संधि क्या होती है? - संधि की परिभाषा, भेद और उदाहरण कक्षा 8

संधि | Treaty in English 

जब दो या दो से अधिक हड्डियों का मिलन होता है, तो उसे संधि कहा जाता है। इस पोस्ट में, हम संधि के भेदों के बारे में बात करेंगे और उनके उदाहरण देंगे। यदि आप संधि के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए है।


संधि क्या होती है?

हिंदी भाषा में संधि का इस्तेमाल करके पूरे शब्दों को लिखा नहीं जाता है। लेकिन संस्कृत भाषा की बात करें तो इसमें बिना संधि के इस्तेमाल के कोई भी शब्द नहीं लिखा जाता। संस्कृत की व्याकरण की परंपरा बहुत प्राचीन है। संस्कृत भाषा को अच्छी तरीका से पढ़ने के लिए व्याकरण को पढ़ना बहुत जरूरी होता है। शब्द रचना जैसे कार्य में भी संध्या का उपयोग किया जाता है।

निकटवर्ती स्थित शब्दों के पदों के समीप विद्यमान वर्णों के परस्पर में से जो भी परिवर्तन होता है, वह संधि कहलाता है।


संधि शोथ


संधि शोथ एक ऐसी समस्या है जो हड्डियों के मिलन के कारण होती है। इसमें, शरीर के अंगों में से कुछ अंगों के बीच संधि में सूजन और दर्द होता है। यह समस्या आमतौर पर बढ़ती उम्र के साथ होती है लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकती है। संधि शोथ के लक्षणों में शामिल हैं सूजन, दर्द, गठिया, और संधि की सक्रियता में कमी। इस समस्या का समाधान आमतौर पर दवाओं, व्यायाम और थेरेपी से किया जाता है।


विभिन्न प्रकार की संधि के भेद।


संधि के विभिन्न प्रकार होते हैं जो हड्डियों के मिलन के तरीके के आधार पर अलग-अलग होते हैं। सरल संधि में दो हड्डियों का सीधा मिलन होता है, संयुक्त संधि में दो या दो से अधिक हड्डियों का मिलन होता है जो एक साथ आते हैं, विसर्ग संधि में दो हड्डियों का अलग हो जाना होता है और व्यंजन संधि में दो या दो से अधिक हड्डियों का मिलन होता है जो एक साथ नहीं आते हैं।


संधि की परिभाषा

·       दो वर्णों (स्वर या व्यंजन) के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं।

·       संधि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है ‘मेल’। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है।

·       संधि का सामान्य अर्थ है मेल। इसमें दो अक्षर मिलने से तीसरे शब्द की रचना होती है, इसी को संधि कहते है।

·       दो शब्दों या शब्दांशों के मिलने से नया शब्द बनने पर उनके निकटवर्ती वर्णों में होने वाले परिवर्तन या विकार को संधि कहते हैं।

संधि के उदाहरण

·       पुस्तक + आलय = पुस्तकालय

·       विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

·       रवि + इंद्र = रविन्द्र

·       ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश

·       भारत + इंदु = भारतेन्दु

·       देव + ऋषि = देवर्षि

·       धन + एषणा = धनैषणा

·       सदा + एव = सदैव

·       अनु + अय = अन्वय

·       सु + आगत = स्वागत

·       उत् + हार = उद्धार त् + ह = द्ध

·       सत् + धर्म = सद्धर्म त् + ध = द्ध

·       षट् + यन्त्र = षड्यन्त्र

·       षड्दर्शन = षट् + दर्शन

·       षड्विकार = षट् + विकार

·       किम् + चित् = किंचित

·       सम् + जीवन = संजीवन

·       उत् + झटिका = उज्झटिका

·       तत् + टीका = तट्टीका

·       उत् + डयन = उड्डयन

संधि विच्छेद

उन पदों को मूल रूप में पृथक कर देना संधि विच्छेद है।

जैसे - हिम + आलय = हिमालय (यह संधि है), अत्यधिक = अति + अधिक (यह संधि विच्छेद है)

·       यथा + उचित = यथोचित

·       यशः + इच्छा = यशइच्छ

·       अखि + ईश्वर = अखिलेश्वर

·       आत्मा + उत्सर्ग = आत्मोत्सर्ग

·       महा + ऋषि = महर्षि

·       लोक + उक्ति = लोकोक्ति

संधि निरथर्क अक्षरों मिलकर सार्थक शब्द बनती है। संधि में प्रायः शब्द का रूप छोटा हो जाता है। संधि संस्कृत का शब्द है।

संधि के भेद   

वर्णों के आधार पर संधि के तीन भेद है

·       स्वर संधि

·       व्यंजन संधि

·       विसर्ग संधि

स्वर संधि

जब स्वर के साथ स्वर का मेल होता है तब जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं। हिंदी में स्वरों की संख्या ग्यारह होती है। बाकी के अक्षर व्यंजन होते हैं। जब दो स्वर मिलते हैं जब उससे जो तीसरा स्वर बनता है उसे स्वर संधि कहते हैं।

स्वर संधि के उदहारण

·       सुर + ईश = सुरेश

·       राज + ऋषि = राजर्षि

·       वन + औषधि = वनौषधि

·       शिव + आलय = शिवालय

·       विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

·       मुनि + इन्द्र = मुनीन्द्र

·       श्री + ईश = श्रीश

·       गुरु + उपदेश = गुरुपदेश

स्वर संधि के प्रकार                               

स्वर संधि के मुख्यतः पांच भेद होते हैं |

·       दीर्घ संधि

·       गुण संधि

·       वृद्धि संधि

·       यण संधि

·       अयादि संधि

1.   दीर्घ संधि :- जब ( अ , आ ) के साथ ( अ, आ ) हो तो ‘ आ ‘ बनता है , जब ( इ, ई ) के साथ ( इ, ई ) हो तो ‘ ई ‘ बनता है, जब ( उ, ऊ ) के साथ ( उ, ऊ ) हो तो ‘ ऊ ‘ बनता है। अथार्त सूत्र –

    अक: सवर्ण दीर्घ :

अ + आ = आ

इ + ई = ई

ई + इ = ई

ई + ई = ई

उ + ऊ = ऊ

ऊ + उ = ऊ

ऊ + ऊ = ऊ मतलब अक प्रत्याहार के बाद अगर सवर्ण हो तो दो मिलकर दीर्घ बनते हैं। दूसरे शब्दों में हम कहें तो जब दो सुजातीय स्वर आस - पास आते हैं तब जो स्वर बनता है उसे सुजातीय दीर्घ स्वर कहते हैं , इसी को स्वर संधि की दीर्घ संधि कहते हैं। इसे ह्रस्व संधि भी कहते हैं।  

 दीर्घ संधि के उदहारण –

·       धर्म + अर्थ = धर्मार्थ

·       पुस्तक + आलय = पुस्तकालय

·       विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

·       रवि + इंद्र = रविन्द्र

·       गिरी + ईश = गिरीश

·       मुनि + ईश = मुनीश

·       मुनि + इंद्र = मुनींद्र

·       भानु + उदय = भानूदय

·       वधू + ऊर्जा = वधूर्जा

·       विधु + उदय = विधूदय

·       भू + उर्जित = भुर्जित

·       अत्र + अभाव = अत्राभाव

·       कोण + अर्क = कोणार्क

·       विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

·       लज्जा + अभाव = लज्जाभाव

·       गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र

·       पृथ्वी + ईश = पृथ्वीश

·       भानु + उदय = भानूदय

2.   गुण संधि :- अ, आ के साथ इ, ई का मेल होने पर ‘ए’; उ, ऊ का मेल होने पर ‘ओ’; तथा ऋ का मेल होने पर ‘अर्’ हो जाने का नाम गुण संधि है। अ + इ = ए अ + ई = ए आ + इ = ए आ + ई = ए अ + उ = ओ आ + उ = ओ अ + ऊ = ओ आ + ऊ = ओ अ + ऋ = अर् आ + ऋ = अर्

गुण संधि के उदहारण

·       नर + इंद्र + नरेंद्र

·       सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र

·       ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश

·       भारत + इंदु = भारतेन्दु

·       देव + ऋषि = देवर्षि

·       सर्व + ईक्षण = सर्वेक्षण

·       देव + इन्द्र = देवन्द्र

·       महा + इन्द्र = महेन्द्र

·       महा + उत्स्व = महोत्स्व

·       गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि

3.   वृद्धि संधि :- जब ( अ, आ ) के साथ ( ए, ऐ ) हो तो ‘ ऐ ‘ बनता है और जब ( अ, आ ) के साथ (ओ, औ )हो तो ‘ औ ‘ बनता है। उसे वृधि संधि कहते हैं।

अ + ए = ऐ

अ + ऐ = ऐ

आ + ए = ऐ

अ + ओ = औ

अ + औ = औ

आ + ओ = औ

आ + औ = औ

वृधि संधि के उदहारण

·       लोक + ऐषणा = लोकैषणा

·       एक + एक = एकैक

·       सद + ऐव = सदैव

·       महा + औषध = महौषध

·       परम + औषध = परमौषध

·       वन + औषधि = वनौषधि

·       महा + ओजस्वी = महौजस्वी

·       नव + ऐश्वर्य = नवैश्वर्य

·       मत + एकता = मतैकता

·       एक + एक = एकैक

·       धन + एषणा = धनैषणा

·       सदा + एव = सदैव

·       महा + ओज = महौज

4.   यण संधि :- जब ( इ , ई ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन जाता है , जब ( उ, ऊ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ व् ‘ बन जाता है, जब ( ऋ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बन जाता है।

इ + अ = य

इ + आ = या

इ + उ = यु

इ + ऊ = यू

उ + अ = व

उ + आ = वा

उ + ओ = वो

उ + औ = वौ

उ + इ = वि

उ + ए = वे

ऋ + आ = रा

यण संधि के उदहारण

·       अति + आवश्यक = अत्यावश्यक

·       गुरु + ओदन = गुवौंदन

·       इति + आदि = इत्यादि

·       देवी + आगमन = देव्यागमन

·       सु + आगत = स्वागत

·       यदि + अपि = यद्यपि

·       गुरु + औदार्य = गुवौंदार्य

·       अति + उष्म = अत्यूष्म

·       अनु + ऐषण = अन्वेषा

·       अनु + अय = अन्वय

·       इति + आदि = इत्यादि

·       परी + आवरण = पर्यावरण

·       अनु + अय = अन्वय

·       सु + आगत = स्वागत

·       अभी + आगत = अभ्यागत

5.   अयादि संधि :- जब ( ए, ऐ, ओ, औ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ ए - अय ‘ में , ‘ ऐ - आय ‘ में , ‘ ओ - अव ‘ में, ‘ औ - आव ‘ ण जाता है। य, व् से पहले व्यंजन पर अ, आ की मात्रा हो तो अयादि संधि हो सकती है लेकिन अगर और कोई विच्छेद न निकलता हो तो + के बाद वाले भाग को वैसा का वैसा लिखना होगा। उसे अयादि संधि कहते हैं।

ए + अ = य

ऐ + अ = य

ओ + अ = व

औ + उ = वु

अयादि संधि के उदहारण

·       ने + अन = नयन

·       पो + अन = पवन

·       पौ + इक = पावक

·       गै + अक = गायक

·       नौ + इक = नाविक

·       भो + अन = भवन

·       भौ + उक = भावुक


FAQs


  1. संधि क्या होती है?

    संधि दो वर्णों के बीच होने वाली स्थिति को कहते हैं। जब दो वर्ण पास पास आते हैं तब उनके बीच जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं।


  2. संधि के प्रकार कितने होते हैं?

    संधि तीन प्रकार की होती हैं: स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि। इनमें स्वर संधि और व्यंजन संधि को आगे और उनके अपने प्रकार में विभाजित किया गया है।


  3. स्वर संधि के कितने प्रकार होते हैं?

    स्वर संधि के पांच प्रकार होते हैं: दीर्घ संधि, गुण संधि, वृद्धि संधि, यण संधि, और अयादि संधि।


  4. व्यंजन संधि के कितने प्रकार होते हैं?

    व्यंजन संधि के तीन प्रकार होते हैं: तत्सम, तद्भव, और द्वित्व संधि।


  5. संधि विच्छेद क्या होता है?

    संधि विच्छेद का अर्थ होता है संधि को तोड़ना। जब हम किसी शब्द को उसके मूल शब्दों में तोड़ते हैं, तो उसे संधि विच्छेद कहते हैं।


  6. संधि का हमारे भाषा में क्या महत्व है?

    संधि वाक्यों को ठीक से बनाने और सही उच्चारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह हमारी भाषा को सुगम और स्पष्ट बनाती है।


  7. संधि के बिना हमारी भाषा कैसी हो सकती है?

    संधि के बिना, शब्दों का उच्चारण कठिन हो सकता है और वाक्यों की स्रष्टि भी कम सुचारु हो सकती है।


  8. संधि का अर्थ हिंदी में क्या होता है?

    संधि का शाब्दिक अर्थ होता है 'मिलन' या 'जोड़ना'।


  9. संधि कैसे समझें?

    संधि को समझने के लिए, व्याकरण के मूल नियमों और संधि के प्रकारों की समझ होनी चाहिए। इसके बाद, किसी वाक्य को पढ़ने पर यदि दो वर्ण पास-पास आते हैं, तो आप संधि का निर्माण देख सकते हैं।

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