Pustake Jo Amar Hai Class 7 Question Answer

Welcome to the spellbinding world of words, my dear knowledge navigators! Today, we embark on a literary adventure that's as immortal as the fabulous phoenix—with the chapter 'Pustake Jo Amar Hain.' Have you ever wondered why some books become our forever friends, accompanying us on the roller coaster of life? Well, fasten your intellectual seatbelts, because we're about to dive deep into the Pustake Jo Amar Hain Question Answer treasure trove!

Wasn't it just yesterday when we were frolicking through the pages of time? Today, we stand poised with our Pustake Jo Amar Hain Class 7 Question Answer guide, like valiant voyagers charting the unexplored territories of this timeless text. Each of you eager learners will become a detective of dialogues, an explorer of explanations, as we sleuth our way through the Class 7 Pustake Jo Amar Hain Question Answer.

Now, imagine unfolding the Pustake Jo Amar Hain Summary like an ancient map, revealing the secret spots where knowledge and fun are buried. And what's this delightful path we see winding through the woods? Why, it's the Pustake Jo Amar Hain Class 7 Explanation trail, lined with luminous lanterns of literacy to light our way!

Hold onto your hats, for we have a marvelous tool—the Pustake Jo Amar Hain Class 7 Worksheet with Answers. It's a thrilling playground equipped with the swings of syntax and the seesaws of semantics, ensuring that no stone of understanding is left unturned. And for those with a competitive streak, prepare for the ultimate trivia triathlon with our set of Pustake Jo Amar Hain Class 7 MCQs – that'll quiz you quicker than you can say 'Pustak'!

As we wave our wands over the Class 7 Hindi Chapter 7 Question Answer syllabus, witness the magic as perplexing puzzles turn into aha moments. So, gather around, my bright bunch of bibliophiles. Let's turn the page on boredom and author our adventure in this chapter of cerebral celebration! 

अध्याय-7: पुस्तकें जो अमर हैं

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 7 CHAPTER 7 HINDI

पाठ से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 39)

-मनोज दास (अनुवाद- बालकराम नागर)

प्रश्न 1 सी ह्यांग ती के समय में पुस्तकें कैसे बनाई जीत थीं?

उत्तर- सी ह्यांग ती के समय में पुस्तकें लकड़ी के टुकड़ों पर अक्षर खोदकर बनाई जीत थीं। उस समय कागज़ का आविष्कार नहीं हुआ था। अतः लकड़ी के टुकड़ों पर किताबें बनाई जाती थीं।

प्रश्न 2 पाठ के आधार पर बताओ कि राजा को पुस्तकों से क्या खतरा था?

उत्तर- राजा को लगा कि यदि किसी ने राजाओं के बारे में बुरा-भला लिखा होगा, तो उसकी प्रजा पर इससे बुरा असर पड़ेगा। उसका मानना था कि प्रजा को अपने राजा द्वारा दी गई आज्ञाओं का पालन करना चाहिए और समय पर कर देना चाहिए। परन्तु पुस्तकों के अध्ययन से प्रजा बागी हो सकती थी। अत: राजा ने सभी पुस्तकें जलवा दी।

प्रश्न 3 पुराने समय से ही अनेक व्यक्तियों ने पुस्तकों को नष्ट करने का प्रयास किया। पाठ में से कोई तीन उदाहरण ढूँढ़कर लिखो।

उत्तर- निम्नलिखित उदाहरणों से पता चलता है कि तीन बार पुस्तकों को नष्ट करने का प्रयास किया गया था-

·       सबसे पहले चीनी सम्राट सी ह्यांग ती के नाम का उदाहरण दिया गया है। उसने अपने समय में राज्य में विद्यमान सभी पुस्तकों को जलवा दिया था।

·       दूसरा उदाहरण भारत में छठी शताब्दी में नालंदा विश्वविद्यालय था। इसे आक्रमणकारियों ने जलाकर राख कर दिया था।

·       तीसरा उदाहरण प्राचीन नगर सिकंदरिया में स्थित एक बड़े पुस्तकालय का है। इसे भी जान-बूझकर जला दिया गया था।

प्रश्न 4 बार-बार नष्ट करने की कोशिशों के बाद भी किताबें समाप्त नहीं हुईं। क्यों?

उत्तर- बार-बार नष्ट करने की कोशिशों के बाद भी किताबें समाप्त नहीं हुईं। क्योंकि पुस्तक प्रेमियों ने उसे कंठस्थ किया हुआ था। मनुष्य लकड़ी को जला सकता है, दीवार या शीलाओं को तोड़ सकता है। परन्तु मनुष्य के मन को नहीं मार सकता। इसलिए पुस्तकें जलाने के बाद भी लोगों के मन के अंदर जीवित रहीं। जैसे ही राजा मरा सबने उन्हें पुनः लकड़ी के टुकड़ों में उकेर दिया। ऐसा करने से अन्य लोग भी उन पुस्तकों को पुनः पढ़ पाए।

तुम्हारी बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 39)

प्रश्न 1 किताबों को सुरक्षित रखने के लिए तुम क्या करते हो?

उत्तर- किताबों को सुरक्षित रखने के लिए मैं उन्हें पुस्तकों की अलमारी में ही रखता हूँ। बराबर उनकी साफ़-सफ़ाई करता हूँ। पुस्तकों पर कवर चढ़ाकर रखता हूँ ताकि उनमें धूल-मिट्टी न जमें। बहुत ही कीमती पुस्तकों को पॉलिथीन से ढककर सुरक्षित रखता हूँ।

प्रश्न 2 पुराने समय में किताबें कुछ लोगों तक ही सीमित थीं। तुम्हारे विचार से किस चीज़ के आविष्कार से किताबें आम आदमी तक पहुँच सकीं?

उत्तर- पुराने समय में पुस्तकें आम आदमी की पहुँच से इसलिए बाहर थी क्योंकि वह लकड़ी के टुकड़ों या पत्थरों पर उकेरकर बनाई जाती थी। उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक लेकर जाना कठिन होता था। कागज़ के आविष्कार के बाद ही पुस्तकें आम आदमी तक पहुँच पायीं और इंटरनेट ने तो सोने पर सुहागा का काम किया है। अब लोग किसी भी स्थान पर अपनी पसंद की पुस्तकें पढ़ सकते हैं। यह ई-बुक के नाम से प्रचलित हैं।

सही शब्द भरो (पृष्ठ संख्या 39)

प्रश्न 1 साहित्य की दृष्टि से भारत का_______महान है। (अतीत/ भूगोल)

उत्तर- साहित्य की दृष्टि से भारत का अतीत महान है।

प्रश्न 2 पुस्तकालय के तीन विभागों को जलाकर_______कर दिया गया। (गर्म/ राख)

उत्तर- पुस्तकालय के तीन विभागों को जलाकर राख कर दिया गया।

प्रश्न 3 उसे किताबों सहित________में दफ़ना दिया गया। (ज़मीन/ आकाश)

उत्तर- उसे किताबों सहित ज़मीन में दफ़ना दिया गया।

प्रश्न 4 कागज़ ही जलता है,________तो उड़ जाते हैं। (शब्द/ पांडुलिपियाँ)

उत्तर- कागज़ ही जलता है, शब्द तो उड़ जाते हैं।

पढ़ो, समझो और करो (पृष्ठ संख्या 40)

प्रश्न 1

इतिहास

इतिहासकार

शिल्प

………

गीत

………

संगीत

………

मूर्ति

………

रचना

………

उत्तर-

इतिहास

इतिहासकार

शिल्प

शिल्पकार

गीत

गीतकार

संगीत

संगीतकार

मूर्ति

मूर्तिकार

रचना

रचनाकार

दोस्ती किताबों से (पृष्ठ संख्या 40)

प्रश्न 1 तुमने अब तक पाठ्यपुस्तकों के अतिरिक्त कौन-कौन सी पुस्तकें पढ़ी हैं? उनमें से कुछ के नाम लिखो।

उत्तर- मैंने अब तक चंदामामा, नंदन, चंपक, पंचतंत्र इत्यादि पुस्तकें पढ़ी हैं। ये मनोरंजन से भरपूर बाल-पत्रिकाएँ हैं।

प्रश्न 2 क्या तुम किसी पुस्तकालय या पत्रिका के सदस्य हो? उसका नाम लिखो।

उत्तर- हाँ मैं दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी का सदस्य हूँ। बहुत ही कम शुल्क में इसकी सदस्यता प्राप्त की जा सकती है। यह सरोजनी नगर में स्थित है और यह पुस्तकालय बहुत ही बड़ा

कहानी किताब की (पृष्ठ संख्या 40)

प्रश्न 1 मान लो कि तुम एक किताब हो। नीचे दी गई जगह में अपनी कहानी लिखो।

मैं एक किताब हूँ। पुराने समय से ...............................

उत्तर-  मैं एक किताब हूँ। पुराने समय से मनुष्य को ज्ञान बाँटती आ रही हूँ। जब तक ताड़पत्रों, तामपत्रों तथा कागज़ का आविष्कार नहीं हुआ था। लोगों द्वारा पत्थरों की शिलाओं तथा लकड़ी के पत्थरों पर मुझे उकेरा जाता था। मेरा यह स्वरूप बहुत भारी था। लोग मुझे सरलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं ले जा पाते थे। अत: मेरा ज्ञान कुछ ही लोगों तक सीमित था। मैं स्वयं ही अपनी दशा से बहुत परेशान थी। परन्तु धीरे-धीरे ताड़पत्रों का प्रयोग बढ़ा उसके बाद ताम्रपत्रों का तथा बाद में कागज़ का प्रयोग हुआ। फिर क्या था मैं तेज़ी से लोगों की ज्ञान पिपासा शांत करने लगी। समय बदले और युग बदले आज मैं ई-पुस्तक के रूप में भी विद्यमान हूँ। कोई भी चाहे मुझे सरलतापूर्वक पढ़ सकता है। मेरी यात्रा का कोई अंत नहीं है। मैं सदियों से विद्यमान थी और आने वाले हज़ारों सालों तक विद्यमान रहूँगी। मेरे अंदर हर प्रकार का ज्ञान वर्णित करके रखा गया है और यही मेरी विशेषता और महत्वता को प्रदर्शित करता है।

वाक्य विश्लेषण (पृष्ठ संख्या 40)

प्रश्न 1 नीचे लिखे शब्दों में सही अक्षर भरो-

किसी भी वाक्य के दो अंग होते हैं- उद्देश्य और विधेय। वाक्य का विश्लेषण करने में वाक्य के इन दोनों खंडों और अंगों को पहचानना होता है।

उद्देश्य

विधेय

मुख्यउद्देश्य

कर्ता का विशेषण

क्रिया

कर्म

कर्म काविशेषण

पूरक

विधेय विस्तारक

मोहन

मेरा भाई

पढ़ रहा है

हिंदी

सात कक्षा में

नीचे लिखे वाक्य का विश्लेषण करो।

मोहन के गुरू जी श्याम पट्ट पर प्रश्न लिख रहे हैं।

उत्तर-

उद्देश्य

विधेय

मुख्यउद्देश्य

कर्ता का विशेषण

क्रिया

कर्म

कर्म काविशेषण

पूरक

विधेय विस्तारक

मोहन

गुरूजी

लिख रहेहैं

प्रश्न

श्याम पट्ट पर


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