Printable NCERT Solutions for class 8 Hindi Chapter 18 टोपी

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टोपी Ncert solutions for class 8 Hindi Chapter 18 | Topi class 8 chapter 18 solutions

सारांश

इस खूबसूरत कहानी की शुरुआत होती है एक गौरैया (Sparrow) के जोड़े की बातचीत से। दोनों (नर (Male)  व मादा (Female) गौरैया) एक दूसरे के साथी थे और दोनों में बहुत प्रेम भी था। वो दोनों जहाँ जाते , साथ जाते , साथ खाते-पीते , हँसते , रोते और खूब बातें करते। दोनों अपने सारे काम साथ-साथ करते थे और बहुत खुश रहते थे।

एक बार मादा गौरैया ने किसी मनुष्य को कपड़े पहने देखा। तो उसने नर गौरैया ने कहा कि मनुष्य वस्त्रों में कितना सुंदर लगता हैं। तब नर गौरैया ने मादा गौरैया को समझाते हुए कहा कि वस्त्र मनुष्य को सुंदर नहीं बनाते बल्कि वो तो उसका वास्तविक सौंदर्य ढक देते है।और हमें वस्त्रों की कोई आवश्यकता नहीं। हम तो ऐसे ही बहुत सुंदर दिखते हैं।

इस पर मादा गौरैया कहती है कि मनुष्य केवल अपने आप को सुन्दर दिखाने के लिए ही कपड़े नहीं पहनता बल्कि गर्मी , सर्दी , बरसात जैसे मौसमों की मार से खुद को बचाने के लिए भी मनुष्य कपड़े पहनता है।

तब नर गौरैया, मादा गौरैया को समझाते हुए कहता है कि असली टोपी तो आदमियों का राजा पहनता है। वैसे इस टेापी की इज्जत को बचाये रखने में कितने ही लोगों का दिवाला निकल जाता है। और मनुष्य अपनी इज्जत को बचाने या अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए ना जाने कितने ही लोगों को टोपी पहनाता (बेवकूफ बनाता) है।

मगर मादा गौरैया को टोपी पहनने का शौक चढ़ गया। और उसने अपने लिए एक सुंदर सी टोपी बनाने की ठान ली और इस दिशा में उसने अपना प्रयास भी शुरू कर दिया।

अगले दिन सुबह-सुबह रोज की तरह नर गौरैया और मादा गौरैया दाना चुगने एक कूड़े के ढेर के पास गए । दाना चुगते-चुगते अचानक मादा गौरैया को रुई का एक टुकड़ा मिल गया। रुई का टुकड़ा देखकर मादा गौरैया ख़ुशी से कूड़े के ढेर पर लोटने लगी। 

अब यहां से शुरू होता है छोटी सी गौरैया का उस रुई से खूबसूरत सी टोपी बनाने तक का सफर।

सबसे पहले गौरैया उस रुई को धुनिया के पास ले जाकर धुनवाने की कोशिश करती है। लेकिन धुनिया उसका काम मुफ्त में करने से मना कर देता है। लेकिन जब वह उसको , उसकी मेहनत का पूरा हिसाब यानी उस रुई में से आधी रुई देने की बात करती है तो , धुनिया खुशी खुशी उसकी रूई धुन देता है।

फिर गौरैया उस धुनी हुई रुई का सूत कतवाने के लिए कोरी के पास ले जाती है। और उसे भी आधा सूत मेहनताने के रूप में दे देती है। उसके बाद गौरैया धागे से कपड़ा बनवाने के लिए बुनकर के पास पहुंचती है। और बुनकर को भी कपड़े का आधा हिस्सा मेहनताने के रूप में दे कर धागे से कपड़ा बनवा लेती है।

उसे बाद गौरैया उस कपड़े से टोपी बनाने के लिए दर्जी के पास पहुंचती है। उसे भी उसकी मजदूरी के रूप में आधा कपड़ा दे देती हैं। दर्जी ने खुश हो कर न सिर्फ उसकी टोपी बनाई  , साथ में उसमें पाँच ऊन के फूल भी लगा दिए। गौरैया की टोपी अब बहुत सुन्दर लग रही थी। अब तो नर गौरैया को भी कहना ही पड़ा कि तुम टोपी पहन कर बिल्कुल रानी लग रही हो।

उस टोपी को पहनने के बाद गौरैया के मन में राजा से मिलने की इच्छा हुई। और वह टोपी पहन कर राजा के महल में पहुँची। उस समय राजा छत पर मालिश करवा रहा था। गौरैया ने राजा का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया।जिससे राजा को क्रोध आ गया। और उसने अपने सैनिकों को गौरैया को मारने का आदेश दे दिया। सैनिकों ने गौरैया को मारा तो नहीं , मगर उसकी टोपी छीन ली।

राजा ने जब उसकी सुन्दर टोपी को देखा तो वह हैरान रह गया। उसने गौरैया से पूछा कि इतनी सुन्दर टोपी किसने बनाई। गौरैया ने बताया कि टोपी दर्जी ने बनाई हैं। तब राजा ने दर्ज़ी को बुलवाया और उससे टोपी के सुंदर होने का कारण पूछा । दर्जी ने राजा को बताया कि टोपी सुन्दर इसलिए बनी क्योंकि कपड़ा बहुत अच्छा था।

फिर राजा ने पूछा कि कपड़ा किसने बनाया। गौरैया ने बताया की बुनकर ने। इसके बाद बुनकर  , कोरी व धुनिया को राजा ने अपने दरवार में बुलाया।

सभी ने राजा को बताया कि गौरैया ने सभी को उनकी मेहनत की पूरी मजदूरी दी थी। इसलिए उन्होंने भी गौरैया का काम ईमानदारी से किया।

उधर अपनी टोपी को छीनती देख , गौरैया जोर जोर से चिल्लाने लगी कि “उसने हर व्यक्ति को उसकी मेहनत की पूरी कीमत चुकायी है। राजा कंगाल है। वह प्रजा को बहुत सताता है। उनसे मनमाना कर वसूलता है। अब उसने मेरी टोपी भी छीन ली है। खुद पूरा मेहनताना देकर अच्छी टोपी नहीं बनवा सकता है।

अब राजा को लगने लगता हैं कि गौरैया कहीं उसकी सारी पोल ना खोल दे। यह सोचकर राजा ने गौरैया की टोपी वापस कर दी। गौरैया ने टोपी पहनी और उड़ते हुए जोर-जोर से “राजा डरपोक हैं। इसीलिए उसने टोपी लौटा दी” कहती हुई वहां से चली गई।


 

NCERT SOLUTIONS

Topi class 8 questions answers

कहानी से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 127)

प्रश्न 1 गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?

उत्तर- गवरइया और गवरा के बीच आदमी के कपड़ों को लेकर बहस हुई गवरइया बोली आदमी को देखते हो? कैसे रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं! कितना फबता है उन पर कपड़ा! गवरा तपाक से बोला, खाक फबता है! कपडा पहन लेने के बाद तो आदमी और बदसूरत लगने लगता है। कपड़े पहन लेने के बाद आदमी की कुदरती खूबसूरती बँक जो जाती है। अब तू ही सोच! अभी तो तेरी सुघड़ काया का एक-एक कटाव मेरे सामने है, रोवें–रोंवें की रंगत मेरी आँखों में चमक रही है। अब अगर तू मानुस की तरह खुद को सरापा ढंक ले तो तेरी सारी खूबसूरती ओझल हो जाएगी कि नहीं ? गवरइया बोली, आदमी कपड़े केवल अच्छा लगने के लिए नहीं, मौसम की मार से बचने के लिए भी पहनता है।

प्रश्न 2 गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें।

उत्तर-

§  गवरइया– आदमी को देखते हो? कैसे रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं।

§  गवरा– कपड़ा पहन लेने के बाद तो आदमी और बदसूरत लगने लगता है।

§  गवरइया– लगता है आज लटजीरा चुग गए हो?

§  गवरा– कपड़े पहन लेने के बाद आदमी की कुदरती खूबसूरती ढंक जाती है।

§  गवरइया– आदमी कपड़े केवल अच्छा लगने के लिए नहीं, मौसम की मार से बचने के लिए भी पहनता है।

§  गवरा– तू समझती नहीं कपड़ा पहनते ही पहननेवाले की औकात पता चल जाती है।

§  गवरइया– मेरा मन टोपी पहनने का करता है।

§  गवरा– टोपी तू कहाँ से पाएगी?

प्रश्न 3 टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस किस के पास गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें।

उत्तर- गवरइया टोपी बनवाने के लिए सबसे पहले धुनिया के पास गई उससे रुई धुनवाई उसके बाद कोरी के पास गई उससे सत कतवाया, उसके बाद वह बुनकर के पास गई उससे कपड़ा बनवाया। कपड़ा बनने के बाद वह दर्जी के पास गई उसने उस कपड़े से उसके लिए दो सुन्दर टोपियाँ सिल दीं। दर्जी ने एक टोपी अपने पास रखकर एक टोपी गवरइयो को दे दी।

प्रश्न 4 गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फॅदने क्यों जड़ दिए?

उत्तर- दर्जी से राजा और उसके सेवक बेगार में कपड़े सिलवाते थे। लेकिन गवरइया ने दर्जी को सिलाई के रूप में अपना आधा कपड़ा दे दिया था इसी से खुश होकर दर्जी ने उसकी टोपी में पॉच फॅदने जड़ दिए।

कहानी से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 128)

प्रश्न 1 किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी? ज्ञात कीजिए और लिखिए।

उत्तर- हर कोई मेहनत करके खाना चाहता है। जब किसी भी व्यक्ति को उसके परिश्रम का पूरा पैसा नहीं मिलता तो उसे बहुत दुःख होता है। इस समाज में बहुत से लोग ऐसे है जों फ्री में अपना काम करवाना चाहते हैं। मगर वे यह भूल जाते हैं कि यदि उनके साथ भी ऐसा ही किया जाए तो उन्हें कैसा लगेगा।

प्रश्न 2 गवरइया की इच्छा पूर्ति का क्रम घूरे पर रुई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमशः एक-एक कर कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य विवरण तैयार कीजिए।

उत्तर- मेरा स्कूल घर से करीब 3 किमी दूर है। रोज पैदल आने-जाने में समय नष्ट होता है। पिछले कुछ दिन से मैं सोच रहा था कि साइकिल खरीद लूंगा तो स्कूल आने-जाने से सहूलियत हो जाएगी। समय भी बचेगा। मैंने ये इच्छा पापा के सामने जाहिर की। लेकिन पापा ने कहा कि पहले चलाना सीखो फिर ही साइकिल दिलाएंगे। अब एक साइकिल का जुगाड़ करना था जिससे मैं उसे चलाना सीख सकूं। दो दिन बाद मेरे दोस्त ने बताया कि उसके भाई ने मोटर साइकिल खरीद ली है और अब उनकी पुरानी साइकिल घर पर ही रहती है। तब मैंने उससे कहा कि कुछ दिन के लिए वो साइकिल मुझे दे दे जिससे मैं उसे चलाना सीख सकूं। दोस्त ने साइकिल तो दे दी लेकिन उसकी हालत कुछ ठीक नहीं थी। पास में ही एक पंचर वाली दुकान पर जाकर मैंने उसे दुरुस्त करवा लिया। इसके बाद एक हफ्ते तक साइकिल चलाने की प्रैक्टिस की। एक हफ्ते बाद उसी साइकिल से मैं पापा के पास पहुंचा। घर पहुंचा तो देखा कि पापा ने पहले से ही मेरे लिए साइकिल खरीदकर रखी है। उन्हें पता चल गया था कि मैं साइकिल चलाना सीख रहा हूं। मैंने कुछ दिन पहले साइकिल से स्कूल जाने के बारे में सोचा और आज वो मेरे पास है।

प्रश्न 3 गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है, तर्क सहित लिखिए।

उत्तर- किसी भी कार्य को जितने उत्साह से किया जाएगा उसमें सफलता भी उतनी ही मिलेगी जैसे कि गवरइया के साथ हुआ उसने पूरी लगन और उत्साह से कार्य किया और उसकी मनपसंद टोपी उसे तैयार होकर मिल गईं।

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 128)

प्रश्न 1 टोपी पहनकर गवरइया राजा को दिखाने क्यों पहुँची जबकि उसकी बहस गवरा से हुई और वह गवरा के मुँह से अपनी बड़ाई सुन चुकी थी। लेकिन राजा से उसकी कोई बहस हुई ही नहीं थी। फिर भी वह राजा को चुनौती देने पहुंची। कारण का अनुमान लगाइए।

उत्तर- गवरइया राजा को अनी टोपी इसलिए दिखाने के लिए पहुँची क्योंकि उसकी टोपी राजा की टोपी से भी अच्छी थी। उसकी टोपी बनाने में कारीगरों को उनकी पूरी मेहनत के पैसे मिले थे जबकि राजा और उसके आदमी मेहनत के पूरे पैसे नहीं देते थे।

प्रश्न 2 यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार कैसा होता?

उत्तर- यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब वे गवरइया के साथ प्यार से बात करते उन्हें लग रहा था कि यह भी बेगार में काम करवाने के लिए आई है।

प्रश्न 3 चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रजाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा था। तीसरा बागा बुन रहा था। चौथा राजा की सातवीं रानी की दसवीं संतान के लिए झब्बे सिल रहा था। उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम क्यों किया?

उत्तर- चारों कारीगरों ने राजा का काम छोड़कर गवरइया का काम इसलिए किया क्योंकि उन्हे अपनी मजदूरी से ज्यादा पैसा मिल रहा था वह भी खुशी-खुशी।

भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 128-129)

प्रश्न 1 गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया गौरैया का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण के अनुसार इस शब्द की वर्तनी लिखी गई है। फुँदना, फुलगेंदा का बदला हुआ रूप है। कहानी में अनेक शब्द हैं, जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैस–मुलुक-मुल्क, खमा क्षमा, मजूरी-मजदूरी, मल्लार–मल्हार इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होने वाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजिए और उनका मूल रूप लिखिए, जैस- टेम-टाइम, टेसन/ टिसन–स्टेशन।

उत्तर-

§  सकूल– स्कूल

§  कम्पूटर– कम्प्यूटर

§  टी.बी.– टी.वी.

प्रश्न 2 मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरशः अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं। जैस-कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।

उत्तर-

§  टोपी उछालना– बेइज्जती करना।

§  टोपी ढंकना– इज्जत बचाना।


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