Bhagwan Ke Dakiye Class 8 Worksheet with Answers

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bhagwan ke dakiye Summary

काव्यांश

पक्षी और बादल
ये भगवान के डाकिये हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बांचते हैं।

भावार्थ

उपरोक्त पंक्तियों में कवि पक्षी और बादलों को भगवान का दूत (डाकिया /संदेशवाहक) कहते है । ये दोनों ही दुनिया की किसी भी सरहद (सीमा रेखा) को नहीं मानते हैं और स्वतंत्रतापूर्वक एक देश की सीमा को लांध कर दूसरे देश में चले जाते हैं। 

कवि आगे कहते हैं कि इन दोनों (पक्षी और बादल) के द्वारा लाये गये संदेशों को पढ़ना या समझाना हम इंसानों के वश की बात नहीं है। यानि ये जो चिट्टियां लेकर आते हैं। उनमें क्या लिखा होता है। हम उसको ना पढ़ पाते हैं और ना ही समझ पाते हैं। 

लेकिन जिन पत्रों को हम नहीं समझ पाते हैं । उन्हें ये पेड़-पौधे , पानी और पहाड़ आराम से समझ जाते हैं। इसीलिए बादलों को देखकर पेड़-पौधे व पक्षी खुशी से झूमने लगते हैं। 

काव्यांश

हम तो केवल यह आंकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पांखों पर तिरता है
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।

भावार्थ

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हमने इस पूरी दुनिया को अलग-अलग देशों की सीमाओं में बांट रखा है। इसीलिए हम यह समझते हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को मीठी सुगंध भेज रही है और वह खुशबू (सुगंध) हवा में तैरते हुए चिड़ियों के पंखों पर सवार होकर एक देश से दूसरे देश जा रही है । यानि माटी या फूलों की खुशबू उड़ते समय देश की सरहदों को नहीं देखती हैं।

कवि आगे कहते हैं कि एक देश की नदी , तालाब या समुद्र के पानी से उठी भाप , काले धने बादल बनकर दूसरे देश में पहुंचती हैं और फिर वहाँ झूमकर बरसती हैं।

इन पंक्तियों में कवि ने बहुत स्पष्ट संदेश दिया है कि जब बादल बरसते वक्त और खुशबू फ़ैलते वक्त किसी देश की सरहद को नहीं देखती हैं। दोनों एक समान और निस्वार्थ भाव से अपना कार्य करते हैं। तो हम इंसानों ने आपस में ये भेदभाव क्यों पैदा कर लिये हैं। हमें भी आपस में बिना किसी भेदभाव व वैमनस्य के प्रेम के साथ रहना चाहिए। 


bhagwan ke dakiye prashn uttar

प्रश्न 1 कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए कहा है क्योंकि वे देशकाल की सीमा से परे होते हैं और एक-दूसरे में भेदभाव नहीं करते जिन्हें देखकर ऐसा लगता कि वे भगवान के संदेशवाहक हों। ठीक उसी प्रकार हमें भी उनसे शिक्षा लेकर आपस में मिलजुलकर रहना चाहिए।

प्रश्न 2 पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए।

उत्तर- पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों का पौधे, पानी और पहाड़ आदि समझ पातें हैं और अपनी अभिव्यक्ति से सबका मन मोह लेते हैं।

प्रश्न 3 किन पंक्तियों का भाव है-

a.   पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।

b.   प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।

उत्तर-

a.   जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं। हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं।

b.   एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।

प्रश्न 4 पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?

उत्तर- पक्षी और बादल सभी के साथ समानता का व्यवहार करते हैं। वे ठीक वैसे ही जैसे पहाड़ सभी को मजबूती और दृढ़ता तथा हर मुसीबत का सामना करने की प्रेरणा देते हैं। पानी सबको निर्मलता का संदेश देता है। पेड़ पौधे सबको हवा और छाया देते हैं। इसी प्रकार इन्हें देखकर ऐसा लगता है मानों भगवान का संदेश दे रहे हों। इस प्रकार इन सभी का संसार में प्रेम को फैलाने का काम है। इसीलिए वे सभी एक दूसरे की भाषा को आसानी से पढ़ पाते हैं।

प्रश्न 5 एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जिस प्रकार बहने वाली हवा सीमाओं के बंधन नहीं मानती। फूल अपनी सुगंध से सभी को प्रभावित करते हैं, बारिश का पानी सभी को समान रूप से भिगोता है। ठीक उसी प्रकार हमें भी उनसे शिक्षा लेकर आपसी प्रेम व्यवहार को फैलाना चाहिए।

पाठ से आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 32)

प्रश्न 1 पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?

उत्तर- पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को हम प्रेम और सौहार्द के आदान-प्रदान के रूप में देखते हैं। इनसे शिक्षा लेकर हमें भी आपसी प्रेम और सौहार्द को आगे बढ़ाना चाहिए और समाज से नफरत को मिटाने में अपना योगदान देना चाहिए।

प्रश्न 2 आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।

उत्तर- जैसे पक्षी और बादल सीमाओं से परे हैं वैसे ही इंटर नेट भी, दोनों ही भेदभाव नहीं करते, दोनों एकता का संदेश देते हैं, दोनों ही ज्ञान को बॉटते हैं, दोनों ही मिमजुल कर काम करना सिखाते हैं, दोनों ही संदेश का आदान प्रदान करते हैं, दोनों ही स्वतंत्र हैं, दोनों ही खुशियाँ बॉटते हैं। दोनों ही सुख-दुख बॉटते हैं।

प्रश्न 3 'हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका' क्या है? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।

उत्तर- डाकिया हमारे जीवन का आधार है। वह हमारी चिट्ठियों को हम तक पहुंचाता है। वह हमारे संबंधियों को जोड़ने की एक मजबूत कड़ी है। वह हमारे हर सुख-दुख का साथी है। वह हमारे संदेशों को जल्द से जल्द पहुंचाने का प्रयत्न करता है। वह दिन-रात समाज की सेवा में लगा रहता है। वह जाति के बंधनों को नहीं मानता। वह समाज को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करता है।

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