Class 7th Hindi Khan Pan Ki Badalti Tasveer Question Answer

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So, dear learners, as you set sail on this gourmet voyage through Class 7 Hindi Khan Pan Ki Badalti Tasveer Question Answer, remember, every morsel of knowledge adds to the grand feast of learning. Let's unravel the stories hidden in our plates, for in the grand tapestry of life, Khanpan Ki Badalti Tasveer is not just a chapter—it's a reflection of who we are and how we've grown, bite by delicious bite. Let the adventure begin!

Khanpan ki badalti tasveer summary in hindi

सारांश

खानपान की बदलती तस्वीर लेखक प्रयाग शुक्ल द्वारा लिखा गया प्रसिद्ध निबंध हैं।

निबंध का सार कुछ इस प्रकार है-

पिछले 10-15 वर्षों से हमारी खानपान की संस्कृति में बड़ा बदलाव है। इडली, डोसा, सांभर, रसम न केवल दक्षिण भारत तक सीमित न होकर पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया है। इसके साथ ही ढाबा संस्कृति भी लगभग पूरे देश में फैल चूकी है। आपको कहीं भी रोटी, दाल, साग प्राप्त हो जाएगा। फास्टफूड में बर्गर, नुडल्स सभी के नाम आज आम हो चुके हैं। टू मिनट नूडल्स, नमकीन के कई प्रकार घर-घर में जगह बनाते जा रहे हैं। गुजराती ढोकला, गाठिया अब देश के कई हिस्सों में स्वाद लेकर खाया जाता है। बंगाली मिठाइयाँ पहले की तुलना में कई शहरों में उपलब्ध है। स्थानीय व्यंजनों के साथ ही अन्य प्रदेशों के व्यंजन पकवान भी हर क्षेत्र में मिलने लगे हैं और मध्यम वर्गीय जीवन में भोजन विविधता में अपनी जगह बना ली है। ब्रेड जो अंग्रजों के राज में केवल साहब लोगों तक सीमित थी। वह अब कस्बों तक नाश्ते के रूप में लाखों भारतीय के घरों में आपको देखने के लिए आसानी से मिल जायेगी। खानपान की बदलती संस्कृति से नयी पीढ़ी ज्यादा प्रभावित है। स्थानीय व्यंजन अब घटकर कुछ चीजों तक ही सीमित होकर राह गए हैं। बंबई की पावभाजी हो या दिल्ली के छोले- कुलचे की दुनिया अब सीमित हो गई है। मथुरा के पेडों नमकीन की माँग कम होती जा रही है। गृहणियाँ भी उन व्यंजनों में रूचि लेती हैं जो कम समय में तैयार हो जाय। शहरी जीवन की भागमभाग और मंहगाई ने भी लोगों को कई चीजों से वंचित कर दिया है।

खानपान की मिश्रित संस्कृति का सकारत्मक पक्ष यह है कि महिलाएँ जल्दी तैयार हो जाने वाले व्यंजन बनाना पसंद करती हैं। स्वतंत्रता के बाद उद्योग-धंधों, नौकरियों-तबादलों का विस्तार हुआ है जिसके कारण एक जगह का खानपान दूसरी जगह पहुँचा है। खानपान की मिश्रित संस्कृति ने राष्ट्रीय एकता के बीज भी विकसित किये हैं। इसके साथ ही उस क्षेत्र की बोली-बानी, भाषा-भूषा आदि को भी स्थान दिया जाना चाहिए। आज हम आधुनिकता के चले कई स्थानीय व्यंजनों को छोड़ चुके हैं। पश्चिम की नकल में कई ऐसे चीजों को अपना रहें हैं जो हमारे अनुकूल है ही नहीं। खानपान की मिश्रित संस्कृति हमें कुछ चीजें चुनने का अवसर देती है, जिसका लाभ हम उठा पा रहे हैं। अत: हमें विकसित संस्कृति को हमेशा जाँचते परखते रहना चाहिए


 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 7 CHAPTER 10 HINDI

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प्रश्न 1 खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें।

उत्तर- खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब विभिन्न प्रदेशों के खान-पान के मिश्रित रूप से है। आज हमें एक ही घर में हमें कई प्रान्तों के खाने देखने के लिए मिल जाते हैं। उदाहरण के तौर पर मेरा घर दिल्ली में है जहाँ पराठे आदि ज्यादा बनते हैं परन्तु खानपान की मिश्रित संस्कृति की वजह से साम्भर-डोसा, इडली जो की दक्षिण भारत का प्रमुख भोजन है वो भी बनता है।

प्रश्न 2 खानपान में बदलाव के कौन से फ़ायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?

उत्तर- खानपान में बदलाव के कई फायदे हैं जैसे हमारी खाने में रूचि बनी रहती है, देश-विदेश के व्यंजन पता चलते हैं, इससे भारत की राष्ट्रीय एकता भी बनी रहती है। साथ ही इससे जल्दी बनने वाले खानों का उपलब्ध होने लगी हैं जिससे समय की भी बचत होती है। हम अपने स्वास्थ्य और स्वाद के अनुसार भी भोजन का चयन कर सकते हैं।

इन सब फायदों के बावजूद लेखक इसलिए चिंतित हैं क्योंकि इसके नुकसान भी हैं जैसे स्थानीय भोजन की लोकप्रियता का कम हो हो रही है साथ ही खाद्य पदार्थों में शुद्धता की कमी होती जा रही है। कुछ लोग उन व्यंजनों का प्रयोग अत्याधिक करने लगे हैं जो केवल स्वाद देते हैं परन्तु स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

प्रश्न 3 खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?

उत्तर- खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, आगरा के पेठे आदि।

निबंध से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 106-107)

प्रश्न 1 घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाज़ार से आती हैं? इनमें से बाज़ार से आनेवाली कौन सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?

उत्तर- मैं उत्तर भारतीय निवासी हैं। हमारे घर में कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं तथा कई तरह के बाजार से लाया जाता है। घर में बनने वाली चीजें एवं बाजार से आने वाली चीजों की तालिका नीचे दी जा रही है।

हमारे घर में बननेवाली चीजें 

बाजार से आनेवाली चीजें

दाल
रोटी
सब्ज़ी, कड़ी
राजमा-चावल
छोले, भटूरे, खीर,
हलवा

समोसे
जलेबी
ब्रेड पकौड़े
बरफ़ी, आइसक्रीम
ढोकला
गुलाबजामुन

प्रश्न 2 यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए-

उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला

भोजन

कैसे पकाया

स्वाद

 

 

 

उत्तर-

भोजन

कैसे पकाया

स्वाद

दाल

उबालना

नमकीन

भात

उबालना

फीका/ नमकीन

रोटी

सेंकना

फीका/ मीठा

पापड़

तलना/ सेंकना

नमकीन

आलू

उबालना

नमकीन

बैंगन

तलना/ भूनना

नमकीन/ कसैला

प्रश्न 3 छौंक, चावल, कढ़ी

इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है?

उत्तर- छौंक, चावल और कढ़ी में निम्न अंतर है-

छौंक-यह प्याज, टमाटर, जीरा व अन्य मसालों से बनता है। कढ़ाई या किसी छोटे आकार के बर्तन में घी या तेल गर्म करके उनमें स्वादानुसार प्याज, टमाटर व जीरे को भूना जाता है। कई बार इसमें धनिया, हरी मिर्च, कसूरी मेथी, इलाइची व लौंग आदि भी डाले जाते हैं। छौंक जितना चटपटा बनाया जाए सब्जी उतनी स्वाद बनती है।

चावल-चावल कई प्रकार से बनते हैं।

उबले (सादा) चावल–एक भाग चावल व तीन भाग पानी डालकर उबालकर बनाना। चावल पकने पर फालतू पानी बहा देना।

पुलाव-जीरे व प्याज को घी में भूनकर चावलों में छौंक लगाना। खूब सारी सब्ज़ियाँ डालकर पकाना। इसमें पानी नापकर डाला जाता है। जैसे एक गिलास चावल तो दो गिलास पानी। कई बार सब्जियों को अलग पकाकर चावलों में मिलाया भी जाता है।

खिचड़ी-चावलों को दाल के साथ मिलाकर बनाना। इसमें पानी अधिक मात्रा में डाला जाता है। जैसे-एक भाग चावल, आधा भाग दाल व तीन से चार भाग पानी। पकने के बाद जीरे व गर्म मसाले का छौंक लगाया जाता है।

(नोट-इन सब में नमक स्वादानुसार डाला जाता है।)

इसके अतिरिक्त खाने का रंग, गुड़ या चीनी डालकर मीठे चावल भी बनाए जाते हैं। कढ़ी-बेसन और दही मिलाकर, उसमें खूब पानी डालकर उबाला जाता है फिर उसमें बेसन के पकौड़े बनाकर डाले जाते हैं। पकने पर इसमें स्वादानुसार मसाले डालकर छौंक लगाया जाता है।

यदि हम ध्यान से इनमें अंतर करें तो पाएँगे कि कढ़ी एक प्रकार की सब्जी, छौंक किसी सब्ज़ी या दाल को स्वाद बनाने वाला व चावल जिन्हें सब्जी, दाल या दही के साथ खाया जाता है।

प्रश्न 4 पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तसवीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा

सन् साठ का दशक- छोले-भटूरे

सन् सत्तर का दशक- इडली-डोसा सन्

अस्सी का दशक- तिब्बती (चीनी) भोजन

सन् नब्बे का दशक- पीज़ा, पाव-भाजी।

·       इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तसवीर का खाका खींचिए।

उत्तर-

दशक

महिलाओं की पोशाक

पुरुषों की पोशाक

सन् साठ

साड़ी-ब्लाउज/ लहंगा-चोली/ सलवार-कमीज

धोती-कुर्ता, पैंट-शर्ट, कुर्ता-पाजामा

सन् सत्तर

साड़ी-ब्लाउज/ सलवार-कमीज, स्कर्ट-टॉप/ बेलबाटम-टॉप

पैंट-शर्ट, कुर्ता-पाजामा, कोट-पैंट-टाई

सन् अस्सी

साड़ी-ब्लाउज/ सलवार-कमीज स्कर्ट-टॉप/ जींस-टॉप कोट-पैंट-टाई/ जींस-टीशर्ट

पैंट-शर्ट कुर्ता-पाजामा

सन् नब्बे

साड़ी-ब्लाउज/ सलवार कमीज/ स्कर्ट-टॉप/ जींस-टॉप

पैंट-शर्ट, कुर्ता-पाजामा, जींस-टी शर्ट/ कोट-पैंट-टाई

शेरवानी/ पठानी सूट

प्रश्न 5 मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पांरपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची (मेन्यू) बनाइए।

उत्तर- व्यंजन-सूची (मेन्यू)

·       चावल सादा

·       रायता

·       पुलाव

·       पापड़

·       चावल जीरा

·       चिप्स

·       आम अचार, नीबू अचार, करेला अचार, कटहल अचार, गाजर अचार, भरवां मिर्च अचार मिश्रित

·       सलाद

·       पूड़ी

·       तवा रोटी,  मटर-पनीर, दाल-अरहर, रुमाली रोटी, शाही पनीर, दाल-मटर, तंदूरी रोटी, पनीर, मिक्स दाल-मसूर, मिस्सी रोटी, आलू-पालक, दाल-उरद, नान(सादा), आलू-गोभी, दाल-मिक्स, कुलचे

·       आलू-सोयाबीन, दाल मखनी

·       आलू-राजमा, दाल-तड़का, पूड़ी बेसन, आलू-मेथी, दाल-फ्राई कचौड़ी (दाल), कढ़ी-पालक, कचौड़ी (आलू), बैगन का भरता, पराँठे

·       कढ़ी-गाजर, बेसन नान आलू, गोभी कढ़ी-मिक्स

·       कढ़ी-पकौड़ा, मेंथी-पालक, आलू-मटर-टमाटर.

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 107)

प्रश्न 1 ‘फास्ट फूड' यानी तुरंत भोजन के भफे-नुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें।

उत्तर- ‘फास्ट फूड' समय की बचत करते हैं और ये स्वादिष्ट भी होते हैं परंतु ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और कई तरह की बीमारियों को न्यौता देते हैं।

प्रश्न 2 हर शहर, कस्बे में कुछ ऐसी जगहें होती हैं जो अपने किसी खास व्यंजन के लिए जानी जाती हैं। आप अपने शहर, कस्बे का नक्शा बनाकर उसमें ऐसी सभी जगहों को दर्शाइए।

उत्तर- कुछ शहरों के उदाहरण


प्रश्न 3 खानपान के मामले में शुद्धता का मसला काफी पुराना है। आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट को देखा है? किसी फिल्म या अखबारी खबर के हवाले से खानपान में होनेवाली मिलावट के नकसानों की चर्चा कीजिए।

उत्तर- खानपान में शुद्धता स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। अशुद्ध खाद्य पदार्थ कई तरह की बीमारियों को न्यौता देते हैं। फिर भी आजकल भोज्य पदार्थों में मिलावट बढ़ती ही जा रही है। हम दूध से ही इसकी शुरुआत कर सकते हैं। दूध में पानी मिलाना तो अब सामान्य सी बात हो गई है। पिसे हुए मसालों में भी कई तरह की मिलावट की जा रही हैं। हाल ही में अखबारों में यह खबर आई थी कि रेडिमेड मसालों में घोड़े की लीद मिलाई जा रही हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं। आज के मुनाफाखोरी के युग में लोग कोई भी समझौता करने को तैयार हैं। लोगों को स्वास्थ्य की फिक्र जरा भी नहीं है। यह कोई नहीं जानना चाहता कि इस तरह की मिलावट शरीर पर क्या असर डालती हैं। लाभ कमाने के चक्कर में लोगों ने अपने कर्तव्य की ओर से आँखें मूंद ली हैं। यह प्रवृत्ति खतरनाक हैं। हमें सजग होकर खाद्य पदार्थों में किसी भी तरह की मिलावट का विरोध करना चाहिए।

भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 107)

प्रश्न 1 खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इन वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए-

सीना-पिरोना, भला-बुरा, चलना-फिरना,लंबा-चौड़ा, कहा-सुनी, घास-फूस।

उत्तर- दादी माँ सीना-पिरोना अच्छी तरह जानती हैं।

राजू भला-बुरा कुछ नहीं समझता।

चलना-फिरना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

सड़क पर मैंने एक लंबा-चौड़ा फौजी देखा।

दोनों भाइयों में कुछ कहा-सुनी हो गई है।

उसका घर घास-फूस का बना हुआ है।

प्रश्न 2 कई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरूआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे दिया जा सकता है-

इडली - दक्षिण - केरल - ओणम् - त्योहार - छुट्टी - आराम..

उत्तर- आराम - कुर्सी - लकड़ी - पेड़ - जंगल - जानवर - चिड़ियाघर

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