Ahoy, young writers and word wizards of Class 6! Have you ever embarked on the enchanting journey of writing letters? No, no, I'm not talking about those digital pings and pongs we exchange on our gadgets. I mean the magical कला (art) of औपचाररक पत्र लेखन (formal letter writing) and the heartwarming charm of अनौपचारिक पत्र लेखन (informal letter writing), especially crafted in the beautiful Hindi language.
Imagine navigating through the bustling lanes of औपचारक पत्र लेखन हिंदी class 6. Here, every word you pen down is like a step taken with grace, each sentence a polite bow to express respect, gratitude, requests, or even to share some splendid news. With the aupcharik patra lekhan format in Hindi, you're like a skilled architect, constructing a masterpiece with the bricks of शिष्टाचार (etiquette).
Yet, sometimes, the heart longs for a stroll down the cosy path of अनौपचारिक पत्र लेखन, where your words frolic and dance in the joyful meadows of personal stories, laughter, and heartfelt queries. The anopcharik patra lekhan format is your playground, where sentences flow like a merry stream of thoughts, unencumbered by formal ties.
As we toggle between the formal and informal letter writing in Hindi, let's not forget that each letter, whether aupcharik or anopcharik, is a vessel carrying our thoughts across the sea of communication. So, whether you're drafting a letter to a dignitary using the hindi patra lekhan format aupcharik or penning down a mirthful note to a friend in anopcharik patra lekhan hindi, remember, it's not just about transferring information; it's about wrapping your message in the warmth of your persona.
So, dear explorers of हिंदी पत्र लेखन, embark on this fascinating journey with pen and heart in hand. Write, express, connect, and discover the endless possibilities that lie between the folds of a letter. Shall we begin?
पत्र लेखन की परिभाषा ।
पत्र लेखन का अर्थ - कागज के माध्यम से समाचारो का आदान प्रदान करना ही पत्र लेखन कहलाता है। प्राचीन समय में पत्र लेखन का प्रचलन बहुत अधिक था, फिर चाहे पत्र औपचारिक हो या अनौपचारिक दोनों ही स्तिथी में कागज में लिखे जाने वाले पत्रों का उपयोग किया जाता था।
परन्तु आज समय की आधुनिकता के साथ साथ सभी चीज़ो का आधुनिकरण हो रहा है। अब लोग अनौपचारिक पत्रों के लिए मोबाइल, टेलीफ़ोन, टेलीग्राम आदि का इस्तेमाल करने लगे है, लेकिन आज भी औपचारिक पत्र तो कागज के माध्यम से ही पहुंचाए जा रहे है। इसलिए आइये पत्र लेखन क्या है?, पत्र लेखन किसे कहते हैं इसे विस्तार में समझते है।
पत्र लेखन का इतिहास।
पत्र लेखन की विधा बहुत ही पुरानी है। परंतु यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि पत्र लेखन का प्रारंभ कब हुआ कहां से हुआ और कैसे हुआ? किसने पहली बार पहली बार पत्र, कब कैसे और क्यों लिखा?
इन कठिन प्रश्नों का उत्तर आज तक इतिहास में कहीं भी देखने को नहीं मिला फिर भी इतना कह सकते हैं कि जब से हमारा मानव जीवन आरंभ हुआ है और हमने लिखना सीखा है तब से ही पत्र लेखन प्रारंभ हो गया था।
पत्र लेखन से क्या अभिप्राय है।
आज हमारे इतिहास के माध्यम से पता चलता है कि भाषा वैज्ञानिकों का कहना है कि अपने मन की बात को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए हम जिस लिपि का प्रयोग करते थे वह चित्र लिपि होती थी। आज हम भली भांति जानते हैं कि किसी भी तरह के लेखन का इतिहास चित्रलिपि से ही प्रारंभ होता है।चित्र लिपि के अंतर्गत किसी अन्य लिपियों का भी विकास हुआ है जो निम्न है- सूत्र लिपि,प्रतीकात्मक लिपि, भाग मूलक, ध्वनिमुलक लिपि। चित्र लिपि एवं भाव मूलक लिपि के प्राचीन प्रमाण आज भी हमारे इतिहास में उपलब्ध है परंतु यह अत्यधिक प्राचीन नहीं है लेकिन स्पष्ट है कि विभिन्न खोजकर्ताओं की खोज से लेखन का प्रारंभ चित्र लिपि एवं भाग लिपि से ही हुआ है।
हम सभी इस जानते हैं कि पत्र लेखन एक सबसे महत्वपूर्ण एवं उपयोगी कला में से है और हम यह भी जानते हैं कि पत्र के उपयोग के बिना हमारे कार्य भी पूर्ण नहीं होते। हम दूर बैठे हुए संबंधी, मित्र को अपने मन की बात पत्र के द्वारा ही लिखकर पहुंचाते हैं। आधुनिक पत्र लेखन अर्थात पत्राचार शिष्टाचार का एक मुलक बन गया है। साहित्य के प्रमुख क्षेत्रों में आज पत्र लेखन भी पत्र साहित्य का रूप धारण किए हुए है।अब हम सभी देखते हैं कि पत्र लेखन ना केवल संप्रेषण अपितु प्रभावशाली कला सुंदर रूप बन गया है।
पत्रों के प्रकार।
पत्र लेखन के मुख्यतः दो प्रकार होते है।
· औपचारिक पत्र लेखन -
· अनौपचारिक पत्र लेखन -
हम पत्र तो लिखना जानते है लेकिन यह समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है कि आखिर पत्र औपचारिक है या अनोपचारिक। बस यही समस्या का समाधान करने के लिए आज हम इन दोनों प्रकारो को विस्तार से समझेंगे।
औपचारिक पत्र लेखन।
ऐसे पत्र जिसे किसी सरकारी, अर्धसरकारी विभाग अथवा व्यवसायिक क्षेत्रों में लिखा जाता है उन पत्रों को औपचारिक पत्र कहा जाता है। औपचारीक पत्रों को लिखते समय बहुत ही सावधानी बरतनी पड़ती है क्योकि इस तरह के पत्रों की भाषा शैली भी औपचारिक ही होती है। ये निश्यित स्वरुप के सांचे में ढले हुए होते है। इन पत्रों के अंतर्गत शिकायत पत्र,निमंत्रण पत्र, सुझाव पत्र आते है।
औपचारिक पत्र लेखन कला को सरलता से सीखने के लिए आपको यह जानना बहुत आवश्यक है
अनौपचारीक पत्र लेखन।
ऐसे पत्र जिन्हे लिखते समय सोच विचार करने की आवश्यकता न हो बल्कि अपनी सरल भाषा शैली का प्रयोग किया जाए उसे अनौपचारिक पत्र कहा जाता है। अनौपचारिक पत्र सबंध परक होते है ये पत्र परिवार, रिश्तेदार अथवा मित्र को लिखे जाते है। अनौपचारिक पत्रों का विषय हमेशा घरेलु एवं व्यक्तिगत होता है इसीलिए इन पत्रों को व्यक्तिगत पत्र भी कहा जाता है।
पत्र लेखन की विशेषताएं।
पत्र लेखन की जितनी विशेषताएं लिखी जाए उतनी ही कम है क्योकि पत्र लेखन एक कला है। और किसी भी कला की विशेषताए कभी काम नहीं होती।
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क्रमबद्धता पर ध्यान दिया जाता है।
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भाषा की संछिप्तता होती है।
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भाषा स्पष्ट एवं प्रचलित शब्दों से परिपूर्ण होती है।
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प्रभावपूर्ण शैली का प्रयोग किया जाता है।
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पत्रों का लेखन उद्देश्यपूर्ण होता है।
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पाठक की हर जिज्ञासाओं का समाधान मिलता है।
पत्र लेखन करते समय हमें किन बातो को ध्यान में रखना चाहिए
आइये अब हम यहाँ जानेंगे की पत्र लेखन करते समय हम ऐसी कोन - कोन सी बात को ध्यान में रखे जिससे हमारे द्वारा लिखे गए पत्र में कोई गलती न हो और पढ़ने वाले को भी पत्र का सार समाझ आ जाये।
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सर्वप्रथम हमे जिस विषय में पत्र लिखना है उसका विषय स्पष्ट होना चाहिए।
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पत्र की भाषा शैली आदरयुक्त सरल तथा मधुर होनी चाहिए।
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काम शब्दों का प्रयोग कर उसे अधिक समझाने की युक्ति आनी चाहिए।
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पत्र का प्रारंभिक भाग में पत्र लेखक का नाम,प्राप्तकर्ता का नाम,पता,दिनांक लिखने का ध्यान रखना अति आवश्यक है।
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पत्र के अंतिम चरण में पहुंचने पर पत्र का सार स्पष्ट रूप से समाझ आना आवश्यक है।
पत्र लेखन करते समय लेखक को निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है जैसे कि आकार, भाषा, क्रम, शिष्टता, कागज, लिखावट।
आकार - बच्चों का आकार हमेशा छोटा अर्थात संछिप्त होना चाहिए। क्योंकि संक्षिप्त लिखावट वाले पत्र अच्छे पत्र के श्रेणी में आते हैं।
भाषा - पत्र लेखन करते समय भाषा एकदम सरल और भावपूर्ण होनी चाहिए ताकि पाठक को करते समय किसी तरह का मन में कोई भी संदेश ना रहे छोटे वाक्यों को लिए हुए विराम चिन्ह का ध्यान रखते हुए लिखा गया पत्र भाषा शैली में चार चांद लगा देता है।
क्रम - किसी भी लेखन को लिखते समय हम उसके क्रम का ध्यान रखते हैं उसी तरह पत्रिका लेखन करते समय क्रम का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है क्रम में बंधी हुई चीजें समझने में आसान होती हैं एवं पाठक को पत्र पढ़ने में उत्साह की अनुभूति होती है। पत्र लेखन करते समय क्रम का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
शिष्टता - अच्छे पत्र की विशेषताएं होती है कि वहसिंबू पत्र लेखन व्यक्ति की अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करता है उसके चरित्र को दर्शाता है इसीलिए पत्र में लेखन में शिष्टता होना आवश्यक है।
काग़ज़ - पत्र लेखन के लिए सर्वप्रथम हमारे पास अच्छे गुणवत्ता वाले कागज का होना अनिवार्य है।
लिखावट - लेखन करता की लिखावट से स्पष्ट होता है कि पत्र कैसा है लिखावट के अनुरूप ही अच्छे पत्र की श्रेणी वर्गीकृत किया जाता है।