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class 9 hindi naye ilake mein summary
भावार्थ
: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने शहर में हो रहे अंधा-धुंध निर्माण के बारे में बताया है। रोज कुछ न कुछ बदल ही रहा है। आज अगर कुछ टूटा हुआ है, या कहीं कोई खाली मैदान है, तो कल वहाँ बहुत ही बड़ा मकान बन चुका होगा। नए-नए मकान बनने के कारण रोज नए-नए इलाके भी बन जा रहे हैं। जहाँ पहले सुनसान रास्ता हुआ करता था। आज वहाँ काफी लोग रहने लगे हैं और चहल-पहल दिखने लगी है। यही कारण है कि लेखक को रास्ते पहचानने में तकलीफ़ होती है और वह अक्सर रास्ता भूल जाता है।
भावार्थ
: इन पंक्तियों में लेखक हमें अपने रास्ते भूल जाने का कारण बताते हैं। लेखक ने जिस घर, जिस मैदान और जिस फाटक को अपने लिए चिन्ह बनाकर रखा था। जिन्हें देख कर उन्हें यह पता चलता था कि वह सही रास्ते पर चल रहे हैं, उन चिन्हों में से अब कोई भी अपनी जगह पर नहीं है। अब लेखक के खोजने के बाद भी उन्हें पुराना पीपल का पेड़ नहीं दिखाई देता है और ना ही अब उन्हें टूटा हुआ घर दिखता है, जिसे देख कर वे रास्ता पहचानते थे। ना ही अब उन्हें वह खाली ज़मीन कहीं दिखाई दे रही है, जहाँ से लेखक को बांये मुड़ना होता था। उसके बाद ही तो उनका जाना-पहचाना एक बिना रंग के लोहे के फाटक वाला एक मंजिला घर था।
भावार्थ
: इन्हीं कारणों की वजह से लेखक हमेशा रास्ता भटक जाता है। वह कभी भी सही ठिकाने तक नहीं पहुँच पाता। या तो वह एक-दो घर आगे निकल जाता है या फिर एक-दो घर पहले ही रुक जाता है।
भावार्थ
: यहाँ रोज कुछ न कुछ बन रहा है। किसी न किसी इमारत का निर्माण हो रहा है। जिसकी वजह से आप अपने रास्ते को पहचानने के लिए किसी इमारत या पेड़ को स्मृति नहीं बना सकते। क्या पता कल उसकी जगह पर कुछ और बन जाए और आप रास्ता भटक जाएं।
भावार्थ
: कवि ने शीघ्र होते हुए परिवर्तन के बारे में बताया है। ऐसा नहीं है कि कवि बहुत समय के बाद यहाँ लौटा है, इसलिए उसे सब बदला हुआ प्रतीत हो रहा है। ऐसा नहीं है कि वह वसंत के बाद पतझड़ को लौटा है, ऐसा नहीं है कि वह वैसाख को गया और भादों को लौटा है। वह तो कुछ ही दिनों में वापस आया, लेकिन फिर भी उसे सब बदला हुआ दिख रहा है और वह अपना घर भी नहीं पहचान पा रहा। अब तो एक उपाय यही है कि कवि हर घर में खट-खटाये और पूछे की क्या यही वह घर है?
भावार्थ
: भटक जाने के कारण कवि अभी तक घर नहीं ढूंढ पाया है और अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बारिश भी होने वाली है। कवि के पास समय बहुत ही कम है। अब तो कवि इसी आस में बैठा है कि काश कोई जान-पहचान का व्यक्ति उन्हें देखकर पहचान ले।
भावार्थ
: कवि ने अपनी इन पंक्तियों में जीवन के कठोर यर्थाथ को दर्शाया है। जिस प्रकार कमल कीचड़ में ही खिलते हैं, उसी प्रकार कवि ने बताया है कि वातावरण को सुगन्धित कर देने वाली अगरबत्ती गंदी झुग्गी एवं झोपड़ियों में बनायी जाती है। ऐसी बस्तियाँ जहाँ से गंदे नाले निकलते हैं। जहाँ पर कूड़े-करकट का ढेर लगा होता है। बदबू से भरी गंदी बस्तियों में रहने वाले लोग ही खुशबूदार अगरबत्ती बनाते हैं। इसीलिए कवि ने इस कविता में कहा है “ख़ुशबू रचते हैं हाथ”।
भावार्थ
: अगरबत्ती बनाते-बनाते अधिकतर कारीगरों के हाथ घायल हो गए हैं। किसी कारीगर के हाथों की नसें उभरी हुई दिख रही हैं, तो किसी के नाख़ून अगरबत्ती बनाते-बनाते घिस गए हैं। वहीं दूसरी ओर नए-नए बच्चे जिन्होंने अभी-अभी अगरबत्ती बनाना शुरू किया है, उनके हाथ पीपल के पत्ते की तरह बहुत ही मुलायम और नाज़ुक प्रतीत होते हैं। उन्हीं बच्चों में से कुछ लड़कियों के हाथ तो जूही की डाल की तरह पतले हैं। बहुत दिनों से काम करते हुए कई कारीगरों के हाथ कट-फट चुके हैं। उनके ज़ख्म भी गंदगी से भरे हुए हैं। ऐसे हाथ ही हमारे घर में खुशबू फ़ैलाने वाली सुगंधित अगरबत्तियों का निर्माण करते हैं।
भावार्थ : प्रस्तुतु पंक्तियों में कवि ने हमें यही बताया है कि शहर के बड़े से बड़े घरों में जलने वाली खुशबूदार अगरबत्तियाँ इन्हीं गंदी बस्तियों की झुग्गियों में बनती हैं। जहाँ पर हमेशा बदबू भरी रहती है। चाहे कोई भी मशहूर अगरबत्ती हो, जैसे केवड़ा, गुलाब या रातरानी सभी यहीं इस गंदी बस्ती में रहने वाले गंदे लोगों के गंदे हाथों से बनाई जाती हैं। ये लोग खुद तो इतनी गंदगी एवं बदबू के बीच में रहते हैं, लेकिन दूसरों के घर को महकाने के लिए खुशबूदार अगरबत्तियों का निर्माण करते हैं। इसीलिए लेखक ने कहा है “सारी गन्दगी के बीच भी खुशबू रचते हैं हाथ”।
naye ilake me class 9 question answer
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न-अभ्यास (नए इलाके में) प्रश्न
प्रश्न 1 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
i.
नए बसते इलाके
में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?
ii.
कविता में
कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?
iii.
कवि एक घर
पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है?
iv.
“वसंत का गया
पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है?
v.
कवि ने इस
कविता में समय की कमी की ओर क्यों इशारा किया है?
vi.
इस कविता में
कवि ने शहरों की किस विडंबना की ओर संकेत किया है?
उत्तर-
i.
नए इलाके में
कवि इसलिए रास्ता भूल जाता है, क्योंकि-
· यहाँ रोज़ नए मकान बनते रहते हैं।
· पुराने मकान ढहाकर नए मकान बनाए जाते हैं।
· नए मकान बनाने के लिए पुराने पेड़ काटने से
निशानी नष्ट हो जाती है।
· खाली जमीन पर कोई नया मकान बन जाता है।
ii.
कविता में
निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख हुआ है-
· पीपल का पेड़
· ढहा घर या खंडहर
· जमीन का खाली टुकड़ा
· बिना रंग वाले लोहे के फाटक वाला इकमंजिला मकान
iii.
कवि एक घर आगे
या दो घर पीछे इसलिए चल देता है, क्योंकि नए बस रहे उस इलाके में एक ही दिन में
काफ़ी बदलाव आ जाता है। वह अपने घर को पहचान नहीं पाता है कि वह सवेरे किस घर से
गया था।
iv.
‘वसंत का गया
पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से यह अभिप्राय है कि वहाँ एक ही दिन में
इतना कुछ नया बन गया है, जितना बनने में पहले नौ-दस महीने या साल भर लगते थे। सुबह
का निकला कवि जब शाम को वापस आता है तो एक ही दिन में नौ-दस महीने के बराबर का
बदलाव दिखाई देता है।
v.
कवि ने कविता
में समय की कमी की ओर इसलिए संकेत किया है क्योंकि तेज़ी से आ रहे बदलाव के कारण
मनुष्य की व्यस्तता भी बढ़ती जा रही है। इससे उसके पास समय की कमी होती जा रही है।
vi.
इस कविता में
कवि ने शहरों की उस विडंबना की ओर संकेत किया है, जिसमें शहरों में हो रहे बदलाव,
खाली जमीनों में टूटे मकानों की जगह इतने नित नए मकान बनते जा रहे हैं कि सुबह घर
से निकले आदमी को शाम के समय अपना मकान खोजना पड़ता है, फिर भी उसे अपना मकान नहीं
मिल पाता है।
प्रश्न 2 व्याख्या कीजिए-
i.
यहाँ स्मृति
का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
ii.
समय बहुत कम
है तुम्हारे पास।
आ चला पानी ढहा
आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर
उत्तर-
i.
नगरों में
बसने वाली नई बस्तियाँ इस तरह तेजी से बढ़ती चली जा रही हैं कि आदमी को अपना घर तक
ढूँढना कठिन हो गया है। वह कुछ ही दिन बाद अपनी बस्ती में लौटकर आए तो रास्ते तक
भूल जाता है। उसकी पुरानी निशानियाँ देखते ही देखते नष्ट हो जाती हैं। इसलिए उसकी
पुरानी स्मृतियाँ और निशानियाँ किसी काम नहीं आतीं। दुनिया इतनी तेजी से बदल-बन
रही है कि जो निर्माण एक दिन पहले किया जाता है, दूसरे दिन तक पुराना पड़ चुका
होता है। उसके बाद नए-नए निर्माण और खड़े हो जाते हैं।
ii.
देखिए
व्याख्या क्र. 2..
प्रश्न-अभ्यास (खुशबू रचते हैं हाथ) प्रश्न
प्रश्न 1 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
i.
“खुशबू
रचनेवाले हाथ’ कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ-कहाँ रहते हैं?
ii.
कविता में
कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है?
iii.
कवि ने यह
क्यों कहा है कि ‘खुशबू रचते हैं हाथ’?
iv.
जहाँ
अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल कैसा होता है?
v.
इस कविता को
लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर-
i.
खुशबू
रचनेवाले हाथ अत्यंत कठोर परिस्थितियों में गंदी बस्तियों में, गलियों में, कूड़े
के ढेर के इर्द-गिर्द तथा नाले के किनारे रहते हैं। वे अस्वच्छ एवं प्रदूषित
वातावरण में जीवन बिताते हैं। वे इस दुर्गंधमय वातावरण में रहने को विवश हैं। वे
सामाजिक और आर्थिक विषमता के शिकार हैं। दूसरों को खुशबू देने का काम करने । वाले
इस प्रकार बदहाली का जीवन बिताते हैं।
ii.
कविता में
निम्नलिखित तरह के हाथों की चर्चा हुई है-
· उभरी नसोंवाले अर्थात् वृद्ध हाथ।
· घिसे नाखूनोंवाले हाथ श्रमिक वर्ग को प्रतीक है।
· पीपल के पत्ते जैसे नए-नए हाथ अर्थात् छोटे
बच्चों के कोमल हाथ।
· जूही की डाल जैसे खुशबूदार हाथ अर्थात्
नवयुवतियों के सुंदर हाथ।
· गंदे कटे-पिटे हाथ।
· जखम से फटे हुए हाथ।
iii.
कवि ने ऐसा
इसलिए कहा है क्योंकि इन गरीब मजदूरों के हाथ सुगंधित अगरबत्तियों का निर्माण करते
हैं। तथा हमारे जीवन को सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराकर खुशबू से महकाते हैं जिससे ऐसा
लगता है कि अत्यंत प्रदूषित वातावरण में रहकर भी इनके हाथ हमारे लिए सुख-सुविधाओं
से भरी वस्तुओं का निर्माण करते हैं। जिससे समस्त प्राणियों के जीवन में सुगंध फैल
जाती है। ये लोग स्वयं बदहाली का जीवन बिताकर दूसरे लोगों के जीवन में खुशहाली
लाते हैं। इन शब्दों द्वारा कवि ने श्रमिकों के श्रम का गुणगान किया है।
iv.
जहाँ
अगरबत्तियाँ बनती हैं वहाँ का वातावरण अत्यंत गंदगी भरा होता है। चारों ओर नालियाँ
तथा कूड़े-करकट का ढेर जमा होता है। चारों ओर बदबू फैली होती है। ये सुगंधित
अगरबत्तियाँ बनाने वाले ऐसे गंदे वातावरण में रहकर भी दूसरों के जीवन में खुशबू
बिखेरते हैं पर ऐसे वातावरण में, ऐसी भयावह स्थितियों में रहनी इनकी विवशता है।
v.
इस कविता को
लिखने का मुख्य उद्देश्य यह है कि हमारे समाज में सुंदरता की रचना करनेवाले गरीब
और उपेक्षित लोगों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित
करना है ताकि आम लोग इन गरीब मजदूरों के जीवन की वास्तविकता को जान लें और समाज
में फैली विषमताओं तथा भेदभावों को मिटाने की कोशिश करें। मजदूरों और कारीगरों की
दुर्दशा का चित्रण करना तथा लोगों में उनके उद्धार की चेतना जगाना भी है। कवि
अगरबत्तियाँ बनानेवाले कारीगरों का प्रदूषित वातावरण में रहना दिखाकर यह कहना
चाहता है कि इनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए
ताकि इन्हें भी जीवन जीने के लिए। स्वच्छ वातावरण मिल सके।
प्रश्न 2 व्याख्या कीजिए-
i.
a. पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ
जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ
b. दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथे
ii.
कवि ने इस
कविता में ‘बहुवचन’ का प्रयोग अधिक किया है? इसका क्या कारण है?
iii.
कवि ने हाथों
के लिए कौन-कौन से विशेषणों का प्रयोग किया है?
उत्तर-
i.
a. अगरबत्ती बनाने वाले हाथों में कुछ के हाथ पीपल
के नए-नए पत्तों के समान कोमल हैं। आशय यह है कि कुछ नन्हे-नन्हे बच्चे भी
अगरबत्ती बनाने के काम में लगे हुए हैं। कुछ हाथ ऐसे हैं जिनमें से जूही की डालों
जैसी खुशबू आती है। आशय यह है कि कुछ सुंदर युवतियाँ भी अगरबत्तियाँ बनाने में लगी
हुई हैं।
b. यद्यपि अगरबत्ती बनाने वाले कारीगर दुनिया भर को
सुगंधित अगरबत्ती प्रदान करते हैं और वातावरण में सुगंध फैलाते हैं किंतु उन्हें
स्वयं दुनिया भर की गंदगी के बीच रहना पड़ता है। उनके चारों ओर गंदगी का ही
साम्राज्य रहता है। वे शोषित हैं, पीड़ित हैं।
ii.
कविता में
‘हाथ’ के लिए बहुवचन का प्रयोग किया गया है। इसके माध्यम से कवि बताना चाहता है कि
यहाँ एक कारीगर या एक मजदूर की बात नहीं की जा रही। यह समस्या सब मज़दूरों की है।
iii.
कवि ने हाथों
के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया है-
उभरी नसोंवाले
घिसे नाखूनोंवाले
पीपल के पत्ते-से नए-नए
जूही की डाल-से खुशबूदार
गंदे कटे-पिटे
ज़ख्म से फटे हुए।