Everest Meri Shikhar Yatra Class 9 Worksheet with Answers

From the hallowed hallways of education where history, language, and geography intertwine, emerges the invigorating narrative of "Everest Meri Shikhar Yatra" Class 9, an exploration of human spirit and endurance against the majesty of the world's highest peak. This chapter is not merely a part of the curriculum; it is a journey that beckons young minds of Class 9th to embark upon an adventurous climb, exploring not just the geographical Everest but also the metaphorical mountains they must ascend in their lives. The poignant tale encapsulates the essence of human determination, resilience, and the unyielding pursuit of achieving one's summit.

As students turn the pages of Everest Meri Shikhar Yatra Class 9, they do not just read a story; they step into the boots of a climber, each paragraph a step higher, each sentence a breath taken in the thin air of anticipation and excitement. The chapter is brilliantly designed to be more than words on paper—it is an experience, meticulously crafted to inspire, to challenge, and to educate.

With the Everest Meri Shikhar Yatra Class 9 Worksheet with Answers, educators provide a toolkit for discovery. This worksheet is a canvas, allowing students to paint their understanding of the text, dotted with their reflections, hypotheses, and conclusions. It transcends the traditional classroom exercise, nurturing critical thinking and a deep understanding of the text’s core themes and moral lessons.

The curriculum is enriched further with Everest Meri Shikhar Yatra Class 9 MCQ with Answers, a rigorous practice that sharpens young minds through the precision of multiple choice questions. These questions, akin to the unpredictable challenges faced by climbers, push students to recall, apply, and analyze the text, ensuring a robust grasp of the material that goes beyond rote learning.

Diving deeper into the core of the mountainous journey, Everest Meri Shikhar Yatra Class 9 Extra Questions and Answers beckon. This segment promises an expedition into the more challenging terrains of the text, urging students to forge connections, infer meanings, and question deeper, thereby fortifying their understanding and appreciation of the narrative.

For those seeking to pen down their comprehension in a structured manner, Everess Meri Shikhar Yatra Notes serve as an indispensable resource. These notes, often a collective of key points, thematic explorations, and crucial insights, offer a guide through the blizzard of information, lighting up the path to clearer understanding and recall during assessments or revision sessions.

To supplement the educational odyssey, एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा Class 9 PDF and Everest Meri Shikhar Yatra Prashn Uttar provide digital footprints that students and educators can follow. The PDF versions ensure that the chapter's essence is accessible beyond the bounds of paper, allowing the digital age's learners to scale their own version of Everest through screens.

Everest Meri Shikhar Yatra is more than just a chapter in a textbook for Class 9 students; it is a metaphor for challenge, a narrative of triumph, and a lesson in the power of determination. As students and educators engage with this chapter, they embark on a voyage that transcends geographical boundaries, reaching the summit of introspection, knowledge, and achievement, together exploring the zenith of human capability and the endless possibilities that lie within one’s grasp.

Everest meri shikhar yatra summary

लेखिका बचेंद्री पाल एवरेस्ट विजय के जिस अभियान दल में एक सदस्य थीं, लेखिका उस अभियान दल के साथ 7 मार्च, 1984 को दिल्ली से काठमांडू के लिए हवाई जहाज़ से गयी। एक मजबूत अग्रिम दल  हमारे पहुचने से पहलेबेस कैम्पपहुँच गया जो उस उबड-खाबड़ हिमपात के रास्ते को साफ कर सके, लेखिका एक स्थान का जिक्र किया जिसका नाम नमचे बाज़ार है और वहाँ से एवरेस्ट की प्राकृतिक छटा का बहुत सुंदर निरीक्षण किया जा सकता है। लेखिका ने बहुत भारी बड़ा सा बर्फ का फूल (प्लूम) देखा जो उन्हें आश्चर्य में डाल दिया। लेखिका केअनुसार वह बर्फ़ का फूल 10 कि.मी. तक लंबा हो सकता था।

इस अभियान दल के सदस्य पैरिच नामक स्थान पर 26 मार्च को पहुँचे, जहाँ से आरोहियों और काफ़िलों के दल पर प्राकृतिक आपदा मँडराने लगी। यह संयोग की बात था कि 26 मार्च को अग्रिम दल में शामिल प्रेमचंद पैरिच लौट आए थे। उनसे खबर मिली कि 6000 मी. की ऊँचाई पर कैंप-1 तक जाने का रास्ता पुरी तरह से साफ़ कर दिया गया है। दूसरे-तीसरे दिन पार कर चौथे दिन दल के सदस्य अंगदोरजी, गगन बिस्सा और लोपसांग साउथ कोल पहुंच गए। 29 अप्रैल को 7900 मीटर की ऊँचाई पर उन लोगों ने कैंप-4 लगाया। लेखिका 15-16 मई, 1984 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन ल्होत्से की बर्फीली सीधी ढलान पर लगाए गए सुंदर रंग के नाइलोन के बने टेंट के कैंप-3 में थी। कैंप में 10 और व्यक्ति थे। साउथ कोल कैंप पहुँचने पर लेखिका ने अपनी महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी। सारी तैयारिओं के बीच अभियान चल रही थी, पर्वतारोही दल आगे बढ़ता रहा और 23 मई, 1984 दोपहर के एक बजकर सात मिनट पर लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर पहुँच गई।

एवरेस्ट की चोटी पर खड़ी होकर लेखिका ने अद्भुत अनुभव किया। लेखिका ने उन छोटी-छोटी भावों को भी लिपिबद्ध किया, जिन भावों को अभिव्यक्त कर पाना बहुत कठिन है। इस सफलता के बाद लेखिका को बहुत सारी बधाईयाँ मिली। लेखिका ने उस स्थान को फरसे से काटकर चौड़ा किया, जिस पर वह खड़ी हो सके। उन्होंने वहा राष्ट्रध्वज फहराया, और कुछ संक्षिप्त पूजा-अर्चना भी किया विजय दल का वर्णन किया,लेखिका ने वर्णनात्मक शैली को एकरूप बनाए रखा कि पाठक को इन घटनाओं का वर्णन आँखों देखा दृश्य जैसा लगने लगा।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1 अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था?

उत्तर- अग्रिम दल का नेतृत्व प्रेमचंद कर रहा था।

प्रश्न 2 लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा?

उत्तर- एवरेस्ट को नेपाली भाषा में सागरमाथा नाम से जाना जाता है। लेखिका को सागरमाथा नाम अच्छा लगा क्योंकि सागर के पैर नदियाँ हैं तो सबसे ऊँची चोटी उसका माथा है और यह एक फूल की तरह दिखाई देता है, जैसे माथा हो।

प्रश्न 3 लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?

उत्तर- लेखिका को एक बड़े भारी बर्फ़ का बड़ा फूल (प्लूम) पर्वत शिखर पर लहराता हुआ ध्वज जैसा लगा।

प्रश्न 4 हिमस्खलन से कितने लोगो की मृत्यु हुई और कितने लोग घायल हुए?

उत्तर- हिमस्खलन से एक की मृत्यु हुई और चार लोग घायल हुए।

प्रश्न 5 मृत्यु के अवसाद देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?

उत्तर- मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने कहा कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए।

प्रश्न 6 रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर- प्रतिकूल जलवायु के कारण एक रसोई सहायक की मृत्यु हो गई है।

प्रश्न 7 कैंप-चार कहाँ और कब लगाया गया?

उत्तर- कैंप-चार २९ अप्रैल को सात हजार नौ सौ मीटर की ऊँचाई पर लगाया गया था।

प्रश्न 8 लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया?

उत्तर- लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय यह कह कर दिया कि वह बिल्कुल ही नौसिखिया है और एवरेस्ट उसका पहला अभियान है।

प्रश्न 9 लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय यह कह कर दिया कि वह बिल्कुल ही नौसिखिया है और एवरेस्ट उसका पहला अभियान है।

उत्तर- लेखिका की सफलता पर बधाई देते हुए कर्नल खुल्लर ने कहा, "मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में जाओगी जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा। "

प्रश्न-अभ्यास (लिखित) प्रश्न (पृष्ठ संख्या 24-25)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए–

प्रश्न 1 नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?

उत्तर- नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को इतना अच्छा लगा कि वह भौंचक्की रही गई। वह एवरेस्ट ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी बर्फ़ीली ढेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही।

प्रश्न 2 डॉ.मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?

उत्तर-

·       अल्यूमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुलों का बनाना।

·       लट्ठों और रस्सियों का उपयोग करना।

·       बर्फ़ की आड़ी -तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना।

·       अग्रिम दल के आभियांत्रिक कार्यो की जानकारी दी।

प्रश्न 3 तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में क्या कहा?

उत्तर- तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में कहा कि वह एक पर्वतीय लड़की है। उसे तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए। कठिन और रोमांचक कार्य करना उनका शौक था। वे लेखिका की सफलता चाहते थे और उन्हें पूरी आशा थी कि वे होंगी।

प्रश्न 4 लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?

उत्तर- लेखिका को अपने दल तथा जय और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी। परन्तु वे लोग पीछे रह गए थे। उनके पास भारी बोझ था और वे बिना ऑक्सीजन के आ रहे थे। इस कारण उनकी गति कम हो गई थी। उनकी स्थिति देखकर लेखिका चिंतित थी।

प्रश्न 5 लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?

उत्तर- लोपसांगने अपनी स्विस छुरी की सहायता से तंबू का रास्ता साफ़ किया क्योंकि तंबू के रास्ते एक बड़ा बर्फ़ पिंड गिरने से हिमपुंज बन गया था और इससे कैंप नष्ट हो गया था, लेखिका भी उसमें दब गई थीं। इसलिए लोपसांग ने छुरी से बर्फ़ काटकर लेखिका को बाहर निकाला।

प्रश्न 6 साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरु की?

उत्तर- साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी करने के लिए खाना, कुकिंग गैस, कुछ ऑक्सीजन सिलिंडर इकट्ठे किए, दूसरे सदस्यों की मदद के लिए, थरमसों को जूस व गरम चाय से भरने के लिए नीचे जाने का निश्चय किया।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए–

प्रश्न 1 उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?

उत्तर- उपनेता प्रेमचंद ने अभियान दल के सदस्यों को निम्न स्थितियों से अवगत कराया–

 

·       पहली बड़ी बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि उनके दल ने कैंप – एक (6000 मीटर), जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया।

·       यह भी बताया कि पुल बना दिया गया है, रस्सियाँ बाँध दी गई हैं तथा झंडियों से रास्ते को चिह्नित कर दिया गया है।

·       बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है।

·       ग्लेशियर बर्फ़ की नदी है और बर्फ़ का गिरना जारी है। यदि हिमपात अधिक हो गया तो अभी तक किए गए सारे काम व्यर्थ हो सकते हैं। हमें रास्ते खोलने का काम दोबारा भी करना पड़ सकता है।

प्रश्न 2 हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?

उत्तर- बर्फ़ के खंडों का अव्यवस्थित ढंग से गिरने को हिमपात कहा जाता है। ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ़ में हलचल मच जाती है। इससे बर्फ़ की बड़ी-बड़ी च़ट्टाने तत्काल गिर जाया करती हैं। अन्य कारणों से भी अचानक खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे धरातल पर बड़ी चौड़ी दरारें पड़ जाती हैं। अधिक हिमपात के कारण तापमान में भारी गिरावट आती है। रास्ते बंद हो जाते हैं।

प्रश्न 3 लेखिका के तम्बू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया?

उत्तर- लेखिका रात 12.30 बजे अपने तम्बू में गहरी नींद में सो रही थीं तभी एक सख्त चीज़ लेखिका के सिर के पिछले हिस्से से टकराई और वह जाग गई। एक लंबा बर्फ़ पिंड ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर कैंप के ऊपर आ गिरा था। उसमें अनेक हिमखंडो का पुंज था। वह अत्यंत तेज़ गति के साथ और गर्जना के साथ गिरा था। इसने लेखिका के कैंप को नष्ट कर दिया था। इससे चोट तो सभी को लगी पर मृत्यु किसी की भी नहीं हुई।

प्रश्न 4 लेखिका को देखकर 'की' हक्का-बक्का क्यों रह गया?

उत्तर- लेखिका को देखकर 'की' हक्का बक्का रह गया क्योंकि इतनी बर्फ़ीली हवा में नीचे उतरना जोखिम भरा था फिर भी लेखिका सबके लिए चाय व जूस लेने नीचे उतर रही थी और उसे 'की' से भी मिलना था।

प्रश्न 5 एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।

उत्तर- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल सात कैंप बनाए गए थे।

     i.        बेस कैंप– यह कैंप काठमांडू के शेरपालैंड में लगाया गया था। पर्वतीय दल के नेता कर्नल खुल्लर यहीं रहकर एक-एक गतिविधि का संचालन कर रहे थे। उपनेता प्रेमचंद ने भी हिमपात संबंधी सभी कठिनाइयों का परिचय यहीं दिया।

   ii.        कैंप–1– यह कैंप 6000 मीटर की ऊँचाई पर बनाया गया। यह हिमपात के ठीक ऊपर था। इसमें सामान जमा था।

 iii.        कैंप–2– यह चढ़ाई के रास्ते में था।

 iv.        कैंप–3– इसे ल्होत्से की बर्फ़ीली सीधी ढ़लान पर लगाया गया था। यह रंगीन नायलॉन से बना था। यहीं ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर बर्फ़ पिंड कैंप पर आ गिरा था।

   v.        कैंप–4– यह समुद्र तट से 7900 मीटर की ऊँचाई पर था।

 vi.        साउथ कोल कैंप– यहीं से अंतिम दिन की चढ़ाई शुरू है।

vii.        शिखर कैंप– यह कैंप अंतिम कैंप था। यह एवरेस्ट के ठीक नीचे स्थित था।

प्रश्न 6 चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?

उत्तर- जब लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर पहुँची तब वहाँ तेज़ हवा के कारण बर्फ़ उड़ रही थी। एवरेस्ट की चोटी शंकु के आकार की थी। वहाँ इतनी भी जगह नहीं थी कि दो व्यक्ति एक साथ खड़े हो सकें। चारों ओर हज़ारों मीटर लंबी सीधी ढलान थी। चट्टाने इतनी भुरभुरी थी मानो शीशे की चादरें बिछी हों। लेखिका को फावड़े से बर्फ़ की खुदाई करनी पड़ी ताकि स्वयं को सुरक्षित और स्थिर कर सके।

प्रश्न 7 सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है।

उत्तर- जब बचेंद्री अपने दल के सदस्यों के साथ साउथकोल कैंप पहुँची तो केवल वह अपने लिए नहीं सोच रही थी बल्कि अपने दल के प्रत्येक सदस्य के लिए सोच रही थी। लेखिका ने अपने साथियों के लिए जूस और चाय लेने के लिए तेज़ बर्फ़ीली हवा में भी नीचे उतरकर जोखिम भरा काम किया। इस व्यवहार से कार्य में उसके सहयोग और सहायता की भावना का परिचय मिलता है।

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए–

प्रश्न 1 एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।

उत्तर- यह कथन अभियान दल के नेता कर्नल खुल्लर का है। उन्होंने शेरपा कुली की मृत्यु के समाचार के बाद कहा था। उन्होंने सदस्यों के उत्साहवर्धन करते हुए अभियान के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को वास्तविकता से परिचित करना चाहा। एवरेस्ट की चढ़ाई कोई आसान काम नहीं है, यह जोखिम भरा अभियान होता है। यदि ऐसा कठिन कार्य करते कुए मृत्यु भी हो जाए तो उसे स्वाभाविक घटना के रूप में लेना चाहिए।

प्रश्न 2 सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज़्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।

उत्तर- इस कथन का आशय है कि हिमपात के कारण बर्फ़ के खंडो के दबाव से कई बार धरती के धरातल पर दरार पड़ जाती है। यह दरार गहरी और चौड़ी होती चली जाती है और हिम-विदर में बदल जाती है यह बहुत खतरनाक होते हैं। यह सुनकर लेखिका का भयभीत होना स्वाभाविक था। इससे भी ज्यादा भयानक जानकारी थी कि पूरे प्रयासों के बाद यह भयंकर हिमपात पर्वतारोहियों व कुलियों को परेशान करता है। उन्हें इनका सामना करना पड़ेगा।

प्रश्न 3 इस कथन का आशय है कि हिमपात के कारण बर्फ़ के खंडो के दबाव से कई बार धरती के धरातल पर दरार पड़ जाती है। यह दरार गहरी और चौड़ी होती चली जाती है और हिम-विदर में बदल जाती है यह बहुत खतरनाक होते हैं। यह सुनकर लेखिका का भयभीत होना स्वाभाविक था। इससे भी ज्यादा भयानक जानकारी थी कि पूरे प्रयासों के बाद यह भयंकर हिमपात पर्वतारोहियों व कुलियों को परेशान करता है। उन्हें इनका सामना करना पड़ेगा।

उत्तर- इस कथन का आशय है कि हिमपात के कारण बर्फ़ के खंडो के दबाव से कई बार धरती के धरातल पर दरार पड़ जाती है। यह दरार गहरी और चौड़ी होती चली जाती है और हिम-विदर में बदल जाती है यह बहुत खतरनाक होते हैं। यह सुनकर लेखिका का भयभीत होना स्वाभाविक था। इससे भी ज्यादा भयानक जानकारी थी कि पूरे प्रयासों के बाद यह भयंकर हिमपात पर्वतारोहियों व कुलियों को परेशान करता है। उन्हें इनका सामना करना पड़ेगा।

भाषा - अध्ययन प्रश्न (पृष्ठ संख्या 25-26)

प्रश्न 1 इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का संदर्भ देकर कीजिए-

     i.        निहारा है,

   ii.        धसकना,

 iii.        खिसकना,

 iv.        सागरमोथा,

   v.        जायजा लेना,

 vi.        नौसिखिया।

उत्तर-

     i.        निहारा है− यह पाठ एवरेस्ट की चोटी को बचेंद्री पाल ने निहारा है।

   ii.        धसकना-खिसकना− ये दोनों शब्द हिम-खंडो के गिरने के संदर्भ में आए हैं।

 iii.        सागरमाथा− नेपाली एवरेस्ट चोटी को सागरमाथा कहते हैं।

 iv.        जायज़ा लेना− यह शब्द प्रेमचंद ने कैंप के परीक्षण निरीक्षण कर स्थिति के बारे में प्रयुक्त हुआ है।

   v.        नौसिखिया− बचेंद्री पाल ने तेनजिंग को अपना परिचय देते हुए यह शब्द प्रयुक्त किया है।

प्रश्न 2 निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए–

     i.        उन्होंने कहा तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए

   ii.        क्या तुम भयभीत थीं

 iii.        तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री

उत्तर-

     i.        उन्होंने कहा,”तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।”

   ii.        ”क्या तुम भयभीत थीं”?

 iii.        ”तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली? बचेंद्री”।

प्रश्न 3 नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए–

उदाहरण: हमारे पास एक वॉकी-टॉकी था।

     i.        टेढ़ी-मेढ़ी

   ii.        हक्का-बक्का

 iii.        गहरे-चौड़े

 iv.        इधर-उधर

   v.        आस-पास

 vi.        लंबे-चौड़े

उत्तर-

     i.        टेढ़ी-मेढ़ी - उनके घर के रास्ते में टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियाँ है।

   ii.        हक्का-बक्का - मशहूर क्रिकेटर को पार्टी में देखकर मैं हक्का-बक्का रह गया।

 iii.        गहरे-चौड़े - चौराहे के गहरे-चौड़े नालों में हमेशा पानी भरा रहता है।

 iv.        इधर-उधर - शिक्षक का ध्यान हटते ही बच्चे इधर-उधर भागने लगे।

   v.        आस-पास - उसका घर यहीं आस-पास है।

 vi.        लंबे-चौड़े - रास्ते में लंबे – चौड़े साँप को देखकर मेरी घिग्घी बँध गई।

प्रश्न 4 उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए−

उदाहरण: अनुकूल − प्रतिकूल

     i.        नियमित− ...................

   ii.        आरोही− ...................

 iii.        सुंदर− ...................

 iv.        विख्यात− ...................

   v.        निश्चित− ...................

उत्तर-

     i.        नियमित – अनियमित

   ii.        आरोही – अवरोही

 iii.        सुंदर – असुंदर

 iv.        विख्यात – अविख्यात

   v.        निश्चित – अनिश्चित

प्रश्न 5 निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए−

जैसे: पुत्र − सुपुत्र

     i.        वास

   ii.        व्यवस्थित

 iii.        कूल

 iv.        गति

   v.        रोहण

 vi.        रक्षित

उत्तर-

     i.        वास – प्रवास

   ii.        व्यवस्थित – अव्यवस्थित

 iii.        कूल – प्रतिकूल

 iv.        गति  − प्रगति

   v.        रोहण – आरोहण

 vi.        रक्षित − आरक्षित

प्रश्न 6 निम्नलिखित क्रिया विशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए–

अगले दिन, कम समय में, कुछ देर बाद, सुबह तक

     i.        मैं ___________ यह कार्य कर लूँगा।

   ii.        बादल घिरने के ___________ ही वर्षा हो गई।

 iii.        उसने बहुत ___________ इतनी तरक्की कर ली।

 iv.        नाङकेसा को ___________ गाँव जाना था।

उत्तर-

     i.        मैं सुबह तक यह कार्य कर लूँगा।

   ii.        बादल घिरने के कुछ देर बाद ही वर्षा हो गई।

 iii.        उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली।

 iv.        नाङकेसा को अगले दिन गाँव जाना था।


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