Vah Subah Kabhi To Aayegi Class 8 Worksheet

Vah Subah Kabhi To Aayegi is a thought-provoking chapter in the Class 8 Hindi syllabus, featured in Chapter 17. This chapter, rich in its narrative and thematic depth, offers students a chance to delve into the concepts of hope, aspiration, and the anticipation of a better future.

The title itself, which translates to That Morning Will Surely Come, encapsulates a message of optimism and waiting for positive change. This theme resonates well with students, teaching them the value of hope and patience in life.

For a comprehensive understanding of this chapter, various educational resources are available. The Vah Subah Kabhi To Aayegi Worksheet for Class 8 is a valuable tool for students and teachers alike. These worksheets typically include a range of questions, from basic comprehension to more analytical ones, which help in reinforcing the students understanding of the chapter.

Additionally, specific question-answers for Vah Subah Kabhi To Aayegi are also provided. These are designed to test the students’ grasp of the chapter and to encourage them to think critically about the themes and messages conveyed through the narrative.

A summary of Vah Subah Kabhi To Aayegi is also beneficial for students, especially for quick revision purposes. It highlights the key points and themes of the chapter, making it easier for students to recall important details.

Furthermore, lesson notes for the 8th class Hindi Subah lesson provide an in-depth look into the chapter, offering detailed explanations and analyses of the text.

In essence, Vah Subah Kabhi To Aayegi in Class 8 Hindi is more than just a chapter in a textbook; it is a lesson in optimism and the enduring human spirit. Through the use of worksheets, question-answers, summaries, and detailed lesson notes, students are equipped to thoroughly understand and appreciate this inspiring chapter.

NCERT SOLUTIONS FOR CHAPTER 17 DURVA CLASS 8

पाठ से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 113)

प्रश्न 1 सलमा का पहला कदम बीमारी में ही क्यों बढ़ा था?

उत्तर- सलमा बहुत छोटी थी जब भेपाल में गैस रिसाव का कांड हुआथा जिसके कारण वह बचपन में ही बीमार हो गई। उसकी अम्मी उसे बताती हैं कि वे मुझे जकड़कर जहाँगीराबाद भागी थी। उसकी याददाश्त में उसने अपना पहला कदम बीमारी में ही बढ़ाया था। और अब भी वह उससे बच नहीं पाई है।

प्रश्न 2 सलमा अपनी अम्माँ से क्या कहती थी जिससे उसकी अम्माँ उसे मार देती थी?

उत्तर- सलमा की माँ की मानसिक हालत काफी बिगड़ गई थी। वह दरवाजे पर बैठकर अब्बू का इंतजार करती रहती थीं। वे कहती अब्बू घर आने वाले हैं, उनके लिए चाय बना लें। वे उनके पैरों की आहट सुनतीं और चिल्लाकर कहतीं कि वे घर आ गए हैं। हम उनसे कहते कि अब्बू मर चुके हैं पर वह हमसे कहतीं कि ऐसी बातें नहीं कहते, और अगर हम फिर ऐसा कहते तो वह हमें मार देतीं थीं।

प्रश्न 3 सलमा ने ऐसा क्यों कहा कि मैं तो अब जीना चाहती हूँ?

उत्तर- आयुर्वेद की दवाएँ लेने से सलमा को काफी आराम है। उसके पाँव के छाले सूख रहे हैं, पसलियों का दर्द चला गया है, चेहरे की सूजन, सिर दर्द, बदन दर्द और गले से खून बहना बंद हो गया है। अब उसे पहली बार ऐसा लगने लगा है कि मैं ठीक हो सकती है। वह यह जानती है कि अभी उसे बहुत दूर जाना है। वह अब इतनी खुश रहती है कि अब वह जीना चाहती है।

देखभाल प्रश्न (पृष्ठ संख्या 113)

प्रश्न 1 कौन किसकी देखभाल करना चाहता/ चाहती है?

उत्तर- सलमा और उसकी जुड़वाँ बहन अपनी माँ की देख भाल करना चाहती हैं।

प्रश्न 2 वह बड़ा/ बड़ी होकर ही देखभाल करना क्यों चाहता/ चाहती है?

उत्तर- सलमा बड़ी होकर अपनी माँ को हर सुख देना चहती है इसलिए वह अपनी माँ की देखभाल करना चाहती है।

प्रश्न 3 क्या वह छोटे होने पर देखभाल नहीं कर सकता/ सकती है?

उत्तर- वह बीमार है इसलिए देखभाल नहीं कर सकती है।

प्रश्न 4 अगर वह छोटे होने पर भी देखभाल करेगा/ करेगी तो क्या हो सकता है?

उत्तर- अगर वे छोटे होने पर भी देखभाल करेंगे तो ठीक ने देखभाल नहीं कर पाएंगे।।

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