Class 6 Jo Dekhkar Bhi Nahi Dekhte worksheet with Answer

एनसीईआरटी कक्षा 6 अध्याय हिंदी अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते वर्कशीट उत्तर के साथ

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Engaging with the "Dekhkar Bhi Nahi Dekhte class 6 question answer," students are drawn into a multifaceted exploration of themes, enabling them to articulate their thoughts and reflections with precision and clarity. The "Class 6 Hindi chapter 9 question answer" segments are meticulously crafted, ensuring that each query stimulates critical thinking and fosters an enriched comprehension of the text's underlying messages.

Each page of the Class 6 "Dekhkar Bhi Nahi Dekhte" unfolds a narrative that resonates with the curious and the insightful alike, pushing learners to recognize the unnoticed and appreciate the subtle intricacies of their environment. It’s an invigorating journey through words and wisdom, making "Dekhkar Bhi Nahi Dekhte" not just a chapter to be read, but an experience to be lived, pondered over, and cherished by the inquisitive souls of Class 6.

प्रस्तुत पाठ लेखिका हेलेन केलर द्वारा लिखा गया प्रेरक लेख है। जो स्वयं दृष्टिहीन और बधिर थी। इस पाठ के द्वारा उन्होंने मनुष्यों को अपना जीवन बेहतर बनाने की प्रेरणा दी है।

लेखिका की सहेली कुछ दिन पहले जंगल की सैर कर आई थी। लेखिका ने जानना चाहा कि उसने जंगल में क्या देखा परन्तु उसने बताया कि कुछ खास नहीं। लेखिका को ऐसे उत्तर सुनने की आदत हो गई थी। इसलिए उन्हें अपनी सहेली के जवाब पर आश्चर्य नहीं हुआ। लेखिका को लगता था कि कोई इतना घूमकर भी विशेष चीजें कैसे नहीं देख सकता, जबकि वो दृष्टिहीन होते भी सब कुछ देख लेती है।

लेखिका रोजाना सैकड़ों चीजों को छूकर पहचान लेती थी। लेखिका केवल स्पर्श मात्र से ही भोजपत्र की चिकनी छाल, चीड़ की खुरदरी छाल, वसंत में खिली कलियाँ तथा फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह को पहचान लेती थी। अपनी अँगुलियों के बीच बहते पानी को महसूस करने में उन्हें आनंद मिलता था। बदलता मौसम उनके जीवन में खुशियाँ भर देता जब चीजों को छूने मात्र से ही उन्हें इतनी खुशी मिलती थी यदि वे इन सब चीजों को देख पाती तो वे उन मैं खो ही जाती।

लेखिका के अनुसार जिनकी आँखें होती है वे लोग बहुत ही कम देखते हैं। वे प्रकृति को लेकर असंवेदनशील होते हैं। मनुष्य के पास जिस चीज की भी कमी होती है उसे वह पाने के लिए लालायित रहता है। ईश्वर से प्राप्त दृष्टि को मानव एक साधारण वस्तु समझकर उसका उचित प्रयोग करता ही नहीं है। परन्तु यदि इसी चीज का उचित प्रयोग किया जाय तो जीवन में इन्द्रधनुषी रंग भरे जा सकते हैं।


 

NCERT SOLUTIONS

निबंध से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 82)

प्रश्न 1 जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं’- हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता था?

उत्तर- एक बार हेलेन केलर की प्रिय मित्र जंगल में घूमने गई थी। जब वह वापस लौटी तो हेलेन केलर ने उससे जंगल के बारे में जानना चाहा तो उसकी मित्र ने जवाब दिया कि कुछ खास नहीं तब उस समय हेलेन केलर को लगा कि सचमुच जिनके पास आँखें होती है वे बहुत ही कम देखते हैं।

प्रश्न 2 प्रकृति का जादू’ किसे कहा गया है?

उत्तर- प्रकृति के अनमोल खजाने को, उसके अनमोल सौंदर्य और उसमें होने वाले नित्य-प्रतिदिन बदलाव को ‘प्रकृति का जादू’ कहा गया है।

प्रश्न 3 कुछ खास तो नहीं’- हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों हुआ?

उत्तर- एक बार हेलेन केलर की प्रिय मित्र जंगल में घूमने गई थी।जब वह वापस लौटी तो हेलेन केलर ने उससे जंगल के बारे में जानना चाहा तब उसकी मित्र ने जवाब दिया कि कुछ खास नहीं।

यह सुनकर हेलेन केलर को बड़ा आश्चर्य हुआ कि लोग कैसे आँखें होकर भी नहीं देखते हैं क्योंकि वे तो आँखें न होने के बावजूद भी प्रकृति की बहुत सारी चीज़ों को केवल स्पर्श से ही महसूस कर लेती हैं।

प्रश्न 4 हेलेन केलर प्रकृति की किन चीज़ों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थीं? पाठ पढ़कर इसका उत्तर लिखो।

उत्तर- हेलन केलर भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती थी। वसंत के दौरान वे टहनियों में नयी कलियाँ, फूलों की पंखुडियों की मखमली सतह और उनकी घुमावदार बनावट को भी वे छूकर पहचान लेती थीं। चिडिया के मधुर स्वर को वे सुनकर जान लेती थीं।

प्रश्न 5 जबकि इस नियामत से ज़िंदगी को खुशियों के इन्द्रधनुषी रंगों से हरा-भरा जा सकता है।’- तुम्हारी नज़र में इसका क्या अर्थ हो सकता है?

उत्तर- दृष्टि हमारे शरीर का कोई साधारण अंग नहीं है बल्कि यह तो ईश्वर प्रदत्त नियामत है। इसके जरिए हम प्रकृति निर्मित और मानव निर्मित हर एक वस्तु का आनंद उठा सकते हैं। ईश्वर के इस अनमोल तोहफ़े से हम अपना जीवन खुशियों से भर सकते हैं। अत: हमें ईश्वर का शुक्रगुजार होते हुए इसकी कद्र भी करनी चाहिए।

निबंध से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 83)

प्रश्न 1 आज तुमने अपने घर से आते हुए बारीकी से क्या-क्या देखा-सुना? मित्रों के साथ सामूहिक चर्चा कीजिए।

उत्तर- रोज की तरह आज भी मैं पैदल ही अपने घर जा रही थी। विद्यालय के फाटक से बाहर निकलते ही मुझे बाहर बैठने वाले खोमचें वालों की बच्चों को अपने सामान की ओर आकर्षित करने वाली आवाज़ें सुनाईं पड़ीं। आगे बढ़ने पर रास्ते पर कार, साइकिलें, रिक्शा बस की एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ दिखाई पड़ी। उनसे बचकर जब मैं आगे मुड़कर मेरे घर की ओर जाने वाली शांत सड़क पर निकली तो मुझे सड़क के दोनों ओर लगे गुलमोहर, अशोक और आम के पेड़ों के झूमने से ठंडी हवाओं का स्पर्श महसूस हुआ। इन्हीं पेड़ों पर कुछ नन्हीं गिलहरियाँ भी रहती हैं जो सर्र से नीचे-ऊपर कर रही थी। थोड़े समय तक में इनकी इस क्रीड़ा में खो सी गई परन्तु फिर माँ का ध्यान आते ही मैं दौड़कर घर की ओर चल पड़ी।

प्रश्न 2 कान से न सुनने पर आस पास की दुनिया कैसी लगती होगी? इस पर टिप्पणी लिखो और साथियों के साथ विचार करो।

उत्तर- ईश्वर प्रदत्त शारीरिक अंगों में कान भी शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इसके काम न करने पर हमें बाहरी दुनिया बड़ी ही अजीब सी लगती होगी। हमारे लिए विचारों का आदान-प्रदान करना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि हम न तो किसी की बात समझ पाएँगें और ना ही किसी को अपनी बात समझा पाएँगें।

प्रश्न 3 हम अपनी पाँचों इंद्रियों में से आँखों का इस्तेमाल सबसे ज्य़ादा करते हैं। ऐसी चीज़ों के अहसासों की तालिका बनाओ जो तुम बाकी चार इंद्रियों से महसूस करते हो- सुनना, चखना, सूँघना, छूना।

उत्तर-

सुनना (कान)

चखना (जीभ)

सूँघना (नाक)

छूना (त्वचा)

कर्कश ध्वनियाँ कुछ पशु-प्राणियों की आवाज़ें

मिठास - फल, मिठाई

सुगंध - इत्र, फूलों की खुशबू, खाद्य पदार्थ

गर्म - दूध, चाय या अन्य पेय पदार्थ

मधुर-ध्वनियाँ -कोयल की बोली, पक्षियों की चहचहाट, गीत और संगीत के मधुर स्वर

कटु स्वाद - करेला, दवाईंयाँ

दुर्गंध - गंदा नाला

ठंडा - बर्फ, शरबत

 

तीखा, नमकीन स्वाद - मिर्च, नमक, सब्जी

 

मुलायम - फूलों की पंखुड़ियाँ

भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 83-84)

प्रश्न 1 पाठ में स्पर्श से संबंधित कई शब्द आए हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। बताओ कि किन चीज़ों का स्पर्श ऐसा होता है-

चिकना

-

........

चिपचिपा

-

........

मुलायम

-

........

खुरदरा

-

........

लिजलिजा

-

........

ऊबड़-खाबड़

-

........

सख्त

-

........

भुरभुरा

-

........

उत्तर-

चिकना

-

घी

चिपचिपा

-

गोंद

मुलायम

-

रेशमी कपड़ा

खुरदरा

-

कपड़ा

लिजलिजा

-

शहद

ऊबड़-खाबड़

-

पेड़ का तना

सख्त

-

पत्थर

भुरभुरा

-

रेत

प्रश्न 2 अगर मुझे इन चीज़ों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा।

उत्तर- रेखांकित संज्ञाएँ क्रमश: किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही हैं। ऐसी संज्ञाएँ भाववाचक कहलाती हैं। गुण और भाव के अलावा भाववाचक संज्ञाओं का संबंध किसी की दशा और किसी कार्य से भी होता है। भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इससे जुड़े शब्दों को हम सिर्फ़ महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते। नीचे लिखी भाववाचक संज्ञाओं को पढ़ों और समझो। इनमें से कुछ शब्द संज्ञा और कुछ क्रिया से बने हैं। उन्हें भी पहचानकर लिखो-

मिठास, भूख, शांति, भोलापन, बुढ़ापा, घबराहट, बहाव, फुर्ती, ताजगी, क्रोध, मज़दूरी।

क्रिया से बनी भाववाचक संज्ञा

विशेषण से बनी भाववाचक संज्ञा

जातिवाचक संज्ञा से बनी भाव वाचक संज्ञा

भाववाचक संज्ञा

घबराना से घबराहट

बूढ़ा से बुढ़ापा

मजदूर से मजदूरी

क्रोध और फुर्ती शब्द भाववाचक संज्ञा शब्द हैं।

बहाना से बहाव

ताजा से ताजगी

 

 

 

भूखा से भूख

 

 

 

शांत से शांति

 

 

 

मीठा से मिठास

 

 

 

भोला से भोलापन

 

 

प्रश्न 3 मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ।

उस बगीचे में अमलतास, सेमल, कजरी आदि तरह-तरह के पेड़ थे।

ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न हैं। नीचे ऐसे कुछ और समरूपी शब्द दिए गए हैं। वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट करो-

अवधि

-

अवधी

ओर

-

और

में

-

मैं

दिन

-

दीन

मेल

-

मैला

सिल

-

सील

उत्तर-

अवधि

अवधी

-

-

दो सप्ताह की अवधि इतने बड़े कार्यक्रम के लिए कम है।
कवि तुलसीदास अपनी रचना अवधी में करते थे।

में

मैं

-

-

कटोरी में खीर है।
मैं तो आज मेले जा रहा हूँ।

मेल

मैला ​​​​​​

-

-

इस गाँव के किसानों में बड़ा मेल है।
यह कपड़ा कितना मैला है।

ओर

और

-

-

नदी के दोनों ओर हरे-भरे वृक्ष लहरा रहे थे।
नीरज और नीरव सगे भाई हैं।

दिन

दीन

-

-

इस कार्य को तुम दिन में ही समाप्त कर लेना।
दीन व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए।

सिल

सील

-

-

सिल पर पीसे मसालों का स्वाद बढ़िया होता है।
इस लिफ़ाफे की सील खोल दो।

अनुमान और कल्पना (पृष्ठ संख्या 84-85)

प्रश्न 1 ये तारें गली को कहाँ-कहाँ से जोड़ती होंगी?

उत्तर- बिजली की तारें गली को ट्रान्सफॉर्मर से जोड़ती होंगी। टेलीफोन की तारें दूर स्थित मुख्य दूरभाष बक्से से जुड़ी होंगी। केबल की तारें किसी टी.वी. टावर से जुड़ी होंगी।

प्रश्न 2 इस तसवीर में तुम्हारी पहली नज़र कहाँ जाती है?

उत्तर- इस तसवीर में मेरी पहली नजर आसमान से आ रही रौशनी की तरफ जाती हैं।

प्रश्न 3 गली में क्या-क्या चीजें हैं?

उत्तर- गली में एक स्कूटर पर बैठा आदमी और साइकिल लेकर खड़ा व्यक्ति दिखाई दे रहा है। गली के एक ओर कुछ दुकानें हैं। दुकान की तरफ मुँह करके एक व्यक्ति खड़ा है। दुकानों की ऊपर की मंजिल की बालकनी से कपड़े लटक रहे हैं। गली की दूसरी ओर कुछ साइकिलें और मोटर साइकिल खड़ी है, एक ऑटोरिक्शा भी खड़ा है।

प्रश्न 4 इस गली में हमें कौन-कौन-सी आवाजें सुनाई देती होंगी?

सुबह के वक्त - दोपहर के वक्त

शाम के वक्त - रात के वक्त

उत्तर- सुबह के वक्त गली में साइकिल की घंटियों, मंदिर के लाउडस्पीकरों, स्कूटर और ऑटोरिक्शा, दूधवाले तथा फेरीवालों की ध्वनियाँ सुनाई देती होंगी।

दोपहर के वक्त फेरीवालों, ठेलेवालों और कबाड़ीवालों तथा स्कूल से वापस आते बच्चों की आवाज आती होगी।

शाम के वक्त साइकिल की घंटियों, वाहनों का शोर, रेडियो पर बजते गानों, बच्चों के खेलने की आवाजें और लोगों की बातचीत की आवाज भी आती होगी।

रात के वक्त आते-जाते लोगों के कदमों की आवाज, कुत्तों के भौंकने की आवाज, चौकीदार के 'जागते रहो' और पुलिस गाड़ी के सायरन की आवाज आती होगी।

प्रश्न 5 अलग-अलग समय में ये गली कैसे बदलती होगी?

उत्तर- अलग-अलग समय में गली तो वही रहती होगी, बस वहाँ आने-जाने और रुकने वाले लोग बदलते होंगे। सुबह और शाम के समय वहाँ हलचल रहती होगी तथा दोपहर और शाम में शांति छाई रहती होगी।

प्रश्न 6 साइकिलवाला कहाँ से आकर कहाँ जा रहा होगा?

उत्तर- साइकिलवाला घर से आकर कार्यालय जा रहा होगा।


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