Geet Ageet Class 9 MCQ With Answers - गीत अगीत

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Geet Ageet in Class 9 Hindi Sparsh, Chapter 8, offers students a unique exploration into the world of poetry. This chapter, titled Geet Ageet, presents a blend of lyrical beauty and philosophical depth, capturing the essence of poetic expression. The poem invites students to ponder over the contrasts between the tangible and intangible aspects of life, delving into themes that resonate with the young minds of Class 9 students.

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For an effective study, Geet Ageet MCQs are a valuable tool. These multiple-choice questions help students in understanding and remembering key elements of the poem, making learning more interactive and engaging. The Geet Ageet Class 9 MCQs specifically focus on the critical aspects of the poem, aiding in thorough preparation for exams.

Engaging with Geet Ageet in Class 9 Hindi Sparsh is more than just an academic requirement; it's an opportunity for students to appreciate the nuances of Hindi poetry. With the help of MCQs and detailed study materials, students can grasp the deeper meanings of the poem, enhancing their literary appreciation and critical thinking skills.

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गीत अगीत कविता का अर्थ

गाकर गीत विरह के तटिनी

वेगवती बहती जाती है,

दिल हलका कर लेने को

उपलों से कुछ कहती जाती है।

तट पर एक गुलाब सोचता,

“देते स्वर यदि मुझे विधाता,

अपने पतझर के सपनों का

मैं भी जग को गीत सुनाता।

गा-गाकर बह रही निर्झरी,

पाटल मूक खड़ा तट पर है।

गीत, अगीत, कौन सुंदर है?

रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत भावार्थ : रामधारी सिंह दिनकर जी की कविता गीत अगीत की इन पंक्तियों में कवि ने जंगलों एवं पहाड़ों के बीच बहती हुई एक नदी का बड़ा ही आकर्षक वर्णन किया है। उन्होंने कहा है कि विरह अर्थात बिछड़ने का गीत गाती हुई नदी, अपने मार्ग में बड़ी तेजी से बहती जाती है।

अपने दिल से विरह का बोझ हल्का करने के लिए नदी, अपने किनारों पर उगी घास व उपलों से बात करते हुए आगे बढ़ती चली जा रही है। वहीँ दूसरी ओर, नदी के किनारे तट पर उगा हुआ एक गुलाब का फूल यह सोच रहा है कि अगर भगवान उसे भी बोलने की शक्ति देता, तो वह भी गा-गा कर सारे जगत को अपने पतझड़ के सपनों का गीत सुनाता।

तो इस प्रकार, जहाँ एक ओर नदी अपनी विरह के गीत गाते हुए, कल-कल की आवाज़ करते हुए बह रही है, वहीँ दूसरी ओर, गुलाब का पौधा चुपचाप अपने गीत को अपने मन में दबाये किनारे पर खड़ा हुआ नदी को बहते देख रहा है।

बैठा शुक उस घनी डाल पर

जो खोंते को छाया देती।

पंख फुला नीचे खोंते में

शुकी बैठ अंडे है सेती।

गाता शुक जब किरण वसंती

छूती अंग पर्ण से छनकर।

किंतु, शुकी के गीत उमड़कर

रह जाते सनेह में सनकर।

गूँज रहा शुक का स्वर वन में,

फूला मग्न शुकी का पर है।

गीत, अगीत, कौन सुंदर है?

रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत भावार्थ : खेतों में एक घने वृक्ष पर तोता बैठा हुआ है और उसी वृक्ष की छांव में उसका घोंसला है।  जिसमें मैना बड़े प्यार से अपने पंखों को फैलाये अंडे से रही है। ऊपर पेड़ की डाल पर तोता बैठा हुआ है, जिसके ऊपर पेड़ के पत्तों से छनकर सूर्य की किरणें पड़ रही हैं।

वह गाते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है, मानो सूर्य की किरणों को शब्द प्रदान कर रहा हो। पूरा का पूरा खेत तोते के स्वर से गूंज उठता है। जिसे सुनकर मैना भी गाने को उमड़ पड़ती है, परन्तु उसके स्वर बाहर नहीं निकल पाते और वह चुप रहकर ही पंख फैलाते हुए अपनी ख़ुशी का इज़हार करती है।

दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब

बड़े साँझ आल्हा गाता है,

पहला स्वर उसकी राधा को

घर से यहीं खींच लाता है।

चोरी-चोरी खड़ी नीम की

छाया में छिपकर सुनती है,

हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की

बिधना’, यों मन में गुनती है।

वह गाता, पर किसी वेग से

फूल रहा इसका अंतर है।

गीत, अगीत कौन सुंदर है?

रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत भावार्थ : रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत-अगीत की इन पंक्तियों में कवि ने दो प्रेमियों का वर्णन किया है। एक प्रेमी जब शाम के समय अपनी प्रेमिका को बुलाने के लिए गीत गाता है, तो वो उसके स्वर को सुनकर खिंची चली आती है और पेड़ों के पीछे छुपकर चुपचाप अपने प्रेमी को गाते हुए सुनती है। वह सोचती है कि मैं इस गाने का हिस्सा क्यों नहीं हूँ। नीम के पेड़ों के नीचे अपने प्रेमी के गीत को सुनकर उसका हृदय फूला नहीं समाता। वह चुपचाप अपने प्रेमी के गीत का आनंद लेती रहती है।

इस प्रकार जहाँ एक ओर प्रेमी गीत गाकर अपनी सुंदरता का बखान कर रहा है, वहीँ दूसरी ओर, चुप रहकर भी प्रेमिका उतने ही प्रभावशाली रूप से अपने प्यार को व्यक्त कर रही है। इसलिए उसका अगीत भी किसी मधुर गीत से कम नहीं है।

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