Download Topi Shukla Question Answers From NCERT Class 10

Embarking on the tale of Topi Shukla is a journey through the layers of friendship, social fabric, and the quest for personal identity. This engaging narrative holds a mirror to society, making it an intriguing study for Class 10 students who are at the cusp of forming their own views of the world. The character Topi Shukla, with his relatable dilemmas and emotions, becomes a focal point of learning and reflection for young minds.

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अध्याय-3: टोपी शुक्ला

सारांश

टोपी शुक्ला’ कहानी राही मासूम रजा द्वारा लिखे उपन्यास का एक अंश है। इस कहानी के माध्यम से लेखक  ने बताया है कि बचपन में बच्चे को जहाँ से अपनापन और प्यार मिलता है, वह वहीं रहना चाहता है। टोपी को बचपन में अपनापन अपने परिवार की नौकरानी और अपने मित्र की दादी माँ से मिलता है। वह उन्हीं लोगों के साथ रहना चाहता है।

कहानी ‘टोपी’ के इर्द-र्गिद  घूमती है। वह इस कहानी का मुख्य पात्र है। टोपी के पिता डाक्टर हैं। उनका परिवार भरा-पूरा है। यह परिवार अत्यधिक संस्कारवादी है। घर में किसी भी वस्तु की कमी नहीं है। टोपी का एक दोस्त है - इफ़्फ़न। टोपी हमेशा उसे इफ़्फ़न कह कर पुकारता था। इफ़्फ़न को बुरा अवश्य लगता था, परंतु फिर भी वह उससे बात करता था क्योंकि दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे। दोनों के घर अलग-अलग थे। दोनों के मज़हब अलग थे। फिर भी दोनों में गहरी दोस्ती थी। दोनों में प्रेम का रिश्ता था।

इस कहानी के दो पात्र हैं- बलभद्र नारायण शुक्ला यानी टोपी आरै सययद ज़रगाम मुर्तुज़ा यानी इफ़्फ़न। इफ़्फ़न के दादा आरै परदादा प्रसिद्ध् मौलवी थे। इफ्फन के दादा-परदादा मौलवी थे। वे जीवित रहते हुए हिन्दुस्तान में रहे थे, परंतु उनकी लाश को करबला ले जाकर दफनाया गया। इफ्फन के पिताजो उनके खानदान में पहले बच्चे थे, जो हिंदुस्तानी थे। इफ्फन को दादी मौलवी परिवार से नहीं थी। वह एक ज़मींदार परिवार की तथा पूरब की रहने वाली थी। उनकी ससुराल लखनऊ में थी, जहाँ गाना-बजाना बुरा समझा जाता था। इफ्फन के पिता की शादी पर उनके मन में विवाह के गीत गाने की इच्छा थी, परंतु इफ्फन के दादा के डर से नहीं गा पाई। उन्हें इफ्फन के दादा से केवल एक शिकायत थी कि वे सदा मौलवी बने रहते थे।

इफ्फन की दादी जब मरने लगीं, तो उसे अपनी माँ का घर याद आने लगा। इफ्फन उस समय स्कूल गया हुआ था। उसे अपनी दादी से बहुत प्यार था। वह उसे रात के समय कहानियाँ सुनाया करती थी। दादी पूरबिया भाषा बोलती थी, जो उसे अच्छी लगती थी। टोपी को भी उसकी दादी की भाषा अच्छी लगती थी। टोपी को इफ्फन को दादी अपनी माँ जैसी लगती थी। उसे अपनी दादी से नफ़रत थी। वह इफ्फन के घर जाकर उसकी दादी से बात करता था।

एक दिन टोपी ने अपने घर में जैसे ही अपनी माँ के लिए अम्मी शब्द का प्रयोग किया, उसी क्षण उनके यहाँ तूफ़ान आ गया। माँ से ज्यादा उसकी दादी भड़क गई। बाद में उसकी माँ से बहुत पिटाई हुई। उसके भाई मुन्नी बाबू ने माँ से झूठ कह दिया था कि उसने कबाब खाए हैं, जबकि कबाब मुन्नी बाबू ने खाए थे। सबने मुन्नी बाबू के झूठ को सच समझ लिया। टोपी के पास अपनी सफाई देने का कोई रास्ता नहीं था।

अगले दिन टोपी स्कूल गया तब उसने इफ़्फ़न को सारी घटना बताई। भूगोल के चौथे पीरियड में दोनों स्कूल से भाग गए। उन्होनें पचंम की दुकान से केले खरीदे। टोपी केवल फल खाता था। टोपी इफ्फन से कहता है कि क्यों न वह अपनी दादी बदल लें। इफ्फन ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि उसकी दादी उसके पिताजी की माँ भी थी। इफ्फन ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि फ़िक्र मत करो, तुम्हारी दादी जल्दी मर जाएगी क्योंकि बूढ़े लोग जल्दी मर जाते हैं। इतने में नौकर ने आकर सूचना दी कि  इफ़्फ़न की दादी मर गई हैं। शाम को जब टोपी इफ़्फ़न के घर गया तो वहाँ सन्नाटा पसरा पडा़ था। वहाँ लोगों की भीड़ जमा थी। टोपी के लिए सारा घर मानो खाली हो चुका था। टोपी ने इफ़्फ़न से कहा तोरी दादी की जगह हमरी दादी मर गई होती तब ठीक भया होता।

जल्दी ही इफ्फन के पिता का तबादला हो गया। उस दिन टोपी ने कसम खाई कि आगे से किसी ऐसे लड़के से मित्रता नहीं करेगा, जिसके पिता की नौकरी बदलने वाली हो। इफ्फन के जाने के बाद टोपी अकेला हो गया। उस शहर के अगले कलेक्टर हरिनाम सिंह थे। उनके तीन लड़के थे। तीनों लड़कों में से कोई उसका दोस्त न बन सका। डब्बू बहुत छोटा था। बीलू बहुत बड़ा था। गुड्डू केवल अंग्रेज़ी बोलता था। उनमें से किसी ने टोपी को अपने पास फटकने न दिया। माली और चपरासी टोपी को जानते थे इसलिए वह बँगले में घुस गया। उस समय तीनों लड़के क्रिकेट खेल रहे थे। उनके साथ टोपी का झगड़ा हो गया। डब्बू ने अलसेशियन कुत्ते को टोपी के पीछे लगा दिया। टोपी के पटे में सात सइुयाँ लगीं तो उसे होश आया। फिर उसने कभी कलेक्टर के बँगले का रुख नहीं किया।

इसके बाद टोपी ने अपना अकेलापन घर की बूढ़ी नौकरानी सीता से दूर किया। सीता उसे बहुत प्यार करती थी। वह उसका दुख-दर्द समझती थी। घर के सभी सदस्य उसे बेकार समझते थे। घर में सभी के लिए सर्दी में गर्म कपड़े बने, परंतु टोपी को मुन्नी बाबू का उतरा कोट मिला। उसने इसे लेने से इनकार कर दिया। उसने वह कोट घर की नौकरानी केतकी को दे दिया। उसकी इस हरकत पर दादी क्रोधित हो गई। उन्होंने उसे बिना गर्म कपड़े के सर्दी बिताने का आदेश दे दिया।

टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था, जिस कारण उसे घर में और अधिक डाँट पड़ने लगी थी। जिस समय वह पढ़ने बैठता था, उसी समय घर के सदस्यों को बाहर से कुछ-न-कुछ मँगवाना होता था। स्कूल में भी उसे अध्यापकों ने सहयोग नहीं दिया। अध्यापकों ने उसके नवीं में लगातार तीन साल फेल होने पर उसे नज़रअंदाज़ कर दिया था। पिछले दर्जे के छात्रों के साथ बैठना उसे अच्छा नहीं लगता था। कोई भी ऐसा नहीं था, जो उसके साथ सहानुभूति रखता; उसे परीक्षा में पास होने के लिए प्रेरित करता। घर और स्कूल में किसी ने भी उससे अपनापन नहीं दिखाया। उसने स्वयं ही मेहनत की और तीसरी श्रेणी में नवीं पास कर ली। उसके नवीं पास करने पर दादी ने कहा कि उसकी रफ्तार अच्छी है। तीसरे वर्ष में तीसरी श्रेणी में पास तो हो गए हो।


 

NCERT SOLUTIONS

बोध-प्रश्न प्रश्न (पृष्ठ संख्या 44)

प्रश्न 1 इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?

उत्तर- इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग मजहब के होते हुए भी एक दूसरे से प्रेमरूपी अटूट बंधन में बंधे हुए थे। एक दूसरे के बिना अधूरे थे परन्तु दोनों की आत्मा में प्यार की प्यास थी। इफ़्फ़न तो अपने मन की बात दादी को या टोपी को कह कर हल्का कर लेता था परन्तु टोपी के लिए इफ़्फ़न और उसकी दादी के अलावा कोई नहीं था। अत: इफ़्फ़न वास्तव में टोपी की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 2 इफ्फन की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?

उत्तर- इफ्फन की दादी एक जमींदार की बेटी थीं वहॉ दूध, दही, घी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध था, जबकि ससुराल में वे इन सबके लिए तरस गईं थीं। यहाँ वे केवल मौलविन बनकर रह गईं थीं इसलिए वे अपने पीहर जाना चाहती थीं।

प्रश्न 3 दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाई?

उत्तर- दादी का विवाह मौलवीं परिवार में हुआ था जहाँ गाना बजाना पसंद नहीं किया जाता था। इसलिए बेचारी दिल मसोस कर रह गई।

प्रश्न 4 'अम्मी' शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर- 'अम्मी' शब्द को सुनते ही सबकी नज़रें टोपी पर पड़ गई। क्योंकि यह उर्दू का शब्द था और टोपी हिंदू था। इस शब्द को सुनकर जैसे परम्पराओं और संस्कृति की दीवारें डोलने लगीं। घर में सभी हैरान थे। माँ ने डाँटा, दादी गरजी और टोपी की जमकर पिटाई हुई।

प्रश्न 5 दस अक्टूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?

उत्तर- दस अक्टूबर सन् पैंतालीस का यूँ तो कोई महत्त्व नहीं परंतु टोपी के आत्म-इतिहास में इस तारीख का बहुत महत्त्व है, क्योंकि इसी तारीख को इफ्फन के पिता बदली पर मुरादाबाद चले गए। टोपी ने दस अक्टूबर सन् पैंतालीस को कसम खाई कि अब वह किसी ऐसे लड़के से दोस्ती नहीं करेगा जिसका बाप ऐसी नौकरी करता हो जिसमें बदली होती रहती है।

प्रश्न 6 टोपी ने इफ्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कहीं?

उत्तर- इफ्फ़न की दादी टोपी को बहुत प्यार करती थी। उनकी मीठी-मीठी बोली उसे तिल के लडू या शक्कर गुड जैसी लगती थी। टोपी की माँ भी ऐसा ही बोलती थी परन्तु उसकी दादी उसे बोलने नहीं देती थी। उधर इफ़्फ़न के दादा जी व अम्मी को उनकी बोली पंसद नहीं थी। अतः इफ़्फ़न की दादी और टोपी की माँ दोनों एक स्वर की महिलाएँ थीं। यही सोचकर टोपी ने दादी बदलने की बात की।

प्रश्न 7 पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से विशेष स्नेह क्यों था?

उत्तर- पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से विशेष स्नेह इसलिए था क्योंकि पूरे घर में कभी-न-कभी उसे कोई डाँट देता ही था, कभी अब्बू अम्मी उसे डाँटते थे, उसकी बाजी और नुज़हत भी उसको परेशान करती थी। परन्तु उसकी दादी उसे कभी डाँटती नहीं थी। वे उसे रात में अनार परी, बहराम डाकू, अमीर हमला, गुलब काबली, हातिमताई जैसी अनेक कहानियाँ सुनाती थी। इसी कारण वह अपनी दादी से प्यार करता था।

प्रश्न 8 इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली–सा क्यों लगा?

उत्तर- इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर इसलिए खाली-खाली लगने लगा क्योंकि अब कोई भी उससे बात करने और उसकी बात समझने वाला नहीं रहा था।

प्रश्न 9 टोपी और इफ्फ़न की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।

उत्तर- टोपी हिंदू धर्म का था और इफ्फ़न की दादी मुस्लिम। परन्तु जब भी टोपी इफ़्फ़न के घर जाता दादी के पास ही बैठता। उनकी मीठी पूरबी बोली उसे बहुत अच्छी लगती थी। दादी पहले अम्मा का हाल चाल पूछतीं। दादी उसे रोज़ कुछ न कुछ खाने को देती परन्तु टोपी खाता नहीं था। फिर भी उनका हर शब्द उसे गुड़ की डली सा लगता था। इसलिए उनका रिश्ता अटूट था।

प्रश्न 10 टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए−

a.   ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फ़ेल होने के क्या कारण थे?

b.   एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

c.   टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्येनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए?

उत्तर-

a.   ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फ़ेल होने के निम्न कारण थे-

1.   जब भी वह पढ़ने बैठता मुन्नी बाबू को कोई न कोई काम निकल आता या रामदुलारी कोई ऐसी चीज़ मँगवाती जो नौकर से नहीं मँगवाई जा सकती। जिससे उसे पढ़ने के लिए समय ही नहीं मिल पाता था। इस तरह वह फेल हो गया।

2.   दूसरे साल उसे मियादी (टाइफाइड) बुखार हो गया था और पेपर नहीं दे पाया इसलिए फ़ेल हो गया था।

b.   एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को कई भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा जैसे वह अध्यापकों की हँसी का पात्र होता क्योंकि कमजोर लड़कों के रूप में अध्यापक उसका ही उदाहारण देते थे। उसका मज़ाक उड़ाते थे। मास्टर भी उससे कोई उत्तर नहीं पूछते बल्कि कहते अगले साल पूछ लेंगे या कहते इतने सालों में तो आ गया होगा। फेल होने के कारण उसके कोई नए मित्र भी नहीं बन पाए। मास्टर उसकी किसी भी बात पर ध्यान ही नहीं देते थे वह किसी से शर्म के मारे खुलकर बातें नहीं कर पाता था। पर फिर भी उसने इन चुनौतियों को स्वीकार कर सफलता प्राप्त की।

c.   बच्चे फ़ेल होने पर भावनात्मक रूप से आहत होते हैं और मानसिक रूप से परेशान रहने लगते हैं। उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। वे शर्म महसूस करते हैं। इसके लिए विद्यार्थी के पुस्तकीय ज्ञान को ही न परखा जाए बल्कि उसके अनुभव व अन्य कार्य कुशलता को भी देखकर उसे प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा व्यवस्था में बदलाव किया जाना चाहिए।

प्रश्न 11 इफ्फन की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?

उत्तर- इफ्फन की दादी के मायके वाले पाकिस्तान में रहने लगे ऐसे में उनके घर की देखभाल करने वाला कोई न रहा इसलिए उनका घर सरकारी कब्जे में चला गया।

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