"नाटक में नाटक" (Natak Mein Natak), which translates to "A Play within a Play", is an engaging chapter in the Class 8 Hindi textbook 'Durva'. This chapter introduces students to the fascinating world of drama and theatre, offering a unique blend of entertainment and education.
For Class 8 students, the Natak Mein Natak Class 8 chapter is a brilliant way to explore the intricacies of Hindi literature in the format of a play. This chapter not only enhances their understanding of dramatic literature but also develops their creative thinking and appreciation for the arts.
To aid in the learning process, the Natak Mein Natak Worksheet and Natak Mein Natak Class 8 Worksheet are excellent resources. These worksheets are designed to challenge students' comprehension of the play, encouraging them to delve deeper into its themes, characters, and plot.
Class 8 Hindi Chapter 5 Durva, which includes Natak Mein Natak, is a vital part of the curriculum, as it introduces students to a new literary form. The Class 8 Chapter 5 Hindi segment ensures that students are exposed to a variety of genres within Hindi literature, broadening their literary horizons.
Additionally, the Natak Mein Natak Question Answer section is an invaluable tool for students. It helps them prepare for exams by reviewing key concepts from the chapter and practising how to answer questions effectively.
Overall, Natak Mein Natak is a captivating chapter that offers students a chance to explore the dynamic world of theatre and drama through the Hindi language. It's an essential part of the Class 8 Hindi syllabus, fostering a deeper understanding and love for literature among students.
NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 8 DURVA CHAPTER 5
पाठ से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 34)
प्रश्न 1 बच्चों ने मंच की व्यवस्था किस प्रकार की?
उत्तर- बच्चों ने मिल-जुलकर फालतू पड़े एक छोटे से सार्वजनिक मैदान में दूब व
फूल-पौधे लगाए और वहीं एक मंच भी बना लिया।
प्रश्न 2 पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन-ही-मन राकेश की तुरत बुद्धि की
प्रशंसा क्यों कर रहे थे?
उत्तर- जब नाटक बिगड़ने लगा तब राकेश ने बात सँभाल ली। इसीलिए पर्दे की आड़
में खड़े अन्य साथी मन ही मन राकेश की तुरत बुद्धि की प्रशंसा कर रहे थे। दर्शक सब
शांत थे, भौचक्के थे। वे सोच रहे थे यह क्या हो गया! वे तो समझ रहे थे कि नाटक
बिगड़ गया, राकेश ने कहा कि यह तो नाटक में ही नाटक था। उसकी रिहर्सल ही नाटक था।
मानो इस नाटक में नाटक की तैयारी की कठिनाइयों और कमजोरियों को ही दिखाया गया था।
प्रश्न 3 नाटक के लिए रिहर्सल की जरूरत क्यों होती है?
उत्तर- कोई भी नाटक बिना तैयारी के पूरा नहीं हो सकता उसके लिए पूरी तैसारी
करनी पड़ती है दर्शकों का सामना करना पड़ता है ऐसे में कलाकार घबरा भी जाते हैं
उनकी इसी घबराहट और झिझक को दूर करने के लिए रिहर्सल की जरूरत पड़ती है।
नाटक की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 34)
प्रश्न 1 जब नाटक में अभिनय करने वाले कलाकार भी नए हों, मंच पर आकर डर जाते
हों, घबरा जाते हों और कुछ-कुछ बुधू भी हों, तब तो अधूरी तैयारी से खेलना ही नहीं
चाहिए।
ऊपर के वाक्य में नाटक से जुड़े कई शब्द आए हैं। जैस-अभिनय, कलाकार और मंच
आदि। तुम पूरी कहानी को पढ़कर ऐसे ही और शब्दों की सूची बनाओ। तुम इस सूची की
तालिका इस प्रकार बना सकते हो। व्यक्तियों या वस्तुओं के नाम, काम, कलाकार, मंच
अभिनय।
उत्तर-
व्यक्तियों या वस्तुओं के नाम |
काम |
कलाकार मंच |
अभिनय |
चित्रकार, ब्रश, पेंट |
चित्रकारी |
संगीत, वायलिन |
स्वर |
राकेश |
डायरेक्टर |
मोहल्ले वाले |
दर्शक |
सोचो ऐसा क्यों? प्रश्न (पृष्ठ संख्या 35)
प्रश्न 1 नीचे दिए गए वाक्य को पढ़ो
नीचे लिखे वाक्य पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दो।
"राकेश को गुस्सा भी आ रहा था और रोना भी।"
तुम्हारे विचार से राकेश को गुस्सा और रोना क्यों आ रहा होगा?
a. "राकेश मंच पर पहुँच गया। सब चुप हो। गए, सकपका गए।
b. "दर्शक सब शांत थे, भौंचक्के थे।"
c. मैंने कहा था न कि रिहर्सल में भी यह मानकर चलो कि दर्शक सामने ही बैठे हैं।
d. राकेश ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर-
a. राकेश ने नाटक के लिए बहुत मेहनत की थी लेकिन कलाकारों के ठीक से अभिनय न करने
से उसे गुस्सा। आ रहा था और रोना इसलिए आ रहा था क्योंकि उसकी अभी तक की सारी
मेहनत बेकार होती दिख रही थी।
b. राकेश नाटक का निर्देशक था और उसको मंच पर नहीं आना था लेकिन कलाकारों के खराब
अभिनय के कारण उसे मंच पर आना पड़ा जिसे देखकर सभी कलाकार चुप हो गए।
c. सब दर्शक राकेश को मंच पर देखकर भौंचक्के रह गए थे।
d. राकेश ने कलाकारों के मनोबल को बढ़ाने और अंदर के डर को निकालने के लिए ऐसा
कहा होगा।
शब्दों का फेर प्रश्न (पृष्ठ संख्या 35)
प्रश्न 1 "जब संगीत की स्वर लहरी गूंजती है तो पशु-पक्षी तक मुग्ध हो
जाते हैं, शायर साहब! आप क्या समझते हैं। संगीत को?" इस संवाद को पढ़ो और
बताओ कि।
a. कहानी में इसके बदले किसने, क्यों और क्या बोला? तुम उसको लिखकर बताओ।
b. कहानी में शायर के बदले गाजर कहने से क्या हुआ? तुम भी अगर किसी शब्द के बदले
किसी अन्य शब्द का प्रयोग कर दो तो क्या होगा?
उत्तर-
a. जब संगीत की स्वर-लहरी गूंजती है तो पशु-पक्षी तक मुँह की खा जाते हैं, गाजर
साहब! आप क्या समझते हैं हमें?
b. कहानी में शायर के बदले गाजर कहने से शायर साहब को क्रोध आ गया हम भी किसी
शब्द के बदले यदि कोई अन्य शब्द बोल दे तो अर्थ का अनर्थ हो जाएगा।
तुम्हारा शीर्षक प्रश्न (पृष्ठ संख्या 36)
प्रश्न 1 तुम्हारा शीर्षक इस कहानी का शीर्षक 'नाटक में नाटक' है। कहानी में
जो नाटक है तुम उसका शीर्षक बताओ।
उत्तर- रिहर्सल का नाटक।
वाक्यों की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 36)
प्रश्न 1 नीचे दिए गए वाक्यों के अंत में उचित विराम चिह्न लगाओ-
a. शायर साहब बोले उधर जाकर सुन ले न।
b. सभी लोग हँसने लगे।
c. तुम नाटक में कौन-सा पार्ट कर रहे हो।
d. मोहन बोला अरे क्या हुआ तुम तो अपना संवाद भूल गए।
उत्तर-
a. शायर साहब बोले, उधर जाकर सुन ले न।
b. सभी लोग हँसने लगे।
c. तुम नाटक में कौन-सा पार्ट कर रहे हो।
d. मोहन बोला, "अर! क्या हुआ, तुम तो अपना संवाद भूल गए।”