NCERT Class 6 Hindi Bal Ram Katha Worksheet with Answer

एनसीईआरटी कक्षा 6 हिंदी बाल राम कथा वर्कशीट उत्तर के साथ

Immerse yourself in the timeless epic through the NCERT 6 Hindi Bal Ram Katha, a comprehensive guide that breathes life into the revered narrative of ancient India. The enthralling Bal Ram Katha question answer section is an intriguing component of this study material, allowing young minds to dive deeper into the layered story of Lord Rama, his virtues, and his life's mission. Each question serves as a portal, inviting students to connect with the text on a personal level and to reflect on the moral and ethical dilemmas presented in this legendary tale.

The Bal Ram Katha class 6 worksheet further enriches this exploration, providing a structured pathway for students to traverse the complex storyline, distill its essence, and understand its significance. The carefully crafted exercises stimulate critical thinking and foster a profound appreciation for one of the greatest works in Indian literature, ensuring that the learning experience is both enriching and engaging.

A succinct yet powerful Bal Ram Katha class 6 summary embedded within these resources encapsulates key events, characters, and lessons, offering a consolidated view of the great epic. This summary not only aids in quick revision but also deepens understanding, encouraging students to remember and discuss the values and teachings that continue to be relevant in today's world.

Through the NCERT 6 Hindi Bal Ram Katha, students are not just learning a chapter; they are partaking in a cultural journey, one that is filled with heroism, adventure, and wisdom. With each page turned and every question pondered, they inch closer to grasping the full splendor of Rama's story, making it a classic that resonates with young hearts and minds across ages.

प्रश्न 1 पुस्तक के पहले अध्याय के पहले अनुच्छेद में लेखक ने सजीव ढंग से अवध की तसवीर प्रस्तुत की है तुम भी अपने आसपास की किसी जगह का ऐसा ही बारीक चित्रण करो। यह चित्रण मोहल्ले के चबूतरे, गली की चहल पहल, सड़क के नज़ारे आदि किसी का भी हो सकता है जिससे तुम अच्छी तरह परिचित हो।

उत्तर- मैं अपने मोहल्ले के माहौल से अच्छी तरह परिचित हूँ। यह भारत की राजधानी दिल्ली से बिलकुल नजदीक है। डी.एल.एफ. अंकुर विहार जो दिल्ली पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के साथ लगा हुआ है। इस मार्ग के दोनों ओर स्थित ऊँची-ऊँची अट्टालिकाओं की शोभा को देखते ही बनता है। यहाँ आलीशान इमारतें एवं मॉल हैं। यहाँ का वातावरण शांत तथा शहर के कोलाहल से बहुत अलग है। प्रकृति से निकटता यहाँ के परिवेश की ही खासियत है। प्रदूषण से मुक्त आबोहवा है। चारों तरफ दूर-दूर तक फैली हुई हरियाली यहाँ के आकर्षण का केंद्र है।

यह गाँव एवं शहरों के समिश्रण का संयुक्त रूप है। चौड़ी-चौड़ी सड़कें, स्ट्रीट लाइट, कम भीड़भाड़ एवं कोलाहल होने के कारण यहाँ का वातावरण काफ़ी खुशनुमा है। लोग यहाँ काफ़ी पढ़े-लिखे एवं सभ्य हैं। बड़े-बड़े पार्को में चारों ओर रंग-बिरंगे खिले फूलों की भीनी-भीनी सुगंध का क्या कहना। वास्तव में ऐसे स्वर्गीय वातावरण का आनंद सौभाग्य से ही मिलता है।

प्रश्न 2 विश्वामित्र जानते थे कि क्रोध करने से यज्ञ पूरा नहीं होगा, इसलिए वे क्रोध को पी गए। तुम्हें भी कभी-कभी गुस्सा आता होगा। तुम्हें कब कब गुस्सा आता है और उसका क्या परिणाम होता है?

उत्तर- हाँ, मुझे गुस्सा तब आता है जब मुझसे कोई झूठ बोले, मेरी बात न माने या मुझसे पूछे बिना मेरी चीजों को हाथ लगाता है तो मुझे गुस्सा आता है। मैं गुस्से को काबू करने का काफ़ी प्रयत्न करता हूँ लेकिन उसे रोक नहीं पाता। इसका परिणाम मुझे नुकसान के रूप में उठाना पड़ता है। इसका परिणाम मुझे डाँट सुननी पड़ती है या फिर किसी से झगड़ा के रूप में परिवर्तित हो जाता है। मेरे कई मित्रों से गुस्से के कारण संबंध खराब हो गए। यहाँ तक कि बोल-चाल भी बंद हो गए।

प्रश्न 3 राम और लक्ष्मण ने महाराज दशरथ के निर्णय को खुशी-खुशी स्वीकार किया। तुम्हारी समझ में इसका क्या कारण रहा होगा?

उत्तर-राम मर्यादा पुरूषोत्तम थे। उनके लिए माता पिता की आज्ञा का पालन करना रघुकुल की परम्परा के अनुकूल था तथा लक्ष्मण राम के अनुज थे इसलिए उनके लिए भी यह आवश्यक था कि वे बड़े भाई तथा माता पिता की आज्ञा का पालन करें।

प्रश्न 4 विश्वामित्र ने कहा, ''ये जानवर और वनस्पतियाँ जंगल की शोभा हैं। इनसे कोई डर नहीं हैं।'' उन्होंने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर- महर्षि विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण की हिम्मत बढ़ाने के लिए ऐसा कहा ताकि राम-लक्ष्मण डरे नहीं साथ ही जानवरों व वनस्पतियों के महत्व को समझें।

प्रश्न 5 लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान काट दिए। क्या ऐसा करना उचित था? अपने उत्तर का कारण बताओ। लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान काट दिए। क्या ऐसा करना उचित था? अपने उत्तर का कारण बताओ।

उत्तर- परिस्थितिवश यह कार्य उचित था। क्रोध में आकर शूर्पणखा ने सीता पर आक्रमण कर दिया। सीता लक्ष्मण के लिए माता समान थी और माता का अपमान किसी भी पुत्र को सहन नहीं होता है। इसी कारण लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान काटकर कोई अनुचित कार्य नहीं किया।

प्रश्न 6 विश्वामित्र और कैकेयी दोनों ही दशरथ को रघुकुल के वचन निभाने की प्रथा याद दिलाते हैं तुम अपने अनुभवों की मदद से बताओ कि क्या दिया हुआ वचन निभाना हमेशा संभव होता है?

उत्तर- विश्वामित्र ने यज्ञ की रक्षा के लिए राम को माँगा था। दशरथ के विचलित होने पर वचन निभाने की बात याद दिलाई। कैकयी ने जब राम के लिए 14 वर्ष का वनवास माँगा तो भी दशरथ के न समझने पर उसने वचन निभाने की प्रथा याद दिलाई। दिया हुआ वचन निभाना हमेशा संभव नहीं होता है। विशेषकर तब जब हमारे वचन पालन से कोई दूसरा प्रभावित हो। परिस्थितियाँ हमेशा अनुकूल नहीं होती हैं। समय के अनुसार मनुष्य को बदलना पड़ता है। जहाँ तक सम्भव हो सके यह प्रयास करना चाहिए कि हम वचन का पालन कर सकें। हमारे संस्कार हमें यही शिक्षा देते हैं।

प्रश्न 7 मान लो कि तुम्हारे स्कूल में रामकथा को नाटक के रूप में खेलने की तैयारी चल रही है। तुम इस नाटक में उसी पात्रकी भूमिका निभाना चाहते हो जो तुम्हें सबसे ज़्यादा अच्छी, दिलचस्प या आकर्षक लगती है। वह पात्र कौन सा हैऔर क्यों?

उत्तर- मैं रामकथा नाटक में छोटे भाई लक्ष्मण के रूप में भूमिका निभाना चाहूँगा। क्योंकि लक्ष्मण की भूमिका अत्यंत वीरतापूर्ण, भव्य और आकर्षक है। लक्ष्मण ने सदैव राम के साथ सेवाभाव का परिचय दिया है। वे अनुकरणीय महान योद्धा एवं आदर्शवादी पुरुष थे। वे यथार्थवादी थे। वे अन्याय को तुरंत समाप्त करने के लिए तत्पर रहते थे। इनके चरित्र में नवीनता और सजीवता बनी रहती है। अतः मैं सदैव लक्ष्मण की भूमिका निभाना चाहूँगा।

प्रश्न 8 सीता बिना बात के राक्षसों के वध के पक्ष में नहीं थीं जबकि राम राक्षसों के विनाश को ठीक समझते थे। तुम किससे सहमत हो राम से या सीता से? कारण बताते हुए उत्तर दो।

उत्तर- यहाँ पर सीता के विचार राम के विचार से भिन्न हैं। सीता के विचार के अनुसार बिना किसी कारण के प्राणी की हत्या करना या उसका विनाश करना अनुचित है। राक्षसों में अमानवीय गुण होते हैं जो किसी का नुकसान करने से नहीं डरते, उसमें अपनी खुशी महसूस करते हैं। ऐसे में ऐसे आंतकियों का वध आवश्यक है, अत: हम राम के विचार से सहमत हैं।

प्रश्न 9 रामकथा के तीसरे अध्याय में मंथरा कैकेयी को समझाती है कि राम को युवराज बनाना उसके बेटे के हक में नहीं है इस प्रसंग को अपने शब्दों में कक्षा में नाटक के रूप में प्रस्तुत करो।

उत्तर- (रानी कैकेयी के कक्ष का दृश्य। रानी कैकेयी सोयी हुई हैं। इसी समय कक्ष में मंथरा का प्रवेश।)

मंथरा

:-

अब तो उठ जाओ मेरी मूर्ख रानी! यदि अभी  उठी तो 

जीवन भर पश्चाताप की अग्नि में जलना होगा।इससे पहले कि कोई 

विपत्ति आए, जाग जाओ।''

कैकेयी

:-

(आश्चर्य से) ''क्या हुआ मंथरा? तुम इतना घबराई क्यों हो?

 सब कुशल-मंगल तो है न।''

मंथरा

:-

जहाँ अमंगल की छाया पड़ गई हो वहाँ सब कुशल मंगल कैसे हो सकता है? तुम्हारे दुखों का आगमन हो रहा है। महाराज दशरथ ने कल राम के राज्याभिषेक की घोषणा की है।''

कैकेयी

:-

(खुशी से) ''अमंगल कैसा? यह तो अति शुभ समाचार है।'' (कैकेयी ने खुशी से अपने गले का हार उतारकर मंथरा को दे दिया)

मैं बहुत प्रसन्न हूँ। अयोध्या को योग्य राजकुमार मिल गया है।''

मंथरा

:-

तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। यहाँ राम की योग्यता का प्रश्न नहीं है। 

तुम्हारे विरूद्ध षडयंत्र रचा जा रहा है।''(मंथरा ने हार फेंकते हुए कहा) 

कल सुबह राज्याभिषेक है। भरत को जानबूझकर ननिहाल भेज दिया।

 उसे समारोह की कोई खबर तक नहीं।''

कैकेयी

:-

(मंथरा को डाँटते हुए) राम मुझे माँ के समान स्नेह करते हैं।

 षडयंत्र कैसा? राम ज्येष्ठ पुत्र हैं। राजा बनने के अधिकारी राम ही हैं।

मंथरा

:-

''तुम्हारी बुद्धि पर मुझे दया आती है। तुम्हें उस वक्त समझ में आएगा 

जब तुम कौशल्या की दासी बनोगी। परन्तु उस समय पछताने के सिवा और कोई रास्ता  होगा।

(कुछ रूककर) एक उपाय है, तुमने युद्ध के समय दशरथ की मदद की थी उसके बदले राजा ने तुम्हें दो वर देने के लिए कहा था।

यह सही मौका है माँग लो एक तो राम को वनवास दूसरा भरत को राज्य।

कैकेयी

:-

शायद तुम ठीक कह रही हो। ''महाराज का षडयंत्र सफल नहीं होगा। 

भरत ही राजा बनेंगे।''

(रानी कैकेयी क्रोधित होकर कोप भवन चली गईं।)

प्रश्न 10 तुमने 'जंगल और जनकपुर' तथा 'दंडक वन में दस वर्ष' में राक्षसों द्वारा मुनियों को परेशान करने की बात पढ़ी राक्षस ऐसा क्यों करते थे? क्या यह संभव नहीं था कि दोनों शांतिपूर्वक वन में रहते? कारण बताते हुए उत्तर दो।

उत्तर- राक्षस अर्थात् आतंक फैलाने वाले गलत आदतों से ग्रसित होते हैं। वे तंग करने, मारने, बिगाड़ने आदि कार्यों से संतुष्ट रहते हैं जबकि मुनियों को शान्ति से रहना यज्ञ, हवन करना अच्छा लगता है। राक्षस इसमें विघ्न डाल कर खुश रहते हैं। इसलिए वे साथ नहीं रह सकते।

प्रश्न 11 हनुमान ने लंका से लौटकर अंगद और जामवंत को लंका के बारे में क्या-क्या बताया होगा?

उत्तर- हनुमान ने लंका से लौटकर अंगद व जामवंत को लंका की सुंदरता और सुरक्षा के बारे में बताया। जैसे- लंका सोने की है, वहाँ बहुत से राक्षस पहरा देते हैं। साथ ही यह भी बताया कि रावण ने सीता को अशोक वाटिका में बंदी बना रखा है और राक्षसियाँ उनका पहरा दे रही हैं।

प्रश्न 12 तुमने बहुत सी पौराणिक कथाएँ और लोक कथाएँ पढ़ी होंगी। उनमें क्या अंतर होता है यह जानने के लिए पाँच-पाँचके समूह में कक्षा के बच्चे दो दो पौराणिक कथाएँ और लोक कथाएँ इकट्ठा करें। कथ्य; (कहानी) भाषा आदि के अनुसार दोनों प्रकार की कहानियों का विश्लेषण करें और उनके अंतर लिखें।

उत्तर- पौराणिक कथाएँ: मुख्यत: पुराणों में वर्णित कथाओं को पौराणिक कथा कहते हैं। जैसे- रामायण, महाभारत आदि।

लोक कथाएँ: लोक कथा किसी एक विशेष प्रांत या स्थान में प्रचलित कथाएँ होती हैं। जिसे हम आस-पास के लोगों के मुँह से सुनते हैं। जैसे- गाँव के किसी बुज़ुर्ग के मुँह से सुनने वाली कहानियाँ।

लोक कथा तथा पौराणिक कथाओं में से दोनों की प्रमाणिकता पर संदेह है। परन्तु फिर भी पुराणों में वर्णित कथाओं को संदिग्ध माना जाता है। जहाँ तक भाषागत असमानता है। लोक कथा तथा पौराणिक कथा दोनों की भाषा में काफी अंतर होता है। लोक कथाओं की भाषा वहाँ की बोलचाल की भाषा से प्रभावित होती है। परन्तु पौराणिक कथाओं की भाषा शैली साफ-सुथरी होती है।

प्रश्न 13 क्या होता यदि-

a.   राजा दशरथ कैकेयी की प्रार्थना स्वीकार नहीं करते।

b.   रावण ने विभीषण और अंगद का सुझाव माना होता और युद्ध का फैसला न किया होता।

उत्तर-

a.   राजा दशरथ कैकेयी की प्रार्थना स्वीकार नहीं करते तो-

·       सम्भवतः रघुवंश एक अच्छे राजा (दशरथ) से वंचित न होता।

·       राम का राज्याभिषेक हो जाता। परन्तु रघुकुल के वचन निभाने की परम्परा तोड़ने का आरोप लगता।

·       कुछ दुष्ट राक्षस और रावण भी न मारा जाता।

b.   रावण ने विभीषण और अंगद का सुझाव माना होता और युद्ध का फैसला न किया होता तो-

·       यह विश्वयुद्ध न होता तथा राक्षस जाति विनाश से बच जाती, मानव जाति को इतनी क्षति न उठानी पड़ती, निर्दोष लोगों को अपने प्राणों से हाथ न धोना पड़ता।

·       रावण का साम्राज्य जिसे सोने की लंका कहा जाता है। वो नष्ट नहीं होती।

·       रावण जैसे वीर विद्वान योद्धा का वध न होता। उसका वंश बच जाता।

·       राम और सीता का जीवन सुखमय होता।

प्रश्न 14 नीचे कुछ चारित्रिक विशेषताएँ दी गई हैं और तालिका में कुछ पात्रों के नाम दिए गए हैं। प्रत्येक नाम के सामने उपयुक्त विशेषताओं को छाँटकर लिखो-

पराक्रमी, साहसी, निडर, पितृभक्त, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, लालची, अज्ञानी, दुश्चरित्र, दीनबन्धु, गंभीर, स्वार्थी, उदार, धैर्यवान, अड़ियल, कपटी, भक्त, न्यायप्रिय, और ज्ञानी।

राम

.............

सीता

.............

लक्ष्मण

.............

कैकेयी

...........

रावण

.............

हनुमान

.............

विभीषण

.............

भरत

.............

उत्तर-

राम

-

पितृभक्त, पराक्रमी, दीनबंधु, धैर्यवान, गंभीर, न्यायप्रिय, ज्ञानी

सीता

-

त्यागी, उदार

लक्ष्मण

-

साहसी, निडर, अड़ियल, पितृभक्त, त्यागी

कैकेयी

-

स्वार्थी, अज्ञानी

रावण

-

दुश्चरित्र, कपटी, निडर, पराक्रमी, ज्ञानी

हनुमान

-

पराक्रमी, साहसी, निडर, भक्त, ज्ञानी, वीर, धैर्यवान

विभीषण

-

धैर्यवान, त्यागी, भक्त, ज्ञानी

भरत

-

उदार, भक्त

प्रश्न 15 तुमने अपने आस-पास के बड़ों से रामायण की कहानी सुनी होगी। रामलीला भी देखी होगी। क्या तुम्हें अपनी पुस्तक रामकथा की कहानी और बड़ों से सुनी लक्ष्मण की कहानी में कोई अंतर नज़र आया? यदि हाँ तो उसके बारे में कक्षा में बताओ।

उत्तर- मैंने अपने आस-पास के बड़ों से भी रामायण की कहानी सुनी है। रामलीला भी देखी है। रामायण की कहानी और रामलीला में यह अंतर होता है कि रामलीला से घटनाएँ प्रत्यक्ष देखने को मिलती हैं। उनका प्रभाव स्थायी होता है। बड़े लोग भी । रामायण की कहानी सुनाते हैं, पर वे कई घटनाओं एवं चरित्र को उल्लेख करना भूल जाते हैं या सही ढंग से वर्णन नहीं कर पाते हैं।

जैसे विश्वामित्र राक्षसों से रक्षा के लिए दशरथ से राम और लक्ष्मण को ले गए। पर यह बताना भूल गए कि विश्वामित्र कौन थे और उन्होंने राम और लक्ष्मण को कौन सी विद्याएँ सिखाईं, परंतु ‘बाल रामकथा’ की कहानी से हमें राम के जीवन के हर छोटे-बड़े घटनाक्रम की जानकारी मिली। इस पुस्तक के माध्यम से राम के जीवन की प्रत्येक घटनाओं की जानकारी विस्तार से मिली। इसके अलावा हमें श्रीराम का जीवन परिचय मिला।

प्रश्न 16 रामकथा में कई नदियाँ और स्थानों के नाम आए हैं। इनकी सूची बनाओ और एटलस में देखो कि कौन-कौन सी नदियाँ और जगहें अभी भी मौजूद हैं। यह काम तुम चार-चार समूह में कर सकते हो।

उत्तर- रामकथा में आए नदियों तथा स्थानों के नाम निम्नलिखित हैं-

नदियों के नाम- सरयू, गंगा, गोदावरी, गंडक तथा गोमती और सोन।

स्थानों के नाम- इस कथा में स्थानों के नाम हैं-

अयोध्या, मिथिला, चित्रकूट, किष्किंधा, कैकेय राज्य, दंडक वन, श्रृंगवेरपुर, विंध्याचल, प्रयाग और लंका। ये सारे स्थल अपने पुराने या नए नामों के साथ आज भी भारत भूमि पर उपस्थित हैं।

प्रश्न 17 यह रामकथा वाल्मीकि रामायण पर आधारित है। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और उसे चार्टपेपर पर लिखकर कक्षा में लगाओ।

जानकारी प्रस्तुत करने के निम्नलिखित बिंदु हो सकते हैं-

·       रामकथा का नाम

·       रचनाकार का नाम

·       भाषा/ प्रांत

उत्तर-

राम कथा का नाम

पुस्तक

लेखक

भाषा

(i) श्री रामचरित मानस

गोस्वामी तुलसीदास

(अवधी)

(ii) रामायण

वाल्मिकी

(संस्कृत)

प्रश्न 18 “नगर में बड़ा समारोह आयोजित किया गया। धूमधाम से।

‘एक दिन ऐसी ही चर्चा चल रही थी। गहन मंत्रणा’।

‘पाँच दिन तक सब ठीक-ठाक चलता रहा। शांति से निर्विघ्न।’

रामकथा की इन पंक्तियों में कुछ वाक्य केवल एक या दो शब्दों के हैं। ऐसा लेखक ने किसी बात पर बल देने के लिए, उसे प्रभावशाली बनाने के लिए या नाटकीय बनाने के लिए किया है। ऐसे कुछ और उदाहरण पुस्तक से छाँटो और देखो कि इन एक दो शब्दों के वाक्य को पिछले वाक्य में जोड़कर लिखने से बात के असर में क्या फर्क पड़ता है। उदाहरण के लिए-

‘पाँच दिन तक सब शांति से निर्विघ्न और ठीक-ठाक चलता रहा।

उत्तर-

·       वे चलते रहे। नदी के घुमाव के साथ-साथ। नदी पार जंगल था। घना दुर्गम।

·       महाराज पलंग पर पड़े हैं। बीमार। दीन-हीन।

·       वे गंगा किनारे पहुँच गए। श्रृंगवेरपुर गाँव में।

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