वचन
“शब्द के जिस रूप से एक या एक से अधिक का बोध होता है, उसे हिन्दी व्याकरण
में ‘वचन’ कहते है।“
वचन की परिभाषा
दूसरे शब्दों में- “संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या
का बोध हो, उसे ‘वचन’ कहते है अर्थात जिस रूप से किसी व्यक्ति, वस्तु के एक या एक से
अधिक होने का पता चलता है, उसे वचन कहते हैं।
जैसे:
· लडकी खेलती है।
· लडकियाँ खेलती हैं।
· फ्रिज में सब्जियाँ रखी हैं।
· तालाब में मछलियाँ तैर रही हैं।
· माली पौधों को सींच रहा है।
· कछुआ खरगोश के पीछे है।
उपर्युक्त वाक्यों में लडकी, फ्रिज, तालाब, बच्चे, माली, कछुआ शब्द उनके एक
होने का तथा लडकियाँ, सब्जियाँ, मछलियाँ, पौधे, खरगोश शब्द उनके एक से अधिक होने का
ज्ञान करा रहे हैं। अतः यहाँ लडकी, फ्रिज, तालाब, माली, कछुआ एकवचन के शब्द हैं तथा
लडकियाँ, सब्जियाँ, मछलियाँ, पौधे, खरगोश बहुवचन के शब्द।
वचन का शाब्दिक अर्थ संख्यावचन होता है। संख्यावचन को ही संक्षेप में वचन कहते
हैं। वचन का एक अर्थ कहना भी होता है।
वचन के भेद या वचन के प्रकार
वचन के दो भेद होते हैं:
1.
एकवचन
2.
बहुवचन
1.
एकवचन: संज्ञा के जिस रूप से एक व्यक्ति या एक वस्तु होने का ज्ञान हो, उसे एकवचन
कहते है अर्थात जिस शब्द के कारण हमें किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, पदार्थ आदि के
एक होने का पता चलता है उसे एकवचन कहते हैं।
जैसे :- लड़का, लडकी, गाय, सिपाही,
बच्चा, कपड़ा, माता, पिता, माला, पुस्तक, स्त्री, टोपी, बन्दर, मोर, बेटी, घोडा, नदी,
कमरा, घड़ी, घर, पर्वत, मैं, वह, यह, रुपया, बकरी, गाड़ी, माली, अध्यापक, केला, चिड़िया,
संतरा, गमला, तोता, चूहा आदि।
2.
बहुवचन: शब्द के जिस रूप से एक से अधिक व्यक्ति या वस्तु होने का ज्ञान हो, उसे बहुवचन
कहते है अर्थात जिस शब्द के कारण हमें किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, पदार्थ आदि के
एक से अधिक या अनेक होने का पता चलता है उसे बहुवचन कहते हैं।
जैसे :- लडके, लडकियाँ, गायें, कपड़े,
टोपियाँ, मालाएँ, माताएँ, पुस्तकें, वधुएँ, गुरुजन, रोटियां, पेंसिलें, स्त्रियाँ,
बेटे, बेटियाँ, केले, गमले, चूहे, तोते, घोड़े, घरों, पर्वतों, नदियों, हम, वे, ये,
लताएँ, गाड़ियाँ, बकरियां, रुपए आदि।
1.
आदरणीय या सम्मानीय व्यक्तियों
के लिए सदैव बहुवचन का प्रयोग किया जाता है. इसके लिए एकवचन व्यक्तिवाचक संज्ञा को
ही बहुवचन में प्रयोग कर दिया जाता है।
जैसे :-
·
गांधीजी चंपारन आये थे।
·
शास्त्रीजी बहुत ही सरल स्वभाव
के थे।
·
गुरूजी आज नहीं आये।
·
पापाजी कल कलकत्ता जायेंगे।
·
अम्बेडकर जी छुआछुत के विरोधी
थे।
·
श्री रामचन्द्र वीर थे।
2.
संबद्ध दर्शाने वाली कुछ संज्ञायें
एकवचन और बहुवचन में एक समान रहती है।
जैसे – नाना, मामी, ताई, ताऊ, नानी, मामा, चाचा, चाची,
दादा, दादी आदि।
3.
द्रव्यसूचक संज्ञाओं का प्रयोग
केवल एकवचन में ही होता है।
जैसे – तेल, घी, पानी, दूध, दही,
लस्सी, रायता आदि।
4.
कुछ शब्द सदैव बहुवचन में प्रयोग
किये जाते है।
जैसे – दाम, दर्शन, प्राण, आँसू,
लोग, अक्षत, होश, समाचार, हस्ताक्षर, दर्शक, भाग्य, केश, रोम, अश्रु, आशीर्वाद आदि।
उदाहरण-
·
आपके हस्ताक्षर बहुत ही अलग
हैं।
·
लोग कहते रहते हैं।
·
आपके दर्शन सौभाग्य वालों को
मिलते हैं।
·
इसके दाम ज्यादा हैं।
·
आज के समाचार क्या हैं?
·
आपका आशीर्वाद पाकर मैं धन्य
हो गया हूँ।
5.
पुल्लिंग ईकारान्त, उकारान्त
और ऊकारान्त शब्द दोनों वचनों में समान रहते है।
जैसे- एक मुनि, दस मुनि, एक डाकू,
दस डाकू, एक आदमी, दस आदमी आदि।
6.
बड़प्पन दिखाने के लिए कभी
-कभी वक्ता अपने लिए ‘मैं’ के स्थान पर ‘हम’ का प्रयोग करता है।
जैसे –
· हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं
· मालिक ने नौकर से कहा कि हम मीटिंग में जा रहे हैं।
· जब गुरूजी घर आये तो वे बहुत खुश थे।
· हमे याद नहीं हमने कभी ‘आपसे’ ऐसा कहा था।
7.
व्यवहार में ‘तुम’ के स्थान
पर ‘आप’ का प्रयोग करना अच्छा माना जाता है।
जैसे-
·
आप कहाँ पर गये थे।
·
आप आइयेगा जरुर, हमें आपकी
प्रतीक्षा रहेगी
8.
जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग
दोनों वचनों में किया जाता है।
जैसे-
·
कुत्ता भौंक रहा है।
·
कुत्ते भौंक रहे हैं।
·
शेर जंगल का राजा है।
·
बैल के चार पाँव होते हैं।
9.
परन्तु धातुओं का बोध कराने
वाली जातिवाचक संज्ञायें एकवचन में ही प्रयुक्त होती है।
जैसे-
·
सोना बहुत महँगा है।
·
चाँदी सस्ती है।
·
उसके पास बहुत धन है।
10.
गुण वाचक और भाववाचक दोनों
संज्ञाओं का प्रयोग एकवचन और बहुवचन दोनों में ही किया जाता है।
जैसे-
·
मैं उनके धोखे से ग्रस्त हूँ।
·
इन दवाईयों की अनेक खूबियाँ
हैं।
·
डॉ राजेन्द्र प्रसाद की सज्जनता
पर सभी मोहित थे।
·
मैं आपकी विवशता को जानता हूँ।
11.
कुछ शब्द जैसे हर, प्रत्येक,
और हर एक का प्रयोग सिर्फ एकवचन में होता है।
जैसे-
·
हर एक कुआँ का पानी मीठा नही
होता।
·
प्रत्येक व्यक्ति यही कहेगा।
·
हर इन्सान इस सच को जानता है।
12.
समूहवाचक संज्ञा का प्रयोग
केवल एकवचन में ही किया जाता है।
जैसे-
·
इस देश की बहुसंख्यक जनता अनपढ़
है।
·
लंगूरों की एक टोली ने बहुत
उत्पात मचा रखा है।
13.
ज्यादा समूहों का बोध करने
के लिए समूहवाचक संज्ञा का प्रयोग बहुवचन में किया जाता है।
जैसे- विद्यार्थियों की बहुत सी
टोलियाँ इधर गई हैं।
14.
एक से ज्यादा अवयवों को इंगित
करने वाले शब्दों का प्रयोग बहुवचन में होता है लेकिन अगर उनको एकवचन में प्रयोग करना
है तो उनके आगे एक लगा दिया जाता है।
जैसे- आँख, कान, ऊँगली, पैर, दांत,
अंगूठा आदि।
उदाहरण-
·
राधा के दांत चमक रहे थे।
·
मेरे बाल सफेद हो चुके हैं।
·
मेरा एक बाल टूट गया।
·
मेरी एक आँख में खराबी है।
·
मंजू का एक दांत गिर गया।
15.
करण कारक के शब्द जैसे- जाड़ा,
गर्मी, भूख, प्यास आदि को बहुवचन में ही प्रयोग किया जाता है।
जैसे-
·
बेचारा बन्दर जाड़े से ठिठुर
रहा है।
·
भिखारी भूखे मर रहे हैं।
16.
कभी कभी कुछ एकवचन संज्ञा शब्दों
के साथ गुण, लोग, जन, समूह, वृन्द, दल, गण, जाति आदि लगाकर उन शब्दों को बहुवचन में
प्रयोग किया जाता है।
जैसे-
·
छात्रगण बहुत व्यस्त होते हैं।
·
मजदूर लोग काम कर रहे हैं।
·
स्त्रीजाति बहुत संघर्ष कर
रही है।
एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम
विभिक्तिरहित संज्ञाओं के बहुवचन बनाने के नियम-
1.
आकारान्त पुल्लिंग शब्दों
में ‘आ’ के स्थान पर ‘ए’ लगाने से-
एकवचन | बहुवचन |
जूता | जूते |
तारा | तारे |
लड़का | लड़के |
घोड़ा | घोडे |
बेटा | बेटे |
मुर्गा | मुर्गे |
कपड़ा | कपड़े |
बालिका | बालिकाएं |
2. अकारांत स्त्रीलिंग शब्दों में ‘अ’ के स्थान पर ‘ए’ लगाने से-
एकवचन | बहुवचन |
कलम | कलमें |
बात | बातें |
रात | रातें |
आँख | आखें |
पुस्तक | पुस्तकें |
सड़क | सड़कें |
चप्पल | चप्पलें |
3.
जिन स्त्रीलिंग संज्ञाओं
के अन्त में ‘या’ आता है, उनमें ‘या’ के ऊपर चन्द्रबिन्दु लगाने से बहुवचन बनता है।
जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
बिंदिया | बिंदियाँ |
चिडिया | चिडियाँ |
डिबिया | डिबियाँ |
गुडिया | गुडियाँ |
चुहिया | चुहियाँ |
4.
ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों
के ‘इ’ या ‘ई’ के स्थान पर ‘इयाँ’ लगाने से-
एकवचन | बहुवचन |
तिथि | तिथियाँ |
नारी | नारियाँ |
गति | गतियाँ |
थाली | थालियाँ |
5.
आकारांत स्त्रीलिंग एकवचन
संज्ञा-शब्दों के अन्त में ‘एँ’ लगाने से बहुवचन बनता है।
जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
लता | लताएँ |
अध्यापिका | अध्यापिकाएँ |
कन्या | कन्याएँ |
माता | माताएँ |
भुजा | भुजाएँ |
पत्रिका | पत्रिकाएँ |
शाखा | शाखाएँ |
कामना | कामनाएँ |
कथा | कथाएँ |
6.
इकारांत स्त्रीलिंग शब्दों
में ‘याँ’ लगाने से-
एकवचन | बहुवचन |
जाति | जातियाँ |
रीति | रीतियाँ |
नदी | नदियाँ |
लड़की | लड़कियाँ |
7.
उकारान्त व ऊकारान्त स्त्रीलिंग
शब्दों के अन्त में ‘एँ’ लगाते है। ‘ऊ’ को ‘उ’ में बदल देते है-
एकवचन | बहुवचन |
वस्तु | वस्तुएँ |
गौ | गौएँ |
बहु | बहुएँ |
वधू | वधुएँ |
गऊ | गउएँ |
8.
संज्ञा के पुंलिंग अथवा
स्त्रीलिंग रूपों में ‘गण’ ‘वर्ग’ ‘जन’ ‘लोग’ ‘वृन्द’ ‘दल’ आदि शब्द जोड़कर भी शब्दों
का बहुवचन बना देते हैं।
जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
स्त्री | स्त्रीजन |
नारी | नारीवृन्द |
अधिकारी | अधिकारीवर्ग |
पाठक | पाठकगण |
अध्यापक | अध्यापकवृंद |
विद्यार्थी | विद्यार्थीगण |
आप | आपलोग |
श्रोता | श्रोताजन |
मित्र | मित्रवर्ग |
सेना | सेनादल |
गुरु | गुरुजन |
गरीब | गरीब लोग |
9.
कुछ शब्दों में गुण, वर्ण,
भाव आदि शब्द लगाकर बहुवचन बनाया जाता है।
जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
व्यापारी | व्यापारीगण |
मित्र | मित्रवर्ग |
सुधी | सुधिजन |
विभक्तिसहित संज्ञाओं के बहुवचन बनाने के नियम-
विभक्तियों से युक्त होने पर शब्दों के बहुवचन का रूप बनाने में लिंग के कारण
कोई परिवर्तन नहीं होता।
इसके कुछ सामान्य नियम निम्नलिखित है-
1.
अकारान्त, आकारान्त (संस्कृत-शब्दों
को छोड़कर) तथा एकारान्त संज्ञाओं में अन्तिम ‘अ’, ‘आ’ या ‘ए’ के स्थान पर बहुवचन बनाने
में ‘ओं’ कर दिया जाता है।
जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
लडका | लडकों |
घर | घरों |
गधा | गधों |
घोड़ा | घोड़ों |
चोर | चोरों |
2.
संस्कृत की आकारान्त तथा
संस्कृत-हिन्दी की सभी उकारान्त, ऊकारान्त, अकारान्त, औकारान्त संज्ञाओं को बहुवचन
का रूप देने के लिए अन्त में ‘ओं’ जोड़ना पड़ता है। उकारान्त शब्दों में ‘ओं’ जोड़ने के
पूर्व ‘ऊ’ को ‘उ’ कर दिया जाता है।
एकवचन | बहुवचन |
लता | लताओं |
साधु | साधुओं |
वधू | वधुओं |
घर | घरों |
जौ | जौओं |
3.
सभी इकारान्त और ईकारान्त
संज्ञाओं का बहुवचन बनाने के लिए अन्त में ‘यों’ जोड़ा जाता है। ‘इकारान्त’ शब्दों में
‘यों’ जोड़ने के पहले ‘ई’ का इ’ कर दिया जाता है।
जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
मुनि | मुनियों |
गली | गलियों |
नदी | नदियों |
साड़ी | साड़ियों |
श्रीमती | श्रीमतियों |
वचन की पहचान
वचन की पहचान संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण अथवा उसमे प्रयुक्त क्रिया के द्वारा
होती है.
1.
हिंदी भाषा में आदर प्रकट करने
के लिए एकवचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग किया जाता है।
जैसे-
· गाँधी जी हमारे राष्ट्रपिता हैं।
· पिता जी, आप कब आए?
· मेरी माता जी मुंबई गई हैं।
· शिक्षक पढ़ा रहे हैं।
· नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं।
2.
कुछ शब्द सदैव एकवचन में रहते
है।
जैसे-
· निर्दलीय नेता का चयन जनता द्वारा किया गया।
· नल खुला मत छोड़ो, वरना सारा पानी खत्म हो जाएगा।
· मुझे बहुत क्रोध आ रहा है।
· राजा को सदैव अपनी प्रजा का ख्याल रखना चाहिए।
· गाँधी जी सत्य के पुजारी थे।
3.
द्रव्यवाचक, भाववाचक तथा व्यक्तिवाचक
संज्ञाएँ सदैव एकवचन में प्रयुक्त होती है।
जैसे-
· चीनी बहुत महँगी हो गई है।
· पाप से घृणा करो, पापी से नहीं।
· बुराई की सदैव पराजय होती है।
· प्रेम ही पूजा है।
· किशन बुद्धिमान है।
4.
कुछ शब्द सदैव बहुवचन में रहते
है।
जैसे-
· दर्दनाक दृश्य देखकर मेरे तो प्राण ही निकल गए।
· आजकल मेरे बाल बहुत टूट रहे हैं।
· रवि जब से अफसर बना है, तब से तो उसके दर्शन ही दुर्लभ हो गए हैं।
· आजकल हर वस्तु के दाम बढ़ गए हैं।
वचन सम्बन्धी विशेष निर्देश
1.
‘प्रत्येक’ तथा ‘हरएक’ का प्रयोग
सदा एकवचन में होता है।
जैसे-
· प्रत्येक व्यक्ति यही कहेगा
· हरएक कुआँ मीठे जल का नहीं होता।
2.
दूसरी भाषाओँ के तत्सम या तदभव
शब्दों का प्रयोग हिन्दी व्याकरण के अनुसार होना चाहिए।
जैसे, अँगरेजी के ‘फुट’ (foot)
का बहुवचन ‘फीट’ (feet) होता है किन्तु हिन्दी में इसका प्रयोग इस प्रकार होगा- दो
फुट लम्बी दीवार है न कि ‘दो फीट लम्बी दीवार है’।
3.
प्राण, लोग, दर्शन, आँसू, होंठ,
दाम, अक्षत इत्यादि शब्दों का प्रयोग हिन्दी में बहुवचन में होता है।
जैसे-
· आपके होंठ खुले कि प्राण तृप्त हुए।
· आपलोग आये, आर्शीवाद के अक्षत बरसे, दर्शन हुए।
4.
द्रव्यवाचक संज्ञाओं का प्रयोग
एकवचन में होता है।
जैसे-
· उनके पास बहुत सोना है।
· उनका बहुत-सा धन बरबाद हुआ।
· न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी।
किन्तु, यदि द्रव्य के भित्र-भित्र प्रकारों
का बोध हों, तो द्रव्यवाचक संज्ञा बहुवचन में प्रयुक्त होगी।
जैसे-
· यहाँ बहुत तरह के लोहे मिलते हैं।
· चमेली, गुलाब, तिल इत्यादि के तेल अच्छे होते हैं।