surface level. This facilitates a more comprehensive understanding of the themes, styles, and cultural significance of Raskhan's poetry.

At WitKnowLearn, we strive to make learning a dynamic and enjoyable experience. By providing detailed, student-friendly resources for chapters like Raskhan ke Savaiye, we aim to help Class 9 Hindi students excel in their studies and develop a deeper appreciation for the richness of Indian literature. Join us in exploring the captivating world of Raskhan's poetry with WitKnowLearn.

सवैये पाठ का भावार्थ

मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।

जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥

पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन।

जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।

रसखान के सवैये भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि रसखान के श्री कृष्ण एवं उनके गांव गोकुल-ब्रज के प्रति लगाव का वर्णन हुआ है। रसखान मानते हैं कि ब्रज के कण-कण में श्री कृष्ण बसे हुए हैं। इसी वजह से वे अपने प्रत्येक जन्म में ब्रज की धरती पर जन्म लेना चाहते हैं। अगर उनका जन्म मनुष्य के रूप में हो, तो वो गोकुल के ग्वालों के बीच में जन्म लेना चाहते हैं। पशु के रूप में जन्म लेने पर, वो गोकुल की गायों के साथ घूमना-फिरना चाहते हैं।

अगर वो पत्थर भी बनें, तो उसी गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहते हैं, जिसे श्री कृष्ण ने इन्द्र के प्रकोप से गोकुलवासियों को बचाने के लिए अपनी उँगली पर उठाया था। अगर वो पक्षी भी बनें, तो वो यमुना के तट पर कदम्ब के पेड़ों में रहने वाले पक्षियों के साथ रहना चाहते हैं। इस प्रकार कवि चाहे कोई भी जन्म लें, वो रहना ब्रज की भूमि पर ही चाहते हैं।

या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।

आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसारौं॥

रसखान कबौं इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।

कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं॥

रसखान के सवैये भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि रसखान का भगवान श्री कृष्ण एवं उनसे जुड़ी वस्तुओं के प्रति बड़ा गहरा लगाव देखने को मिलता है। वे कृष्ण की लाठी और कंबल के लिए तीनों लोकों का राज-पाठ तक छोड़ने के लिए तैयार हैं। अगर उन्हें नन्द की गायों को चराने का मौका मिले, तो इसके लिए वो आठों सिद्धियों एवं नौ निधियों के सुख को भी त्याग सकते हैं। जब से कवि ने ब्रज के वनों, बगीचों, तालाबों इत्यादि को देखा है, वे इनसे दूर नहीं रह पा रहे हैं। जब से कवि ने करील की झाड़ियों और वन को देखा है, वो इनके ऊपर करोड़ों सोने के महल भी न्योछावर करने के लिए तैयार हैं।

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरें पहिरौंगी।

ओढ़ि पितंबर लै लकुटी बन गोधन ग्वारनि संग फिरौंगी॥

भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वांग करौंगी।

या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी॥

रसखान के सवैये भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में रसखान ने कृष्ण से अपार प्रेम करने वाली गोपियों के बारे में बताया है, जो एक-दूसरे से बात करते हुए कह रही हैं कि वो कान्हा द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की मदद से कान्हा का रूप धारण कर सकती हैं। मगर, वो कृष्ण की मुरली को धारण नहीं करेंगी। यहाँ गोपियाँ कह रही हैं कि वे अपने सिर पर श्री कृष्ण की तरह मोरपंख से बना मुकुट पहन लेंगी। अपने गले में कुंज की माला भी पहन लेंगी। उनके सामान पीले वस्त्र पहन लेंगी और अपने हाथों में लाठी लेकर वन में ग्वालों के संग गायें चराएंगी।

गोपी कह रही है कि कृष्ण हमारे मन को बहुत भाते हैं, इसलिए मैं तुम्हारे कहने पर ये सब कर लूँगी। मगर, मुझे कृष्ण के होठों पर रखी हुई मुरली अपने होठों से लगाने के लिए मत बोलना, क्योंकि इसी मुरली की वजह से कृष्ण हमसे दूर हुए हैं। गोपियों को लगता है कि श्री कृष्ण मुरली से बहुत प्रेम करते हैं और उसे हमेशा अपने होठों से लगाए रहते हैं, इसीलिए वे मुरली को अपनी सौतन या सौत की तरह देखती हैं।

काननि दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मंद बजैहै।

मोहनी तानन सों रसखानि अटा चढ़ि गोधन गैहै तौ गैहै॥

टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि काल्हि कोऊ कितनो समुझैहै।

माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै॥

रसखान के सवैये भावार्थ :- रसखान ने इन पंक्तियों में गोपियों के कृष्ण प्रेम का वर्णन किया है, वो चाहकर भी कृष्ण को अपने दिलो-दिमाग से निकल नहीं सकती हैं। इसीलिए वे कह रही हैं कि जब कृष्ण अपनी मुरली बजाएंगे, तो वो उससे निकलने वाली मधुर ध्वनि को नहीं सुनेंगी। वो सभी अपने कानों पर हाथ रख लेंगी। उनका मानना है कि भले ही, कृष्ण किसी महल पर चढ़ कर, अपनी मुरली की मधुर तान क्यों न बजायें और गीत ही क्यों न गाएं, जब तक वो उसे नहीं सुनेंगी, तब तक उन पर मधुर तानों का कोई असर नहीं होने वाला।

लेकिन अगर गलती से भी मुरली की मधुर ध्वनि उनके कानों में चली गई, तो फिर हम अपने वश में नहीं रह पाएंगी। फिर चाहे हमें कोई कितना भी समझाए, हम कुछ भी समझ नहीं पाएंगी। गोपियों के अनुसार, कृष्ण की मुस्कान इतनी प्यारी लगती है कि उसे देख कर कोई भी उनके वश में आए बिना नहीं रह सकता है। इसी कारणवश, गोपियाँ कह रही हैं कि श्री कृष्ण का मोहक मुख देख कर, उनसे ख़ुद को बिल्कुल भी संभाला नहीं जाएगा। वो सारी लाज-शर्म छोड़कर श्री कृष्ण की ओर खिंची चली जाएँगी।

  • Tags :
  • रसखान के सवैया

You may like these also

© 2024 Witknowlearn - All Rights Reserved.