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कारक - Karak
अगर हम आसानी से इसे समझें तो ऐसे कि क्रिया से सम्बन्ध रखने वाले वे सभी शब्द
जो संज्ञा या सर्वनाम के रूप में होते हैं, उन्हें कारक कहते हैं।
अर्थात कारक संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का वह रूप होता है जिसका सीधा सम्बन्ध
क्रिया से ही होता है।
किसी कार्य को करने वाला कारक यानि जो भी क्रिया को करने में मुख्य भूमिका
निभाता है, वह कारक कहलाता है।
परिभाषा – कारक किसे कहते हैं
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका सम्बन्ध वाक्य के किसी दूसरे शब्द के
साथ जाना जाए, उसे कारक कहते हैं। वाक्य में प्रयुक्त शब्द आपस में सम्बद्ध होते हैं।
क्रिया के साथ संज्ञा का सीधा सम्बन्ध ही कारक है। कारक को प्रकट करने के लिये संज्ञा
और सर्वनाम के साथ जो चिन्ह लगाये जाते हैं, उन्हें विभक्तियाँ कहते हैं।
जैसे – पेङ पर फल लगते हैं। इस वाक्य में पेङ कारकीय पद हैं और ’पर’ कारक सूचक चिन्ह
अथवा विभक्ति है।
कारक के भेद
कारक |
विभक्तियाँ |
1. कर्ता |
ने |
2. कर्म |
को |
3. करण |
से, द्वारा |
4. सम्प्रदान |
को, के लिये, हेतु |
5. अपादान |
से (अलग होने के अर्थ में) |
6. सम्बन्ध |
का, की, के, रा, री, रे |
7. अधिकरण |
में, पर |
8. सम्बोधन |
हे! अरे! ऐ! ओ! हाय! |
1. कर्ता कारक
2. कर्मकारक
3. करण कारक
4. सम्प्रदान कारक
5. अपादान कारक
6. सम्बन्ध कारक
7. अधिकरण कारक
8. सम्बोधन कारक
कर्ता कारक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध हो, उसे कर्ता
कारक(Karta Karak) कहते हैं। इसका चिन्ह ’ने’ कभी कर्ता के साथ लगता है, और कभी वाक्य
में नहीं होता है,अर्थात लुप्त होता है ।
उदाहरण –
· रमेश ने पुस्तक पढ़ी।
· सुनील खेलता है।
· पक्षी उङता है।
· मोहन ने पत्र पढ़ा।
इन वाक्यों में ’रमेश’, ’सुनील’ और ’पक्षी’ कर्ता कारक हैं, क्योंकि इनके द्वारा
क्रिया के करने वाले का बोध होता है।
कर्मकारक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप पर क्रिया का प्रभाव या फल पङे, उसे कर्म कारक
कहते हैं। कर्म के साथ ’को’ विभक्ति आती है। इसकी यही सबसे बड़ी पहचान होती है। कभी-कभी
वाक्यों में ’को’ विभक्ति का लोप भी हो जाया
करता है।
उदाहरण –
· उसने सुनील को पढ़ाया।
· मोहन ने चोर को पकङा।
· लङकी ने लङके को देखा।
· कविता पुस्तक पढ़ रही है।
’कहना’ और ’पूछना’ के साथ
’से’ प्रयोग होता हैं। इनके साथ ’को’ का प्रयोग नहीं होता है , जैसे –
· कबीर ने रहीम से कहा।
· मोहन ने कविता से पूछा।
यहाँ ’से’ के स्थान पर ’को’ का प्रयोग उचित नही है।
करण कारक
जिस साधन से अथवा जिसके द्वारा क्रिया पूरी की जाती है, उस संज्ञा
को करण कारक कहते हैं।
इसकी मुख्य पहचान ’से’ अथवा ’द्वारा’ है
उदाहरण –
· रहीम गेंद से खेलता है।
· आदमी चोर को लाठी द्वारा मारता है।
यहाँ ’गेंद से’ और ’लाठी द्वारा’ करण कारक है।
सम्प्रदान कारक
जिसके लिए क्रिया की जाती है, उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं। इसमें कर्म कारक
’को’ भी प्रयुक्त होता है, किन्तु उसका अर्थ ’के लिये’ होता है।
उदाहरण –
· सुनील रवि के लिए गेंद लाता है।
· हम पढ़ने के लिए स्कूल जाते हैं।
· माँ बच्चे को खिलौना देती है।
उपरोक्त वाक्यों में ’मोहन के लिये’ ’पढ़ने के लिए’ और बच्चे को
सम्प्रदान है।
अपादान कारक
अपादान का अर्थ है- अलग होना। जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम से किसी
वस्तु का अलग होना ज्ञात हो, उसे अपादान कारक कहते हैं।
करण कारक की भाँति अपादान कारक का चिन्ह भी ’से’ है, परन्तु करण कारक
में इसका अर्थ सहायता होता है और अपादान में अलग होना होता है।
उदाहरण –
· हिमालय से गंगा निकलती है।
· वृक्ष से पत्ता गिरता है।
· राहुल छत से गिरता है।
इन वाक्यों में ’हिमालय से’, ’वृक्ष से’, ’छत से ’ अपादान
कारक है।
सम्बन्ध कारक
संज्ञा अथवा सर्वनाम के जिस
रूप से एक वस्तु का सम्बन्ध दूसरी वस्तु से जाना जाये, उसे सम्बन्ध कारक कहते
हैं।
इसकी मुख्य पहचान है – ’का’, ’की’, के।
उदाहरण –
· राहुल की किताब मेज पर है।
· सुनीता का घर दूर है।
सम्बन्ध कारक क्रिया से भिन्न
शब्द के साथ ही सम्बन्ध सूचित करता है।
अधिकरण कारक
संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते
हैं। इसकी मुख्य पहचान है ’में’, ’पर’ होती है ।
उदाहरण –
· घर पर माँ है।
· घोंसले में चिङिया है।
· सङक पर गाङी खङी है।
यहाँ ’घर पर’, ’घोंसले में’, और ’सङक पर’, अधिकरण है।
सम्बोधन कारक
संज्ञा या जिस रूप से किसी को पुकारने
तथा सावधान करने का बोध हो, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं।
इसका सम्बन्ध न क्रिया से और न किसी दूसरे शब्द से होता है। यह वाक्य से
अलग रहता है। इसका कोई कारक चिन्ह भी नहीं है।
उदाहरण –
· खबरदार !
· रीना को मत मारो।
· रमा ! देखो कैसा सुन्दर दृश्य है।
लङके !
FAQs
कारक किसे कहते हैं:
कारक वह शब्द या वाक्यांश होते हैं जो किसी क्रिया, संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ सम्बन्ध बताते हैं।
कारक के भेद:
हिंदी व्याकरण में कारक के सात भेद होते हैं - कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण।
कारक चिन्ह:
कारक चिन्ह वे शब्द होते हैं जो किसी वाक्य में कारक का प्रयोग बताते हैं। जैसे - के, को, का, से, में, की, पर आदि।
कारक की परिभाषा:
कारक वे शब्द होते हैं जो किसी क्रिया या संज्ञा के साथ सम्बन्ध स्थापित करते हैं।
कारक हिंदी:
कारक हिंदी व्याकरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसे समझने के लिए कारक चिन्हों का ज्ञान होना आवश्यक है।
कारक in English:
कारक translates to "case" in English. In grammar, cases indicate the relationship of nouns, pronouns, and adjectives to the other words in a sentence.
कारक चिन्ह का प्रयोग:
कारक चिन्ह का प्रयोग वाक्य में किसी शब्द के साथ सम्बन्ध बताने के लिए किया जाता है।
कारक का अर्थ:
कारक का अर्थ होता है 'कारण' या 'उद्देश्य' जिसे वाक्य में किसी शब्द के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
कारक कितने होते हैं: कारक सात प्रकार के होते हैं।
Karak Examples: