NCERT Class 6 Hindi Nadan Dost Worksheets with Answers

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एनसीईआरटी कक्षा 6 अध्याय 3 नादान दोस्त वर्कशीट उत्तर के साथ

Embark on a captivating journey through the innocent world of friendship and adventures with Class 6 Hindi Chapter 3, Nadan Dost. This chapter explores the essence of childhood companionship, woven through simple yet profound narratives that resonate deeply with young minds.

Nadan Dost class 6 worksheet with answer is designed to enhance comprehension and instill a love for Hindi literature, providing insightful exercises that delve into the nuances of the story, enabling students to connect with the characters and their experiences on a personal level.

The Class 6 Hindi Nadan Dost chapter is more than just a story; it is a celebration of the purity and joy found in the friendships of our early years, highlighting the mischievous yet innocent nature of these bonds. Through the Nadan Dost class 6 question answer sections, students are encouraged to reflect on their understanding of the text, fostering critical thinking and empathy by placing themselves in the shoes of the characters. These exercises not only enhance language skills but also teach valuable life lessons about loyalty, understanding, and the simple pleasures that make life beautiful.

With the Nadan Dost class 6 chapter summary, learners can grasp the core message of the tale, making it easier for them to navigate the detailed questions and themes presented in the worksheet. This thoughtful approach to learning encourages young readers to appreciate the subtleties of Hindi literature and the complexities of human relationships, all the while developing their analytical and interpretative skills.

By engaging with the Nadan Dost class 6 worksheet with answer, students embark on a literary voyage that broadens their perspectives, enabling them to appreciate the depth and richness of their language and culture. This chapter not only educates but also entertains, leaving a lasting impact on their young minds, teaching them the value of friendship and the beauty of life’s simple moments.

सारांश

प्रस्तुत कहानी लेखक प्रेमचंद द्वारा लिखी गई है। कहानी दो भाई-बहन पर आधारित कहानी है। इस कहानी में लेखक ने केशव और श्यामा नामक भाई-बहन की नादानी का जिक्र किया है।

कहानी का सार कुछ इस प्रकार है-

केशव और श्यामा दो भाई-बहन हैं। उनके घर के कार्निस के ऊपर चिड़िया ने अंडे दिए थे। दोनों भाई-बहन हर रोज चिड़िया को आते जाते देखते। दोनों भाई उनको देखने में इतने मगन हो जाते कि अपना खाना-पीना भी भूल जाते थे। चिड़िया के अंडों को देखकर उनके मन में कई सवाल उठते थे जैसे बच्चे कब बड़े होंगे, किस रंग के होंगे, बच्चे किस तरह से निकलेंगे। बच्चों के इन प्रश्नों का उत्तर देने वाला कोई नहीं था क्योंकि उनके पिता पढ़ने-लिखने में तो माँ घर के कामों में व्यस्त रहती थीं। इसलिए दोनों आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे।

इस तरह तीन चार दिन गुजर जाते हैं। दोनों चिड़िया के बच्चों के लिए परेशान होने लगते हैं। उन्हें लगता है कि कहीं चिड़िया के बच्चे भूख-प्यास से न मर जाय।

वे चिड़िया के अंडों की सुरक्षा हेतु विभिन्न उपाय करते हैं जैसे खाने के लिए चावल और पीने के लिए पानी, छाया के लिए कूड़े की बाल्टी और अंडों के नीचे कपड़े की मुलायम गद्दी को बनाकर रखना। यह सारा कार्य उन्होंने पिता के दफ़्तर जाने और दोपहर में माँ के सो जाने के बाद किया।

परन्तु उनके उपाय निरर्थक हो जाते हैं। चिड़िया अपने अंडे स्वयं ही तोड़ देती है। बच्चों की माँ को जब यह बात पता चलती है तो वे उन्हें बताती है कि चिड़िया के अंडों को छेड़ने से वह दोबारा उन्हें सेती नहीं बल्कि उन्हें तोड़ देती है। यह सुनकर दोनों को बहुत पछतावा होता है। परन्तु बहुत देर हो चुकी होती है। वे दोनों अंडों की सुरक्षा के लिए अच्छे कार्य ही करते हैं। परन्तु ज्ञान और अनुभव की कमी के कारण वे उनकी बर्बादी का कारण बन बैठते हैं। उसके बाद उन्हें वह चिड़िया कभी दिखाई नहीं देती है।

प्रेमचंद ने इसीलिए उन दोनों को नादान दोस्त कहा है। यह कहानी हमें सीख देती है कि किसी भी कार्य को करने से पहले पूरी तरह से सुनिश्चित कर लें कि जो आप कर रहे हैं, वह सही है या नहीं। केशव और श्यामा ने चिड़िया के बच्चों के लिए जो भी किया था यदि वे अपने माता-पिता से एक बार पूछ लेते, तो शायद वे उन चिड़िया के बच्चों को अपने सामने देख पाते।


 

NCERT SOLUTIONS

कहानी से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 19)

प्रश्न 1 अंडों के बारे में केशव और श्यामा के मन में किस तरह के सवाल उठते थे? वे आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?

उत्तर- अंडों के बारे में केशव और श्यामा के मन में यह सवाल उठते थे कि अंडे कैसे हैं? कितने बड़े हैं? किस रंग के हैं? उनमें से बच्चे कैसे निकलेंगे इत्यादि। उनके सवालों के जवाब देने के लिए अम्माँ और बाबूजी के पास फुरसत नहीं थी। इसलिए वे आपस में ही सवाल जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे।

प्रश्न 2 केशव ने श्यामा से चिथड़े, टोकरी और दाना-पानी मँगाकर कार्निस पर क्यों रखे थे?

उत्तर-  चिड़िया के अंडे घोंसले में नहीं, कार्निस पर कुछ तिनकों पर रखे हुए थे। केशव ने श्यामा से चिथड़े मँगवाकर उनकी गद्दी बनाई और अंडों के नीचे रख दिया। उसने टोकरी को टहनी से टिकाकर अंडों के ऊपर छाया कर दी। चिड़िया को अपने बच्चों के लिए दाना लाने दूर जाना पड़े, इसलिए उसने दाना-पानी मँगा कर कार्निस पर ही रख दिया।

प्रश्न 3  केशव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा की या नादानी?

उत्तर-  केशव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा करने की नादानी की। चिड़िया अपने अंडों की रक्षा स्वयं कर सकती थी। उसने सुरक्षित स्थान समझकर ही कार्निस पर अंडे दिए थे। केशव और श्यामा ने अंडों की रक्षा करने के चक्कर में, उन्हें छूकर गंदा कर दिया। फलस्वरूप चिड़िया उन्हें गिरा कर उड़ गई।

कहानी से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 20)

प्रश्न 1 केशव और श्यामा ने अंडों के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए? यदि उस जगह तुम होते तो क्या अनुमान लगाते और क्या करते?

उत्तर- केशव और श्यामा ने यह अनुमान लगाया कि अंडों को तिनकों पर तकलीफ होती होगी, तथा कार्निस पर उन्हें धूप भी लगती होगी। उन्होंने अनुमान लगाया कि चिड़िया सारे बच्चों का पेट अकेले नहीं भर पाएगी और बच्चे भूख से मर जाएँगे। यदि हम उस जगह होते तो यह अनुमान लगाते कि कहीं कोई जानवर तो अंडों तक नहीं पहुँच जाएगा। कार्निस तक कोई जानवर न पहुँचे, मैं इसका प्रयास करता। मैं चिड़ियों के लिए दाना कार्निस पर रखने के बदले नीचे जमीन पर बिखेर देता।

प्रश्न 2 माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर दोनों में से किसी ने किवाड़ खोल कर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?

उत्तर- माँ के सोते ही केशव और श्यामा अंडों की सुरक्षा की व्यवस्था करने दोपहर में बाहर निकल आए। माँ के पूछने पर पिटाई के डर से दोनों में से किसी ने बाहर निकलने का कारण नहीं बताया।

प्रश्न 3 प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम 'नादान दोस्त' रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?

उत्तर- मैं इसे शीर्षक देना चाहूँगा-'चिड़िया के अंडे' या 'रक्षा में हत्या' अथवा 'बच्चों की नादानी'

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 20)

प्रश्न 1 इस पाठ में गरमी के दिनों की चर्चा है। अगर सरदी या बरसात के दिन होते तो क्या-क्या होता? अनुमान करो और अपने साथियों को सुनाओ।

उत्तर- अगर सर्दी के दिन होते तो केशव और श्यामा अंडों को ठंड से बचाने की व्यवस्था करते। उनकी माँ उन्हें इतनी सर्दी में बाहर निकलने के लिए डाँटती। अगर बरसात का मौसम होता तो वे अंडों को पानी से बचाने के लिए चिंतित रहते। उस समय उन्हें पानी में बाहर निकलने के लिए माँ से डाँट सुननी पड़ती।

प्रश्न 2 पाठ पढ़ कर मालूम करो कि दोनों चिड़िया वहाँ फिर क्यों नहीं दिखाई दीं? वे कहाँ गई होंगी? इस पर अपने दोस्तों के साथ मिलकर बातचीत करो।

उत्तर- चिड़ियों के सारे अंडे फूट गए, इसलिए दोनों वहाँ से चली गईं और फिर कभी वापस नहीं आईं। वे दोनों वहाँ से किसी दूसरी सुरक्षित जगह पर गई होंगी, वहाँ घोंसला बनाया होगा और फिर समय आने पर अंडे दिए होंगे।

प्रश्न 3 केशव और श्यामा चिड़िया के अंडों को लेकर बहुत उत्सुक थे। क्या तुम्हें भी किसी नयी चीज या बात को लेकर कौतूहल महसूस हुआ है? ऐसे किसी अनुभव का वर्णन करो और बताओ कि ऐसे में तुम्हारे मन में क्या-क्या सवाल उठे?

उत्तर- मुझे अपने घर में पैदा हुए बिल्ली के नवजात बच्चों के प्रति कौतूहल बना रहता था। एक बार मेरे घर के पिछले हिस्से में एक बिल्ली ने तीन बच्चे दिए थे। उन्हें देखकर मुझे बहुत कौतूहल हुआ। बिल्ली अपने बच्चों को मुँह में दबाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती थी। उन्हें देखना मुझे बहुत अच्छा लगता था। मैं माँ से छुपा कर कटोरी में दूध रख आया करती थी और कभी कभी अपने हिस्से की रोटी भी उन्हें खिला देती थी। मेरे मन में अक्सर यह सवाल उठता था कि बिल्ली अपने बच्चों को मुँह में दबाती है, तो क्या उन्हें दर्द नहीं होता है।

भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 20-21)

प्रश्न 1 श्यामा माँ से बोली, "मैंने आपकी बातचीत सुन ली है।"

ऊपर दिए उदाहरण में मैंने का प्रयोग 'श्यामा' के लिए और आपकी का प्रयोग 'माँ' के लिए हो रहा है। जब सर्वनाम का प्रयोग कहने वाले, सुनने वाले, या किसी तीसरे के लिए हो, तो उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। नीचे दिए गए वाक्यों में तीनों प्रकार के पुरुषवाचक सर्वनामों के नीचे रेखा खींचो-

एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा-“मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?"

उत्तर- एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा- "मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?"

प्रश्न 2 तगड़े बच्चे, मसालेदार सब्जी, बड़ा अंडा

यहाँ रेखांकित शब्द क्रमशः बच्चे, सब्जी और अंडे की विशेषता यानी गुण बता रहे हैं, इसलिए ऐसे विशेषणों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं। इसमें व्यक्ति या वस्तु के अच्छे बुरे हर तरह के गुण आते हैं। तुम चार गुणवाचक विशेषण लिखो, और उनसे वाक्य बनाओ।

उत्तर- एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा- "मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?"

i

नयी

=

पारुल ने नयी फ्रॉक पहनी है।

ii

मोटी

=

गीता मोटी होती जा रही है।

iii

पुराना

=

मेरा कोट पुराना है।

iv

शान्त

=

राजीव शान्त लड़का है। 

प्रश्न 3 केशव ने झुंझलाकर कहा...

1.   केशव रोनी सूरत बनाकर बोला...

2.   केशव घबराकर उठा...

3.   केशव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा...

4.   श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा...

ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो। ये शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण का काम कर रहे हैं, क्योंकि ये बताते हैं कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कैसे हुई। 'कर' वाले शब्दों के क्रियाविशेषण होने की एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रियाविशेषणों का वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर- एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा- “मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?”

i

झुंझलाकर

=

मोहन की बात सुन नेहा झुंझलाकर चली गई।

ii

बनाकर

=

माँ खाना बनाकर चली गई।

iii

घबराकर

=

दुर्घटना की खबर सुन वह घबराकर उठा।

iv

टिकाकर

=

अर्जुन ने नजरें टिकाकर निशाना साधा।

v

गिड़गिड़ाकर

=

राजीव ने गिड़गिड़ाकर श्याम से माफी माँगी।

प्रश्न 4 नीचे प्रेमचंद की कहानी ‘सत्याग्रह' का एक अंश दिया गया है। तुम इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम चिह्नों के बिना यह अंश अधूरा-सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जगहों पर विराम चिह्न लगाओ-

उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया 11 बज चुके थे चारों तरफ सन्नाटा छा गया था पंडित जी ने बुलाया खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या , भूख लग आई न अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा आपका नहीं मोटेराम अबे क्या कहता है यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं चाहें तो महीनों पड़े रहें और भूख न लगे तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि ज़रा अपनी कुप्पी मुझे दे देखू तो वहाँ क्या रेंग रहा है मुझे भय होता है

उत्तर- उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया। 11 बज चुके थे। चारों तरफ सन्नाटा छा गया था। पंडित जी ने बुलाया, “खोमचेवाले !" खोमचेवाला-“कहिए, क्या दूँ? भूख लग आई न। अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम हैं, हमारा-आपका नहीं।" मोटेराम-“अबे, क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं। चाहें तो महीनों पड़े रहें और भूख न लगे। तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि जरा अपनी कुप्पी मुझे दे। देखू तो, वहाँ क्या रेंग रहा है। मुझे भय होता है।"

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  • Nadan dost

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