Akbari lota class 8 chapter summary
“अकबरी लोटा” कहानी के मुख्य
पात्र लाला झाऊलाल का काशी के ठठेरी बाजार में एक मकान था। मकान के नीचे की
दुकानों से उन्हें 100/-रुपया मासिक (महीने का) किराया मिलता
था जिससे उनका गुजारा अच्छे से हो जाता था। आम तौर पर उनको पैसे की तंगी नही रहती
थी।
लेकिन
समस्या तब शुरू हुई जब एक दिन अचानक उनकी पत्नी ने ढाई सौ रुपए (250/-) लालाजी से मांग लिए।
मगर लालाजी के पास पत्नी को देने के लिए उस समय पैसे नहीं थे। इसलिए उन्होंने
थोड़ा सा मुंह बनाकर पत्नी की तरफ देखा।
इस
पर पत्नी ने अपने भाई से ढाई सौ रुपए मांग लेने की बात कही जिस पर लालाजी थोड़ा
तिलमिला गए। उनकी इज्जत का भी सवाल था। इसीलिए उन्होंने अपनी पत्नी से एक सप्ताह
के अंदर रुपए देने का वादा कर दिया।
लालाजी
ने अपनी पत्नी को पैसे देने का वादा तो कर दिया लेकिन घटना के चार दिन बीत जाने के
बाद भी लालाजी पैसों का प्रबंध न कर सके। पांचवें दिन लालाजी ने अपनी इस परेशानी
का ज़िक्र अपने मित्र पंड़ित बिलवासी मिश्रजी से किया । पंड़ित बिलवासी मिश्रजी ने
लाला जी को आश्वस्त किया कि वह किसी न किसी प्रकार रुपयों का इंतजाम कर उनकी
समस्या अवश्य हल कर देंगें ।
लेकिन
जब 6 दिन बीत जाने के बाद भी
पैसों का इंतजाम ना हो सका तो लालाजी अत्यधिक परेशान हो गए और अपनी छत पर जाकर
टहलने लगे। अचानक उन्होंने अपनी पत्नी से पीने के लिए पानी मँगवाया। पत्नी भी एक
बेढंगे से लोटे में पानी लेकर आ गई , जो लाला जी को बिल्कुल
भी पसंद नहीं था।
खैर
उन्होंने पत्नी से लोटा लिया और पानी पीने लगे। चिंता में वह लोटा अचानक उनके हाथ
से छूट गया और नीचे गली में खड़े एक अंग्रेज अधिकारी को नहलाता हुआ उसके पैरों पर जोर
से जा गिरा जिससे उसके पैर के अंगूठे में चोट आ गई।
अंग्रेज
अधिकारी का गुस्सा होना लाजमी था सो वह गुस्से से लाल पीला होकर , गालियां देता हुआ लालाजी
के घर में घुस गया। ठीक उसी समय पंड़ित बिलवासी मिश्र जी भी वहां पर प्रकट हो गए।
उन्होंने क्रोधित अंग्रेज अधिकारी को आराम से एक कुर्सी में बैठाया और झूठा गुस्सा
दिखा कर लालाजी से नाराज होने का नाटक करने लगे।
अंग्रेज
अधिकारी से थोड़ी देर बात करने के बाद , वो उस अंग्रेज अधिकारी के सामने उस बेढंगे से
लोटे को खरीदने में दिलचस्पी दिखाने लगे और उस अंग्रेज अधिकारी के सामने उस बेढंगे
व बदसूरत लोटे को ऐतिहासिक व बादशाह अकबर का लोटा बता कर उसका गुणगान करने लगे।
उसे बेशकीमती व मूल्यवान बताने लगे।
लोटे
की इतनी प्रशंसा सुनकर अंग्रेज अधिकारी भी लोटे को खरीदने के लिए लालायित हो उठा।
बस इसका ही फायदा पंड़ित बिलवासी मिश्रजी ने उठाया और रुपयों की बाजी लगानी शुरू कर
दी। दोनों बाजी लगाते गये और अंत में पंड़ित बिलवासी मिश्र ने 250/- रूपये की बाजी लगा दी
लेकिन अंग्रेज भी लोटे को लेने के लिए अत्यधिक लालायित था। इसीलिए उसने 500/-
रूपये की बाजी लगा दी।
अब
पंड़ितजी ने बड़ी होशियारी से अपनी लाचारी दिखाते हुए अंग्रेज अधिकारी से कहा कि
उनके पास तो सिर्फ 250/-
रूपये ही हैं। इसीलिए अधिक दाम चुकाने के कारण वो उस लोटे के हकदार
हैं । अंग्रेज अधिकारी ने लाला से उस लोटे को खुशी – खुशी खरीद लिया।
अंग्रेज
अधिकारी ने पंड़ित बिलवासी मिश्र को बताया कि वह उस अकबरी लोटे को ले जाकर अपने
पड़ोसी मेजर डग्लस को दिखाएगा क्योंकि मेजर डग्लस के पास एक “जहाँगीरी अंडा” है
जिसकी वह खूब तारीफ करता है।
अंग्रेज
के जाने के बाद पंड़ितजी ने लालाजी को पैसे दिए जिससे लालाजी बहुत प्रसन्न हुए।
उन्होंने पंड़ितजी को बहुत – बहुत धन्यवाद दिया। जब पंडित जी अपने घर जाने लगे तो
लालाजी ने उनसे ढाई सौ रुपयों के बारे में पूछा लिया।
मगर पंडित जी “ईश्वर ही जाने” कह कर अपने घर को चल दिए।
रात
में पंड़ितजी ने अपनी पत्नी के संदूक से अपने मित्र की मदद के लिये निकाले ढाई सौ
रुपयों को वापस उसी तरह , उसी संदूक में रख दिया और चैन की नींद सो गए।
NCERT SOLUTIONS
कहानी की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 92)
अकबरी लोटा question answer
प्रश्न 1 "लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते
थे।"
लाला झाउलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा
ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्यों रहे? अपने विचार लिखिए।
उत्तर- उनकी पत्नी लोटे में पानी लिए प्रकट हुईं और लोटा भी संयोग से वह जो
अपनी बेढंगी सूरत के कारण लाला झाऊलाल को सदा से नापसंद था। लाला ने लोटा ले लिया,
बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे ।उन्होंने यह भी सोचा कि लोटे में पानी
दे, तब भी गनीमत है, अभी अगर यूँ कर देता हूँ तो बालटी में भोजन मिलेगा।
प्रश्न 2 "लाला झाउलाल जी ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ
लिया।" आपके विचार से लाला झाउलाल ने कौन-कौन सी बातें समझ ली होंगी?
उत्तर- लोटा गिरने से अंग्रेज पूरा भीग गया था उसके साथ पूरी भीड़ भी उनके ऑगन
में घुस आई थी ऐसी स्थिति में लाला झाउलाल ने हाथ जोड़कर चुप रहना ही बेहतर समझा।
प्रश्न 3 अंग्रेज के सामने बिलवासी जी ने झाउलाल को पहचानने तक से क्यों इनकार
कर दिया था? आपके विचार से बिलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे? स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर- अंग्रेज के सामने बिलवासी जी ने लाला झाउलाल को पहचानने से इसलिए इंकार
कर दिया क्योंकि वे यदि उस समय लालाजी को पहचान जाते तो रुपयों का इंतजाम करना
बहुत मुश्किल था। क्योंकि वे अंग्रेज से रुपया ऐंठकर लालाजी को देना चाहते थे।
प्रश्न 4 बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था? लिखिए।
उत्तर- बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध करने के लिए अपने घर से रुपये चुराए
थे।
प्रश्न 5 आपके विचार से अंग्रेज ने यह लोटा क्यों खरीद लिया? आपस में चर्चा
करके वास्तविक कारण की खोज कीजिए और लिखिए।
उत्तर- अंग्रेज पुरानी चीजों का भाौकीन था और उसे कोई भी पुरानी चीज मिल जाए उसे
एंटीक पीस के रूप में खरीद लेता था उसने जब लोटा देखा तो उसे वह लोटा एंटीक पीस
लगा इसीलिए उसने वह लोटा एंटीक पीस के रूप में खरीद लिया।
अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 92-93)
प्रश्न 1 "इस भेद को मेरे सिवाए मेरा ईश्वर ही जानता है। आप उसी से पूछ
लीजिए। मैं नहीं बताउँगा।"
बिलवासी जी ने यह बात किससे और क्यों कही? लिखिए।
उत्तर- बिलवासी जी ने यह बात लाला झाउलाल से कही उन्होंने कहा कि इस भेद को
मेरे अलावा मेरा ईश्वर जानता है कि मैंने रुपयों का इंतजाम कहाँ से किया वह मै
आपको नहीं बताउँगा।
प्रश्न 2 "उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई।"
समस्या झाऊलाल की थी और नींद बिलवासी की उड़ी तो क्यों? लिखिए।
उत्तर- बिलवासी जी को उस रात देर तक इसलिए नींद नहीं आई क्योंकि वे अपनी पत्नी
के संदूक में से चुराए गए रुपये उस संदूक में रख्ना चाहते थे जिसकी चाबी उनकी
पत्नी के गले में सोने की जंजीर में बॅधी थी। वे पत्नी के सोने का इंतजार करते
रहें और रात के एक बजे पत्नी के सों जाने पर उन्होंन पत्नी के गले में से चाबी
निकाल कर और संदूक को खोलकर उसमें रुपये रख दिए।
प्रश्न 3 "लेकिन मुझे इसी जिंदगी में चाहिए।"
"अजी इसी सप्ताह में ले लेना।"
"सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से? झाऊलाल और उनकी
पत्नी के बीच की इस बातचीत से क्या पता चलता है? लिखिए।"
उत्तर- झाऊलाल ओर उनकी पत्नी की इस बातचीत से यही पता चलता है कि वे कितने कंजूस
व्यक्ति थे।
क्या होता यदि प्रश्न (पृष्ठ संख्या 93)
प्रश्न 1 अंग्रेज लोटा न खरीदता?
उत्तर- अंग्रेज लोटा न खरीदता तो लाला झाऊलाल अपनी पत्नी को तय समय पर पैसे न
दे पाते।
प्रश्न 2 यदि अंग्रेज पुलिस को बुला लेता?
उत्तर- लाला झाऊलाल को हर्जाना देना पड़ता और हो सकता है कि जेल भी हो जाती।
प्रश्न 3 जब बिलवासी जी अपनी पत्नी के गले से चाबी निकाल रहे थे, तभी उनकी
पत्नी जाग जाती?
उत्तर- यदि बिलवासी जी की पत्नी जाग जाती तो उन्हें सटीक जबाव देना पड़ता
जिसके लिए वे मानसिक तौर पर तैयार नहीं थे। ऐसी स्थिति में उनकी चोरी पकड़ी जाती।
पता कीजिए प्रश्न (पृष्ठ संख्या 93)
प्रश्न 1 "अपने वेग में उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो
गया।" उल्का क्या होती है? उल्का और ग्रहों में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर
होते हैं?
उत्तर- अपने वेग में उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो गया’- ये शब्द
लेखक ने लोटे के लिए कहे हैं क्योंकि लोटा उल्का की गति से भी तीव्र गति से नीचे
की ओर गिरा था। उल्का का निर्माण चट्टानों से होता है। यह तारों के चारों तरफ
घूमता है। कई बार यह अपने पथ पर चलते-चलते टूट जाता है और पृथ्वी की तरफ तेजी से
गिरता है और घर्षण के कारण यह तेजी से जलकर राख हो जाता है। इसके जलने पर चमक
उत्पन्न होती है, जिसे लोग ‘टूटतातारा’ भी कहते हैं।
ग्रहों और उल्काओं में समानताएँ-
1.
दोनों सूर्य के इर्द-गिर्द चक्कर
लगाते हैं।
2.
दोनों में चट्टानों के कणों का मिश्रण
पाया जाता है।
असमानताएँ-
1.
ग्रह अपनी धुरी पर घूमते हैं जबकि
उल्काओं की कोई निश्चित धुरी नहीं होती।
2.
ग्रहों का आकार बड़ा होता है जबकि
उल्काओं का बहुत छोटा।
प्रश्न 2 इस कहानी में आपने दो चीजों के बारे में मजेदार कहानियाँ पढ़ी। अकबरी
लोटे की कहानी और जहाँगीरी अंडे की कहानी। आपके विचार से ये कहानियाँ सच्ची हैं या
काल्पनिक?
उत्तर- दोनों कहानियाँ काल्पनिक हैं।
प्रश्न 3 अपने घर या कक्षा की किसी पुरानी चीज के बारे में ऐसी ही कोई मजेदार
कहानी बनाइए।
उत्तर- मेरे घर पर मेरे परदादा जी का चश्मा और लाठी हमने संभाल कर रखी है। घर
पर दादा जी और पापा जी इन दोनों चीजों को काफी हिफाजत के साथ रखते हैं मानो कि
उनके लिए ये चीजें सोने-चांदी के समान हो। भले ही इन चीजों का बाजार में कोई मोल न
हो, लेकिन इससे उनकी यादें जुड़ी हैं। इसलिए घरवालों के लिए परदादा जी की ये चीजें
बेशकीमती हैं। वे इन चीजों को हमेशा ध्यान रखते हैं ताकि वे गम न हो जाएँ| परिवार
के लोग वक्त-वक्त पर इनकी साफ़-सफाई करते हैं|
प्रश्न 4 बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबंध किया, वह सही था या
गलत?
उत्तर- बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबंध किया, वह गलत था।
"बिलवासी" जी ने अपने मित्र "लाला झाऊलाल” की सहायता करने के लिए
अपनी पत्नी के संदूक से रूपए चुराए थे और एक अंग्रेज़ से झूठ बोलकर रूपयों का
प्रंबध किया था। जो कि गलत था, उसे अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी को उल्लू नहीं
बनाना चाहिए।
भाषा की बात प्रश्न (पृष्ठ संख्या 93)
प्रश्न 1 इस कहानी में लेखक ने जगह-जगह पर सीधी-सी बात कहने के बदले रोचक
मुहावरों, उदाहरणों आदि के द्वारा कहकर अपनी बात को और अधिक मजेदार/ रोचक बना दिया
है। कहानी से वे वाक्य चुनकर लिखिए जो आपको सबसे अधिक मजेदार लगे।
उत्तर-
·
अजी इसी सप्ताह में ले लेना। सप्ताह
से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से?
·
उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल
हो गया।
·
लाला को काटो तो बदन में खून नहीं।
·
मेरी समझ में 'ही इज ए डेंजरस
ल्यूनाटिक' यानी, यह खतरनाक पागल है।
·
इस विवरण को सुनते-सुनते साहब की
आँखों पर लोभ और आश्चर्य का ऐसा प्रभाव पड़ा कि वे कौड़ी के आकार से बढ़कर पकौड़ी
के आकार की हो गईं।
प्रश्न 2 इस कहानी में लेखक ने अनेक मुहावरों का प्रयोग किया है। कहानी में से
पाँच मुहावरे चुनकर उनका प्रयोग करते हुए वाक्य लिखिए।
उत्तर- ऑखों से खा जाना (कोधित होना) बच्चे के जरा सी गलती करने पर उसके पिता
उसको एसे डॉटने लगे जैसे कि वे उसे ऑखो से खा जाएंगे।
बाप डमरू मॉ चिलम (बेढंगा आकार) मोहन के पास एसो पुराना बर्तन है जिसके आकार
को देखकर ऐसा लगता है मानो उसकी माँ डमरू और मॉ चिलम रही हो।
डींगें हॉकना (लम्बी चौड़ी खोखली बातें करना) नरेश अपने परिवार के बारे में
ऐसी उँची-उँची बातें करता है कि मानों डींगे हॉक रहा हो।
चैन की नींद सोना (आराम से सोना) कई दिनों तक मेहनत करने के बाद आज वह चैन की
नींद सो पाया है।
ऑख सेंकने के लिए भी न मिलना (दुर्लभ होना) अंग्रेज के लिए वह पुराना लोटा ऐसे था जैसे उसने कई दिन बाद अपनी ऑखें सेंकी हों।
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