Is Jal Pralay Mein Class 9 Worksheet with Answers

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जल प्रलय में’ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित रिपोर्ताज है, जिसमें उन्होंने सन 1975 ई० में पटना में आई प्रलयंकारी बाढ़ का आँखों देखे हाल का वर्णन किया है।

लेखक का गाँव एक ऐसे क्षेत्र में था, जहाँ की विशाल और परती ज़मीन पर सावन-भादों के महीनों में पश्चिम, पूर्व और दक्षिण में बहने वाली कोसी, पनार, महानंदा और गंगा की बाढ़ से पीड़ित मानव व पशुओं का समूह शरण लेता था। सन 1967 में भयंकर बाढ़ आई थी, तब पूरे शहर और मुख्यमंत्री निवास तक के डूबने की खबरें सुनाई देती रहीं। लेखक बाढ़ के प्रभाव व प्रकोप को देखने के लिए अपने एक कवि मित्र के साथ निकले। तभी आते-जाते लोगों द्वारा आपस में जिज्ञासावश एक-दूसरे को बाढ़ की सूचना से अवगत कराते देख लेखक गांधी मैदान के पास खड़े लोगों के पास गए।


शाम को साढ़े सात बजे पटना के आकाशवाणी केंद्र ने घोषणा की कि पानी आकाशवाणी के स्टूडियो की सीढ़ियों तक पहुँच गया है। बाढ़ का पानी देखकर आ रहे लोग पान की दुकानों पर खड़े हँस-बोलकर समाचार सुन रहे थे, परंतु लेखक और उनके मित्र के चेहरों पर उदासी थी। कुछ लोग ताश खेलने की तैयारी कर रहे थे। राजेंद्रनगर चौराहे पर मैगज़ीन कॉर्नर पर पूर्ववत पत्र-पत्रिकाएँ बिक रही थीं। लेखक कुछ पत्रिकाएँ लेकर तथा अपने मित्र से विदा लेकर अपने फ़्लैट में आ गए।

वहाँ उन्हें जनसंपर्क विभाग की गाड़ी से लाउडस्पीकर पर की गई बाढ़ से संबंधित घोषणाएँ सुनाई दीं। उसमें सबको सावधान रहने के लिए कहा गया। रात में देर तक जगने के बाद लेखक सोना चाहते हैं, पर नींद नहीं आती। वे कुछ लिखना चाहते हैं और तभी उनके दिमाग में कुछ पुरानी यादें तरोताजा हो जाती हैं। सन 1947 में मनिहारी शिले में बाढ़ आई थी। लेखक गुरु जी के साथ नाव पर दवा, किरोसन तेल, ‘पकाही घाव’ की दवा और दियासलाई आदि लेकर सहायता करने के लिए वहाँ गए थे।


इसके बाद 1949 में महानंदा नदी ने भी बाढ़ का कहर बरपाया था। लेखक वापसी थाना के एक गाँव में बीमारों को नाव पर चढ़ाकर कैंप ले जा रहे थे, तभी एक बीमार के साथ उसका कुत्ता भी नाव पर चढ़ गया। जब लेखक अपने साथियों के साथ एक टीले के पास पहुँचे तो वहाँ एक ऊँची स्टेश बनाकर ‘बलवाही’ का नाच हो रहा था और लोग मछली भूनकर खा रहे थे। एक काला-कलूटा ‘नटुआ’ लाल साड़ी में दुलहन के हाव-भाव को दिखा रहा था।

फिर एक बार सन 1967 ई० में जब पुनपुन का पानी राजेंद्रनगर में घुस गया, तो कुछ सजे-धजे युवक-युवतियों की टोली नाव पर स्टोव, केतली, बिस्कुट आदि लेकर जल-विहार करने निकले। उनके ट्रांजिस्टर पर ‘हवा में उड़ता जाए’ गाना बज रहा था। जैसे ही उनकी नाव गोलंबर पहुंची और ब्लॉकों की छतों पर खड़े लड़कों ने उनकी खिल्ली उड़ानी शुरू कर दी, तो वे दुम दबाकर हवा हो गए।

रात के ढाई बजे का समय थापर पानी अभी तक वहाँ नहीं आया था। लेखक को लगा कि शायद इंजीनियरों ने तटबंध ठीक कर दिया हो। लेखक को नींद आ गई। सुबह साढ़े पाँच बजे जब लोगों ने उन्हें जगाया तो लेखक ने देखा कि सभी जागे हुए थे और पानी मोहल्ले में दस्तक दे चुका था। चारों ओर शोर-कोलाहल-कलरव, चीख-पुकार और पानी की लहरों का नृत्य दिखाई दे रहा था। चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। पानी बहुत तेजी से चढ़ रहा था। लेखक ने बाढ़ का दृश्य तो अपने बचपन में भी देखा था, परंतु इस तरह अचानक पानी का चढ़ आना उन्होंने पहली बार देखा था।


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अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न 1 बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे?

उत्तर- बाढ़ की खबर से सारे शहर में आतंक मचा हुआ था। लोग अपने सामान को नीचली मंजिल से ऊपरी मंजिल में ले जा रहे थे। सारे दुकानदार अपना सामान रिक्शा, टमटम, ट्रक और टेम्पो पर लादकर उसे सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे थें। खरीद-बिक्री बंद हो चुकी थी। लोग घरों में खाने का सामान, दियासलाई, मोमबत्ती, दवाईयाँ, किरोसीन आदि का प्रबन्ध करने में लगे हुए थे।

प्रश्न 2 बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था?

उत्तर- लेखक ने पहले बाढ़ के बारे में सुना जरूर था पर कभी देखा नही था। उसने अपनी कई रचनाओ में बाढ़ कीविनाशलीला का उल्लेख किया था। वह स्वयं अपनी आँखों से बाढ़ के पानी को शहर में घुसते और उसकी विनाशलीला के बारे में जानने को उत्सुक था।

प्रश्न 3 सबकी जुबान पर एक ही जिज्ञासा– “पानी कहाँ तक आ गया है?” इस कथन से जनसमूह की कौन-सी भवनाएं व्यक्त होती हैं?

उत्तर- इस कथन से जनसमूह में जिज्ञासा के भाव उठते हुए जान पड़ते हैं। लोग बाढ़ की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए पैदल उस जगह जा रहे थे। सब के मन में व आँखों में एक ही प्रश्न जिज्ञासा का रुप ले चुका था– पानी कहाँ तक पहुँच गया होगा? उनके मन में यही प्रश्न उठ रहे थे कि पानी कौन -कौन से हिस्से को निगल गया होगा? उन्हें अभी बाढ़ के पानी का भय नहीं सता रहा था। वे बस बाढ के पानी की गति के विषय में जिज्ञासु थे।

प्रश्न 4 ‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर- बाढ़ के निरंतर बढ़ते हुए जल-स्तर को ‘मृत्यु का तरल दूत’ कहा गया है। बढ़ते हुए जल ने अपनी भयानकता का संकेत दे दिया था। बाढ़ के इस आगे बढ़ते हुए जल ने न जाने कितने प्राणियों को उजाड़ दिया था, बहा दिया था और बेघर करके मौत की नींद सुला दिया था। इस तरल जल के कारण लोगों को मरना पड़ा, इसलिए इसे मृत्यु का तरल दूत कहना बिल्कुल सही है।

प्रश्न 5 आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ़ से कुछ सुझाव दीजिए।

उत्तर- बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है। इसके कारण हर जगह जल भराव हो जाता है क्योंकि मूसलाधार वर्षा के कारण नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। स्थिति ये बन जाती है कि लोगों को उस जगह को छोड़कर जाना पड़ता है और जो समय रहते नहीं जा पाते, उन्हें ऊँचे स्थानों का आश्रय लेना पड़ता है। इस आपदा से निपटने के लिए तात्कालिक व दीर्घकालिक उपाय करने चाहिए। बाढ़ में फँसे बाढ़ पीड़ितों को निकालने के लिए नावों का उचित प्रबन्ध करना चाहिए। खाद्य-सामग्री (राहत सामग्री) का पर्याप्त मात्रा में भंडारण करना आवश्यक है। बचाव कार्यों के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं व सरकार को पहले से ही तैयारी आरंभ कर देनी चाहिए। पर्याप्त दवाईयाँ व चिकित्सा के लिए डॉक्टरों को भी नियुक्त करना चाहिए।

प्रश्न 6 ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए...अब बूझो!' -इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है?

उत्तर- लोग संकट की घड़ी में एक-दूसरे की सहायता करने के बजाए अपने निजी स्वार्थों की सिद्धि को अधिक महत्व देते हैं। अपने सुख-सुविधायों को छोड़कर किसी संकटग्रस्त व्यक्ति या व्यक्तियों का हाल-चाल जानने का भी कष्ट नहीं करते। उक्त कथन द्वारा लोगों की इसी मानसिकता पर चोट की गई है। यह कथन निश्चित रूप से कठोर और द्वेषपूर्ण है।

प्रश्न 7 खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी?

उत्तर- खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक बढ़ गई थी क्योंकि लोग बाढ़ को देखने के लिए बहुत बड़ी संख्या में इकट्ठे हो गए थे। वे बाढ़ से भयभीत नहीं थे, बल्कि हंसी-खुशी और कौतुहल से युक्त थे। ऐसे समय में पान उनके लिए समय गुजारने का सबसे अच्छा साधन था।

प्रश्न 8 जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए?

उत्तर- जब लेखक को अहसास हुआ की उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो वे रोजमर्रा की चीज़ें जुटाने में लग गए। उन्होंने आवश्यक ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई,पीने का पानी, कम्पोज की गोलियाँ इकट्ठी कर लीं ताकि बाढ़ से घिर जाने पर कुछ दिनों तक गुजारा चल सकें। उन्होंने पढ़ने के लिए किताबें भी खरीद ली। उन्होंने बाढ़ आने पर छत पर चले जाने का भी प्रबंध सुनिश्चित कर लिया।

प्रश्न 9 बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है?

उत्तर- बाढ़ के बाद हैजा, मलेरिया, टाइफाइड आदि बीमारियों के फैलने की संभावना रहती है क्योंकि बाढ़ के उतरे पानी में मच्छर अत्यधिक मात्रा में पनपते हैं जिसके कारण मलेरिया जैसी बीमारी हो जाती है। पानी की कमी से लोगो को गंदा पानी पीना पड़ता है जो हैजा और टाइफाइड जैसी बीमारियों को न्यौता देता है।

प्रश्न 10 नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कुंद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया?

उत्तर- नौजवान और कुत्ता परस्पर गहरे आत्मीय थे। दोनों एक-दूसरे के सच्चे साथी थे। उनमें मानव और पशु का भेदभाव भी नहीं था। वे एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे। यहाँ तक कि नौजवान को कुत्ते के बिना मृत्यु भी स्वीकार नहीं थी। इस व्यवहार से उनकी गहरी मैत्री का परिचय मिलता है।

प्रश्न 11 ‘अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं— मेरे पास।’ –मूवी कैमरा, टेप रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा?

उत्तर- यहाँ लेखक के बाढ़ से उत्पन्न दु:ख को व्यक्त किया गया है। वह इस घटना को पहले कैमरे में कैद करना चाहता था परन्तु उसके पास कैमरा उपलब्ध नहीं था। फिर उसके मन में विचार आया कि वह कलम के द्वारा पन्नों में इस त्रासदी को लिखे जिसे उसने पहले स्वयं भोगा था पर उसकी कलम भी उसके पास नहीं थी। वो भी चोरी हो गई थी। इतनी तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने सोचा की अच्छा है, कुछ भी नहीं क्योंकि बाढ़ के इस सजीव भयानक रुप को अगर वो अपने कैमरे व कलम से पन्नों पर उतार भी लेता तो उसे दु:ख ही तो प्राप्त होता। उसे बार-बार देखकर, पढकर उसे कुछ प्राप्त नहीं होता तो फिर उनकी तस्वीर लेकर वह क्या करता।

प्रश्न 12 आपने भी देखा होगा कि मिडिया द्वारा प्रस्तुत की गयी घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती है, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- जहाँ मिडिया समाज को जागृत करने का प्रयास करता वही कई बार समस्याओं को बढ़ा भी देता है। उदाहरण स्वरुप बाबरी मस्जिद काण्ड। इस घटना को इतना बढ़ा- चढ़ाकर मिडिया में दिखाया गया कि जिसके परिणाम स्वरुप पूरा देश सांप्रदायिक दंगों की चपेट में आ गया।

प्रश्न 13 अपनी देखी -सुनी आपदा का वर्णन कीजिए।

उत्तर- जुलाई 2005 पूरा मुंबई शहर बाढ़ में डूब गया था। पूरा का पूरा शहर जल में डूब चूका था। करीब एक बजे के आस-पास वर्षा ने अपना जो प्रलयंकारी रूप धरा वह करीब हफ्ते भर जारी रहा।लोग दफ्तरों दुकानों और काम के स्थानों में फँसे के फँसे रह गए। नन्हें बच्चे विद्यालय में बिना बिजली के पूरी रात काटने के लिए मजबूर हो गए। इस त्रासदी में न जाने कितनी जानें गई और देश की इस आर्थिक राजधानी को कितना आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।

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