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अध्याय-6: संगतकार
सार
इस कविता में कवि ने गायन में मुख्य गायक का साथ देने
वाले संगतकार की महत्ता का स्पष्ट किया है। कवि कहते हैं कि मुख्य गायक के गंभीर आवाज़
का साथ संगतकार अपनी कमजोर किन्तु मधुर आवाज़ से देता है। अधिकांशत ये मुख्य गायक का
छोटा भाई, चेला या कोई रिश्तेदार होता है जो की शुरू से ही उसके साथ आवाज़ मिलाता आ
रहा है। जब मुख्य गायक गायन करते हुए सुरों की मोहक दुनिया में खो जाता है, उसी में
रम जाता है तब संगतकार ही स्थायी इस प्रकार गाकर समां बांधे रखता है जैसे वह कोई छूटा
हुआ सामान सँजोकर रख रहा हो। वह अपनी टेक से गायक को यह उन दिनों की याद दिलाता है
जब उसने सीखना शुरू किया था।
कवि कहते हैं बहुत ऊँची आवाज़ में जब मुख्य गायक का स्वर
उखड़ने लगता है और गला बैठने लगता है तब संगतकार अपनी कोमल आवाज़ का सहारा देकर उसे इस
अवस्था से उबारने का प्रयास करता है। वह मुख्य गायक को स्थायी गाकर हिम्मत देता है
की वह इस गायन जैसे अनुष्ठान में अकेला नहीं है। वह पुनः उन पंक्तियों को गाकर मुख्य
गायक के बुझते हुए स्वर को सहयोग प्रदान करता है। इस समय उसके आवाज़ में एक झिझक से
भी होती है की कहीं उसका स्वर मुख्य गायक के स्वर से ऊपर ना पहुँच जाए। ऐसा करने का
मतलब यह नही है की उसके आवाज़ में कमजोरी है बल्कि वह आवाज़ नीची रखकर मुख्या गायक को
सम्मान देता है। इसे कवि ने महानता बताया है।
NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 10 HINDI CHAPTER 6
प्रश्न-अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 55)
प्रश्न
1 संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
उत्तर-
संगतकार के माध्यम से कवि विवश या ज्ञान के इच्छुक व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह
रहा है। वह या तो मुख्य गायक का छोटा भाई है या संगीत की शिक्षा प्राप्त करने का इच्छुक
उसका कोई शिष्य या कोई दूर से पैदल आने वाला असहाय सगा-संबंधी, जिसके लिए गायन की कला
सीखना विवशता है।
प्रश्न
2 संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?
उत्तर-
संगतकार जैसे व्यक्ति निम्नलिखित क्षेत्रों में मिलते हैं; जैसे-
1. सह
नर्तक (डांसर): जो मुख्य नर्तक का साथ देते हैं।
2. भवन
निर्माण क्षेत्र में: मज़दूर जो भवन का निर्माण करते हैं।
3. सिनेमा
के क्षेत्र में: फिल्म में अनेकों सह कलाकार, डुप्लीकेट व स्टंटमैन होते हैं।
प्रश्न
3 संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं?
उत्तर-
संगतकार निम्नलिखित रूपों में संगतकार की मदद करते हैं-
· वे
अपनी आवाज़ और गूंज को मुख्य गायक की आवाज़ में मिलाकर उनकी आवाज़ का बल बढ़ाने का
काम करते हैं।
· जब
मुख्य गायक गायन की गहराई में चले जाते हैं तब वे स्थायी पंक्ति को पकड़कर मुख्य गायक
को वापस मूल स्वर में लाते हैं।
· वे
मुख्य गायक की थकी, टूटती-बिखरती आवाज़ को बल देकर उसे अकेला होने या बिखरने से बचाते
हैं।
प्रश्न
4 भाव स्पष्ट कीजिए:
और
उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या
अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे
विफलता नहीं
उसकी
मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
उत्तर-
कभी-कभी संगतकार मुख्य गायक का साथ देने के लिए गाता है। वह अस्पष्ट रूप से उसे यह
बताना चाहता है कि जो राग पहले गाया जा चुका है उसे फिर से गाया जा सकता है पर उसकी
आवाज में एक हिचक साफ सुनाई देती है। वह अपने स्वर को ऊँचा उठाने की कोशिश नहीं करता।
इसे उसकी विफलता नहीं समझना चाहिए बल्कि उसकी मनुष्यता समझना चाहिए क्योंकि वह किसी
भी अवस्था में मुख्य गायक के अहं को ठेस नहीं लगने देना चाहता। वह उसका शिष्य है। उसका
बड़प्पन इसी बात मे है कि वह मुख्य गायक के मान-सम्मान की रक्षा करे।
प्रश्न
5 किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान
देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर-
किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से योगदान देते
हैं। जैसे प्रसिद्ध गायक-गायिका जब प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं तो उसमें एक संगीत निर्देशक,
गीतकार, तकनीकी साउंड डालने वाले, वाद्य यंत्र बजाने वाले, संगतकार, निर्माता का महत्वपूर्ण
हाथ होता है जब तक इन सब लोगों का सहयोग प्राप्त न हो तो एक गायक-गायिका अपनी प्रतिभा
का प्रदर्शन नहीं कर सकते और इन्हीं सब के सहयोग द्वारा वह सफलता के शिखर तक पहुँच
पाते हैं।
प्रश्न
6 कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नज़र आता है उस
समय संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका
को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
तारसप्तक में गायन करते समय मुख्य गायक का स्वर बहुत ऊँचाई तक पहुँच जाता है। जिसके
कारण स्वर के टूटने का आभास होने लगता है और इसी कारण वह अपने कंठ से ध्वनि का विस्तार
करने में कमज़ोर हो जाता है। तब संगतकार उसके पीछे मुख्य धुन को दोहराता चलता है वह
अपनी आवाज़ से उसके बिखराव को सँभाल लेता है।
प्रश्न
7 सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाते हैं तब उसे सहयोगी किस
तरह संभालते हैं?
उत्तर-
सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाते हैं तब उसे उसके
सहयोगी सांत्वना देते हैं। उसका हौसला बढ़ाते है। असफलता को भूलने की सलाह देते हैं।
यदि आवश्यकता हो तो आर्थिक सहायता भी देते हैं।
रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न (पृष्ठ संख्या 55-56)
प्रश्न
1 कल्पना कीजिए कि आपको किसी संगीत या नृत्य समारोह का कार्यक्रम प्रस्तुत करना है
लेकिन आपके सहयोगी कलाकार किसी कारणवश नहीं पहुँच पाएँ-
a. ऐसे
में अपनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
b. ऐसी
परिस्थिति का आप कैसे सामना करेंगे?
उत्तर-
a. एक
बार एक नृत्य समारोह में मैंने और मेरे मित्र ने भाग लिया था। दोनों ने उसके लिए बहुत
ज्यादा अभ्यास किया था। उसके अनुरूप वस्त्र बनवाए थे। दुर्भाग्य वश स्पर्धा के दिन
उसकी माता जी बीमार हो गई और वह नहीं आ पाया। मेरे तो जैसे हाथ पाँव फूल गए। क्या करता!
तब मेरे मित्र और माता-पिता ने मुझे ढाढ़स बंधाया। हमने जिस गाने की तैयारी की थी उसमें
साथी की आवश्यकता थी इसलिए मैंने दूसरे गाने पर जैसा आया वैसा नृत्य किया। स्पर्धा
के दिन अगर सहयोगी कलाकार न आए तो दिन में तारे नज़र आ जाते हैं।
b. स्पर्धा
के दिन अगर सहयोगी कलाकार न आए तो दिन में तारे नज़र आ जाते है। ऐसे में हमें हिम्मत
से काम लेना चाहिए। बिना डरे सूझ-बूझ से काम लेना चाहिए। तुरंत क्या प्रस्तुत करके
स्थिति संभाल सकते हैं, उसकी योजना मस्तिष्क में बना लेनी चाहिए। इससे दर्शकगण का सामना
करने का मनोबल बढ़ेगा।
प्रश्न
2 आपके विद्यालय में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे काम करने वाले
सहयागियों की भूमिका पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-
किसी भी कार्यक्रम की सफलता में मंच के पीछे काम करने वाले व्यक्तियों की महत्वपूर्ण
भूमिका होती है। उन्हें मंच पर चल रहीं हर गतिविधियों पर बारीकी से काम करना पड़ता
है। कलाकार की छोटी से छोटी आवश्यकता को समय रहते पूरी करना होता है। अगर वे छोटी सी
भूल भी करें तो बहुत बड़ी समस्या हो सकती है। जैसे किसी नृत्य के लिए किसी और नृत्य
का गाना लगा देना।
प्रश्न
3 किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या
शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते होंगे?
उत्तर- किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर नहीं पहुँच पाते। क्योंकि वे अपने गुरु और स्वामी को महत्व देते और उनका सम्मान करते हैं।