जहाँ पहिया है NCERT Solutions for class 8 Hindi chapter 13

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 NCERT Solutions for class 8  Hindi chapter 13 जहाँ पहिया है from Vasant  | Jahan Pahiya Hai Class 8

जहाँ पहिया है chapter summary


इस पाठ में लेखक साईनाथ जी ने तमिलनाडु के एक जिले पुडुकोट्टई में रिपोर्टिंग की। पुडुकोट्टई भारत के सर्वार्धक गरीब जिलों में से एक है। जहां की महिलाओं ने साइकिल चलाना सीखकर वर्षों से चली आ रही रूढ़िवादी परम्पराओं व घुटन भरी जिंदगी से आजादी पाई।

लेखक पाठ के शुरुवात में एक प्रश्न करते हैं कि “क्या साइकिल चलाना एक सामाजिक आंदोलन हो सकता है “?

फिर वो खुद ही अपने प्रश्न का जवाब देते हुए कहते हैं कि यह कोई अजीब सी बात नहीं है। पुडुकोट्टई ज़िले की हज़ारों नवसाक्षर (नयी पढ़ी लिखी) ग्रामीण महिलाओं के लिए अब यह आम बात हो गयी है। अब वहाँ हर जगह और हर वक्त , जहाँ देखो महिलायें साइकिल चलाती हुई नजर आ जाती हैं। वह भी पूरे आत्मविश्वास के साथ और आत्मनिर्भर होकर ।

लेखक कहते हैं कि लोग अपने विरोध को जताने के लिए अपने आत्मसम्मान को बनाए रखने के लिए तथा सदियों पुरानी दकियानूसी सोच को दूर करने के लिए कोई-न-कोई तरीका निकाल ही लेते हैं। और पुडुकोट्टई जिले की ग्रामीण महिलाओं ने अपनी आजादी की लड़ाई और अपने आत्मनिर्भरता के आंदोलन के लिए साइकिल को प्रतीक चिन्ह बनाया। और साइकिल चलाना सीख कर उन्होंने अपने जीवन की सूरत ही बदल दी।

इस साइकिल आंदोलन में अधिकतर महिलाएं और स्कूल या कॉलज से अभी नई-नई पढ़कर आयी लड़कियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। यानि गाँव की एक-चौथाई महिलाओं ने साइकिल चलाना सीख लिया।

लेखक कहते हैं कि साइकिल चलाना सीखने के बाद लगभग सत्तर हज़ार से भी अधिक महिलाओं ने “प्रदर्शन एवं प्रतियोगिता” जैसे एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लेकर अपने इस नए कौशल का शानदार प्रदर्शन किया। जो उनके लिए बड़े गर्व व हिम्मत की बात थी। और इससे भी अच्छी बात यह हैं कि अभी भी वहां पर साइकिल चलाने के लिए कई “प्रशिक्षण शिविर” चलाये जा रहे हैं।

लेखक को रूढ़िवादी पृष्ठभूमि की कुछ युवा मुस्लिम लड़कियाँ सड़कों से अपनी साइकिलों पर जाती हुई दिखाई देती हैं। उनमें से एक लड़की जमीला बीवी से जब लेखक ने साइकिल चलाने से संबंधित प्रश्न किया। तो जमीला ने जवाब दिया कि यह उसका अधिकार है। अब वह अपनी साईकिल से कहीं भी , कभी भी आ – जा सकती हैं। अब उसे बस का इंतजार नहीं करना पड़ता हैं।

एक अन्य लड़की फातिमा बीवी ने लेखक को बताया कि जब उन्होंने साइकिल चलाना शुरू की तो लोग उन्हें ताने मारते थे। भला बुरा कहते थे। लेकिन उन्होंने कभी भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। फातिमा एक माध्यमिक स्कूल में पढ़ाती हैं और आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वो हर रोज शाम को आधे घंटे के लिए साइकिल किराए पर लेकर चलाती हैं ।

फातिमा साइकिल चलाने को अपनी आज़ादी से जोड़ती है। और वह कहती हैं कि अब हमें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। फातिमा , जमीला और अवकन्नी जिनकी उम्र 20 वर्ष के आसपास है उन्होंने अपने समुदाय की अनेक युवतियों को साइकिल चलाना सिखाया।

इनके अलावा इस ज़िले में खेतिहर मजदूर , पत्थर खदानों में मज़दूरी करने वाली औरतें और गाँवों में काम करने वाली नर्सें , बालवाड़ी और आँगनवाड़ी कार्यकर्ता , बेशकीमती पत्थरों को तराशने में लगी औरतें और स्कूल की अध्यापिकाएँ भी साइकिल चला रही हैं।

साइकिल आंदोलन से जुडी एक महिला का कहना था कि इस आंदोलन ने महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाया और उनके आत्मनिर्भर होने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।अब वो लंबी दूरी की यात्रायें भी आराम से कर सकती हैं। अपने बच्चों को साथ में रख कर अपने काम में जा सकती हैं। अपना सामान खुद ढो सकती है

लेकिन इस आंदोलन को शुरू करना महिलाओं के लिए इतना आसान नहीं था। शुरू में महिलाओं को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। ताने सहने पड़े। लेकिन धीरे-धीरे इस आंदोलन को लोगों ने स्वीकार करना शुरू किया। अब किलाकुरुचि गाँव में सभी महिलाएँ रविवार को इकट्ठी होकर साइकिल चलाना सीखती हैं ।

साइकिल सीख चुकी महिलाएँ नयी-नयी साइकिल सीखने वाली महिलाओं को सीखने में सहयोग करती हैं। और ये नई नई साइकिल चालक महिलाएँ “ओ बहिना , आ सीखें साइकिल , घूमें समय के पहिए संग…” गाना गाते हुए साइकिल चलाती हैं।

1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन 1500 महिलाओं ने अपने साइकिल के हैंडल पर झंडियाँ लगायी और साइकिल की घंटियाँ बज़ाते हुए पुडुकोट्टई जिले की सड़कों में एक साथ साइकिल चला कर एक नया इतिहास रचा।

जब लेखक ने इस संदर्भ में पुरुषों की राय जाननी चाही तो उन्हें मिली-जुली राय मिली। लेकिन एक स्थानीय साइकिल विक्रेता “आर-साइकिल्स” ने महिलाओं के साइकिल चलाने पर बहुत ही चालकी से अपना पक्ष रखा।

लेखक कहते हैं कि आर-साइकिल्स के मालिक के महिलाओं के साइकिल चलाने के पक्ष में होने के दो कारण हो सकते हैं।एक तो महिलाओं के साइकिल चलाने की वजह से उनकी साइकिल की बिक्री में बहुत बढ़ोतरी हुई हैं । महिलाओं की साइकिल उपलब्ध नहीं होने पर महिलाएं , पुरुषों की साइकिल भी खरीदने लगी थी। दूसरा वह लेखक को इनकम टैक्स विभाग का आदमी समझकर सावधानी से बोल रहे थे।

लेखक महिलाओं के साइकिल चलाने के कई सारे फायदे भी बताते हैं। वो कहते हैं कि साइकिल चलाने से महिलाओं की आर्थिक स्थिति में भी काफी अंतर आया है। जो महिलाएं कृषि से संबंधित उत्पादों को स्थानीय बाजारों में ले जाकर बेचती थी। अब उन्हें बस का इंतजार नहीं करना पड़ता है।

वो बहुत कम समय में अपने घर से बाजार पहुंच जाती हैं। और अधिक से अधिक समय अपने उत्पादों को बेचने में लगाती हैं जिससे उन्हें ज्यादा फायदा होता है। बाजार जाने और आने वाले समय की भी बचत होती है। वो अपने उत्पादों को न सिर्फ बाजार बल्कि कई गांवों में घूम कर भी बेचती हैं। अब उन्हें अपने घरेलू काम तथा बच्चों की देखभाल के लिए पर्याप्त समय मिलता है।

उनकी अपने पिता , भाइयों या अन्य पुरुषों पर निर्भरता खत्म हुई है। लेखक कहते हैं कि सच में साइकिल के पहिए ने महिलाओं की आजादी का रास्ता खोल दिया। अब वो निश्चिंत होकर कभी भी , कहीं भी आ जा सकती हैं। लेखक को कभी ऐसा लगा ही नहीं कि एक साइकिल , आजादी का कारण बन सकती हैं। और उनके जीवन में आत्मसम्मान व खुशहाली लौटा सकती हैं । 

लेकिन पुडुकोट्टई की महिलाओं ने यह सब कर दिखाया। उनके इस आंदोलन में  , सिर्फ एक महिला ने नहीं , बल्कि समाज की सभी महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी आजादी और आत्मनिर्भरता को पाया। वहां की महिलायें खुद कहती हैं कि यह उनके लिए हवाई जहाज उड़ाने जैसी बड़ी उपलब्धि है। अब वो हर दिन नए उत्साह व आत्मविश्वास के साथ अपने कदम आगे बढ़ा रही हैं। 


 

NCERT SOLUTIONS

जंजीरे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 79-80)

प्रश्न 1 " ...... उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं ......"

आपके विचार से लेखक 'जंजीरों द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?

उत्तर- जंजीरों के द्वारा लेखक समाज की उस व्यवस्था की ओर इशारा कर रहा है। जिसमें स्त्रियों के प्रति उदासीनता और रूढ़ियाँ हैं जिनके कारण स्त्री को समाज में किसी प्रकार का कोई स्वतंत्रता नहीं है।

प्रश्न 2 क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

उत्तर- हॉ हम लेखक की इस बात से पूर्णतः सहमत हैं जिसमें स्त्रियों को दूसरे दर्जे का और केवल घर की चारदीवारी के अन्दर तक माना गया है। जिसमें वह किसी भी प्रकार का निर्णय लेने में स्वतंत्र नहीं हैं। उसके द्वारा उठाया गया किसी भी प्रकार का कदम साज में कील की तरह चुभता है। और घर के अन्दर घुटने वाली स्त्रियाँ कभी न कभी कोई कान्तिकारी कदम उठाती ही है जैसा कि वर्तमान पाठ में हुआ है।

पहिया प्रश्न (पृष्ठ संख्या 80)

प्रश्न 1 'साइकिल आंदोलन' से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?

उत्तर-

·       महिलाओं में जागरूकता आई।

·       वे आत्मनिर्भर हो गईं।

·       अपने अधिकारों के प्रति उनमें सजगता आई।

·       वे नवाक्षर हुईं उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया।

·       पुरुषों पर निर्भरता में भी कमी आई।

·       आजादी की नई भावना का जन्म हुआ।

प्रश्न 2 शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?

उत्तर- साइकिल आंदालन से पुरुषों के द्वारा बनाई गई रुढ़िवादी परंपरा का टूटना स्वाभाविक था इसलिए उन्होंने आंदोलन का विरोध किया। आर साइकिल्स के मालिक लेडीज़ साइकिल के डीलर थे। आंदोलन से उनको ही फायदा होने वाला था इसलिए उन्होंने आंदोलन का समर्थन किया।

प्रश्न 3 प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?

उत्तर- इस आंदोलन की मुखिया फातिमा मुस्लिम परिवार से थी उनके यहाँ महिलाओं को बहुत ही ज्यादा बंधन में रहना पड़ता है। साइकिल चलाने पर उन्हें गंदी-गंदी टिप्पणियों से गुजरना पड़ा। उनके साहस को तोड़ने का भरसक प्रयास किया गया। उन्हें कोई साइकिल चलानी सिखाने वाला भी नहीं मिला। इसलिए उन्होंने खुद ही साइकिल सीखने का निश्चय किया और इसमें सफल भी हुई।

शीर्षक की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 80)

प्रश्न 1 आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम 'जहाँ पहिया है' क्यों रखा होगा?

उत्तर- लेखक ने समय के घूमते चक्र के आधार पर ही इस पाठ का नाम जहाँ पहिया है रखा होगा।

प्रश्न 2 अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर- मेरे विचार से इस पाठ का अन्य शीर्षक पहिये की क्रांति भी हो सकता है जो एक साइकिल आंदोलन के रूप में शुरू हुआ ओर समाज में बदलाव की नींव रख दी।

समझने की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 80)

प्रश्न 1 "लोगों के लिए यह समझना बड़ा कठिन है कि ग्रामीण औरतों के लिए यह कितनी बड़ी चीज है। उनके लिए तो यह हवाई जहाज उड़ाने जैसी बड़ी उपलब्धि है।"

साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? समूह बनाकर चर्चा कीजिए।

उत्तर- शहरों में यातायात के जहाँ अनेक साधन होते हैं, वही महिलाओं की दिनचर्या तथा उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता ग्रामीण महिलाओं से बिल्कुल अलग होती है। ग्रामीण महिलाएँ पुरुष प्रधान समाज में उन्हीं के बनाए नियमों में बँधकर घिसी-पिटी जिंदगी जीने को विवश होती हैं। अब ऐसे में साइकिल चलाते हुए उन्हें बाहर निकलने, आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाने तथा व्यक्ति गत स्वतंत्रता में वृद्धि हो जाना उनके लिए हवाई जहाज उड़ाने से कम नहीं होगा। सचमुच यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। छात्र इस विषय पर स्वयं चर्चा करें।

प्रश्न 2 पुडुकोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे में इस तरह सोचा ही नहीं था। साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?

उत्तर- साइकिल एक विनम्र और सेहतमंद सवारी है जिससे पूरा शरीर स्वस्थ रहता है। वह सवारी इतनी बड़ी कॉति ला सकती हैं लेखक ने इसके बारे में कभी सोचा भी नहीं था।

साइकिल प्रश्न (पृष्ठ संख्या 80-81)

प्रश्न 1 फातिमा ने कहा, ....."मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आजादी और खुशहाली का अनुभव कर सकॅू साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोई की महिलाओं को 'आजादी' का अनुभव क्यों होता होगा?"

उत्तर- फातिमा के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह साइकिल खरीद सकती इसलिए उसने किराए पर पर साइकिल ली और अपनी स्वतंत्रता का अनुभव किया। उसके इस कार्य से वहाँ की अन्य महिलाओं को भी बल मिला और उन्हें भी आजादी का अनुभव हुआ।

कल्पना से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 81)

प्रश्न 1 पुडुकोट्टई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न क्या बनाती और क्यों?

उत्तर- पुडुकोट्टई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न साइकिल ही बनाती क्योंकि उसके द्वारा ही वहाँ के जीवन में बदलाव आया था।

प्रश्न 2 अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो क्या होगा?

उत्तर- अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो दुनिया का विकास का पहिया भी रुक जाएगा।

प्रश्न 3 "1992 में अंतर्राष्टीय महिला दिवस के बाद अब यह जिला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता। इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।"

उत्तर- इस कथन का यह अभिप्राय है कि अब यहाँ के लोग जागरूक हो चुके हैं। महिलाएं भी जागरूक हो गई हैं अब उन्हें आसानी से बहकाया नहीं जा सकता।

प्रश्न 4 मान लीजिए आप एक संवाददाता हैं। आपको 8 मार्च 1992 के दिन पुडुकोई में हुई घटना का समाचार तैयार करना है। पाठ में दी गई सूचनाओं और अपनी कल्पना के आधार पर एक समाचार तैयार कीजिए।

उत्तर- 8 मार्च 1992 पुडुकोट्टई जिले के लिए एक सुनहरी तारीख है।भारत के सर्वाधिक गरीब जिलों में से एक है पुडुकोट्टई। पिछले दिनों यहां की ग्रामीण महिलाओं ने अपनी स्वाधिनता और गतिशीलता को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतीक के रूप में साईकल को चूना है। उनमें से ज्यादातर नवसाक्षर थीं। उनके द्वारा छेड़े गए 'साईकल आंदोलन' उनके लिए सफलता सिद्ध हुए। हैंडल पर जंडियाँ लगाये, घंटी बजाते हुए साईकल पर सवार 1500 महिलाओं ने पुडुकोट्टई में तूफान ला दिया। महिलाओं की साईकल चलाने की इस तैयारी ने यहाँ रहनेवालों को हक्का-बक्का कर दिया है। जो पुरुष इसका विरोध करते हैं, वे जाएं और टहलें क्योंकि यहाँ की महिलाओं के साईकल के प्रति बढ़ते उत्साह को देखकर यह प्रतीत होता है कि जब साईकल चलाने की बात आती है, वे महिलाओं की बराबरी कर ही नहीं सकते।

प्रश्न 5 अगले पृष्ठ पर दी गयी 'पिता के बाद' कविता पढ़िए । क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।

उत्तर- जैसे कविता में लड़की को पिता ने अपने वारिस के रूप में देखा हें और उसके द्वारा लडकों के जैसे काम करने के बारे में बताया गया है। ठीक वैसे ही समाज में मर्दो की सवारी साइकिल पर अब महिलाओं का अधिकार हो गया है। वे भी अब पुरुषों की तरह आत्मनिर्भर बन गई 

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