उपसर्ग की परिभाषा, प्रयोग और उपसर्ग के उदहारण कक्षा 8

यदि आप कक्षा 8 में हैं और उपसर्ग के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो इस मुद्रण योग्य नोट्स में आपको सभी जानकारी मिलेगी। हम आपको उपसर्ग की परिभाषा, उदाहरण और प्रकार के साथ समझाएंगे।

upsarg aur pratyay

उपसर्ग एक शब्द होता है जो किसी शब्द के आगे जुड़कर उसका अर्थ बदल देता है। उदाहरण के लिए, "अच्छा" शब्द के आगे "अ-" उपसर्ग जोड़ने से "अच्छा" शब्द का अर्थ "बुरा" हो जाता है। उपसर्ग के दो प्रकार होते हैं - संयुक्त उपसर्ग और एकार्थक उपसर्ग। संयुक्त उपसर्ग दो या दो से अधिक शब्दों का समूह होता है जो एक साथ उपसर्ग के रूप में काम करते हैं। एकार्थक उपसर्ग एक ही शब्द होता है जो अर्थ को बदल देता है।

उपसर्ग किसे कहते हैं

उपसर्ग एक शब्द होता है जो किसी शब्द के आगे जुड़कर उसका अर्थ बदल देता है। उदाहरण के लिए, "अच्छा" शब्द के आगे "अ-" उपसर्ग जोड़ने से "अच्छा" शब्द का अर्थ "बुरा" हो जाता है। उपसर्ग के दो प्रकार होते हैं - संयुक्त उपसर्ग और एकार्थक उपसर्ग। संयुक्त उपसर्ग दो या दो से अधिक शब्दों का समूह होता है जो एक साथ उपसर्ग के रूप में काम करते हैं। एकार्थक उपसर्ग एक ही शब्द होता है जो अर्थ को बदल देता है।

प्रत्यय किसे कहते हैं

प्रत्यय एक शब्द होता है जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसका अर्थ बदल देता है। उदाहरण के लिए, शब्द 'दूर' के अंत में 'दूर' शब्द का प्रत्यय 'दूर' होता है। इस प्रत्यय के जुड़ने से शब्द का अर्थ बदल जाता है और नए शब्द बनते हैं जैसे 'दूरभाग्य' या 'दूरदर्शी'। इस तरह से, प्रत्यय भाषा के विस्तार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उपसर्ग

यह दो शब्दों (उप+सर्ग) के योग से बनता है। ’उप’ का अर्थ ’समीप’, ’निकट’ या ’पास में’ है। ’सर्ग’ का अर्थ है सृष्टि करना।

’उपसर्ग’ का अर्थ है पास में बैठकर दूसरा नया अर्थ वाला शब्द बनाना। ’हार’ के पहले ’प्र’ उपसर्ग लगा दिया गया, तो एक नया शब्द ’प्रहार’ बन गया, जिसका नया अर्थ हुआ ’मारना’।

आसान अर्थ : उपसर्ग उप +सर्ग के योग से बना है यह एक संयोग का पद है। उप का मतलब है सहायक या समीप का और सर्ग का मतलब है:- भाग या अंग

अतः उपसर्ग का मतलब हुआ “सहायक या समीप का अंग या भाग”

उपसर्ग शब्दांश होते है अर्थात यह शब्दो का अंग होते है। वह शब्दांश जो शब्दो के आगे जुड़ कर उसके अर्थ मे परिवर्तन कर देते है या अर्थ मे विशेषता ला देते है अथवा अन्य शब्द बना देते है वह उपसर्ग कहलाते है।

उपसर्गों का स्वतंत्र अस्तित्व न होते हुए भी वे अन्य शब्दों के साथ मिलकर उनके एक विशेष अर्थ का बोध कराते हैं। उपसर्ग शब्द के पहले आते हैं।

जैसे – ’अन’ उपसर्ग ’बन’ शब्द के पहले रख देने से एक शब्द ’अनबन’ बनता है, जिसका विशेष अर्थ ’मनमुटाव’ है। कुछ उपसर्गों के योग से शब्दों के मूल अर्थ में परिवर्तन नहीं होता, बल्कि तेजी आती है।

जैसे – ’भ्रमण’ शब्द के पहले ’परि’ उपसर्ग लगाने से अर्थ में अंतर न होकर तेजी आई। कभी-कभी उपसर्गों के प्रयोग से शब्द का बिल्कुल उलटा अर्थ निकलता है।

उपसर्ग किसी शब्द के आरम्भ मे जुड़ कर अर्थवान हो जाते है जैसे अ उपसर्ग नहीं का अर्थ देता है

जैसे :

·       अ+ भाव = अभाव

·       अ+थाह   = अथाह

इसी प्रकार नि उपसर्ग

नि + डर = निडर

जैसे :-

·       अ + सुंदर = असुंदर (यहां अर्थ बदल गया है )

·       अति +सुंदर =अतिसुन्दर (यहां शब्द मे विशेषता आई है )

इसी तरह हम अन्य उदाहरण देखेंगे

·       आ+हार  = आहार (नया शब्द बना है )

·       प्रति+हार  = प्रतिहार (नया शब्द बना है

·       प्र+हार  = प्रहार (नया शब्द बना है )

·       अति+अल्प  = अत्यल्प

·       अधि + अक्ष = अध्यक्ष

उपसर्गों के प्रयोग से शब्दों की तीन स्थितियाँ होती हैं –

·       शब्द के अर्थ में एक नई विशेषता आती है,

·       शब्द के अर्थ में प्रतिकूलता उत्पन्न होती है,

·       शब्द के अर्थ में कोई विशेष अंतर नहीं आता।

यहाँ ’उपसर्ग’ और ’शब्द’ का अंतर समझ लेना चाहिए। शब्द अक्षरों का एक समूह है, जो अपने में स्वतंत्र है, अपना अर्थ रखता है और वाक्यों में स्वतंत्रतापूर्वक प्रयुक्त होता है।

लेकिन, उपसर्ग अक्षरों का समूह होते हुए भी स्वतंत्र नहीं है और न स्वतंत्ररूप से उसका प्रयोग ही होता है। जब तक किसी शब्द के साथ उपसर्ग की संगति नहीं बैठती, तब तक उपसर्ग अर्थवान् नहीं होता।

संस्कृत में शब्दों के पहले लगने वाले कुछ निश्चित शब्दांशों को ही उपसर्ग कहते हैं और शेष को अव्यय। हिंदी में इस तरह का कोई अंतर नहीं है। हिंदी भाषा में ’उपसर्ग’ की योजना व्यापक अर्थ में हुई है।

उपसर्गों की संख्या

हिंदी में जो उपसर्ग मिलते हैं, वे संस्कृत, हिंदी और उर्दू भाषा के हैं। इन भाषाओं से प्राप्त उपसर्गों की संख्या इस तरह निश्चित की गई है:

·       संस्कृत उपसर्ग – 19

·       हिंदी उपसर्ग – 10

·       उर्दू उपसर्ग – 12

इनमें से प्रत्येक इस प्रकार है –           

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