Bal Mahabharat katha class 7 worksheet with answer
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अध्याय-1: बाल महाभारत
NCERT
SOLUTIONS ON BAL MAHABHARAT
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 97-98)
- सी.राजगोपालाचार्य
प्रश्न 1 गंगा ने शांतनु से कहा- "राजन! क्या
आप अपना वचन भूल गए"? तुम्हारे विचार से शांतनु ने गंगा को क्या वचन दिया होगा?
उत्तर- सम्भवत: राजा शांतनु ने गंगा को यह वचन दिया
होगा कि वे गंगा के किसी भी कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेंगे तथा उसकी इच्छा का सम्मान
करेंगे।
प्रश्न 2 महाभारत के समय में राजा के बड़े पुत्र
को अगला राजा बनाने की परपंरा थी। इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए बताओ कि तुम्हारे
अनुसार किसे राजा बनाया जाना चाहिए था-युधिष्ठिर या दुर्योधन को? अपने उत्तर का कारण
बताओ।
उत्तर- पांडु भरत वंश के राजा थे। उनकी मृत्यु के
पश्चात् युधिष्ठिर को राजा बनना चाहिए था परन्तु युधिष्ठिर की आयु कम होने के कारण
उनके बड़े होने तक राज्य की ज़िम्मेदारी धृतराष्ट्र को दी गई थी। युधिष्ठिर के बड़े
होने के पश्चात् न्यायोचित तो यही था कि युधिष्ठिर को उनका कार्य-भार सौंप दिया जाता।
अत: भरत वंश की परंपरा के अनुसार राज्य पद के अधिकारी युधिष्ठिर ही थे।
प्रश्न 3 महाभारत के युद्ध को जीतने के लिए कौरवों
और पांडवों ने अनेक प्रयास किए। तुम्हें दोनों के प्रयासों में जो उपयुक्त लगे हों,
उनके कुछ उदाहरण दो।
उत्तर- युद्ध जीतने के लिए कौरवों तथा पांडवों दोनों ने
प्रयास किए हैं।
कौरवों द्वारा किए गए प्रयास:
·
युद्ध
में पितामह भीष्म तथा गुरू द्रोणाचार्य को सेना का नेतृत्व सौंपना।
·
दुर्योधन
का कृष्ण के पास युद्ध के लिए सहायता मांगने जाना।
·
चक्रव्यूह
की रचना करना।
·
अर्जुन
को दूर भेजना।
पांडवों द्वारा युद्ध के लिए किए गए प्रयास:
·
कर्ण
का वध।
·
दुःशासन
का वध।
·
दुर्योधन
के भाई युयुत्सु पर विश्वास कर युद्ध में सम्मिलित करना।
·
कृष्ण
का साथ माँगना।
·
अभिमन्यु
द्वारा चक्रव्यूह तोड़ना।
प्रश्न 4 तुम्हारे विचार से महाभारत के युद्ध को
कौन रूकवा सकता था? कैसे?
उत्तर- महाराज धृतराष्ट्र उस समय भरत वंश के राजा
थे। उनकी आज्ञा का पालन करना प्रजा का कर्तव्य था। यदि वे निश्चय के पक्के होते तो
अपने पुत्रों को आज्ञा देकर युद्ध को टाल सकते थे। परन्तु एक राजा होते हुए भी अपने
राज्य के भविष्य के हित में वे कोई दृढ़ निश्चय नहीं कर पाए।
प्रश्न 5 इस पुस्तक में से कोई पाँच मुहावरे चुनकर
उनका वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर- पाठ पर आधारित मुहावरे:
1. वज्र के समान गिरना: (अधिक कष्ट होना) अपमान
के कटु वचन उसके हृदय पर व्रज के समान लगे
2. जन्म से बैरी: (घोर शत्रुता होना) दोनों भाई
इतना लड़ते हैं, मानो जन्म से बैरी हो।
3. खलबली मच जाना: (नियंत्रण न होना) शिक्षक के
न आने से पूरी कक्षा में खलबली मच गई।
4. दंग करना: (हैरान करना) छोटे से बच्चे में
इतना बल देखकर मैं दंग रह गया।
5. दग्ध-हृदय: (मन दुःखी होना) दग्ध हृदय के साथ
उसने अपने पुत्र को अंतिम बार विदा किया।
प्रश्न 6 महाभारत में एक ही व्यक्ति के एक से अधिक
नाम दिए गए हैं। बताओ, नीचे लिखे हुए नाम किसके हैं?
पृथा, राधेय, वासुदेव, गांगेय, सैरंध्री, कंक
उत्तर-
·
पृथा
- कुंती
·
राधेय
- कर्ण
·
वासुदेव
- श्री कृष्ण
·
गांगेय
- गंगा पुत्र 'भीष्म'
·
सैरंध्री
- द्रोपदी
·
कंक
- युधिष्ठर
प्रश्न 7 इस पुस्तक में भरतवंश की वंशावली दी गई
है। तुम भी अपने परिवार की ऐसी ही एक वंशावली तैयार करो। इस कार्य के लिए तुम अपने
बड़े लोगों से मदद ले सकते हो।
उत्तर-
प्रश्न 8 तुम्हारे अनुसार महाभारत कथा में किस पात्र
के साथ सबसे अधिक अन्याय हुआ और क्यों?
उत्तर-
महाभारत की कथा में द्रौपदी
के साथ सबसे अधिक अन्याय हुआ क्योंकि युद्ध पांडवों तथा कौरवों के बीच था। द्रौपदी
की किसी के साथ शत्रुता नहीं थी। फिर भी उसे पूरी राजसभा में सबके सामने अपमानित किया
गया। युद्ध में अपने पाँचों पुत्रों से हाथ धोना पड़ा तथा पाँचों पांडवों के साथ वनवास
जाना पड़ा।
प्रश्न 9 महाभारत के युद्ध में किसकी जीत हुई? (याद
रखो कि इस युद्ध में दोनों पक्षों के लाखों लोग मारे गए थे।)
उत्तर-
महाभारत के युद्ध में पांडवों की जीत होती है। क्योंकि दोनों पक्षों में लोगों
की मृत्यु होने के बाद भी पाँचों पांडव जीवित थे। उन्हें कौरवों की अपेक्षा कम क्षति
उठानी पड़ी।
प्रश्न 10 तुम्हारे विचार से महाभारत की कथा में
सबसे अधिक वीर कौन था/ थी? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
उत्तर- महाभारत की कथा में सबसे अधिक वीरता अर्जुन
पुत्र अभिमन्यु में देखी गई क्योंकि पूरे युद्ध में सबसे छोटा बालक होते हुए भी उसने
अपनी वीरता का परिचय देते हुए अकेले ही छ: महारथियों के साथ युद्ध किया, चक्रव्यूह
तोड़ने का प्रयास किया तथा अस्त्र समाप्त होने के बाद भी रथ के पहिए को अस्त्र बना
कर लड़ता रहा।
प्रश्न 11 महाभारत के कुछ पात्रों द्वारा कही गई
बातें नीचे दी गई हैं। इन बातों को पढ़कर उन पात्रों के बारे में तुम्हारे मन में क्या
विचार आते हैं:
a. शांतनु ने केवटराज से कहा- "जो माँगोगे
दूँगा, यदि वह मेरे लिए अनुचित न हो"।
b. दुर्योधन ने कहा- "अगर बराबरी की बात
है, तो मैं आज ही कर्ण को अंगदेश का राजा बनाता हूँ"।
c. धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से कहा- "बेटा,
मैं तूम्हारी भलाई के लिए कहता हूँ कि पाँडवों से वैर न करो। वैर दुख और मृत्यु का
कारण होता है"।
d. द्रोपदी ने सारथी प्रातिकामी से कहा-
"रथवान! जाकर उन हारने वाले जुए के खिलाड़ी से पूछो कि पहले वह अपने को हारे थे
या मुझे"?
उत्तर-
a. शांतनु सत्यवती से बहुत प्रेम करते थे। इसलिए
उसे पाने के लिए वे केवटराज, को कुछ भी देने के लिए तैयार थे, शांतनु विवेकशील थे इसलिए
उन्होंने उचित अनुचित का भी ध्यान रखा।
b. दुर्योधन महत्वकाँक्षी था उसने अर्जुन को नीचा
दिखाने के लिए कर्ण से मित्रता करने का निश्चय किया।
c. यहाँ धृतराष्ट्र के दूरदर्शी होने की प्रवृति
का पता चलता है तथा उन्हें पांडवों से बहुत स्नेह था।
d. यहाँ राजा युधिष्ठिर के प्रति द्रोपदी के मन
में आक्रोश की भावना है।
प्रश्न 12 युधिष्ठिर ने आचार्य द्रोण से कहा-"अश्वत्थामा
मारा गया, मनुष्य नहीं, हाथी।" युधिष्ठिर सच बोलने के लिए प्रसिद्ध थे। तुम्हारे
विचार से उन्होंने द्रोण से सच कहा था या झूठ? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
उत्तर- युधिष्ठिर का यह कथन अधूरा सच है। युधिष्ठिर
के मन में उस समय गुरू द्रोणाचार्य को धोखा देने की बात चल रही थी। वह झूठ बोलना चाहते
थे, परन्तु सच बोलने के लिए बाध्य थे। युधिष्ठिर के मुख से निकले हुए शब्दों का अर्थ
कुछ और था, यह वे जानते थे।
प्रश्न 13 महाभारत के युद्ध में दोनों पक्षों को
बहुत हानि पहुँची। इस युद्ध को ध्यान में रखते हुए युद्धों के कारणों और परिणामों के
बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखो। शुरूआत हम कर देते हैं -
a. युद्ध में दोनों पक्षों के असंख्य सैनिक मारे
जाते हैं।
b. .............................................
c. .............................................
d. .............................................
e. ............................................
f. ............................................
उत्तर- युद्ध में दोनों पक्षों के असंख्य सैनिक
मारे जाते हैं।
युद्ध में हमारी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।
केवल अपने स्वार्थ के विषय में सोचकर युद्ध का फैसला
लिया जाता है।
युद्ध में प्रतिशोध की भावना प्रबल होती है।
युद्ध से केवल विनाश होता है।
युद्ध में जीत केवल एक व्यक्ति की होती है। परन्तु
हार दोनों पक्षों की होती है।
युद्ध में केवल स्वजीत की भावना रह जाती है।
प्रश्न 14
a. द्रोपदी के पास एक 'अक्षयपात्र' था, जिसका
भोजन समाप्त नहीं होता था। अगर तुम्हारे पास ऐसा ही एक पात्र हो, तो तुम क्या करोगे?.
b. यदि ऐसा कोई पात्र तुम्हारे स्थान पर तुम्हारे मित्र के पास हो, तो तुम
क्या करोगे?
उत्तर-
a. यदि ऐसा अक्षयपात्र हो तो हमें ज़रूरतमंदो
को भोजन कराकर उनकी सहायता करनी चाहिए।
b. अपने मित्रों को भी इसी प्रकार से गरीबों की
सहायता करने को प्रेरित करना चाहिए।
प्रश्न 15 नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो। सोचकर लिखो
कि जिन शब्दों के नीचे रेखा खींची गई है, उनके अर्थ क्या हो सकते हैं?
a. गंगा के चले जाने से शांतनु का मन विरक्त हो
गया।
b. द्रोणाचार्य ने द्रुपद से कहा-"जब तुम
राजा बन गए, तो ऐश्वर्य के मद में आकर तुम मुझे भूल गए"।
c. दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा-"पिता
जी, पुरवासी तरह-तरह की बातें करते हैं।"
d. स्वयंवर मंडप में एक वृहदाकार धनुष रखा हुआ
है।
e. चौसर का खेल कोई हमने तो ईजाद किया नहीं।
उत्तर-
a. विरक्त − ऊब जाना
b. मद − नशा, अहंकार
c. पुरवासी − नगरवासी
d. वृहदाकार − बड़े आकार का
e. ईजाद − खोज (आविष्कार)
प्रश्न 16 महाभारत कथा में तुम्हें जो कोई प्रसंग
बहुत अच्छा लगा हो, उसके बारे में लिखो। यह भी बताओ कि वह प्रसंग तुम्हें अच्छा क्यों
लगा?
उत्तर- महाभारत में अज्ञातवास का प्रसंग बहुत अच्छा
लगता है। इसमें अर्जुन ने अकेले ही दुर्योधन की सेना से युद्ध कर उन्हें परास्त किया
था। इससे अर्जुन की वीरता का पता चलता है।
प्रश्न 17 तुमने पुस्तक में पढ़ा कि महाभारत कथा
कंठस्थ करके सुनाई जाती रही है। कंठस्थ कराने की क्रिया उस समय इतनी महत्वपूर्ण क्यों
रही होगी? तुम्हारी समझ से आज के ज़माने में कंठस्थ करने की आदत कितनी उचित है?
उत्तर- समय के साथ-साथ तकनीकी सुविधाओं का आविष्कार हुआ, जैसे - छापाखाना। पहले ऐसी कोई सुविधा नहीं थी इस कारण महाभारत की कथा कंठस्थ करके सुनाई जाती थी। उस समय ज्ञान बाँटने का यही एक मात्र सरल तथा सुलभ साधन था। समय के साथ-साथ धीरे-धीरे हस्तलिपियों का प्रयोग किया जाने लगा। मनुष्य एक सुविधाभोगी प्राणी है, सुविधा की कमी होने के कारण कंठस्थ करने की कला धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है।