Shukra Tare Ke Saman Class 9 Worksheet with Answers

In the realm of learning and literature, Shukra Tare Ke Saman Class 9 emerges as a beacon of inspiration and introspection, guiding young scholars through the galaxy of emotions and learnings. This enlightening chapter from the Class 9 Hindi curriculum isn't just a mere assembly of words; it is a cosmos in itself, radiating the warmth of wisdom and brilliance bright as Venus itself. For students embarking on the journey with Class 9 Shukra Tare Ke Saman, it represents more than just a chapter—it's a voyage into the celestial depths of life's philosophies, mirrored through the lustrous analogy of Shukra, the planet Venus, known for its captivating brightness.

The essence of Shukra Tare Ke Saman Class 9th spirals around enriching young minds, invoking a sense of wonder and curiosity about our universe and our place within it. It's crafted to be an educator, a mentor painted in the hues of metaphors and analogies, teaching invaluable lessons about life, our dreams, and the persistent spirit of mankind, akin to the unwavering twinkle of Shukra in the night sky.

As students dive into the narrative with a Shukra Tare Ke Saman Class 9 worksheet with answers, they find themselves enveloped in a realm of academic exploration and personal introspection. Each Worksheet on Shukra Tare Ke Saman Class 9 serves as a reflective pool, mirroring the depth of understanding and the illumination it brings into the young intellect. The carefully curated questions beckon the students to look beyond the textual surface, into the cosmic vastness of what the chapter symbolizes.

Immersing further into the galaxy, the Shukra Tare Ke Saman Class 9 MCQs add another layer of engagement, challenging students to navigate through multiple choices with the precision of celestial navigation. This interactive aspect not only tests their comprehension but enhances their ability to make well-informed decisions swiftly, a skill as vital as it is universal.

Navigating through Class 9 Hindi Shukra Tare Ke Saman question answer sequences, students engage in dialogues more profound than the dark universe, discussing themes, metaphors, and the timeless wisdom encapsulated within. Every answer written, and every dialogue exchanged fuels their journey of understanding, inspiring learners to contemplate their own 'Shukra'—their inner light that guides them through life's obscurities.

The narrative journey of Class 9th Hindi chapter Shukra Tare Ke Saman, complete with its summaries and in-depth question-answer rounds, encourages students to introspect, to seek, and to appreciate the beauty and brilliance around them and within them. The Shukra Tare Ke Saman Class 9 Summary in Hindi offers a profound recapitulation, helping students encapsulate the chapter's luminescence, akin to holding a piece of the star-studded sky in their hands, inspiring awe and admiration for the world's wonders.

In essence, Shukra Tare Ke Saman Class 9 is more than a lesson; it's a journey across the universe, within and beyond, teaching life's profoundest lessons through the simple yet magnificent analogy of the radiant Venus—Shukra, guiding lights in the vast expanse of education and existence.

shukra tare ke saman class 9 summary

प्रस्तुत पाठ ‘शुक्र तारे के समान’ में लेखक ने गाँधी जी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई की बेजोड़ प्रतिभा और व्यस्ततम दिनचर्या को उकेरा है। उन्होंने महादेव भाई की तुलना शुक्र तारे से की है जो सारे आकाश को जगमगा कर, दुनिया को मुग्ध करके अस्त हो जाता है। सन 1917 में में वे गांधीजी से मिले तब गांधीजी ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी का पद सौंप दिया। सन 1919 में जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के दिनों में गांधीजी ने गिरफ्तार होते समय महादेव जी को अपना वारिस कहा था। उन दिनों गांधीजी के सामने अंग्रेज़ों द्वारा अत्याचारों और जुल्मो की जो दल कहानियाँ सुनाने आते थे, महादेव भाई उनकी संक्ष्पित टिप्पणियाँ बनाकर उन्हें रु-बू-रु मिलवाते थे।


‘क्रॉनिकल’ के संपादक हार्नीमैन को देश निकाले की सजा मिलने पर ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी पड़ने लगी चूँकि हार्नीमैन ही मुख्य रूप से लेख लिखते थे। इसीलिए ये जिमेदारी गांधीजी ने ले ली, बाद में उनका काम बढ़ने के कारण इस अखबार को सप्ताह में दो बार निकालना पड़ा। कुछ दिन बाद अखबार की जिमेवारी लेखक के हाथों में आ गयी। महादेव भाई और गांधीजी का सारा समय देश-भम्रण में बीतने लगा, परन्तु महादेव जी जहाँ भी होते समय निकालकर लेख लिखते और भेजते। महादेव भाई गांधीजी के यात्राओं और दिन प्रतिदिन की गतिविधियों के बारे में लिखते, साथ ही देश-विदेश के समाचारों को पढ़कर उसपर टिका-टिप्पणियाँ भी लिखते।अपने तीर्व बुद्धि के कारण देसी-विदेशी समाचार पत्र वालों के ये लाड़ले बन गए। गांधीजी के पास आने से पहले ये सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे। इन्होने कई साहित्यों का अनुवाद किया था।


गांधीजी के पत्रों में महादेव भाई की लिखावट होती थी। उनकी लिखावट लम्बी सी जेट की गति सी लिखी जाती थी, वे शॉर्टहैंड नही जानते थे, परन्तु उनकी लेखनी में कॉमा मात्र की भी गलती नही होती थी इसलिए गांधीजी भी अपने मिलने वालों से बातचीत को उनकी नोटबुक से मिलान करने को कहते थे। वे अपने बड़े-बड़े झोलों में ताजे समाचार पात्र और पुस्तकें रखा करते जिसे वे  रेलगाड़ी, रैलियों तथा सभाओं में पढ़ते थे या फिर ‘नवजीवन’ या ‘यंग इंडिया’ के लिए लेख लिखते रहते। वे इतने वयस्थ समय में अपने लिए कब वक्त निकालते पता नही चलता, एक घंटे में चार घंटो का काम निपटा देते। महादेव भाई गांधीजी के जीवन में इतने रच-बस-गए थे की उनके बिना महदेव भाई की अकेले कल्पना नही की जा सकती।


उन्होंने गांधीजी की पुस्तक ‘सत्य का प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद भी किया। सन 1934-35 में गांधीजी मगनवाड़ी से चलकर सेगांव चले गए परन्तु महादेव जी मगंवादी में ही रहे। वे रोज वहां से पैदल चलकर सेगांव जाते तथा शाम को काम निपटाकर वापस आते, जो की कुल 11 मिल था। इस कारण उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और वे अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए। इनके मृत्यु का दुःख गांधीजी को आजीवन रहा।

class 9 shukra tare ke saman question answer


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1 महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में देते थे?

उत्तर- महादेव भाई दूसरों से अपना परिचय गांधी जी का हम्माल तथा पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर के रूप में देते थे।

प्रश्न 2 ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी?

उत्तर- ‘यंग इंडिया’ नामक पत्र में अधिकतर लेख हॉर्नीमैन लिखा करते थे। अंग्रेजों ने उन्हें देश निकाला दे दिया। परिणामस्वरूप इस पत्र में लेख लिखने वालों की कमी हो गई।

प्रश्न 3 गाँधी जी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया?

उत्तर- ‘यंग इंडिया’ के प्रकाशन में गांधी जी ने यह निश्चय किया कि इसे सप्ताह में दो बार निकाला जाए क्योंकि काम बहुत अधिक बढ़ गया है।

प्रश्न 4 गाँधी जी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?

उत्तर- गाँधी जी से मिलने से पहले महादेव भाई सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी किया करते थे।

प्रश्न 5 महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था?

उत्तर- महादेव भाई के झोलों में ताजे-से-ताजे समाचार पत्र, मासिक पत्र और पत्रिकाएँ भरे रहते थे, जिन्हें वे सफर के दौरान पढ़ते थे।

प्रश्न 6 महादेव भाई ने गाँधी जी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था?

उत्तर- महादेव भाई ने गाँधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ को अंग्रेजी अनुवाद किया।

प्रश्न 7 अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक निकलते थे?

उत्तर- अहमदाबाद से ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ नामक साप्ताहिक निकलते थे।

प्रश्न 8 महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे?

उत्तर- महादेव भाई रात होने तक काम करते रहते थे।

प्रश्न 9 महादेव भाई से गाँधी जी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है?

उत्तर- “ए रे जखम जोगे नहि जशे।” अर्थात यह घाव कभी योग से नहीं भरेगा। गांधी जी द्वारा कहे गए इस वाक्य से उनकी और महादेव भाई की निकटता सिद्ध होती है।

प्रश्न-अभ्यास (लिखित) प्रश्न (पृष्ठ संख्या 62-63)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में लिखिए

प्रश्न 1 गाँधी जी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?

उत्तर- 1919 में पंजाब जाते समय गाँधी जी को पलवल स्टेशन पर अंग्रेज़ सरकार ने गिरफ्तार कर लिया। गाँधी जी ने उसी समय महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।

प्रश्न 2 गाँधी जी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे?

उत्तर- पंजाब में हो रहे अत्याचारों को बताने के लिए आनेवालों की बातों को महादेव भाई संक्षिप्त टिप्पणियों के रूप में तैयार करते और गांधी जी के सामने प्रस्तुत करते। इसके अलावा वे आनेवालों के साथ गांधी जी के साथ उनकी मुलाकात भी कराते थे।

प्रश्न 3 महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?

उत्तर- महादेव भाई ने टैगोर द्वारा रचित ‘विदाई का अभिशाप’ शीर्षक नाटिका और ‘शरद बाबू की कहानियाँ’ का अनुवाद किया। उन्होंने महात्मा गाँधी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेज़ी अनुवाद किया।

प्रश्न 4 महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था?

उत्तर- महादेव भाई मगनवाड़ी में रहते थे। उसी समय से गाँव की सीमा पर मकान बनवाए जा रहे थे। वर्धा की असह्य गरमी में मगनवाड़ी से गाँव जाते, दिनभर काम करके शाम को फिर पैदल आते। इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। जो उनकी मृत्यु का कारण बन गया।

प्रश्न 5 महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गाँधी जी क्या कहते थे?

उत्तर- गाँधी जी अन्य टिप्पणीकारों को विश्वासपूर्वक यह कहते थे कि महादेव के लिखे नोट से अपने नोट का मिलान कर लो, गलती का पता चल जाएगा। उन्हें विश्वास था कि महादेव जो लिखेंगे, सही लिखेंगे।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1 पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?

उत्तर- पंजाब में फ़ौजी शासन ने घोर कहर बरपाया और पंजाब के अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इन नेताओं को फ़ौजी कानून के अंतर्गत जन्म कैद की सज़ाएँ देकर काला पानी (अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर) भेज दिया। लाहौर के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक पत्र ट्रिब्यून के संपादक श्री कालीनाथ राम को दस साल जेल की सजा दी गई।

प्रश्न 2 महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था?

उत्तर- महादेव जी जो लिखते थे, वह बड़ा सुंदर व सटीक होता था। वह चाहे साधारण लेख हो या विरोधी समाचार पत्रों की प्रतिक्रियाओं का जवाब, सभी में उनकी शिष्टाचार भरी शैली होती थी। उनके कॉलम सीधी-सादी भाषा में सुस्पष्ट व उच्च भावों से भरे होते थे। वे विरोधियों की बातों का जवाब उदार हृदय से देते थे। यही कारण था कि वे सबके लाड़ले बन गए।

प्रश्न 3 महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं?

उत्तर- महादेव भाई द्वारा लिखे गए अक्षर मोती जैसे सुंदर और त्रुटिरहित होते थे। पूरे भारत में उनकी लिखावट का सानी न था। वाइसराय को लिखे जाने वाले पत्र उन्हीं की लिखावट में लिखे जाते थे। उनकी लिखावट देख वाइसराय भी सोचने पर विवश हो जाते थे। वे सुंदर लिखते हुए भी तेज़ गति से लिख सकते थे। इन लेखों में इतनी शुद्धता होती थी कि लोग अपने लेख का मिलान महादेव द्वारा लिखे लेख से करते थे। उनकी लिखावट पढ़ने वाले को मंत्रमुग्ध कर देने वाली तथा मनोहारी थी।

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1 अपना परिचय उनके ‘पीर बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।’

उत्तर- महादेव भाई मज़ाक में अपने आपको गाँधीजी का सेवक, रसोइया, पानी भरने वाला भिश्ती और गधा कहते थे। यह कहने में वे गौरव का अनुभव करते थे। गाँधी जी की सेवा करने में उन्हें आनंद आता था। वे गौरव का अनुभव इसलिए करते थे क्योंकि उन्हें गाँधी जी का सान्निध्य प्राप्त था।

प्रश्न 2 इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफेद को स्याह करना होता था।

उत्तर- आशय-महादेव भाई और उनके मित्र नरहरि भाई ने वकालत की पढ़ाई के साथ वकालत भी साथ-साथ शुरू की थी। इस पेशे में सच्चाई और ईमानदारी के लिए कोई जगह नहीं होती। यहाँ तो बुधिकौशल और वाक्पटुता के बल पर सच को झूठ और झूठ को सच साबित किया जाता है। इसी सच और झूठ के चक्कर में कई बार निर्दोष को सज़ा और दोषी को बाइज्जत बरी कर दिया जाता है।

प्रश्न 3 देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए।

उत्तर- इसका आशय यह है कि महादेव की मृत्य अल्पायु में ही हो गई थी। इस संसार से जाने से पहले उन्होंने ऐसा काम किया था कि सारी दुनिया उन पर मुग्ध हो गई थी। वे शुक्रतारे की तरह अल्प समय में अपनी चमक बिखेरकर अस्त हो गए।

प्रश्न 4 उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस-उसाँस लेते रहते थे।

उत्तर- आशय- महादेव भाई की लिखावट अत्यंत सुंदर थी। यह लिखावट इतनी शुद्ध होती थी कि उसमें कॉमा और मात्रा की भी गलती नहीं होती थी। उनकी लेखन शैली मनोहारी होती थी। शिमला में बैठे वाइसराय को लिखे जाने वाले पत्र महादेव की लिखावट में भेजे जाते थे। इन पत्रों की लिखावट देख वाइसराय लंबी-लंबी साँसें लेने लग जाते थे क्योंकि ब्रिटिश सर्विस में उनके समान अक्षर लिखने वाला मिलना कठिन था।

भाषा-अध्ययन प्रश्न (पृष्ठ संख्या 63-64)

प्रश्न 1 ‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण कीजिए-

सप्ताह    –    साप्ताहिक

1. अर्थ

-

…………………

2. साहित्य

-

…………………

3. धर्म

-

…………………

4. व्यक्ति

-

…………………

5. मास

-

…………………

6. राजनीति

-

…………………

7. वर्ष

-

…………………

उत्तर:

1.   अर्थ – आर्थिक

2.   साहित्य – साहित्यिक

3.   व्यक्ति  – वैयक्तिक

4.   धर्म  -धार्मिक

5.   मास  – मासिक

6.   राजनीति – राजनीतिक

7.   वर्ष  – वार्षिक

प्रश्न 2 नीचे दिए गए उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द बनाइए-

अ, नि, अन, दुर, वि, कु, पर, सु, अधि

Table

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उत्तर

1.   आर्य – अनार्य

2.   आगत – अनागत

3.   डर – निडर

4.   आकर्षण – विकर्षण

5.   क्रये – विक्रय

6.   मार्ग – कुमार्ग

7.   उपस्थित – अनुपस्थित

8.   लोक – परलोक

9.   नायक – अधिनायक

10.              भाग्य – दुर्भाग्य।

प्रश्न 3 निम्नलिखित मुहावरों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए,

     i.        आड़े हाथों लेना

   ii.        अस्त हो जाना

 iii.        दाँतों तले अंगुली दबाना

 iv.        मंत्र-मुग्ध करना

   v.        लोहे के चने चबाना

उत्तर-

     i.        आड़े हाथों लेना – जब दुश्मन सामने आए तो नरमी न बरतना। उसे आड़े हाथों लेना

   ii.        अस्त हो जाना – कभी कांग्रेस में सेवा का भाव था। आज वह पवित्र भावना अस्त हो गई है।

 iii.        दाँतों तले अँगुली दबाना – नट को एक रस्सी पर चढ़ते देखकर सब लोग दाँतों तले अँगुली दबाने लगे

 iv.        मंत्र मुग्ध करना – लता मंगेशकर की मधुर आवाज़ ने सबको मंत्र मुग्ध कर दिया

   v.        लोहे के चने चबाना – सैनिकों का जीवन आसान नहीं होता। उन्हें युद्ध के मैदान में लोहे के चने चबाने पड़ते हैं

प्रश्न 4 निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए

     i.        वारिस     –   ……………..

   ii.        जिगरी     –   ……………..

 iii.        कहर       –   …………….

 iv.        मुकाम     –  ……………..

   v.        रूबरू    –   ……………..

 vi.        फ़र्क       –   ……………..

vii.        तालीम    –   ……………..

viii.        गिरफ्तार –   ……………..

उत्तर-

     i.        वारिस – उत्तराधिकारी

   ii.        जिगरी – हार्दिक

 iii.        कहर – जुल्म, अत्याचार

 iv.        मुकाम – लक्ष्य

   v.        रूबरू – प्रत्यक्ष

 vi.        फ़र्क – अंतर

vii.        तालीम – शिक्षा

viii.        गिरफ़्तार – कैद, बंधक

प्रश्न 5 उदाहरण के अनुसार वाक्य बदलिए-

उदाहरण:

गाँधीजी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।

गाँधीजी महादेव भाई को अपना वारिस कहा करते थे।

     i.        महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देते थे।

   ii.        पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे।

 iii.        दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलते थे।

 iv.        देश-विदेश के समाचार-पत्र गाँधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते थे।

   v.        गाँधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे।

उत्तर:

     i.        महादेव भाई ने अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में दिया था।

   ii.        पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़े थे।

 iii.        दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकला करते थे।

 iv.        देश-विदेश के समाचार पत्रों ने गाँधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी की।

गाँधीजी के पत्र हमेशा महादेवी की लिखावट में जाया करते 

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