Jamun ka ped class 11: NCERT Solutions For Chapter 7 Hindi Aaroh

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The story Jamun Ka Ped by Krishna Chander is a significant part of the Class 11 Hindi curriculum. This satirical piece is a well-loved part of the syllabus for its humor as well as its critique of bureaucratic systems. If you're studying Jamun Ka Ped in Class 11th, you are likely to encounter a range of questions designed to test your understanding of the text.

Jamun Ka Ped Class 11 question answer sections usually focus on the plot, characters, and the underlying message of the story. Students should be prepared to explore the narrative thoroughly, as the Jamun Ka Ped question answer exercises demand a clear grasp of the story's events and the satire it employs.

When looking for Jamun Ka Ped Class 11 question answer, students should pay attention to the specific instances of humor and irony that the author uses to comment on society and bureaucracy. The Jamun Ka Ped Class 11th question answer is not just about recalling the story's events; it's about analyzing them and understanding the author's perspective.

For those studying the Jamun Ka Ped question answers, it's beneficial to discuss and write about how the story reflects human nature and societal norms. The Jamun Ka Ped Class 11 question answers are an opportunity to delve into discussions that may extend beyond the text, contemplating its relevance in contemporary times.

Teachers often emphasize the importance of understanding the satire in the Class 11 Hindi Jamun Ka Ped question answer session. This understanding is crucial because it helps students to not just know the story but also to appreciate its place in Hindi literature.

When preparing for Class 11 Jamun Ka Ped question answer or Class 11th Jamun Ka Ped question answer, it is advisable for students to look beyond the textbook and discuss the themes with peers or educators. This broader discussion can open up new insights and make the process of learning more engaging and effective.

अध्याय - 7: जामुन का पेड़

सारांश

‘जामुन का पेड़’ कृश्नचंदर की प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कथा है। हास्य-व्यंग्य के लिए चीजों को अनुपात से ज्यादा फैला-फुलाकर दिखलाने की परिपाटी पुरानी है और यह कहानी भी उसका अनुपालन करती है। इसलिए इसकी घटनाएँ अतिशयोक्तिपूर्ण और अविश्वसनीय लगने लगती हैं। विश्वसनीयता ऐसी रचनाओं के मूल्यांकन की कसौटी नहीं हो सकती। प्रस्तुत पाठ यह स्पष्ट करता है कि कार्यालयी तौर-तरीकों में पाया जाने वाला विस्तार कितना निरर्थक और पदानुक्रम कितना हास्यस्पद है। यह व्यवस्था के संवेदनशून्य व अमानवीयता के रूप को भी बताता है।

रात को चली आँधी में सचिवालय के पार्क में जामुन का पेड़ गिर गया। सुबह माली ने देखा कि उसके नीचे एक आदमी दबा पड़ा है। उसने यह सूचना तुरंत चपरासी को दी। इस तरह मिनटों में दबे आदमी के पास भीड़ इकट्ठी हो गई। क्लकों को रसीले जामुनों की याद आ रही थी, तभी माली ने आदमी के बारे में पूछा। उन्हें उस आदमी के जीवित होने में संदेह था, तभी वह दबा आदमी बोल पड़ा। माली ने पेड़ हटाने का सुझाव दिया, परंतु सुपरिंटेंडेंट ने अपने ऊपर के अधिकारी से पूछने की बात कही। इस तरह बात डिप्टी सेक्रेटरी, ज्वांइट सेक्रेटरी, चीफ सेक्रेटरी, मिनिस्टर के पास पहुँची। मंत्री ने चीफ सेक्रेटरी से कुछ कहा और उसी क्रम में बात नीचे तक पहुँची और फाइल चलती रही।

दोपहर को भीड़ इकट्ठी हो गई। कुछ मनचले क्लर्क सरकारी इजाजत के बिना पेड़ हटाना चाहते थे कि तभी सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर भागा-भागा आया और कही कि यह काम कृषि विभाग का है। वह उन्हें फाइल भेज रहा है। कृषि विभाग ने पेड़ हटवाने की जिम्मेदारी व्यापार विभाग पर डाल दी। व्यापार विभाग ने कृषि विभाग पर जिम्मेदारी डालकर अपना पल्ला झाड़ लिया। दूसरे दिन भी फाइल चलती रही। शाम को इस मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग के पास भेजने का फैसला किया गया, क्योंकि यह फलदार पेड़ है।

रात को माली ने दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाया, जबकि उसके चारों तरफ पुलिस का पहरा था। माली ने उसके परिवार के बारे में पूछा तो दबे हुए आदमी ने स्वयं को लावारिस बताया। तीसरे दिन हॉर्टीकल्चर विभाग से जवाब आया कि आजकल ‘पेड़ लगाओ’ स्कीम जोर-शोर से चल रही है। अत: जामुन के पेड़ को काटने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

एक मनचले ने आदमी को काटने की बात की। इससे पेड़ बच जाएगा। दबे हुए आदमी ने इस पर आपत्ति की कि ऐसे तो वह मर जाएगा। आदमी काटने वाले ने अपना तर्क दिया कि आजकल प्लास्टिक सर्जरी उन्नति कर चुकी है। यदि आदमी को बीच में से काटकर निकाल लिया जाए तो उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ा जा सकता है। इस बात पर फाइल मेडिकल विभाग भेजी गई। वहाँ से रिपोर्ट आई कि सारी जाँच-पड़ताल करके पता चला कि प्लास्टिक सर्जरी तो हो सकती है, किंतु आदमी मर जाएगा। अत: यह फैसला रद्द हो गया।

रात को माली ने उस आदमी को बताया कि कल सभी सचिवों की बैठक होगी। वहाँ केस सुलझने के आसार हैं। दबे हुए आदमी ने गालिब का एक शेर सुनाया

“ये तो माना कि तगाफूल न करोगे लेकिन

खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक!”

यह सुनकर माली हैरान हो गया। आदमी के शायर होने की बात सारे सचिवालय में फैल गई, फिर यह चर्चा शहर में फैल गई और तरह-तरह के कवि व शायर वहाँ इकट्ठे हो गए। वे सभी अपनी रचनाएँ सुनाने लगे। कई क्लर्क उस आदमी से अपनी कविता पर आलोचना करने को मजबूर करने लगे। जब यह पता चला कि दबा हुआ व्यक्ति कवि है, तो सब-कमेटी ने यह मामला कल्चरल डिपार्टमेंट को सौंप दिया। साहित्य अकादमी के सचिव के पास फाइल पहुँची। सचिव उसी समय उस आदमी का इंटरव्यू लेने पहुँचा। दबे हुए आदमी ने बताया कि उसका उपनाम ओस है तथा कुछ दिन पहले उसका लिखा हुआ ‘ओस के फूल’ गद्य-संग्रह प्रकाशित हुआ है। सचिव ने आश्चर्य जताया कि इतना बड़ा लेखक उनकी अकादमी का सदस्य नहीं है। आदमी ने कहा कि मुझे पेड़ के नीचे से निकालिए। सचिव उसे आश्वासन देकर चला गया।

अगले दिन सचिव ने उसे साहित्य अकादमी का सदस्य चुने जाने की बधाई दी। आदमी ने उसे पेड़ के नीचे से निकालने की प्रार्थना की तो उसने असमर्थता जताई। उसने कहा कि यदि तुम मर गए तो वे उसकी बीवी को वजीफा दे सकते हैं। उनके विभाग का संबंध सिर्फ कल्चर से है। पेड़ काटने का काम आरी-कुल्हाड़ी से होगा। वन विभाग को लिख दिया गया है। शाम को माली ने बताया कि कल वन विभाग वाले पेड़ काट देंगे।

माली खुश था। दबे हुए आदमी का स्वास्थ्य जवाब दे रहा था। दूसरे दिन वन विभाग के लोग आरी-कुल्हाड़ी लेकर आए तो विदेश विभाग के आदेश से यह कार्य रोक दिया गया। यह पेड़ पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सचिवालय में दस साल पहले लगाया था। पेड़ काटने से दोनों राज्यों के संबंध बिगड़ जाएँगे। दूसरे पीटोनिया सरकार राज्य को बहुत सहायता देती है। दो देशों की खातिर एक आदमी के जीवन का बलिदान दिया जा सकता है।

अंडर सेक्रेटरी ने बताया कि प्रधानमंत्री विदेश दौरे से सुबह वापस आ गए हैं। अब वे ही निर्णय देंगे। शाम के पाँच बजे स्वयं सुपरिंटेंडेंट कवि की फाइल लेकर आया और चिल्लाया कि प्रधानमंत्री ने सारी जिम्मेदारी स्वयं लेते हुए पेड़ काटने की अनुमति ो दे दी। कल यह पेड़ काट दिया जाएगा। तुम्हारी फाइल पूरी हो गई।

परंतु कवि का हाथ ठंडा था। उसके जीवन की फाइल भी पूरी हो चुकी थी।


 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 11 HINDI CHAPTER 7

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 110-111)

पाठ के साथ

प्रश्न. 1 बेचारा जामुन का पेड़। कितना फलदार था।

और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।

     i.        ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?

   ii.        इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?

उत्तर-

     i.        ये संवाद सेक्रेटेरियेट के लॉन में जामुन के पेड़ के गिरने से संबंधित हैं। रात की आँधी में सेक्रेटेरियट के लॉन में खड़ा जामुन का पेड़ गिर गया। उसके नीचे एक आदमी दब गया। सुबह माली ने उसे देखा और क्लकों को सूचना दे दी। वहाँ सभी इकट्ठे हो जाते हैं। वे सभी जामुन के पेड़ की प्रशंसा में चर्चा करते हैं किंतु उन्हें उसके नीचे दबे व्यक्ति की कोई चिंता नहीं है।

   ii.        इससे लोगों की संवेदनशून्यता तथा स्वार्थपरता का पता चलता है। सरकारी अमले को जामुन के पेड़ से लाभ मिलता था, अत: वे उसके गुण गाते थे तथा उसके गिरने का दुख व्यक्त कर रहे थे। उन्हें दबे हुए जिंदा आदमी की पीड़ा से कुछ लेना-देना नहीं है।

प्रश्न. 2 दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इसे जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?

उत्तर- जब रात को माली ने दबे हुए आदमी के मुँह में खिचड़ी डाली तो उसे यह भी बताया कि तुम्हारे लिए सेक्रेटरियों की मीटिंग होगी और मामला शीघ्र ही निपट जाएगा। इस पर दबे हुए आदमी ने मिर्जा गालिब का एक शेर कह डाला- “ये तो माना कि तगाफुल न करोगे, लेकन खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक।” यह सुनकर माली ने पूछा, “क्या तुम शायर हो?’

दबे हुए आदमी ने कहा ‘हाँ’ तो माली ने चपरासी को, चपरासी ने क्लर्क और क्लर्क ने हेडक्लर्क को बताया और पूरे विभाग में यह सूचना फैल गई। यह निर्णय लिया गया कि न एग्रीकल्चर और न ही हॉर्टीकल्चर, इस व्यक्ति की फ़ाइल कल्चरल डिपार्टमेंट को दे दी जाए। अब फ़ाइल पर नए सिरे से विचार होने लगा। इसे साहित्य अकादमी की केंद्रीय शाखा का मेंबर चुन लिया गया। पत्नी को भत्ता देने की बात भी कही गई पर पेड़ की बात वहीं की वहीं रही। उसे काटना संभव न हुआ। इस बात की फ़ाइल जहाँ की तहाँ रही।

प्रश्न. 3 कृषि-विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?

उत्तर- कृषि विभाग वालों ने तर्क दिया कि कृषि विभाग को अनाज और खेती-बाड़ी से संबंधित मामलों में फैसले लेने का अधिकार है। जामुन का पेड़ फलदार वृक्ष है, इसलिए यह मामला हॉर्टीकल्चर विभाग के अंतर्गत आता है। उन्हें ही इस विषय में फैसला लेना चाहिए। उन्होंने फाइल हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंप दी।

इस प्रकार प्रशासनिक भाषा में बात कर उन्होंने भी अपना पल्ला झाड़ लिया। दबे हुए आदमी के प्रति मानवीय संवेदना तो दूर-दूर तक न थी। कार्यालयों की कार्यप्रणाली का यथार्थ चित्रण है।

प्रश्न. 4 इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?

उत्तर- इस पाठ में अनेक सरकारी कार्यालयों के नामों का उल्लेख किया गया है जिनमें से प्रथम है, सेक्रेटेरियेट जो सरकारी सचिवालय है। दूसरा हार्टीकल्चर विभाग जो उद्यानों की व्यवस्था देखता है। बाग-बगीचे लगाता है। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट जो कृषि विभाग होने के नाते फ़सल और पैदावार आदि की व्यवस्था देखता है। पुलिस विभाग कानून-व्यवस्था देखने का दावा करता है। मेडिकल डिपार्टमेंट जो रोगियों और बीमारों का इलाज करता है। कल्चरल डिपार्टमेंट जो कि सांस्कृतिक मामलों से संबंध रखता है; कवि, कलाकार, चित्रकार आदि को प्रोत्साहन देता है। इस पाठ में इनमें से एक भी विभाग सही ढंग से अपना काम नहीं कर रहा। सभी विभाग औपचारिकताओं में पड़ गए हैं। वे संवेदन शून्य होकर रह गए हैं। उन्हें किसी मनुष्य के मरने-जीने का भी इतना ध्यान नहीं है जितना औपचारिकताएँ निभाने का है।

पाठ के आस-पास

प्रश्न. 1 कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं। ऐसा कब-कब होता और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस वजह से भंग होता है।

उत्तर-

पहला प्रसंग- पहली बार दबे आदमी को निकालने के लिए तैयार होने का प्रसंग कहानी के प्रारंभ में ही आता है।

जब माली की सलाह पर वहाँ इकट्ठी भीड़ पेड़ हटा कर दबे हुए आदमी को बाहर निकालने के लिए तैयार हो जाती है किंतु, सुपरिंटेंडेंट वहाँ आकर उन्हें रोक देता है तथा ऊपर के अधिकारियों से पूछने की बात कहता है। इस प्रकार पहली बार संकल्प भंग हो जाता है।

दूसरा प्रसंग- यह प्रसंग दोपहर के भोजन के समय आता है। दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने के लिए बनी फाइल आधे दिन तक सेक्रेटेरियट में घूमती रही, परंतु कोई फैसला न हो सका। कुछ मनचले किस्म के क्लर्क सरकारी फैसले के इंतजार के बिना पेड़ को स्वयं हटा देना चाहते थे कि उसी समय सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर भागा-भागा आया और कहा कि हम खुद इस पेड़ को नहीं हटा सकते। यह पेड़ कृषि विभाग के अधीन है।

वहाँ से जवाब आने पर पेड़ हटवा दिया जाएगा। इस प्रकार दूसरी बार फाइल अन्य विभाग में भेजने के कारण लोगों का संकल्प भंग हो जाता है।

प्रश्न. 2 यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दें।

उत्तर- हास्य और व्यंग्य दोनों ही कहानी में निरंतर बने हुए हैं, पर करुणा भी प्रवाहित हो रही है। पाठक के समक्ष जब एक के बाद एक औपचारिकताएँ कई दिन तक चलती हैं तो उसे हर क्षण दबे हुए मनुष्य पर दया आती रहती है जो सहज और स्वाभाविक रूप से उठनेवाला भाव है। एक दूसरी स्थिति वह है जब हर रात माली उस दबे हुए आदमी के मुँह में दाल चावल, खिचड़ी आदि डालता है तो रूखे माहौल में कहीं एक संवेदना को देखकर पाठक में करुणा का संचार होता है।

प्रश्न. 3 यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतज़ार करते या नहीं? अगर हाँ, तो क्यों? और नहीं, तो क्यों?

उत्तर- यदि मैं माली की जगह होता तो मैं हुकूमत के फैसले का इंतजार नहीं करता। मैं सबसे पहले अपने सहकर्मियों को तैयार करके उस पेड़ को हटाता तथा दबे हुए व्यक्ति को निकालकर उसका इलाज करवाता। मानव जीवन सरकारी कार्रवाई से अधिक महत्वपूर्ण है। संकट के समय में मौके पर उपस्थित सरकारी कर्मचारी स्वयं ही निर्णय ले सकता है। यदि मैं माली की जगह होता तो मेरी सहानुभूति दबे हुए व्यक्ति के साथ होती, परंतु सरकारी फैसले के बिना मैं कुछ नहीं करता। सरकारी नियम इतने पेचीदा होते हैं कि उसमें उलझकर व्यक्ति का सारा जीवन नष्ट हो जाता है। सही कार्य करने पर भी सजा मिलती है।

शीर्षक सुझाइए

कहानी के वैकल्पिक शीर्षक सुझाएँ। निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखकर शीर्षक गढ़े जा सकते हैं –

·       कहानी में बार-बार फ़ाइल का जिक्र आया है और अंत में दबे हुए आदमी के जीवन की फ़ाइल पूर्ण होने की बात कही गई है।

·       सरकारी दफ्तरों की लंबी और विवेकहीन कार्य-प्रणाली की ओर बार-बार इशारा किया गया है।

·       कहानी का मुख्य पात्र उस विवेकहीनता का शिकार हो जाता है।

उत्तर- उपर्युक्त तीनों बिंदुओं को ध्यान में रखकर –

·       फाइलों में दबा आदमी

·       सरकारी मौत

·       मूर्यों का शिकार

·       कवि की मौत

·       साहित्यिक मृत्युदंड आदि शीर्षक हो सकते हैं।

भाषा की बात

प्रश्न. 1 नीचे दिए गए अंग्रेजी शब्दों के हिंदी प्रयोग लिखिए –

अर्जेंट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, मेंबर, डिप्टी सेक्रेटरी, चीफ़ सेक्रेटरी, मिनिस्टर, अंडर सेक्रेटरी, हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट।

उत्तर- अर्जेंट – ज़रूरी। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट – वन विभाग। मेंबर – सदस्य। डिप्टी सेक्रेटरी – उप सचिव। चीफ़ सेक्रेटरी – प्रमुख सचिव। मिनिस्टर – मंत्री। अंडर सेक्रेटरी – अधीनस्थ सचिव। हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट – उद्यान विभाग। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट – कृषि-विभाग।

प्रश्न. 2 इसकी चर्चा शहर में भी फैल गई और शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए-यह एक संयुक्त वाक्य है, जिसमें दो स्वतंत्र वाक्यों को समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द और से जोड़ा गया है। संयुक्त वाक्य को इस प्रकार सरल वाक्य में बदला जा सकता है-इसकी चर्चा शहर में फैलते ही शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए। पाठ में से पाँच संयुक्त वाक्यों को चुनिए और उन्हें सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए।

उत्तर-

·       हम लोग व्यापार-विभाग से संबंधित हैं और यह पेड़ की समस्या कृषि विभाग के अधीन है। पेड़ की समस्या कृषि विभाग के अधीन है, व्यापार-विभाग के नहीं।

·       एक पुलिस कांस्टेबल को दया आ गई और उसने माली को दबे हुए आदमी को खाना खिलाने की इजाजत दे दी।

·       माली ने अचंभे से मुँह में उँगली दबा ली और चकित भाव से बोला, ‘क्या तुम शायर हो। माली अचंभित होकर मुँह में उँगली दबाते हुए बोला, ‘क्या तुम शायर हो ?’

·       उसकी साँस बड़ी मुश्किल से चल रही थी और आँखों से मालूम होता था कि वह घोर पीड़ा में है। घोर पीड़ा से भरी आँखों के साथ उसकी साँसें भी ठीक से नहीं चल रही थीं।

·       उसके लिए हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लिखा है और अजेंट लिखा है। उसके लिए हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को अर्जेंट लिखा है।

प्रश्न. 3 साक्षात्कार अपने-आप में एक विधा है। जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फ़ाइल बंद होने (मृत्यु) के लिए ज़िम्मेदार किसी एक व्यक्ति का काल्पनिक साक्षात्कार करें और लिखें।

उत्तर-  जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फाइल बंद होने का जिम्मेदार सुपरिंटेंडेंट ही है। अत: उसका साक्षात्कार निम्नलिखित है-

·       साक्षात्कार कर्ता- आपके विभाग के लॉन में गिरे पेड़ के नीचे आदमी दब गया तो आपने उसे बचाया क्यों नहीं?

·       सुपरिंटेंडेंट- ऊपर के अधिकारियों की इजाजत लेनी जरूरी थी, अन्यथा वे नाराज होते।

·       साक्षात्कार कर्ता- आपके सामने कुछ लोग मानवीयता के नाते उसे बचाने के लिए तैयार थे, परंतु आपने उन्हें रोक दिया क्यों? |

·       सुपरिंटेंडेंट- यह गैर कानूनी था। हर कार्य के लिए सरकारी मंजूरी होनी चाहिए।

·       साक्षात्कार कर्ता- आपने फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग भेजी यह व्यर्थ का ताना-बाना क्यों?

·       सुपरिंटेंडेंट- जनाब, हर काम के लिए अलग-अलग विभाग बने हैं। पेड़ का संबंध कृषि, वन, उद्यान विभाग से था, । अत: उनकी स्वीकृति जरूरी थी।

·       साक्षात्कार कर्ता- चाहे इस काम में कोई व्यक्ति मर जाए? सुपरिंटेंडेंट-कानून का पालन करना हमारा कर्तव्य है।


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