Discover the depths of 'Aalo Andhari' in the engaging third chapter of the Class 11 Hindi Vitan book, a narrative that captures the essence of light amidst darkness. This chapter is a treasure for eleventh-grade students, opening up a dialogue between the text and young inquisitive minds. As learners delve into this chapter, they encounter a series of thought-provoking questions that beckon them to seek answers beyond the surface.
The quest for understanding 'Aalo Andhari' is not just about finding the right answers for class assignments; it's an enriching experience that broadens perspectives. The chapter 3 question answer segment in the Vitan book for class 11 is a unique opportunity for students to reflect on life's dualities and complexities.
Teachers and parents, witness your students engage with the Hindi Vitan chapter 3 question answers, fostering a love for literature that transcends classrooms. This chapter is a call to explore the transformative power of education, shining a light on the beauty of Hindi language and its literary prowess.
अध्याय-3: आलो-आँधारि
सारांश
प्रस्तुत रचना लेखिका बेबी हालदार की आत्मकथा है| उन्होंने
बहुत कम आयु में ही अपने परिवार की जिम्मेदारी अकेले ही सँभाल लिया था| वह अपने पति
से अलग तीन बच्चों के साथ किराए के मकान में अकेले ही रहती थी| वह काम की तलाश में
इधर-उधर भटकती रहती थी| किसी के घर में नौकरानी का भी मिलता तो मजदूरी बहुत कम होती
थी| इस कारण महीने के अंत में किराए की चिंता लगी रहती थी| आस-पास के लोग भी उससे तरह-तरह
के सवाल पूछते थे कि वह अपने पति के साथ क्यों नहीं रहती| काम से देर से लौटने पर मकान-मालिक
भी सवाल करता कि वह कौन-सा काम करती है| सुनील नाम के युवक की मदद से उसे एक घर में
नौकरी मिल गई| वहाँ के मालिक एक सज्जन व्यक्ति थे| लेखिका को वह अपनी बेटी की तरह मानते
थे| प्यार से लेखिका उन्हें तातुश कहती थीं|
तातुश को जब यह पता चला कि लेखिका को पढ़ने-लिखने का शौक
है तो वे उसे पढ़ने के लिए उत्साहित करने लगे| उन्होंने लेखिका को कुछ किताबें दीं और
समय निकाल कर पढ़ने के लिए कहा| उन्होंने लेखिका को अपनी जीवन-कहानी भी लिखने के लिए
प्रेरित किया| लेखिका को किराए के घर में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता था| वहाँ
पानी और बाथरूम की असुविधा थी| किसी-किसी दिन उसे घर पहुँचने में देर हो जाती तो मकान-मालिक
की पत्नी हजारों सवाल करती कि जब उसका पति नहीं है तो किसके साथ घूमती रहती है| आस-पास
के लोग भी कानाफूसी करते रहते कि यह औरत अकेली ही अपने बच्चों के साथ क्यों रहती है|
इसका पति साथ क्यों नहीं रहता है| लेखिका को अकेली देखकर कुछ लोग छेड़खानी करना चाहते
और कुछ तो घर में जबरदस्ती घुस आते| तातुश के घर जाते ही लेखिका इन बातों को भूल जाती
थी क्योंकि वे लेखिका से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछते| तातुश अपने मित्रों को लेखिका
की पढ़ाई-लिखाई के बारे में बताते रहते थे|
एक दिन लेखिका ने काम से वापस आने पर अपने घर को टूटा हुआ
पाया| इस मुसीबत में उनके दोनों भाइयों ने पास रहते हुए भी कोई सहायता नहीं की| तातुश
को जब यह बात पता चली तो उन्होंने अपने घर का एक कमरा लेखिका के लिए खाली करवा दिया|
तातुश उसका और उसके बच्चों का बहुत ख्याल रखते थे| तातुश ने उसके बेटे का भी पता लगा
लिया और उसे बेबी से मिलवाया| लेखिका तातुश को अपने पिता के समान मानती थी| तातुश ने
लेखिका के द्वारा लिखे गए लेख अपने मित्रों को भी दिखाया| वे और उनके मित्र हमेशा लेखिका
को लिखने के लिए प्रोत्साहित करते थे| तातुश के एक मित्र ने लेखिका से उसकी कहानी को
एक मोड़ तक पहुँचाने के लिए चिट्ठी लिखी ताकि उसकी रचना को किसी पत्रिका में छापा जा
सके| तातुश के एक मित्र जिसे लेखिका जेठू कहती थी, लेखन के लिए बहुत प्रोत्साहित करते
थे| उन्होंने आशापूर्णा देवी का उदाहरण देकर लेखिका का हौसला बढ़ाया| लेखिका चिट्ठियों
के माध्यम से तातुश के मित्रों के साथ संपर्क में रहने लगी| उसके लिखे रचनाओं को लोग
पसंद करने लगे| तातुश के कारण लेखिका की जीवन दिशा ही बदल गई| आखिरकार वह दिन भी आया
जब लेखिका की लिखी रचना पत्रिका में छप गई| पत्रिका में उनकी रचना का शीर्षक था आलो-आँधारि,
बेबी हालदार| लेखिका अत्यंत प्रसन्न हुई और तातुश के प्रति उनका मन कृतज्ञता से भर
गया| उसने तातुश के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया|
NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 11 HINDI VITAN CHAPTER 3
अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 58)
प्रश्न. 1 पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर
होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है। क्या वर्तमान समय में स्त्रियों
की इस सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर- पाठ में ऐसे अनेक अंश हैं जिनसे ज्ञात होता है कि
पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं।
·
बेबी के प्रति उसके आस-पड़ोस
के लोगों का व्यवहार अच्छा नहीं था। वे सदा उससे पूछा करते कि उसका स्वामी कहाँ है?
मकान मालकिन उससे पूछती कि वह कहाँ गई थी? क्यों गई थी? आदि।
·
मकान मालकिन का बड़ा बेटा
उसके द्वार पर आकर बैठ जाता है और इस तरह की बातें कहता है जिनका अर्थ था कि यदि वह
चाहे तभी बेबी उस घर में रह सकती है।
·
कुछ लोग जानबूझकर उसके स्वामी
के विषय में प्रश्न पूछा करते थे, इसी बात पर उसे ताने देते या छेड़ते थे।
·
जब झुग्गियों पर बुलडोजर चलाया
गया तो सभी अपना सामान समेटकर दूसरे घरों में चले गए, पर वह अकेली बच्चों के साथ खुले
आसमान के नीचे बैठी रही।
उपर्युक्त अंशों से स्पष्ट होता है कि पुरुष स्त्री पर
ज्यादती करे तो भी पूरे समाज की ज्यादतियों से बचने का एक सुरक्षा कवच तो है ही।
वर्तमान समय में स्त्रियों की स्थिति में काफी बदलाव आया
है। शिक्षा वे कानूनों के कारण स्त्रियों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। अब वे अकेली
रहकर भी जीवन यापन कर सकती हैं।
प्रश्न. 2 अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी
के सामने रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?
उत्तर- बेबी के अपने परिवार में माता-पिता, भाई-भाभी, बहन
आदि सभी थे, पर नाम के ही थे। बिना सोचे-समझे, एक तेरह वर्ष की लड़की को अधेड़ पुरुष
के साथ बाँध दिया गया। मुसीबत के समय भी भाइयों ने उसे सहारा नहीं दिया। यहाँ तक कि
माँ की मृत्यु की सूचना भी नहीं दी गई। यह खून का रिश्ता रखने वाले लोगों का हाल था।
इधर तातुश जैसे सहृदय मनुष्य बेबी के दुख-दर्द को समझकर उसे अपने घर में आश्रय देते
हैं। उसके बच्चों की देखरेख, उनके लिए दूध, दवा, स्कूल आदि की व्यवस्था तक करते हैं।
बेबी के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं। उसके बड़े बेटे को खोजकर लाते हैं। वास्तव में,
उन्होंने जैसा व्यवहार किया ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं। ये बताते हैं करुणा, दया और स्नेह
के संबंध खून के रिश्तों से कहीं बढ़कर होते हैं।
प्रश्न. 3 इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की
जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इस पर विचार करिए।
उत्तर- इस पाठ से घरेलू नौकरों के घरों में काम करने वालों
के जीवन की निम्नलिखित जटिलताओं का पता चलता है –
·
इन लोगों को आर्थिक सुरक्षा
नहीं मिलती।
·
इन्हें गंदे व सस्ते मकान
किराए पर मिलते हैं क्योंकि ये अधिक किराया नहीं दे सकते।
·
इनका शारीरिक शोषण भी किया
जाता है।
·
इनके काम के घंटे भी अधिक
होते हैं।
अन्य समस्याएँ
·
आर्थिक तंगी के कारण इनके
बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं।
·
चिकित्सा सुविधा व खाने के
अभाव में ये अशिक्षित रहते हैं।
प्रश्न. 4 आलो-आँधारि रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं
के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे है। किंही दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार
प्रकट कीजिए।
उत्तर- आलो-आँधारि एक ऐसी कृति है जो बेबी हालदार की आत्मकथा
होने के साथ-साथ हमें एक अनदेखी दुनिया के दर्शन करवाती है। यह एक ऐसी दुनिया है जो
हमारे पड़ोस में है, फिर भी हम इसमें झाँकना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। कुछ समस्याएँ
निम्नलिखित हैं –
·
परित्यक्ता
स्त्री के साथ व्यवहार – यह पुस्तक एक
परित्यक्ता स्त्री की कहानी कहती है। बेबी किराए के मकान में रहकर घरेलू नौकरानी का
कार्य करके अपना जीवन निर्वाह कर रही है। समाज का दृष्टिकोण उसके प्रति स्वस्थ । नहीं
है। स्वयं औरतें ही उस पर ताना मारती हैं। हर व्यक्ति उस पर अपना अधिकार समझता है तथा
उसका शोषण करना चाहता है। उसे सदा संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। सहायता के नाम
पर उसका मजाक उड़ाया जाता है।
·
स्वच्छता
का अभाव – संसाधनों के अभाव में घरेलू
नौकर गंदी बस्तियों में रहते हैं। शौचालय की सुविधा न होना, पानी की जमाव, कूड़े के
ढेर आदि के कारण बीमारियाँ फैलती हैं। सरकार भी इन्हें उपेक्षित करती हैं।
प्रश्न. 5 तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो-जेठू का
यह कथन रचना संसार के किस सत्य को उद्घाटित करता है?
उत्तर- रचना संसार और इसमें रहने वाले लोगों की अपनी एक
अलग ही जीवन-शैली है। ये लोग लेखन कार्य के लिए सारी सारी रात जाग सकते हैं, जागते
हैं। तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो’–जेठू का यह कथन बेबी को यही बात समझाने
के लिए था। जेठू ने यह भी समझाया था कि आशापूर्णा देवी भी सारा काम-काज निबटाकर रात-रात
भर चोरी-चोरी लिखती थी, जब लोग सो जाते थे। यह सच है रचना संसार में लेखन का एक नशा
होता है, जैसा मुंशी प्रेमचंद को भी था, जो कई मील पैदल चलकर आते, खाने-पीने का ठिकाना
न था, फिर भी डिबरी की रोशनी में कई-कई घंटे बैठकर लेखन कार्य करते थे। ऐसी ही बेबी
हालदार ने भी किया। जब सारी झुग्गी बस्ती सो जाती तो वह लेखन कार्य करती रहती थी।
प्रश्न. 6 बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता
तो उसका जीवन कैसा होता? कल्पना करें और लिखें।
उत्तर- बेबी के जीवन में तातुश एक सौभाग्य की भाँति हैं।
तातुश जैसे लोग सबको नहीं मिलते। यदि वे बेबी के जीवन में न आते तो बेबी स्वयं कभी
अपनी क्षमता को पहचान न पाती। उसी गलीच माहौल में बेबी नरक भोगती रहती, घर-घर झाड़-बरतन
करती घूमती रहती। जो लोग उसे बुरी नजर से देखते थे उनका शिकार हो जाती। उसके बच्चे
कभी स्कूल का मुँह न देख पाते और शायद उससे सदा के लिए बिछुड़ जाते। उसका बड़ा बेटा
कहाँ काम कर रहा है, यह तातुश ही तो । खोज लाए थे। वह भी घृणास्पद अज्ञात कुचक्र के-से
जीवन में कहीं खोकर रह जाती। हमें उसकी आत्मकथा पढ़ने का अवसर न मिल पाता। चर्चा करेंप्रश्न.
पाठ में आए इन व्यक्तियों का देश के लिए विशेष रचनात्मक महत्व है। इनके बारे में जानकारी
प्राप्त करें और कक्षा में चर्चा करें। श्री रामकृष्ण, रवींद्रनाथ ठाकुर, काज़ी नजरुल
इस्लाम, शरत्चंद्र, सत्येंद्र नाथ दत्त, सुकुमार राय, ऐनि फ्रैंक। उत्तर- विद्यालय
के पुस्तकालय में जाकर इन सभी लेखन कर्ता, सिद्ध लोगों के विषय में जानकारी हासिल करें
और फिर सहपाठियों से चर्चा करें।