Tum Kab Jaoge Atithi class 9 Worksheet with Answers

In the evocative landscape of Class 9 Hindi syllabus lies a chapter that judiciously blends culture, emotion, and the quintessentially Indian trait of atithi devo bhava (the guest is god)—Tum Kab Jaoge Atithi Class 9. This literary piece is not merely a collection of words but rather a profound narrative that delves deep into the essence of Indian hospitality, its boundaries, and the emotional rollercoaster experienced by hosts and guests alike. For every pupil navigating through Class 9 Tum Kab Jaoge Atithi, the chapter opens up as a window into the nuanced world of social etiquettes and the sometimes unspoken tensions that 'atithi' (guests) bring into the household.

The vibrancy of Tum Kab Jaoge Atithi Class 9th lies in its universality—capturing a theme so familiar yet so richly layered with emotions and moral nuances. It carefully unwraps the layered dynamics of hosting guests, embedding within young minds the timeless values of tolerance, empathy, and respect while also slyly nodding at the human trait of longing for personal space and normalcy. The narrative intricately stitches humor with wisdom, making Class 9 Tum Kab Jaoge Atithi a delightful yet insightful read.

Delving deeper, the Tum Kab Jaoge Atithi Class 9 PDF and accompanying Worksheet on Tum Kab Jaoge Atithi Class 9 offer a tangible connection to the chapter's lessons, making it an engaging exploration of hospitality’s dual-edged nature. Each Tum Kab Jaoge Atithi Class 9 worksheet with answers is a treasure trove of discovery, encouraging students to contemplate and question, not just understand, the complex dance of tradition and modernity in the context of hospitality.

The inquiries and explorations do not end with the worksheets; the Tum Kab Jaoge Atithi Class 9th question answer sections beckon young minds to articulate their interpretations, argue their viewpoints, and empathize with the characters' dilemmas and joys. This interaction fosters a deeper understanding of the narrative, putting into perspective the finer shades of human relationships and cultures.

Every lesson taught through Class 9th Hindi Tum Kab Jaoge Atithi extends beyond the textbook, translating into a broader conversation about cultural norms, personal boundaries, and the art of managing relationships gracefully. The curated Class 9th Hindi Tum Kab Jaoge Atithi question answers further these conversations, making them a pivotal part of classroom discussions and learning.

Summarizing the richness of this chapter, the Tum Kab Jaoge Atithi Class 9 Summary in Hindi offers a concise yet powerful recap of the central themes and emotions, providing a quick yet impactful glance at the host-guest dynamics. Through Class 9 Hindi Chapter 3 Tum Kab Jaoge Atithi, students embark on a reflective journey, unraveling the complexities of hospitality, understanding its challenges, and savoring its joys—preparing them for the multitude of life’s atithis and the myriad emotions they bring along.

In essence, Tum Kab Jaoge Atithi Class 9 is not just an academic chapter but a slice of life, rich with lessons on cultural sensibilities, human emotions, and the delicate art of balancing the joys of hosting with the yearning for solitude, making it a cherished learning experience.

Tum Kab Jaoge Atithi Summary

प्रस्तुत पाठ तुम कब जाओगे, अतिथि लेखक शरद जोशी जी के द्वारा लिखित है | इस पाठ में लेखक ने ऐसे व्यक्तियों की व्यंग्यात्मक ढंग से ख़बर ली है, जो अपने किसी परिचित या रिश्तेदार के घर बिना कोई पूर्व सूचना दिए चले आते हैं और फिर जाने का नाम ही नहीं लेते | भले ही उनका ज्यादा समय तक टिके रहना मेज़बान के लिए तकलीफ़ देय ही क्यूँ हो |

प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक अतिथि सत्कार से ऊबकर उसे अपने मन की भावना से संबोधित करते हुए कहते हैं कि आज तुम्हारे आगमन के चतुर्थ दिवस पर यह प्रश्न बार-बार मन में घुमड़ रहा हैतुम कब जाओगे, अतिथि ? तुम जानते हो, अगर तुम्हें हिसाब लगाना आता है कि यह चौथा दिन है, तुम्हारे सतत् आतिथ्य का चौथा भारी दिन ! पर तुम्हारे जाने की कोई सम्भावना प्रतीत नहीं होती | अब तुम लौट जाओ, अतिथि ! तुम्हारे जाने के लिए यह उच्च समय है | क्या तुम्हें तुम्हारी पृथ्वी नहीं पुकारती ?

आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि अतिथि ! तुम्हें देखते ही मेरा बटुआ काँप गया था | फिर भी हमने मुस्कुराहट के साथ तुम्हारा स्वागत किया था | मेरी पत्नी ने तुम्हें सादर नमस्ते किया था | रात के भोजन को मध्यम-वर्गीय डिनर में बदल दिया था | सोचा था कि तुम दूसरे दिन किसी रेल से एक शानदार मेहमाननवाज़ी की छाप अपने हृदय में बसाकर एक अच्छे अतिथि की तरह चले जाओगे |परन्तु, ऐसा नहीं हुआ | तुम यहाँ आराम से सिगरेट के छल्ले उड़ा रहे | उधर मैं तुम्हारे सामने कैलेण्डर की तारीखें बदल-बदलकर तुम्हें जाने का संकेत दे देता रहा हूँ |

आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि तीसरे दिन तो तुमने कपड़े धुलवाने की फ़रमाइश कर दी | पत्नी ने सुना तो वह भी आँखें तरेरने लगी | जब चौथे दिन कपड़े धुलकर गए, तो फिर भी तुम डटे रहे | अतिथि ! तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त होने लगी है | ठहाकों के रंगीन गुब्बारे, जो कल तक इस कमरे के आकाश में उड़ते थे, अब नज़र नहीं आते | बार-बार यह प्रश्न उठ रहा हैतुम कब जाओगे, अतिथि ?

आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बातचीत के सभी विषय समाप्त हो गए हैं | दोनों खुद में मग्न होकर पढ़ रहे हैं | आपसी सौहार्द समाप्ति के कगार पर है | सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो चुकी है | अब भोजन में खिचड़ी बनने लगी है | लेखक कहते हैं कि घर को स्वीट होम कहा गया है, परन्तु तुम्हारे होने से घर का स्वीटनेस खत्म हो गया है | अब तुम चले जाओ वर्ना मुझे मजबूरनगेट आउटकहना पड़ेगा | माना कि तुम देवता हो, किंतु मैं तो आदमी हूँ | मनुष्य और देवता अधिक देर तक साथ नहीं रह सकते | तुम लौट जाओ अतिथि ! इसी में तुम्हारा देवत्व सुरक्षित रहेगा | उफ ! तुम कब जाओगे, अतिथि…?

tum kab jaoge atithi class 9th question answer


NCERT SOLUTIONS

प्रश्न-अभ्यास (मौखिक) प्रश्न (पृष्ठ संख्या 32-33)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए–

प्रश्न 1 अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?

उत्तर- अतिथि लेखक के घर चार दिनों से अधिक समय तक रहता है।

प्रश्न 2 कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?

उत्तर- कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही थी।

प्रश्न 3 पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?

उत्तर- पति ने स्नेह-भीगी मुस्कराहट के साथ गले मिलकर तथा पत्नी ने सादर नमस्ते कहकर मेहमान का स्वागत किया।

प्रश्न 4 दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गयी?

उत्तर- दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गयी।

प्रश्न 5 तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

उत्तर- तीसरे दिन अतिथि ने कपड़े धुलवाने हैं कहकर धोबी के बारे में पूछा।

प्रश्न 6 सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?

उत्तर- सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लंच डिनर की जगह खिचड़ी बनने लगी। खाने में सादगी आ गई और अब भी अतिथि नहीं जाता तो उपवास तक रखना पड़ सकता था। ठहाकों के गुब्बारों की जगह एक चुप्पी हो गई। सौहार्द अब धीरे-धीरे बोरियत में बदलने लगा।

प्रश्न-अभ्यास (लिखित) प्रश्न (पृष्ठ संख्या 33)

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए–

प्रश्न 1 लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?

उत्तर- लेखक अतिथि को एक भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह चाहता था कि जब अतिथि जाए तो पति-पत्नी उसे स्टेशन तक छोड़ने जाए। उन्हें सम्मानजनक विदाई देना चाहते थे परंतु उनकी यह मनोकामना पूर्ण नहीं हो पाई।

प्रश्न 2 पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए–

     i.        अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।

   ii.        अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।

 iii.        लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।

 iv.        मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।

   v.        एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

उत्तर-

     i.        जब लेखक ने अतिथि को  देखा था तब उन्हें लगा उनका खर्च बढ जायेगा इसलिए उनका बटुआ काँप गया यानी अत्यधिक खर्चे होने का एहसास हुआ।

   ii.        हमारी संस्कृति में अतिथि को देवता समान माना गया है। परन्तु यही अतिथि जब ज्यादा दिन रह जाए तो वह बोझ लगने लगता और थोड़े अंशो में राक्षस प्रतीत होता है।

 iii.        हर व्यक्ति अपने घर को सजाता है, सुख शान्ति स्थापित करता है। अपने घर को स्वीट होम बनाता है। लेकिंग जब कोई अनचाहा व्यक्ति आकर रहने लगता है तो वह  स्वीटनेस को काटने दौड़ने जैसा लगता है।

 iv.        अतिथि लेखक के घर पर चार दिनों से रह रहा था। कल पाँचवा दिन हो जाएगा। यदि कल भी अतिथि नहीं गया तो लेखक अपनी सहनशीलता खो बैठेगा और अतिथि सत्कार भूलकर गेट आउट बोलने में देर नही लगाएगा।

   v.        हम अतिथि को देवता मानते हैं इसलिए लेखक अपने अतिथि को बताना चाह रहा कि देवता और मनुष्य कभी एक साथ हैं। आप कृपा कर हमारे कर हमारे घर से प्रस्थान करें।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50 -60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1 कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर- तीसरे दिन जब अतिथि ने धोबी से कपड़े धुलवाने की इच्छा प्रकट की तो लेखक के लिए ये अप्रत्याशित आघात था चूँकि उन्हें लगा था वे चले जाएंगे। धोबी को कपड़े धुलने देने का मतलब था कि अतिथि अभी जाना नहीं चाहता। इस आघात का लेखक पर यह प्रभाव पड़ा कि वह अतिथि को राक्षस समझने लगा। उनके सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गयी।

प्रश्न 2 ‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’ – इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।

उत्तर- ‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’ – इस पंक्ति का आशय है संबंधों में परिवर्तन आना। जो संबंध आत्मीयतापूर्ण थे अब घृणा और तिरस्कार में बदलने लगे। जब लेखक के घर अतिथि आया था तो उसके संबंध सौहार्द पूर्ण थे। उसने उसका स्वागत प्रसन्नता पूर्वक किया था। लेखक ने अपनी ढ़ीली-ढ़ाली आर्थिक स्थिति के बाद भी उसे शानदार डिनर खिलाया और सिनेमा दिखाया। लेकिन अतिथि चार पाँच दिन रुक गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुँचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था।

प्रश्न 3 जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उत्तर- जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। लेखक ने उसके साथ मुस्कुराकर बात करना छोड़ दिया, बातचीत के विषय समाप्त हो गए। सौहार्द व्यवहार अब बोरियत में बदल गया। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुँचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था। इसके बाद लेखक उपवास तक जाने की तैयारी करने लगा। लेखक अतिथि को ‘गेट आउट’ तक कहने के लिए तैयार हो गया।

भाषा - अध्ययन प्रश्न (पृष्ठ संख्या 33-34)

प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्द के दो-दो पर्याय लिखिए–

चाँद, ज़िक्र, आघात, ऊष्मा, अंतरंग

उत्तर-

     i.        चाँद = राकेश, शशि

   ii.        ज़िक्र = उल्लेख, वर्णन

 iii.        आघात = हमला, चोट

 iv.        ऊष्मा = गर्मी, घनिष्ठता

   v.        अंतरंग = घनिष्ठ, आंतरिक

प्रश्न 2 निम्नलिखित वाक्य को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए−

     i.        हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)

   ii.        किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)

 iii.        सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल)

 iv.        इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची)

   v.        कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)

उत्तर-

     i.        हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएँगे।

   ii.        किसी लॉण्ड्री पर दे देने से क्या जल्दी धुल जाएँगे?

 iii.        सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाएगी।

 iv.        इनके कपड़े यहाँ देने हैं।

   v.        ये अब नहीं टिकेंगे।

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