PDF NCERT Solutions for class 8 Hindi chapter 1 ध्वनि from Vasant

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  NCERT CLASS 8 HINDI CHAPTER 1 ध्वनि FROM VASANT

काव्यांश

अभी न होगा मेरा अंत

अभी-अभी तो आया है

मेरे वन में मृदुल वसंत

अभी न होगा मेरा अंत।

भावार्थ - class 8 hindi chapter 1 summary

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि मेरा अभी अंत नहीं होगा , क्योंकि मेरे मन रूपी वन में अभी-अभी बहुत ही सुंदर बसंत (बसंत ऋतु) आया है। इसीलिए मेरा अभी अंत नहीं हो सकता।

इन पंक्तियों में जो गूढ़ रहस्य छुपा है वह यह है कि कवि अपने हिम्मत , हौसले और जज्बे से अपने जीवन की अनगिनत कठिनाइयों को पार कर चुके हैं। इसीलिए वो कहते हैं कि अभी-अभी मैंने अपनी हिम्मत , हौसले से अपने आप को फिर से मजबूत किया है।

अपने मन में नई भावनाओं , नए उत्साह व नव ऊर्जा का संचार किया है। जीवन जीने के लिए एक नई आशा , एक नई उम्मीद अपने मन में जगाई है। अब मैं जोश और उत्साह से भरा हुआ हूँ । अब मैं हार नहीं मानूंगा। इसीलिए अभी मेरा अंत नहीं हो सकता।

काव्यांश

हरे-हरे ये पात,

डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।

मैं ही अपना स्वप्न मृदुल- कर

फेरूंगा निद्रित कलियों पर

जगा एक प्रत्यूष मनोहर।

भावार्थ

बसंत ऋतु के आगमन से सभी पेड़ों पौधों में सुंदर कोमल हरे-हरे पत्ते , डालियाँ , कलियां निकल आती हैं , जो प्रकृति के सौन्दर्य में चार चाँद लगा देती हैं। आपने देखा होगा कि हर नई सुबह जब सूर्योदय होता है और सूर्य की पहली किरण जब नन्हीं-नन्हीं नई जन्मी कलियों (जिन्हें कविता में कवि नींद में सोई हुई कलियों कहते हैं ) पर पडती हैं तो वो कलियां सूरज की रोशनी पाकर धीरे-धीरे खिल उठती है।

दूसरे अर्थ में उपरोक्त पंक्तियों में पत्ते , डालियाँ , कलियां से कवि का मतलब हमारे छोटे बच्चों व नवयुवकों से हैं। कवि कहते हैं कि आज की हमारी जो नई युवा पीढ़ी है , उनके जीवन में आज जो  सदविचार व संस्कार डाले जाएगे। वो जीवन पर्यंत उनके साथ रहेगें।

इसीलिए मैंने जो सुंदर सपने देखे हैं। उनके साथ मिलकर मैं उन सपनों को पूरा करूंगा और जरूरत पड़ी तो , सोई हुई उस नई पीढ़ी को जागृत करूंगा , उनके मन में नई आशा का संचार करुँगा। उनको पथभ्रष्ट होने से बचाऊँगा। उनको एक उद्देश्य देकर उनके जीवन में एक नया सुंदर सा सवेरा लाऊंगा।

काव्यांश

पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं।

अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं।

भावार्थ-

कवि कहते हैं कि इतना सुंदर सवेरा होने के बाद भी जो कलियों व फूल अभी भी सोये हुये है। मैं उनके आलस्य को दूर भागकर उनको नींद से जगा दूंगा।

कवि यहाँ पर “पुष्प-पुष्प” नई पीढ़ी को क़ह रहे है। ऐसे नवयुवा जिनके जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है। यानि सवेरा होने के बाद भी जो , एक तरह की नींद में है। मैं उन सब से उनकी नींदों को छीन लूंगा और उन सारे सोए हुए लोगों को जगा दूंगा । अर्थात कवि नवयुवाओं की हताशा व आलस्य को दूर भगा कर उनमें नये उत्साह का संचार करना चाहते है।

कवि कहते हैं कि मेरे मन में जो अमृत रूपी नए-नए विचार आये हैं। जिस नई भावना ने मेरे मन में अभी-अभी जन्म लिया हैं। उनसे ही प्रेरित होकर मैं उन्हें (नवयुवाओं) उनके जीवन का एक नया उद्देश्य दूंगा।

काव्यांश

द्वार दिखा दूंगा फिर उनको

हैं वे मेरे जहाँ अनंत

अभी न होगा मेरा अंत।

भावार्थ-

मेरे मन में आयी अच्छी-अच्छी भावनाएं से ही मैं उनको कुछ नया करने के लिए प्रेरित करूंगा। और उनका सारा आलस्य व उनके मन से निराशा व हताशा को दूर कर उनको सफलता का द्वार (दरवाजा ) दिखा दूँगा जिसमें चलकर वो अपने जीवन को सार्थक बना सकेंगे और अपने देश की उन्नति में भी सहयोग कर सकेंगे।

कवि कहते हैं कि इसीलिए अभी मेरा अंत नहीं होगा क्योंकि अभी – अभी तो मेरे जीवन में मधुर बसंत आया है। अभी-अभी तो मेरे मन में नई-नई भावनाओं ने जन्म लिया हैं और इन्हीं नई भावनाओं से मुझे अपनी आज की नई युवा पीढ़ी को नया रास्ता दिखाना हैं।

अपने नींद में सोये हुए युवाओं को जागृत करना हैं। उनके जीवन को एक उद्देश्य देना हैं। उनका पथ प्रदर्शन करना हैं यानि मुझे अभी बहुत सारे काम करने हैं। इसीलिए अभी मेरा अंत नहीं हो सकता हैं।


NCERT SOLUTIONS CLASS 8 CHAPTER 1 

कविता से  प्रश्न (पृष्ठ संख्या 2)

प्रश्न 1 कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?

उत्तर- कवि को ऐसा विश्वास इसलिए है, क्योंकि अभी उसके मन में नया जोश व उमंग है। अभी उसे काफ़ी नवीन कार्य करने है। वह युवा पीढ़ी को आलस्य की दशा से उबारना चाहते हैं।

प्रश्न 2 फलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?

उत्तर- फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि उन्हें कलियों की स्थिति से निकालकर खिले फूल बनाना चाहता है। कवि का मानना है, कि उसके जीवन में वसंत आया हुआ है। इसलिए वह कलियों को हाथों के वासंती स्पर्श से खिला देगा। वह फूलों की आँखों से आलस्य हटाकर उन्हें चुस्त व जागरूक करना चाहता है।

प्रश्न 3 कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने वेफ लिए क्या करना चाहता है?

उत्तर- कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए उन पर अपना हाथ फेरकर उन्हें जगाना चाहता है। वह उनको चुस्त, प्राणवान, आभावान व पुष्पित करना चाहता है। अतः कवि नींद में पड़े युवकों को प्रेरित करके उनमें नए उत्कर्ष के स्वप्न जगह देगा, उनका आलस्य दूर भगा देगा तथा उनमें नये उत्साह का संचार करना चाहता है।

कविता से आगे  प्रश्न (पृष्ठ संख्या 3)

प्रश्न 1 वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।

उत्तर- वसंत को ऋतुराज कहा जाता है क्योंकि यह सभी ऋतुओं का राजा है। इस ऋतु में प्रकृति पूरे यौवन होती है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है। मौसम सुहावना हो जाता है। इस समय पंचतत्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते हैं। पंचतत्व जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं। पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं। आम बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं। सरसों के पीले फूल ऋतुराज के आगमन की घोषणा करते हैं। खेतों में फूली हुई सरसों, पवन के झोंकों से हिलती, ऐसी दिखाई देती है, मानो, सामने सोने का सागर लहरा रहा हो। कोयल पंचम स्वर में गाती है और सभी को कुहू-कुहू की आवाज़ से मंत्रमुग्ध करती है। इस ऋतु में उसकी छठा देखते ही बनती है। इस ऋतु में कई प्रमुख त्यौहार मनाए जाते हैं, जैसे–वसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, होली आदि।

प्रश्न 2 वसंत ऋतु में आनेवाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।

उत्तर- वसंत ऋतु में कई त्यौहार मनाए जाते है, जैसे–वसंत-पंचमी, महा शिवरात्रि, होली आदि।

होली: हमारा देश भारत विश्व का अकेला एवं ऐसा अनूठा देश है, जहँ पूरे साल कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। रंगों का त्योहार होली हिंदुओं का प्रसि़द्ध त्योहार है, जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार रंग एवं उमंग का अनुपम त्योहार है जब वसंत अपने पूरे यौवन पर होता है। सर्दी को विदा देने और ग्रीष्म का स्वागत करने के लिए इसे मनाया जाता है। संस्कृत साहित्य में इस त्योहार को ‘मदनोत्सव’ के नाम से भी पुकारा जाता है। होली के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को अग्नि में जलाने के प्रयास में उसकी बुआ 'होलिका' अग्नि में जलकर स्वाहा हो गई थी। इसी घटना को याद कर प्रतिवर्ष होलिका दहन किया जाता है। दूसरे दिन फाग खेला जाता है। इस दिन छोटे-बड़े, अमीर-गरीब आदि का भेदभाव मिट जाता है। सब एक दूसरे पर रंग फेंकते हैं, गुलाल लगाते हैं और गले मिलते हैं। चारों ओर आनंद, मस्ती और उल्लास का समाँ बँध जाता है। ढोल पर थिरकते, मजीरों की ताल पर झूमते, नाचते-गाते लोग आपसी भेदभाव भुलाकर अपने शत्रु को भी गले लगा लेते हैं। परन्तु कुछ लोग अशोभनीय व्यवहार कर इस त्योहार की पवित्रता को नष्ट कर देते हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम होली का त्योहार उसके आदर्शो के अनुरूप मनाएँ तथा आपसी वैमनस्य, वैर-भाव, घृणा आदि को जलाकर एक-दूसरे पर गुलाल लगाकर आपस में प्रेम, एकता और सद्भाव बढ़ाने का प्रयास करें।

"होली के अवसर पर आओ एक दूजे पर गुलाल लगाएँ।

अपने सब भेदभाव भूलाकर, प्रेम और सद्भाव बढाएँ।।"

प्रश्न 3 "ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है"- इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।

उत्तर- ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसे गर्मी के जाते ही जाड़े आ जाते हैं और हमारे शरीर पर गर्म कपड़े बढ़ने लगते हैं।जो अपने आपको बहुत होशियार समझते हैं मौसम उन्हें अपना रंग दिखा कर अपनी ताकत भी दिखा देता हैं। जाड़ो के जाते-जाते शरीर पर धीरे-धीरे गर्म कपड़े कम होने लगते हैं।

अनुमान और कल्पना  प्रश्न (पृष्ठ संख्या 2-3)

प्रश्न 1 कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है।

फूटे हैं आमों में बौर

भौंर वन-वन टूटे हैं।

होली मची ठौर-ठौर

सभी बंधन छूट जाते हैं।

उत्तर- इस कविता में वसंत ऋतु का ही वर्णन है। यहाँ आम के बौर और होली के त्योहार का वर्णन है।

प्रश्न 2 स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता है। फूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?

उत्तर- हम फूलों-पौधों को अधिक संख्या में उगाएँगे, उनकी देखभाल करेंगे और समय-समय पर खाद, पानी की सिंचाई आदि की व्यवस्था करेंगे, फूल-पौधों को जंगली जानवर और बेकार तोड़ने वालों से बचाएँगे।

भाषा की बात  प्रश्न (पृष्ठ संख्या 3)

प्रश्न 1 ‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है। कविता के ‘हरे-हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एक वचन में हो और कर्म, या क्रिया या विशेषण बहुवचन में जैसे–वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा। कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है–"तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।" जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है। एक शब्द ‘बेर’ का दो अर्थों में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है। कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं, जैसे–मन का/ मनका।

ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो।

ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए– बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबह-सुबह, रातों-रात, घड़ी-घड़ी।

उत्तर-

·       बातों-बातों में– बातों-बातों में कब घर आ गया पता ही नहीं चला।

·       रह-रहकर– कल रात से रह-रहकर बारिश हो रही है।

·       लाल-लाल– लाल-लाल आँखों से पिताजी अमर को घूर रहें थे।

·       सुबह-सुबह– दादीजी सुबह-सुबह ही पूजा करने मंदिर निकल जाती हैं।

·       रातों-रात– ईश्वर की कृपा से रामन रातों-रात अमीर हो गया।

·       घड़ी-घड़ी– घड़ी-घड़ी शिक्षक उसे पढ़ाई में ध्यान लगाने के लिए टोकते रहते थे।

प्रश्न 2 ‘कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे-हरे ये पात’ विशेषण जिस संज्ञा (या सर्वनाम) की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं। ऊपर दिए गए वाक्यांशों में गात, वसंत और पात शब्द विशेष्य हैं, क्योंकि इनकी विशेषता (विशेषण) क्रमश: कोमल, मृदुल और हरे-हरे शब्दों से ज्ञात हो रही है।

हिंदी विशेषणों के सामान्यतया चार प्रकार माने गए हैं-गुणवाचक विशेषण, परिमाणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण और सार्वनामिक विशेषण।

उत्तर-

·       गुणवाचक विशेषण- अच्छा बंदर, सुन्दर कार।

·       परिमाणवाचक विशेषण- दो गज ज़मीन, चार किलो गेहूँ।

·       संख्यावाचक विशेषण- चार संतरे, प्रथम स्थान।

·       सार्वनामिक विशेषण- यह लाल फूल है, वह तेरी फ्राक है।


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