कामचोर - NCERT Solutions for class 8 chapter 10 ( PDF)

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NCERT Solutions for class 8 chapter 10 कामचोर | Kamchor class 8 chapter 10

सारांश

इस कहानी की लेखिका इस्मत चुगताई जी हैं। इस्मत चुगताई की कहानी “कामचोर” लगभग ऐसे हर घर की कहानी है जिसमें दो या दो से ज्यादा बच्चे व भी कामचोर होते हैं। यह कहानी लेखिका व उसके परिवार के अन्य बच्चों की कहानी है जो दिन भर या तो बैठकर आराम फरमाते रहते हैं या फिर मौज मस्ती और शरारत करने में अपना पूरा दिन निकाल देते थे। यहां तक कि वे खुद के कार्य भी अपने आप नहीं करते थे।

ऐसे में घर के बड़ों ने सोचा कि घर के सारे नौकरों को निकाल दिया जाए और इन निकम्मे बच्चों को घर के छोटे-बड़े कामों में हाथ बटाँना सिखाया जाए । सोच को हकीकत का रूप देने से असली कहानी की शुरूवात होती हैं। 

मां-बाप के बातों को सुनकर बच्चों ने सोचा कि हमें भी कुछ काम खुद करने चाहिए। सो बच्चों ने काम की शुरुवात अपने लिए पीने का पानी खुद लाने से की और फिर सभी बच्चे मटके और सुराहियों से पानी लेने दौड़ पड़े।

फिर क्या था पहले पानी लेने के चक्कर में धक्का-मुक्की शुरू हो गई। कोई किसी से डरने वाला नहीं था और कोई किसी की सुनने वाला भी नहीं था। सो वहीं पर फिर से लड़ाई झगड़ा शुरू हो गया। नतीजा सारे मटके , सुराहियों , पतीलियों इधर-उधर बिखर गई और बच्चे बुरी तरह से पानी से भीग गए।

लेखिका की मां ने फरमान सुनाया “जो काम नहीं करेगा। उसे रात का खाना नहीं दिया जाएगा”।  यह सुनते ही सभी बच्चे काम करने के लिए राजी हो गये। लेखिका की मां ने बच्चों को कई सारे काम बताए। जैसे गंदी दरी को साफ करना , आंगन में पड़े कूड़े को साफ करना , पेड़ पौधों में पानी देना आदि। साथ में लेखिका के पिता ने बच्चों को इनाम का लालच भी दिया।

बच्चों ने अपने काम की शुरुआत फर्श पर पड़ी दरी साफ करने से शुरू की। दरी की धूल साफ करने के लिए बच्चों ने उस पर लकड़ी के डंडों से मारना शुरू कर दिया जिसकी वजह से दरी की सारी धूल कमरे में फैल गई और बच्चों के नाक और आंखों में धुस गई जिसकी वजह से बच्चे खाँसते-खाँसते बेदम हो गए।

इसके बाद बच्चों ने दूसरा मोर्चा संभाला आंगन में झाड़ू लगाने का। कुछ बच्चों के दिमाग में यह बात आयी कि झाड़ू लगाने से पहले थोड़ा पानी डाल देना चाहिए। फिर क्या था दरी में डालकर पानी छिड़कने का कार्य शुरू हुआ। काम तो क्या होना था। लेकिन छीना झपटी की वजह से बच्चों ने झाड़ू के तिनके तिनके बिखेर दिए। पानी डालने की वजह से पूरा आंगन व बच्चे कीचड़ से सन गये।

खैर अगला काम था पेड़ – पौधों में पानी देना। सारे बच्चे घर की सारी बाल्टियों , लोटे , भगौने आदि लेकर पौधों में पानी डालने निकल पड़े। अब पानी भरने के लिए भी लड़ाई झगड़ा , धक्का-मुक्की शुरू हो गई। नतीजा सारे बच्चे कीचड़ से सन गये। बच्चों को काबू करने के लिए सभी बड़ों को ( भाइयों , मामा-मामी , मौसी आदि ) को बुला लिया गया। फिर पड़ोस के बंगलों से नौकर बुला कर चार आना प्रति बच्चे के हिसाब से , हर बच्चे को नहलाया गया।

बच्चे यह मान चुके थे कि उनसे सफाई और पौधों में पानी देने का काम नहीं हो सकता है। इसलिए अब वो मुर्गियों को उनके दबड़े (मुर्गी घर) में बंद करने का कार्य करेंगे। फिर क्या था सभी बच्चे मुर्गियों को पकड़ने लगे जिस वजह से मुर्गियों डर के मारे इधर उधर भागने लगी। डर से भागती  मुर्गियों ने घर की रसोई से लेकर पूरे आंगन में खूब उत्पात मचाया। लेकिन उन बच्चों से एक भी मुर्गी दबड़े में नहीं गई।

अचानक कुछ बच्चों का ध्यान घर आती हुई भेड़ों के ऊपर चला गया। उन्होंने सोचा कि क्यों न भेड़ों को ही खाना खिला दिया जाए। जैसे ही उन्होंने अनाज के दाने भेड़ों के आगे रखे तो , सारी भूखी भेड़ें अनाज पर टूट पड़ी और कुछ भेड़ों ने रसोई में रखी सब्जियों , मटर और अन्य चीजों को भी खाना शुरु कर दिया जिस वजह से पूरे घर में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। बड़ी मुश्किल से भेड़ों पर काबू पाया गया। 

इतना सब काम करने के बाद भी बच्चे कहां मानने वाले थे। उन्होंने फिर से काम करने की सोची और भैसों का दूध दोहने में जुट गए। भैंस इतने सारे बच्चों को वहां देख कर डर गई और उसने चारों पैरों में उछलकर दूसरी तरफ छलांग लगा दी।

बच्चों ने सोचा कि क्यों न भैंस के पैर बाँधकर दूध निकाला जाय और बच्चों ने भैंस के अगले दो पैर चाचाजी की चारपाई से बांध दिए। भैंस डर के मारे इधर-उधर भागने लगी और साथ में चाचा जी की चारपाई भी धसीट कर अपने साथ ले गई।

अब भैंस जहां-जहां जाती। चाचाजी भी चारपाई सहित वहाँ वहाँ जाते। इतने में कुछ बच्चों ने भैंस का बछड़ा भी खोल दिया । बछड़े के चिल्लाने से भैंस रुक गई और बछड़ा तत्काल दूध पीने में लग गया।

इतना सब होने के बाद लेखिका की माँ इतना परेशान हो गई कि उन्होंने मायके जाने की धमकी दे डाली। तब पिताजी ने सबको बुलाया और आदेश दिया कि अब से कोई किसी भी काम पर हाथ नहीं लगाएगा।

अगर कोई किसी काम पर हाथ लगायेगा , तो उसे रात का खाना नहीं दिया जाएगा। यानि कहानी जहां से शुरू हुई थी वहीं पर आकर खत्म हो गई। निकम्मे बच्चे जो पहले भी कोई काम नहीं करते थे। आज के बाद भी नहीं करेंगे। 


 

HINDI NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 8

पाठ से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 60)

प्रश्न 1 कहानी में 'मोटे-मोटे किस काम के हैं?' किन के बारे में और क्यों कहा गया?

उत्तर- कहानी में 'मोटे-मोटे किस काम के हैं उन भारारती बच्चों के लिए कहा गया है जो न तो खुद काम करते हैं बस दिन भर बैठे रहते हैं तथा हिल कर पानी भी नहीं पीते हैं।

प्रश्न 2 बच्चों के उधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा हुई?

उत्तर- बच्चों उधम मचाने से सारा घर अस्त-व्यस्त हो गया मटके सुराही टूट गए। झाडू लगाने से घर में धूल छा गई, पानी डालने से कीचड़ हो गया। चारों तरफ सामान फैल गया मुर्गियाँ और भेड़ें इधर-उधर भागने लगीं।

प्रश्न 3 "या तो बच्चाराज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।" अम्मा ने कब कहा? और इसका परिणाम क्या हुआ?

उत्तर- बच्चों के घर का काम करने से सारा घर अस्त-व्यस्त हो गया मटके सुराही टूट गए। झाडू लगाने से घर में धूल छा गई, पानी डालने से कीचड़ हो गया ।चारों तरफ सामान फैल गया मुर्गियाँ और भेड़ें घर में घुस गईं। इतना सब देखकर उनकी मॉ परेशान हो गई। और उन्होने कहा कि या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो। जिसे देखकर पिताजी ने बच्चों को धर की किसी भी वस्तु को न छूने की हिदायत दे दी और सजा का फरमान सुना दिया।

प्रश्न 4 'कामचोर' कहानी क्या संदेश देती है?

उत्तर- कामचोर कहानी यही संदेश देती है कि बच्चों से उनकी उम्र और रुचि के अनुसार कार्य करवाना चाहिए जिससे कि वे खेल-खेल में काम भी कर दें और कुछ नया सीख भी जाएं।

प्रश्न 5 क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर पानी भी नहीं पिएँगे।

उत्तर- बच्चों के द्वारा काम न करने का निर्णय पूर्णतः अनुचित था। बच्चों को अपने खाली समय का सदुपयोग करना चाहिए उन्हें घर के काम में हाथ बंटाना चाहिए बड़ों का मार्गदर्शन लेना चाहिए, कुछ न समझ में आने पर बड़ों से पूछना चाहिए।

कहानी से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 60)

प्रश्न 1 घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक क्यों है?

उत्तर- ऐसा करने से मन और शरीर दानों ही स्वस्थ रहते हैं।

प्रश्न 2 भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? कामचोर कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए।

उत्तर- सब मिलजुल कर अपनी क्षमता के अनुरूप काम करें तो घर में खुशहाली बनी रहती है यदि एक व्यक्ति पर ही सारा काम डाल दिया जाए और बाकी लोग केवल बातें करें और घर को गंदा करें तो घर का माहौल दुखद हो सकता है।

प्रश्न 3 बड़े होते बच्चे किस प्रकार माता-पिता के सहयोगी हो सकते हैं और किस प्रकार भार? कामचोर कहानी के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर- बड़े होते बच्चे यदि अपने घर में अपने माता-चिता के साथ मिलकर काम करें। अपने आप ही तैयार हो जाएं, अपनी वस्तुओं को जगह पर रखें घर में गंदगी न फैलाएं सामान को उसके स्थान पर ही रखें तो वे अपने माता-पिता के सहयोगी बन सकते हैं।

प्रश्न 4 'कामचोर' कहानी एकल परिवार की कहानी है या संयुक्त परिवार की? इन दोनों तरह के परिवारों में क्या-क्या अंतर होते हैं?

उत्तर- कामचोर कहानी एक संयुक्त परिवार की कहानी है। एकल परिवार में केवल माल-पिता और बच्चे ही होते हैं जिसके कारण किसी का सहयोग नहीं मिलता। इसके विचरीत संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा-चाची और अन्य सभी होते हैं जिसे कारण काम का पता नहीं चलता सब एक दूसरे सुख-दुख के साथी होते हैं।

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 60-61)

प्रश्न 1 घरेलू नौकरों को हटाने की बात किन-किन परिस्थितियों में उठ सकती है? विचार कीजिए।

उत्तर- घरेलू नौकरों को हटाने की बात तब उठ सकती है जब या तो उन्होंने कोई गलत कदम उठाया हो या घर के सारे लोग स्वयं ही काम करने के लिए तैयार हो गए हों।

प्रश्न 2 कहानी में एक समृद्ध परिवार के ऊधमी बच्चों का चित्रण है। आपके अनुमान से उनकी आदत क्यों बिगड़ी होंगी? उन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए आप क्या-क्या सुझाव देना चाहेंगे?

उत्तर- बच्चों की आदतें बिगड़ने का मुख्य कारण उनके घर में नौकरों के द्वारा काम करना और जगह पर ही हर चीज का मिल जाना तथा उनसे कोई भी काम न कराना रहा है। उनको ठीक ठंग से रहने के लिए घर वालों द्वारा अपना काम खुद करने की आदत डलवानी चाहिए।

प्रश्न 3 किसी सफल व्यक्ति की जीवनी से उसके विद्यार्थी जीवन की दिनचर्या के बारे में पढ़ें और सुव्यवस्थित कार्यशैली पर एक लेख लिखें।

उत्तर- यह कार्य बच्चे अपनी रुचि के अनुसार किसी सफल व्यक्ति की जीवनी पढ़कर स्वयं संपादित करेंगे।

भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 61)

प्रश्न 1 ‘धुली-बेधुली बालटी लेकर आठ हाथ चार थनों पर पिल पड़े।’ धुली शब्द से पहले ‘बे’ लगाकर बेधुली बना है। जिसका अर्थ है ‘बिना धुली’ ‘बे’ एक उपसर्ग है। ‘बे’ उपसर्ग से बनने वाले कुछ और शब्द हैंबेतुका, बेईमान, बेघर, बेचैन, बेहोश आदि। आप भी नीचे लिखे उपसर्गों से बनने वाले शब्द खोजिए

1. प्र ………………………..

2. आ ………………………..

3. भर ………………………..

4. बद। ………………………..

उत्तर-

उपसर्ग उपसर्गयुक्त शब्द।

प्र प्रवचन, प्रवीण, प्रयोग, प्रदीप, प्रभाव, प्रचार, प्रचलन, प्रस्थान आदि।

आ आगत, आमरण, आजन्म, आजीवन, आदान, आयात आदि।

भर भरपूर, भरपेट, भरसक, भरपाई आदि।

बद बदनाम, बदसूरत, बदकिस्मत, बदतमीज, बदतर, बदरंग, बदचलन आदि।

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