सारांश
लाख की चूड़ियाँ का सार Chapter summary
कहानी की शुरुआत लेखक के बचपन से शुरू
होती हैं। लेखक को अपने मामा के गांव जाना बहुत पसंद था। क्योंकि वहां बदलू नाम का
एक मनिहार (चूड़ी बनाने वाला) उन्हें ढेर सारी सुंदर सुंदर लाख की गोलियां बनाकर
देता था।जिनके साथ खेलना लेखक को बहुत पसंद था।
छुट्टियां खत्म होने के बाद जब वह
अपने घर लौटेते थे तो उनके पास ढेर सारी रंग बिरंगी गोलियां हुआ करती थी जिन्हें
देखकर उनके हमउम्र बहुत आकर्षित होते थे।
वैसे तो बदलू उनके ननिहाल के गांव में
रहने वाले थे। इसीलिए वो रिश्ते में लेखक के मामा लगते थे। लेकिन गांव के अन्य
बच्चे उन्हें “काका” कहकर बुलाते थे । इसलिए लेखक भी उन्हें “बदलू काका” कहते थे।
बदलू अपने घर के सामने ही एक पुराने
नीम के वृक्ष के नीचे बैठकर चूड़ियां बनाने का काम करते थे। उनके सामने ही जलती
भट्टी व अन्य औजार रखे रहते थे। जिनकी मदद से वो अक्सर लाख को पिघला कर एक से एक
खूबसूरत व मजबूत लाख की चूड़ियां बनाया करते थे। बदलू काका को हुक्का पीने का शौक
था। इसलिए काम के बीच में वो हुक्का भी पी लेते थे।
लेखक जब भी अपने मामा के गांव में
जाते थे । तो वे अक्सर दोपहर के समय बदलू काका के पास जाकर घंटों बैठे रहते हैं ।
और उनके काम को देखते रहते थे। बदलू काका भी उन्हें प्यार से “लल्ला” कहते थे।
बदलू पेशे से एक मनिहार था। चूड़ियां
बनाना उसका पैतृक पेशा था यानि उसके पिता , दादा सब चूड़ियां बनाने
का ही काम करते थे । और उनकी रोजी-रोटी कमाने का भी यही एक तरीका था। उनकी चूड़ियां खूब बिकती थी।
गांव की सभी महिलाएं उन सुंदर-सुंदर
चूड़ियों को बदलू काका से खरीद कर पहनती थी। लेकिन बदलू काका उनसे पैसे लेने के
बजाय अनाज लेते थे। “वस्तु विनिमय” का यह पुराना तरीका था यानि सामान के बदले
सामान लेना “वस्तु विनिमय” कहलाता हैं ।
बदलू स्वभाव से बहुत सीधा-साधा था। वह
किसी से लड़ता-झगड़ता नहीं था। बस अपने काम से मतलब रखता था। लेकिन शादी विवाह के
अवसरों पर कभी-कभी जिद पकड़ कर बैठ जाता था। शादी ब्याह के अवसरों पर सुहाग की
चूड़ियों को थोड़ा महंगा बेचकर खूब कमाई करता था । सुहाग की चूड़ियों को बहुत ही
पवित्र माना जाता है।
इसीलिए सुहाग की चूड़ियों
के बदले लोग बदलू काका की पत्नी के लिए वस्त्र और घर के प्रत्येक सदस्य के लिए कुछ
ना कुछ उपहार , बदलू के लिए पगड़ी व कुछ रुपए भी देते
थे। सो शादी के वक्त उसकी अच्छी खासी आमदनी हो जाती थी।
बदलू काका लेखक की अच्छी
खातिरदारी करते थे। कभी उनको गाय के दूध में मलाई डाल कर तो कभी आम की फसल में आम
खिलाते थे और साथ में कुछ लाख की गोलियां भी बना कर देते थे।
बदलू काका को कांच की
चूड़ियां जरा भी पसंद नहीं थी क्योंकि वो लाख की चूड़ियां बनाते थे । लेकिन धीरे-धीरे गांव का भी शहरीकरण हो गया।
नए-नए उद्योग स्थापित हो गए और वस्तुओं मशीनों द्वारा बनाई जाने लगी। जो लोगों को
खूब पसंद आती थी। अब गांव की महिलाएं भी लाख की चूड़ियों की जगह कांच की चूड़ियां
पहनने लगी थी। इसीलिए अब उसका धंधा धीरे-धीरे मंदा होते चला गया।
लेखक गर्मियों की छुट्टियों में मामा
के गांव चले जाते थे और स्कूल खुलने पर वापस अपने घर आ जाते थे।लेकिन अचानक लेखक
के पिता का ट्रांसफर दूसरे शहर हो गया जिस कारण लेखक आठ -दस वर्षों तक मामा के
गांव नहीं जा पाए। इस बीच उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनकी लाख की गोलियों में भी रूचि
कम हो गई।
लंबे अरसे बाद जब लेखक अपने मामा के
गांव गए। एक दिन अचानक बरसात की वजह से उनकी मामा की लड़की आँगन में फिसल कर गिर
पड़ी और हाथ में पहनी कांच की चूड़ियां टूट कर उसकी कलाई में चुभ गई जिसकी वजह से
काफी खून बह गया। लेखक के मामा उस वक्त घर पर नहीं थे। इसीलिए लेखक ने ही अपनी बहन
की मरहम पट्टी की।
तभी लेखक ने महसूस किया कि गांव की
अधिकतर महिलाएं अब लाख की चूड़ियों की जगह कांच की चूड़ियां पहनने लगी है।तब लेखक
को बदलू काका का ध्यान आया और वो उनसे मिलने चले
गये। जब वो बदलू काका के घर पहुंचे तो देखा कि बदलू उसी नीम के पेड़ के पास
एक खटिया (चारपाई ) डाल कर लेटे हुए थे।
बदलू को लेखक को पहचानने में थोड़ी
मुश्किल हुई। लेकिन धीरे धीरे उन्हें याद आ गया। कुशलक्षेम पूछने के बाद जब लेखक
ने चूड़ियों के काम-धंधे के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने कई साल
पहले ही काम करना बंद कर दिया क्योंकि अब गांव की सभी महिलाएं कांच की चूड़ियां
पहनने लगी हैं।
बदलू लेखक को बताने लगा कि आजकल सभी
कुछ मशीनों से होता है। खेत जोतना हो या कांच की चूड़ियां बनाना हो या कुछ और।
इसीलिए लाख की चूड़ियों को कोई पसंद नहीं करता। बदलू काका अब काफी कमजोर हो चुके
थे। लेखक की खातिरदारी के लिए बदलू काका ने अपनी बेटी से आम मँगवाए।
जब उनकी बेटी आम लेकर आई तो लेखक ने
देखा कि उनकी बेटी ने अपने पिता द्वारा बनाई गई सुंदर लाख की चूड़ियां पहन रखी है।
तब बदलू ने उन लाख की चूड़ियों के बारे में बताया कि ये चूड़ियों जमीदार साहब की
बेटी के लिए बनवाये थे। लेकिन अच्छे दाम ना मिलने की वजह से बदलू ने जमींदार साहब
को वो चूड़ियां नहीं दी।
बदलू ने इस मशीनी युग में भी हार नहीं
मानी । भले ही बदलू का काम इस मशीनी युग की वजह से बंद हो चुका था। लेकिन उन्होंने
न हार मानी और ना ही वो पीछे हटे। वो वाकई में बहुत परिश्रमी स्वभाव के थे और अपने
काम को पूर्ण निष्ठा के साथ करना पसंद करते थे।
NCERT SOLUTIONS
कहानी से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 10-11)
प्रश्न 1 बचपन में लेखक अपने मामा वेफ गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को
‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?
उत्तर- लेखक अनपे मामा के गाँव में लाख की चूड़ियों के कारीगर बदलू से मिलता
था और उससे ढेर लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ लेता था । गाँव के सभी लोग उसे काका कहकर
बुलाते थे इसलिए वह भी उसे बदलू मामा न कहकर बदलू काका ही कहा करता था।
प्रश्न 2 वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?
उत्तर- किसी वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु का लेना वस्तु
विनिमय कहलाता है आज से लगभग 15-20 साल पहले तक गाँवों में यह प्रथा प्रचलित थी। उनके
घर में जो कुछ अनाज अन्य वस्तु होती थी उसे दुकानदार को देकर उससे दूसरी वस्तु ले आया
करते थे। वर्तमान में विनिमय की प्रचलित पद्धति पैसा है। जिसके बदले में कोई भी वस्तु
ली जा सकती है।
प्रश्न 3 'मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं।' इस पंक्ति में लेखक ने किस
व्यथा की ओर संकेत किया है?
उत्तर- जिन्होने अपने हाथ के हुनर से अपनी कला से एक परंपरा को बनाए रखा है।
उसी से वे जीवन-यापन करते चले आए हैं और उन्होंने अपनी इस कला को पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ाया
है। उसके अलावा उन्होंने जीवन यापन का कोई और साधन नहीं अपनाया है। आज मशीनों के आ
जाने से उनकी यह कला और हमारे देश की सांस्कृतिक
विरासत लुप्त हो चली है। इन मशीनों ने उनके हाथ काट दिए हैं। कारीगरो की रोजी-रोटी
का साधन छिन गया है। वे अपना जीवन-यापन कैसे करें लेखक ने इसी व्यथा की ओर संकेत किया
है।
प्रश्न 4 बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी।
उत्तर- बदलू लाख की चूड़ियाँ बनाकर बेचा करता था। उसके हाथ का यह हुनर अब कॉच
की चूड़ियों के आ जाने से धीरे-धीरे खत्म होने लगा। उसकी यही व्यथा लेखक को परेशान
कर रही थी।
प्रश्न 5 मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया?
उत्तर- मशीनी युग के आ जाने से उसके हाथ का काम बंद हो गया काम न करने से वह
बीमार रहने लगा । अब उसके अन्दर हीन भावना भी आने लगी जो उसे दिन ब दिन कमजोर करने
लगी।
कहानी के आगे प्रश्न (पृष्ठ संख्या 11)
प्रश्न 1 आपने मेले-बाजार आदि में हाथ से बनी चीजों को बिकते देखा होगा। आपके
मन में किसी चीज को बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई हो और आपने कोई कारीगरी सीखने
का प्रयास किया हो तो उसके विषय में लिखिए।
उत्तर- मैंने बाजार में मिट्टी के खिलौनों बिकते और उन्हें बनते देखा है उनकी
सुंदरता को देखते हुए मुझे भी खिलौने बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई।
प्रश्न 2 लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के किन-किन राज्यों में होता है? लाख
से चूड़ियों के अतिरिक्त क्या-क्या चीजें बनती हैं? ज्ञात कीजिए।
उत्तर- लाख काम मुख्य रूप से राजस्थान में में होता है। वहॉ का लाख का काम पूरी
दुनिया में मशहूर है। लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त गोलियाँ, मूर्तियाँ तथा अन्य सजावटी
सामान बनता है।
अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 11)
प्रश्न 1 घर में मेहमान के आने पर आप उसका अतिथि-सत्कार कैसे करेंगे?
उत्तर- घर में मेहमान के आने पर हम सबसे पहले उसका अभिवादन करेंगे। उसके बाद
उसे अपने घर में उचित स्थान पर बैठाकर उसके लिए ना ते-पानी का प्रबंध करेंगे। उसको
हर प्रकार का अतिथि सत्कार प्रदान करेंगे।
प्रश्न 2 मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते हैं। आप अपने आस-पास
से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए।
उत्तर- बच्चे अपने घर आसपास के वातावरण और वहाँ की प्रचलित कला और उस पर मशीनी
प्रभाव का विश्लेषण अपनी योग्यता के अनुसार करेंगे।
प्रश्न 3 बाजार में बिकने वाले सामानों की डिजाइनों में हमेशा परिवर्तन होता
रहता है। आप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते हैं? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर- हम इन परिवर्तनों को समाज की सोच के अनुरूप देखते हैं, क्योंकि समाज
में वहीं चीज चलती है जिसे उस समय का समाज पसंद करता है।
भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 11-12)
प्रश्न 1 'बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूड़ियों से' और बदलू स्वयं
कहता है- "जो सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है लाख में कहाँ संभव है?'' ये
पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके
मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है। हारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में
बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर
एकत्रा कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या
करके लिखिए।
उत्तर- बदलू ने मेरी दृष्टि देख ली और बोल पड़ा, यही आखिरी जोड़ा बनाया था ज़मींदार
साहब की बेटी के विवाह पर, दस आनेपैसे मुझको दे रहे थे। मैंने जोड़ा नहीं दिया। कहा,
शहर से ले आओ।'
इस कथन में उसके ज़मींदार पर व्यंग्य करना है। जिस बदलू की चूड़ियों की धूम सारे
गाँव में नहीं अपितु आस पास के गाँवों में भी थीए लोग शादी विवाह पर उसको मुहँ माँगें
मूल्य दिया करते थेए ज़मींदार उसे दस आने देकर सन्तुष्ट करना चाहते थे।दूसरा व्यंग्य
उसने शहर पर किया है । ज़मींदार के द्वारा उसको सिर्फ़ दस आने देने पर उसने जमींदार
को चूड़ियाँ शहर से लाने के लिए कह दिया क्योंकि शहर की चूड़ियों का मूल्य उसकी चूड़ियों
से सहस्त्र गुना महँगा था।
आजकल सब काम मशीन से होता है खेत भी मशीन से जोते जाते हैं और फिर जो सुंदरता
काँच की चूड़ियों में होती है,लाख में कहाँ संभव है?
यहाँ पर प्रथम व्यंग्य बदलू ने मशीनों पर किया हैए दूसरा व्यंग्य काँच की चूड़ियों
पर। उसके अनुसार अब तो खेतों का सारा काम मशीनों से हो जाता है। आदमियों की ज़रूरत
क्या है और दूसरा काँच की चूड़ियों पर कि काँच की चूड़ियाँ दिखने में इतनी सुन्दर होती
है कि लाख की चूड़ियाँ भी इनके आगे फीकी लगती हैं। अर्थात् सुन्दरता के आगे दूसरी वस्तु
की गुणवत्ता का कोई मूल्य नहीं है।
प्रश्न 2 ‘बदलू’ कहानी की दृष्टि से पात्रा है और भाषा की बात (व्याकरण) की
दृष्टि से संज्ञा है। किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते
हैं। संज्ञा को तीन भेदों में बाँटा गया है
a.
व्यक्तिवाचक संज्ञा, जैसे-लला, रज्जो, आम, काँच, गाय इत्यादि
b.
जातिवाचक संज्ञा, जैसे-चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार
आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा।
c.
भाववाचक संज्ञा, जैसे-सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता
इत्यादि जिसमें कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार या वजन। परंतु उसका अनुभव होता है। पाठ
से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए।
उत्तर-
a.
व्यक्तिवाचक संज्ञा- जमींदार, मामा, बदलू।
b.
जातिवाचक संज्ञा- स्त्रियाँ, चारपाई, बेटी, बच्चे,
चूड़ियाँ।
c.
भाववाचक संज्ञा- बीमार, बेरोजगार, प्रसन्नता, व्यक्तित्व,
शांति, पढ़ाई।
प्रश्न 3 गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू
वक्त्त (समय) को बखत, उम्र (वय/ आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए
जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं।
उत्तर-
§ उम्र- उमर
§ मर्द- मरद
§ भैया- भइया
§ ग्राम- गाँव
§ अंबा- अम्मा
§ दुर्बल- दुबला
1.
लाख की चूड़ियाँ पहने, तो मोच आ जाए।
अर्थ- लाख की चूड़ियाँ काँच की चूड़ियों से भारी होती है। शायद अब औरतें लाख
की चूड़ियों का भार न सह सके।
2.
मशीनी युग है नए लला! आजकल सब काम मशीन से होता है।
अर्थ- अब मशीन का युग है। हर काम मशीन से होता है। इससे किसके जीवन पर क्या
असर पड़ता है इसकी किसी को कोई चिंता नहीं है।
3.
गाय कहाँ है लला! दो साल हुए बेच दी। कहाँ से खिलाता?
अर्थ- अब काँच को चूड़िया बनने के बाद कोई भी लाख की चूड़िया खरीदना पंसद नहीं
करता था क्योंकि वे काँच से महँगी थी। इससे बदलू की आर्थिक स्थिति खराब हो गई उसे खुद
के खाने के लिए नहीं था गाय को कैसे खिलाता।