Avyay ke prakar bhed aur udharan class 8

अव्यय

अव्यय ऐसे शब्द को कहते हैं जिन शब्दों में लिंग, कारक, वचन आदि के कारण कोई भी परिवर्तन नहीं आता हो, उन्हें अव्यय अविकारी शब्द के नाम से जाना जाता है। यह शब्द हमेशा परिवर्तित होते हैं।

परिभाषा-

जो शब्द लिंग, वचन, कारक, पुरूष और काल के कारण नहीं बदलते, वे अव्यय कहलाते हैं|

ऐसे शब्द जिसमें लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के कारण कोई विकार नहीं आता अव्यय  कहलाते हैं।

यह सदैव अपरिवर्तित, अविकारी एवं अव्यय रहते हैं। इनका मूल रूप स्थिर रहता है, वह कभी बदलता नहीं है

जैसे – इधर, किंतु, क्यों, जब, तक, इसलिए, आदि।

अव्यय के प्रकार –

1.   क्रिया विशेषण

2.   सम्बन्ध बोधक

3.   समुच्चय बोधक

4.   विस्मयादि बोधक

1.   क्रिया विशेषण

वे शब्द जो क्रिया की विशेषता प्रकट करें, उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं|

इसके चार भेद हैं

1.   कालवाचक :-

जिससे क्रिया के करने या होने के समय (काल) का ज्ञान हो, वह कालवाचक क्रिया विशेषण कहलाता है|

जैसे – परसों मंगलवार हैं, आपको अभी जाना चाहिए, आजकल, कभी, प्रतिदिन, रोज, सुबह, अक्सर, रात को, चार बजे, हर साल आदि।

2.   स्थान वाचक :– जिससे क्रिया के होने या करने के स्थान का बोध हो, वह स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहलाता है।

जैसे– यहाँ, वहाँ, इधर, उधर, नीचे, ऊपर, बाहर, भीतर, आसपास आदि।

3.   परिमाणवाचक :– जिन शब्दों से क्रिया के परिमाण या मात्रा से सम्बन्धित विशेषता का पता चलता है। परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहलाते है।

जैसे –

·       वह दूध बहुत पीता है।

·       वह थोड़ा ही चल सकी।

·       उतना खाओ जितना पचा सको।

4.   रीतिवाचक :– जिससे क्रिया के होने या करने के ढ़ग का पता चले, वे रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहलाते है।

जैसे –

·       शनैः शनैः जाता है।

·       सहसा बम फट गया।

·       निश्चिय पूर्वक करूँगा।

2.   सम्बन्ध बोधक –

जिस अव्यय शब्द से संज्ञा अथवा सर्वनाम का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ प्रकट होता है, उसे सम्बन्ध बोधक अव्यय कहते है।

जैसे-

·       उसके सामने मत ठहरो।

·       पेड़ के नीचे बैठो

से पहले, के भीतर, की ओर, की तरफ, के बिना, के अलावा, के बगैर, के बदले, की जगह, के साथ, के संग, के विपरीत आदि।

3.   समुच्चय बोधक या योजक

जो अव्यय दो शब्दों अथवा दो वाक्यों को जोड़ने का कार्य करते हैं उन्हें समुच्चय बोधक अव्यय कहते है।

जैसे– और, तथा, एवं, मगर, लेकिन, किन्तु, परन्तु, इसलिए, इस कारण, अतः, क्योंकि, ताकि, या, अथवा, चाहे आदि।

4.   विस्मयादि बोधक –

जिन अविकारी शब्दों से हर्ष, शोक, आश्चर्य घृणा, दुख, पीड़ा आदि का भाव प्रकट हो उन्हे विस्मयादि बोधक अव्यय कहते हैं|

जैसे – ओह!, हे!, वाह!, अरे!, अति सुंदर!, उफ!, हाय!, धिक्कार!, सावधान!, बहत अच्छा!, तौबा-तौबा!, अति सुन्दर आदि।

Avyay" or "अव्यय" is a significant aspect of Hindi and Sanskrit grammar, which is translated as "indeclinable" in English. Avyay is a term that refers to words whose form does not change based on tense, number, or gender. Examples include "and", "but", "or" etc. There are several types of avyay (avyay ke bhed), such as Nipaat, Sambandhsuchi, Namadhārak, Purvavastha, and Avikari.

An Avikari shabd, or "अविकारी शब्द", refers to a type of avyay whose form never changes, with examples (avikari shabd ke udaharan) like 'and', 'but', 'because', and so on. As a part of Hindi grammar (avyay in Hindi grammar), avyay is a key concept, and understanding avyay meaning in Hindi and avyay meaning in English is crucial for linguistic proficiency.

In Sanskrit (avyay in Sanskrit), avyay is also an integral part of the language. Here are ten examples of avyay in Sanskrit (10 अव्यय शब्द संस्कृत में) - 'cha', 'vaa', 'hi', 'tu', 'yat', 'api', 'chet', 'ath', 'adh', 'tarhi'.

Just like in Hindi and Sanskrit, in Marathi grammar (avyay in Marathi), avyay plays an important role. Examples of shabd yogi avyay in Marathi (शब्दयोगी अव्यय 10 उदाहरण मराठी) include 'kinva', 'mhanje', 'tari', 'pan', 'ani', 'fakt', 'suddha', 'hi', 'nakki', 'ya'.

Kriya visheshan avyay refers to adverbs that specify a verb's action and do not change their form. Examples of sthanvachak kriya visheshan avyay in Marathi (स्थानवाचक क्रिया विशेषण अव्यय उदाहरण मराठी) include 'var', 'khali', 'aage', 'peeche'.

In essence, the term avyay (avyay meaning or avyay ki paribhasha) plays a key role in the structure and functionality of Indian languages like Hindi, Sanskrit, and Marathi. Understanding avyay and its usage can significantly improve one's grasp of these languages.

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