Venturing into the essence of youthful exuberance and relentless spirit, Class 10 students get to explore one of the most vibrant chapters in their Hindi textbook, Kshitij. The fourth chapter, titled "Utsah" and the line "उत्साह अट नहीं रही है," which translates to "the zeal is unyielding," captures the indomitable spirit of enthusiasm. This lesson is more than just a poem; it is a call to the young generation to recognize and harness their inner strength.
When students delve into the Utsah chapter, they engage with more than just words; they engage with a mindset that encourages them to rise above challenges. The questions and answers in this chapter are designed not just to test their memory but to invoke critical thinking and self-reflection. Each question is a stepping stone towards a deeper understanding of the poem, and every answer is an opportunity to express their interpretations and insights.
Teachers find this chapter an excellent resource to ignite discussions that go beyond the textbook, fostering a classroom atmosphere brimming with energy and a can-do attitude. Parents, too, see the value in this chapter as their children learn to articulate their thoughts on persistence and motivation, key themes of the poem "Utsah."
The summary of "Utsah aur At Nahi Rahi Hai" isn't simply a recount of the poem's lines but a synopsis of the emotions and ideas it represents. This summary serves as a guide for students to grasp the central theme of maintaining enthusiasm against all odds. As learners prepare to answer questions about the chapter, they also learn to ask important questions of themselves about perseverance and ambition in their lives.
The beauty of this lesson lies in its ability to blend literary appreciation with life skills. When students seek answers to the Class 10 Hindi Utsah chapter questions, they're not just looking to fill their answer sheets; they're equipping themselves with a mindset to tackle life's varied situations with a positive outlook.
In sum, the chapter "Utsah" in the Class 10 Hindi Kshitij book is a testament to the power of enthusiasm in our lives. It encourages students to keep the flame of zeal burning bright, teaching them that their attitude can make all the difference. So, as they prepare to answer each question in their exams, they're also answering the call to approach life with an unbeatable spirit of Utsah.
अध्याय-4: उत्साह और अट नहीं रही
उत्साह
प्रस्तुत
कविता एक आह्वाहन गीत है। इसमें कवि बादल से घनघोर गर्जन के साथ बरसने की अपील कर रहे
हैं। बादल बच्चों के काले घुंघराले बालों जैसे हैं। कवि बादल से बरसकर सबकी प्यास बुझाने
और गरज कर सुखी बनाने का आग्रह कर रहे हैं। कवि बादल में नवजीवन प्रदान करने वाला बारिश
तथा सबकुछ तहस-नहस कर देने वाला वज्रपात दोनों देखते हैं इसलिए वे बादल से अनुरोध करते
हैं कि वह अपने कठोर वज्रशक्ति को अपने भीतर छुपाकर सब में नई स्फूर्ति और नया जीवन
डालने के लिए मूसलाधार बारिश करे।
आकाश
में उमड़ते-घुमड़ते बादल को देखकर कवि को लगता है की वे बेचैन से हैं तभी उन्हें याद
आता है कि समस्त धरती भीषण गर्मी से परेशान है इसलिए आकाश की अनजान दिशा से आकर काले-काले
बादल पूरी तपती हुई धरती को शीतलता प्रदान करने के लिए बेचैन हो रहे हैं। कवि आग्रह
करते हैं की बादल खूब गरजे और बरसे और सारे धरती को तृप्त करे।
अट नहीं रही
प्रस्तुत
कविता में कवि ने फागुन का मानवीकरण चित्र प्रस्तुत किया है। फागुन यानी फ़रवरी-मार्च
के महीने में वसंत ऋतू का आगमन होता है। इस ऋतू में पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नए
पत्ते आते हैं। रंग-बिरंगे फूलों की बहार छा जाती है और उनकी सुगंध से सारा वातावरण
महक उठता है। कवि को ऐसा प्रतीत होता है मानो फागुन के सांस लेने पर सब जगह सुगंध फैल
गयी हो। वे चाहकर भी अपनी आँखे इस प्राकृतिक सुंदरता से हटा नही सकते।
इस
मौसम में बाग़-बगीचों, वन-उपवनों के सभी पेड़-पौधे नए-नए पत्तों से लद गए हैं, कहीं यहीं
लाल रंग के हैं तो कहीं हरे और डालियाँ अनगिनत फूलों से लद गए हैं जिससे कवि को ऐसा
लग रहा है जैसे प्रकृति देवी ने अपने गले रंग बिरंगे और सुगन्धित फूलों की माला पहन
रखी हो। इस सर्वव्यापी सुंदरता का कवि को कहीं ओऱ-छोर नजर नही आ रहा है इसलिए कवि
कहते हैं की फागुन की सुंदरता अट नही रही है।
NCERT SOLUTIONS
उत्साह
प्रश्न-अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 35)
प्रश्न
1 कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर 'गरजने' के लिए कहता है, क्यों?
उत्तर-
कवि ने बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के लिए नहीं कहता बल्कि 'गरजने' के लिए कहा
है, क्योंकि 'गरजना' विद्रोह का प्रतीक है। कवि ने बादल के गरजने के माध्यम से कविता
में नूतन विद्रोह का आह्वान किया है।
प्रश्न
2 कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
उत्तर-
यह एक आह्वान गीत है। कवि क्रांति लाने के लिए लोगों को उत्साहित करना चाहते हैं। बादल
का गरजना लोगों के मन में उत्साह भर देता है। इसलिए कविता का शीर्षक उत्साह रखा गया
है।
प्रश्न
3 कविता में बादल किन-किन अर्थो की ओर संकेत करता है?
उत्तर-
कविता में बादल ललित कल्पना और क्रांति चेतना की ओर संकेत करता है। यह एक तरफ पीड़ित-प्यासे
लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने वाला है तो दूसरी तरफ वह नई कल्पना और नए
अंकुर के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रांति चेतना की ओर संकेत करता है।
प्रश्न
4 शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव
पैदा हो, नाद सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य
मौजूद है, छाँटकर लिखें।
उत्तर-
कविता की इन पंक्तियों में नाद-सौंदर्य मौजूद है-
1.
'घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
2.
ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल
कल्पना के-से पाले
3.
"विद्युत-छवि उर में"
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 35)
प्रश्न
1 जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल
उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को
देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।
उत्तर-
दूर आसमानों में बादलों की छवि देख,
जगी
मेरे मन में भी आस
प्यास
के मारों को मिली राहत की साँस
तड़पती
विरहणी की प्रेमी से मिलन की वजह खास
धरती
को भी मिली तृप्ति की आस
मोर
भी करने लगा प्रीतम को मिलने का प्रयास
किसान
के आँखों में भी जगी एक चमक खास
देखो
बादल आया अपने साथ कितनी आस।
अट नही रही
है
प्रश्न अभ्यास
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 35)
प्रश्न 1 छायावाद की एक खास विशेषता है- अंतर्मन के
भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा
पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर- पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल,
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।
कवि को हरे पत्तों और लाल कोयलों से भरी डालियों के
बीच खिले सुगंधित फूलों की शोभा बिखरी है। ऐसा प्रतीत होता है कि उनके कंठों में सुगंधित
फूलों की मालाएँ पड़ी हुई हैं। कवि की अज्ञात सत्ता रूपी प्रियतम वन की शोभा के वैभव
को कूट-कूट कर भर रहे हैं पर अपनी पुष्पलता के कारण उसमें समा न सकने के कारण चारों
ओर बिखर रही है। कवि ने अपने मन के भावों को प्रकृति के माध्यम से व्यक्त किया है।
प्रश्न 2 कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं
हट रही है?
उत्तर- फागुन का मौसम तथा दृश्य अत्यंत मनमोहक होता
है। चारों तरफ का दृश्य अत्यंत स्वच्छ तथा हरा-भरा दिखाई दे रहा है। पेड़ों पर कहीं
हरी तो कहीं लाल पत्तियाँ हैं, फूर्तो की मंद-मंद खुश्बू हृदय को मुग्ध कर लेती है।
इसीलिए कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है।
प्रश्न 3 प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता
का वर्णन किन रूपों में किया है?
उत्तर- प्रस्तुत कविता 'अट नहीं रही है' में कवि सूर्यकान्त
त्रिपाठी ‘निराला' जी ने फागुन के सर्वव्यापक सौन्दर्य और मादक रूप के प्रभाव को दर्शाया
है। पेड़-पौधे नए-नए पत्तों, फल और फूलों से अटे पड़े हैं, हवा सुगन्धित हो उठी है,
प्रकृति के कण-कण में सौन्दर्य भर गया है। खेत-खलिहानों, बाग-बगीचों, जीव-जन्तुओं,
पशु-पक्षियों एवं चौक-चौबारों में फ़ागुन का उल्लास सहज ही दिखता है।
प्रश्न 4 फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं
से भिन्न होता है?
उत्तर- फागुन का महीना मस्ती से भरा होता है जो सारी
प्रकृति को नया रंग प्रदान कर देता है। पेड़-पौधों की शाखाएँ हरे-हरे पत्तों से लद जाती।
हैं। लाल-लाल कोंपलें अपार सुंदर लगती हैं। रंग-बिरंगे फूलों की बहार-सी छा जाती है
इससे वन की शोभा का वैभव पूरी तरह से प्रकट हो जाता है। प्रकृति ईश्वरीय शोभा को ले
कर प्रकट हो जाती है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है। इस ऋतु में न गर्मी का प्रकोप
होता है और न ही सर्दी की ठिठुरन। इसमें न तो हर समय की वर्षा होती है और न ही पतझड़
से ठुंठ बने वृक्ष। यह महीना तो अपार सुखदायी बन कर सबके मन को मोह लेता है
प्रश्न 5 इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प
की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर- महाकवि
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जी छायावाद के प्रमुख कवि माने जाते हैं। छायावाद की
प्रमुख विशेषताएँ हैं- प्रकृति चित्रण और प्राकृतिक उपादानों का मानवीकरण। उत्साह और
'अट नहीं रही है’ दोनों ही कविताओं में प्राकृतिक उपादानों का चित्रण और मानवीकरण हुआ
है। काव्य के दो पक्ष हुआ करते हैं-अनुभूति पक्ष और अभिव्यक्ति पक्ष अर्थात् भाव पक्ष
और शिल्प पक्ष। इस दृष्टि से दोनों कविताएँ सराह्य हैं। छायावाद की अन्य विशेषताएँ
जैसे गेयता, प्रवाहमयता, अलंकार योजना और संगीतात्मकता आदि भी विद्यमान है।'निराला'
जी की भाषा एक ओर जहाँ संस्कृतनिष्ठ, सामासिक
और आलंकारिक है तो वहीं दूसरी ओर ठेठ ग्रामीण शब्द का प्रयोग भी पठनीय है। अतुकांत
शैली में रचित कविताओं में क्राँति का स्वर, मादकता एवम् मोहकता भरी है। भाषा सरल,
सहज, सुबोध और प्रवाहमयी है।
रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न (पृष्ठ संख्या 35)
प्रश्न 1 होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई
देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर- होली
के समय चारों तरफ़ का वातावरण रंगों से भर जाता है। चारों तरफ़ रंग ही रंग बिखरे होते
हैं। प्रकृति भी उस समय रंगों से वंचित नहीं रह पाती है। प्रकृति के हरे भरे वृक्ष
तथा रंग-बिरंगे फूल होली के महत्व को और अधिक बढ़ा देते हैं।