NCERT Class 9 Hindi Chapter 11 ग्राम श्री - MCQ And Extra Questions With Answer

Premium NCERT Class 9 Hindi Chapter 11 ग्राम श्री - MCQ And Extra Questions With Answer
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Chapter 11 of Class 9 Hindi, titled "Gram Shree," is a significant part of the curriculum that opens a window into the rural life of India. This chapter, often appreciated for its vivid portrayal of village life and its inherent values, plays a crucial role in helping students understand and appreciate the richness of rural India. At WitKnowLearn, we recognize the importance of this chapter in connecting students with the roots of Indian culture and lifestyle.

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"Gram Shree" paints a picture of the Indian countryside, highlighting the simplicity, harmony, and natural beauty of village life. The poem encapsulates the essence of rural India, its traditions, customs, and the close-knit community life. This chapter is not just a study of rural geography or lifestyle; it's a celebration of the values and virtues that form the backbone of Indian villages. For Class 9 students, it's an opportunity to learn about a way of life that is quite different from urban living, yet forms an integral part of the nation's identity.

To assist students in their exploration of this chapter, WitKnowLearn offers a range of educational resources. These include detailed explanations of Gram Shree, along with a variety of worksheets, MCQs, and extra questions with answers. Our materials are designed to deepen students' understanding of the chapter and enhance their learning experience.

The Gram Shree Class 9 extra question answer segment provides students with an opportunity to delve deeper into the poem, exploring its themes and messages in greater detail. For those preparing for exams, the Gram Shree Class 9 MCQs are a valuable tool, offering a way to test their comprehension and get familiar with the exam format.

Additionally, the Gram Shree Class 9 worksheet is a useful resource for both teachers and students. It provides structured exercises that help reinforce the concepts learned in the chapter, making it an ideal tool for classroom discussions and home study.

At WitKnowLearn, we are dedicated to making learning an enriching and enjoyable experience. By providing accessible and comprehensive resources for chapters like Gram Shree, we aim to help Class 9 Hindi students excel in their studies while gaining a deeper appreciation for the diverse and rich cultural tapestry of India. Join us on this educational journey and explore the beauty of rural India with Gram Shree and WitKnowLearn.

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फैली खेतों में दूर तलकमखमल की कोमल हरियाली,लिपटीं जिससे रवि की किरणेंचाँदी की सी उजली जाली !तिनकों के हरे हरे तन परहिल हरित रुधिर है रहा झलक,श्यामल भू तल पर झुका हुआनभ का चिर निर्मल नील फलक !

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘सुमित्रानंदन पंत’ जी के द्वारा रचित कविता ‘ ग्राम श्री’ से ली गई हैं| इन पंक्तियों के माध्यम से कवि गाँव की मनोरम प्राकृतिक सुंदरता का चित्रण करते हुए कह रहे हैं कि गांव के खेतों में चारों ओर मखमल रूपी हरियाली फैली हुई है| जब उन पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं, तब सारा खेत और आस-पास का वातावरण चमक उठता है| मानो ऐसा प्रतीत होता है कि चाँदी की कोई चमकदार जाली बिछी हुई है| जो हरे-हरे फसलें हैं, उनकी नाजुक तना पर, जब सूर्य की किरणों का प्रभाव पड़ता है, तो उनके अंदर दौड़ता-हिलता हुआ हरे रंग का रक्त स्पष्ट दिखाई देता है| जब हमारी दृष्टि दूर तक आसमान पर पड़ती है, तो हमें ऐसा आभाष होता है, मानो नीला आकाश चारों ओर से झुका हुआ है और हमारी खेतों की हरियाली का रक्षक बना हुआ है|

रोमांचित सी लगती वसुधाआई जौ गेहूँ में बाली,अरहर सनई की सोने कीकिंकिणियाँ हैं शोभाशाली ! उड़ती भीनी तैलाक्त गंधफूली सरसों पीली पीली,लो, हरित धरा से झाँक रहीनीलम की कलि, तीसी नीली !

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘सुमित्रानंदन पंत’ जी के द्वारा रचित कविता ‘ ग्राम श्री’ से ली गई हैं| इन पंक्तियों के माध्यम से कवि पंत जी खेतों में उग आई फसलों का गुणगान करते हुए कहते हैं कि जब से जौ और गेहूँ में बालियाँ आ गई हैं, तब से धरती और भी रोमांचित लगने लगी है| अरहर और सनई की फसलें सोने जैसा प्रतीत हो रही हैं तथा धरती को शोभा प्रदान कर रही हैं| हवा के सहारे हिल-हिलकर मनोहर ध्वनि उत्पन्न कर रही हैं| सरसों की फसलें खेतों में लहलहा रहे हैं, जिसके फूलों के खिलने से पूरा वातावरण सुगंधित हो गया है| वहीं हरियाली युक्त धरा से नीलम की कलियाँ और तीसी के नीले फूल भी झाँकते हुए धरती को शोभा और सौंदर्य से भर रहे हैं|

रंग रंग के फूलों में रिलमिलहंस रही सखियाँ मटर खड़ी,मखमली पेटियों सी लटकींछीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी ! फिरती हैं रंग रंग की तितलीरंग रंग के फूलों पर सुंदर,फूले फिरते हों फूल स्वयंउड़ उड़ वृंतों से वृंतों पर !

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि सुमित्रानंदन पंत जी के द्वारा रचित कविता ग्राम श्री से ली गई हैं| इन पंक्तियों के माध्यम से कवि खेतों में विभिन्न रंगों से सुसज्जित फूलों और तितलियों की सुंदरता का मनभावन चित्रण करते हुए कहते हैं कि रंग-बिरंगे फूलों के बीच में मटर के फसलों का सुन्दर दृश्य देखकर आस-पास के सखियाँ रूपी पौधे या फसलें मुस्कुरा रहें हैं| वहीं पर कहीं मखमली पेटियों के समान छिमियों का अस्तित्व का नज़ारा भी है, जो बीज से लदी हुई हैं| तरह-तरह के रंगों से सुसज्जित तितलियाँ, तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूलों पर उड़-उड़कर बैठती हैं| मानो ऐसा लग रहा है, जैसे ख़ुद फूल ही उड़-उड़कर विचरण कर रहे हैं|

अब रजत स्वर्ण मंजरियों सेलद गई आम्र तरु की डाली,झर रहे ढाक, पीपल के दल,हो उठी कोकिला मतवाली ! महके कटहल, मुकुलित जामुन,जंगल में झरबेरी झूली,फूले आड़ू, नीम्बू, दाड़िमआलू, गोभी, बैंगन, मूली !

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि सुमित्रानंदन पंत जी के द्वारा रचित कविता ग्राम श्री से ली गई हैं| इन पंक्तियों के माध्यम से कवि बसंत-ऋतु का मनमोहक चित्रण करते हुए कहते हैं कि स्वर्ण और रजत अर्थात् सुनहरी और चाँदनी रंग के मंजरियों से आम के पेड़ की जो डालियाँ हैं, वो लद गई हैं| पतझड़ के कारण पीपल और दूसरे पेड़ों के पत्ते झर रहे हैं और कोयल मतवाली हो चुकी है अर्थात् अपनी मधुर ध्वनि का सबको रसपान करा रही है| कटहल की महक महसूस होने लगी है और जामुन भी पेड़ों पर लद गए हैं| वनों में झरबेरी का अस्तित्व आ गया है| हरी-भरी खेतों में अनेक फल-सब्ज़ियाँ उग आई हैं, जैसे — आड़ू, नींबू, आलू, दाड़िम, मूली, गोभी, बैंगन आदि |

पीले मीठे अमरूदों मेंअब लाल लाल चित्तियाँ पड़ीं,पक गये सुनहले मधुर बेर,अँवली से तरु की डाल जड़ी ! लहलह पालक, महमह धनिया,लौकी औ’ सेम फलीं, फैलींमखमली टमाटर हुए लाल,मिरचों की बड़ी हरी थैली !

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि सुमित्रानंदन पंत जी के द्वारा रचित कविता ग्राम श्री से ली गई हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि प्रकृति के कुछ और सुन्दर दृश्य की ओर संकेत करते हुए कह रहे हैं कि जो अमरूद पके और मीठे हैं, वो अब पीले हो गए हैं | उन पर लाल चित्तियां या निशान पड़ गए हैं| बैर भी पक कर मीठे और सुनहले रंग के हो गए हैं और आँवले के आकर्षक छोटे-छोटे फल से डाल झूल गई है| खेतों में पालक लहलहा रहे हैं और धनिया सुगंधित हो उठी है| लौकी और सेम भी फलकर, आस-पास फैल गए हैं| मखमल रूपी टमाटर भी पककर लाल हो गए हैं और छोटे-छोटे नाजुक पौधे में हरी-हरी मिर्च का भंडार लग आया है |

बालू के साँपों से अंकित

गंगा की सतरंगी रेतीसुंदर लगती सरपत छाईतट पर तरबूजों की खेती;अँगुली की कंघी से बगुलेकलँगी सँवारते हैं कोई,तिरते जल में सुरखाब, पुलिन परमगरौठी रहती सोई !

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि सुमित्रानंदन पंत जी के द्वारा रचित कविता ग्राम श्री से ली गई हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि आगे गंगा-तट के प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण करते हुए कहते हैं कि गंगा किनारे जो विभिन्न रंगों में सन्निहित रेत का भंडार है, उस रेत के टेढ़े-मेढ़े दृश्य को देखकर ऐसा लगता है, मानो कोई बालु रूपी साँप पड़ा हुआ है | गंगा के तट पर जो घास की हरियाली बिछी है, वह बहुत सुन्दर लग रही है| साथ में तरबूजों की खेती से तट का दृश्य बेहद सुन्दर और आकर्षक लग रहा है| बगुले तट पर शिकार करते हुए अपने पंजों से कलँगी को ऐसे सँवारते या ठीक करते हैं, मानो वे कंघी कर रहे हैं | गंगा के जल में चक्रवाक पक्षी तैरते हुए नज़र आ रहे हैं और जो मगरौठी पक्षी हैं, वह आराम से सोए हुए विश्राम कर रहे हैं |

हँसमुख हरियाली हिम-आतपसुख से अलसाए-से सोए, भीगी अँधियाली में निशि कीतारक स्वप्नों में-से खोये-मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम-जिस पर नीलम नभ आच्छादन-निरुपम हिमांत में स्निग्ध शांतनिज शोभा से हरता जन मन !

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि सुमित्रानंदन पंत जी के द्वारा रचित कविता ग्राम श्री से ली गई हैं| इन पंक्तियों के माध्यम से कवि पंत जी के द्वारा गाँव की हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य व दृश्य का सुंदर चित्रण किया गया है| कवि कहते हैं कि जब सर्दी के दिन में हिम अर्थात् ठंड का आगमन धरती पर होता है, तो लोग आलसी बनकर सुख से सोए रहते हैं | सर्दी की रातों में ओस पड़ने की वजह से सबकुछ भीगा-भीगा सा और ठंडक सा महसूस हो रहा है| तारों को देखकर ऐसा आभास हो रहा है, मानो वे सपनो की दुनिया में खोये हैं| इस आकर्षक और मनोहर वातावरण में पूरा गाँव मरकत अर्थात् पन्ना नामक रत्न के जैसा प्रतीत हो रहा है, जो मानो नीला आकाश से आच्छादित है| तत्पश्चात्, कवि कहते हैं कि शरद ऋतू के अंतिम क्षणों में गांव के मासूम वातावरण में अनुपम शांति का अनुभव हो रहा है, पूरा गाँव शोभायुक्त हो गया है, जिसे देखकर और एहसास करके गाँव के सारे लोग प्रफुल्लित हैं | उनका मन बहुत खिला-खिला सा है 

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  • ग्राम श्री

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