हिंदी व्याकरण "वाच्य"-Vachya Ke Bhed Aur Paribhasha Class 6 Notes

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Understanding 'वाच्य की परिभाषा' (the definition of voice) is crucial in Hindi grammar. At Witknowlearn, we simplify this concept, making it accessible and interesting for young learners. We delve into 'वाच्य के भेद' (types of voices) and 'वाच्य के प्रकार' (kinds of voices), ensuring that students get a comprehensive grasp of the topic.

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वाच्य - vachya 

वाच्य का अर्थ – वाक्य में कथन की प्रधानता

अब बात करें कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव किसकी प्रधानता है, वाक्य में इसका पता चलता है, इसे वाच्य कहते है।

वाच्य से यह पता चलता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म और भाव में से किसकी प्रधानता है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष – कर्ता, कर्म या भाव में से किसके अनुसार है।

परिभाषा –  vachya ki paribhasha

वाच्य क्रिया के उस रूपान्तर को कहते हैं, जिससे कर्ता, कर्म और भाव के अनुसार क्रिया के परिवर्तन ज्ञात होते हैं।

यथा –

·       रमा पुस्तक पढ़ती है।(कर्तृवाच्य)

·       पुस्तक पढ़ी जाती है।(कर्ता वाचक)

·       मोहन से पढ़ा नहीं जाता है।(भाववाचक)

ऊपर के वाक्यों में उनकी क्रियाएँ क्रमशः कर्ता, कर्म और भाव के अनुसार हैं। पहले वाक्य में रमा कर्ता है और उसके अनुसार क्रिया हैं – पढ़ती है।

दूसरे वाक्य में कर्म पुस्तक के अनुसार क्रिया है -पढ़ी जाती है। अन्तिम वाक्य में पढ़ा नहीं जाता है से न पढ़ने का भाव स्पष्ट है। अतः यहाँ क्रिया भाव के अनुसार है।

वाच्य के भेद – vachya ke Bhed

वाच्य के तीन भेद होते हैं-

·       कर्तृवाच्य

·       कर्मवाच्य

·       भाववाच्य

ऊपर के तीनों वाक्यों से वाच्य के ये तीनों भेद स्पष्ट है।

कर्तृवाच्य

जिस वाक्य में क्रिया कर्ता के अनुसार हो, उसे ’कर्तृवाच्य’ कहते हैं।

यथा –

·       राम पत्र लिखता है।

·       सीता पुस्तक पढ़ती है।

ऊपर के इन दो वाक्यों की क्रियाएँ लिखता और पढ़ती कर्ता राम और सीता के अनुसार है। अतः ये वाक्य कर्तृवाच्य में है।

कर्मवाच्य

वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है।  जिस वाक्य में क्रिया कर्म के अनुसार हो, उसे ’कर्मवाच्य’ कहते हैं।

यथा –

·       पत्र लिखा जाता है।

·       पुस्तक पढ़ी जाती है।

·       राम ने चिट्ठी लिखी।

ऊपर के दोनों वाक्यों में पत्र और पुस्तक कर्म है और इनके अनुसार क्रियाएँ हैं –

लिखा जाता और पढ़ी जाती।

अतः ये वाक्य कर्मवाच्य के उदाहरण हैं।

नोट : ज्यादातर सकर्मक क्रिया के उदाहरण कर्म वाच्य में आते है

भाववाच्य

जिस वाक्य में क्रिया कर्ता और कर्म को छोङकर भाव के अनुसार हो, उसे ’भाववाच्य’ कहते हैं।

यथा

·     उससे बैठा नहीं जाता।

·     राम से खाया नहीं जाता।

·     उससे रोया नहीं जाता।

ऊपर के वाक्यों में बैठा नहीं जाता, खाया नहीं जाता से एक भाव स्पष्ट होता है। इन सब वाक्यों में कर्ता की प्रधानता है, कर्म की। इनमें निहित सभी क्रियाएँ भाव के अनुसार हैं।

अतः भाव के अनुसार क्रिया होने से ये सभी भाववाच्य के उदाहरण हैं।

टिप्पणी: कर्तृवाच्य में सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाएँ होती है।

कर्मवाच्य में क्रिया केवल सकर्मक होती हैं। क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष कर्म के अनुसार होता है। कर्मवाच्य का प्रयोग विधान और निषेध दोनों स्थितियों में होता है।

भाववाच्य में क्रियाएँ प्रायः अकर्मक होती हैं। इसकी क्रिया सदा एकवचन, अन्य पुरुष और पुल्लिंग में होती है। इसमें असमर्थता और निषेध होने से वाक्य प्रायः नकारात्मक होते हैं।

नोट : क्रिया सदा एकवचन में होगी।

कर्मवाच्य के प्रयोग

अंग्रेजी व्याकरण में कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य में बदलने की प्रक्रिया होती है। परन्तु, हिन्दी में ऐसा नहीं होता। हिन्दी में कुछ सामान्यतः कर्तृ रूप में ही चलते हैं और कुछ कर्म रूप में ही।

हिन्दी मेंराम श्याम द्वारा पीटा गयाजैसा वाक्य नहीं चलता। हिन्दी की प्रकृति के अनुसार सही वाक्यश्याम ने राम को पीटाहोगा।
हिन्दी में कर्मवाच्य का प्रयोग विशिष्ट स्थितियों में ही होता है।

यथा

1.  जब कर्ता अज्ञात हो अथवा ज्ञात कर्ता का उल्लेख करने की आवश्यकता हो

·     परीक्षाफल कल प्रकाशित किया जाएगा।

·     चोर समझकर संन्यासी पकङा गया।

2.  कानूनी तथा सरकारी व्यवहार में अधिकतर व्यक्त करने के लिए

·     बिना टिकट यात्रियों को सख्त सजा दी जाएगी।

·     आपको सूचित किया जाता है कि……

3.  कर्ता पर जोर देने के लिए

रावण राम के द्वारा मारा गया।

4.  अशक्यता के प्रसंग में

यह काम मुझसे नहीं होगा।

5.  अपना प्रभाव व्यक्त करने के लिए

·     उसे पेश किया जाए।

·     कल देखा जाएगा।

6.  सम्भावना व्यक्त करने के लिए

उत्पादन बढ़ने पर बोनस दिया जाएगा।

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