Surdas Ke Pad Class 8 Question Answer

surdas ke pad class 8 vyakhya

पद

मैया , कबहिं बढ़ैगी चोटी ?

किती बार मोहिं दूध पियत भई , यह अजहूँ है छोटी।

तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं , ह्नै है लाँबी-मोटी।

काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै , नागिन सी भुइँ लोटी।

काचौ दूध पियावत पचि-पचि , देति न माखन-रोटी।

सूर चिरजीवौ दोउ भैया , हरि-हलधर की जोटी।

भावार्थ –

दरअसल भगवान कृष्ण दूध पीने में आनाकानी करते हैं। “दूध पीने से उनके बाल उनके बड़े भाई बलराम के जैसे लंबे और घने हो जाएंगे” , यह कहकर माता यशोदा जबरदस्ती कान्हा को दूध पिलाती है और लंबे और मोटे बालों के लोभ में कान्हा भी दूध पी जाते हैं। लेकिन दूध पीते-पीते काफी समय बीत जाने के बाद जब उनके बाल बड़े नहीं होते हैं तो , एक दिन कान्हा अपनी मैया से इस बारे में पूछते हैं। 

उपरोक्त पदों में कवि सूरदास ने कृष्ण की बाललीला का बहुत खूबसूरत वर्णन किया हैं। जिसमें वो अपनी माता यशोदा से शिकायत भरे लिहाज में पूछते हैं। हे माता !! उनकी चोटी कब बढ़ेगी , दूध पीते-पीते मुझे कितना समय हो गया हैं। फिर भी मेरी चोटी छोटी की छोटी ही हैं। मैया तू तो कहती थी कि दूध पीने से तुम्हारी चोटी भी बड़े भैया बलराम के जैसी लंबी व मोटी हो जायेगी।

और मैया तू तो यह भी कहती थी कि “बाल सवाँरते वक्त , चोटी बनाते वक्त और नहाने जाते वक्त मेरी चोटी किसी नागिन (सांप) के जैसे भूमि पर लोटपोट करने लगेगी”।

मैया यह सब बातें कह कर तू मुझे बार-बार कच्चा दूध पिलाती है और मुझे कभी भी मक्खन व रोटी खाने को नहीं देती हैं । सूरदास जी अपने ऐसे बाल गोपाल पर न्यौछावर होते हुए कहते हैं कि ऐसी सुन्दर बाल लीलायें करने वाले कृष्ण और उनके बड़े भाई हलधर (बलराम) की जोड़ी सदा बनी रहे।

पद

तेरैं लाल मेरौ माखन खायौ। 

दुपहर दिवस जानि घर सूनो ढूँढ़ि-ढँढ़ोरि आपही आयौ।

खोलि किवारि, पैठि मंदिर मैं , दूध-दही सब सखनि खवायौ। 

ऊखल चढ़ि , सींके कौ लीन्हौ , अनभावत भुइँ मैं ढ़रकायौ।। 

दिन प्रति हानि होति गोरस की , यह ढोटा कौनैं ढँग लायौ। 

सूर स्याम कौं हटकि न राखै तैं ही पूत अनोखौ जायौ।

भावार्थ –

उपरोक्त पदों में कवि सूरदास ने कृष्ण द्वारा किसी गोपी के घर माखन चोरी करने के बाद उस गोपी का माता यशोदा से शिकायत करने का बड़ा मनोहारी वर्णन किया।

सूरदास जी कहते हैं कि एक गोपी , माता यशोदा से कृष्ण की शिकायत ले कर आती हैं और कहती हैं कि हे यशोदा !! तेरा लल्ला (कृष्ण)  रोज मेरा सारा मक्खन खा जाता है। दोपहर के समय जब मेरे घर में कोई नहीं होता है।

यानि पूरा घर खाली होता हैं तो उस समय पूरी छानबीन कर कृष्ण पहले तो खुद मेरे घर के अंदर दाखिल होता हैं। फिर घर के दरवाजे खोल कर अपने दोस्तों को भी मेरे घर के अंदर बुला लेता हैं और फिर उनको सारा दूध दही खिला देता हैं।

हे यशोदा !! तेरा लल्ला कृष्ण ओखली पर चढ़कर छींके (मक्खन रखने की जगह) तक पहुँच जाता  हैं। फिर मक्खन के बर्तन से थोड़ा मक्खन खुद खा लेता हैं और बाकी जमीन में गिरा देता हैं। जिससे हर रोज़ गोरस (दूध , दही , मक्खन) का बड़ा नुकसान होता हैं। भला तेरे लड़के का खाने का यह कौन सा ढंग हैं।

सूरदास जी कहते हैं कि

वह गोपी शिकायत भरे लहजे में यशोदा से कहती हैं कि हे यशोदा !! इतनी सब शरारत या नुकसान करने के बाद भी तुम अपने कान्हा को कभी डाँटती या टोकती क्यों नहीं हो ? यानि कृष्ण हमारे दूध और मक्खन का इतना नुकसान करता हैं। फिर भी तुम उसे कभी यह सब करने से रोकती क्यों नहीं हो ? क्या तुमने किसी अनोखे बच्चे को जन्म दिया हैं।


 

 SURDAS KE PAD Class 8 QUESTION ANSWER

पदों से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 96)

पदों से प्रश्न (पृष्ठ संख्या 96)

प्रश्न 1 बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?

उत्तर- मॉ यशोदा के अनुसार यदि वे खूब सारा दूध पिएंगे तो उनकी चोटी जल्दी से बढ़ जाएगी और उनके बड़े भाई बलराम की तरह मोटी भी हो जाएगी। इसी लालच में दूध पीने के लिए तैयार हो गए।

प्रश्न 2 श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?

उत्तर- श्रीकृष्ण यही सोच रहे थे कि जब मेरी चोटी बलराम भैया की तरह बड़ी और मोटी हो जाएगी तक मेरी चोटी भी खुल कर नागिन की तरह लहराएगी।

प्रश्न 3 दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?

उत्तर- माखन-रोटी के सामने श्रीकृष्ण को दूध भी अच्छा नहीं लगता।

प्रश्न 4 'तैं ही पूत अनोखौ जायौ–पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?

उत्तर- ग्वालन के मन में यह ईर्ष्या है कि श्रीकृष्ण यशोदा के बेटे हैं उनका पुत्र ऐसा नहीं है। इसीलिए वह श्रीकृष्ण के मक्खन चुराने का उलाहना देकर उन्हें ताने देते हुए कहती है कि केवल तुम्हारा ही अनोखा बेटा है हमारे तो बेटे नहीं है।

प्रश्न 5 मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?

उत्तर- श्रीकृष्ण अपनी मंडली के साथ ही लोगों के घरों में मक्खन चुराते हुए घूमते हैं वे खुद भी खाते हैं और अपने सखाओं को भी खिलाते हैं मक्खन गिराते इसलिए हैं ताकि चोरी का अपराध अन्य सखाओं पर डाला जा सके।

प्रश्न 6 श्रीकृष्ण अपनी मंडली के साथ ही लोगों के घरों में मक्खन चुराते हुए घूमते हैं वे खुद भी खाते हैं और अपने सखाओं को भी खिलाते हैं मक्खन गिराते इसलिए हैं ताकि चोरी का अपराध अन्य सखाओं पर डाला जा सके।

उत्तर-  दोनों पदों में पहला पद सबसे अच्छा लगा क्योंकि इसमें मॉ यशोदा और श्रीकृष्ण का मनोहारी संवाद हैं। जिसमें एक तरफ मॉ हर बहाने से उन्हें दूध पिलाना चाहती हैं और दूसरी तरफ वे चोटी न बढ़ने से मॉ को झूठमूठ बहलाने का आरेप लगाते हैं। वे जल्दी से जल्दी अपनी चोटी बलराम भैया की तरह बड़ी करना चाहते हैं इसीलिए वे जल्दी से दूध को पीने को तैयार हो जाते हैं।

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 96)

प्रश्न 1 दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?

उत्तर- इस पद को पढ़कर ऐसा लगता है कि उस समय उनकी उम्र पॉच से दस साल के बीच रही होगी।

प्रश्न 2 ऐसा हुआ हो कभी कि माँ के मना करने पर भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा-बहुत खा लिया हो और चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना भी बनाया हो। अपनी आपबीती की तुलना श्रीकृष्ण की बाल लीला से कीजिए।

उत्तर- मेरी पसंदीदा मिठाई गुलाब-जामुन रही है। जब भी घर में गुलाब जामुन आते हैं तो मां मुझे सबसे पहले और सबसे ज्यादा देती है। एक दिन मेरे छोटे भाई का जन्मदिन था। तब मां ने घर पर 200 गुलाब जामुन बनाए थे। हमारे घर में करीब 50 मेहमान आए होंगे। सबने जी भर के गुलाब जामुन खाया और फिर भी बहुत सारे बच गए। मां मुझे हर रोज दो गुलाब जामुन देती थी। लेकिन उतने से मेरा मन नहीं भरता था। मैं चुपके से दो और गुलाब जामुन निकालकर खा जाया करता था। धीरे धीरे मैंने दो के चार गुलाब जामुन कर दिया। जब वो जल्द ही खत्म होने लगे तब मेरी मां को शक हो गया कि मैंने ही वो सारे गुलाब जामुन खाए हैं। तब मेरी मां ने मुझसे डांटते हुए पूछा। मां की डांट सुन मैंने भी गुलाब जामुन खाने की बात कबूल ली। श्रीकृष्ण की तरह खाने को लेकर मुझे भी डांट सुननी पड़ी। अब मैं मां की बात मानता हूं और चोरी करके कभी नहीं खाता।

प्रश्न 3 किसी ऐसी घटना के विषय में लिखिए जब किसी ने आपकी शिकायत की हो और फिर आपके किसी अभिभावक; माता-पिता, बड़ा भाई-बहिन इत्यादि ने आपसे उत्तर माँगा हो।

उत्तर- ऐसा बच्चों के साथ अक्सर होता रहता है, और उनको अपने अविभावक को सफाई देनी पड़ती हैं।

अनुमान और कल्पना प्रश्न (पृष्ठ संख्या 96-97)

प्रश्न 1 श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।

उत्तर-  माखनचोर।

प्रश्न 2 श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।

उत्तर-

·       बंशीधर।

·       चक्रधर।

·       माखनचोर।

·       द्वारकाधीश।

·       कन्हैया।

प्रश्न 3 कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थवाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे-

पर्यायवाची-

·       चंद्रमा– शशि, इंदु, राका

·       मधुकर– भ्रमर, भौंरा, मधुप

·       सूर्य– रवि, भानु, दिनकर

विपरीतार्थक-

·       दिन– रात

·       श्वेत– श्याम

·       शीत– ऊष्ण

पाठ से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।

उत्तर-

पर्यायवाची शब्द-

·       मैया– माँ, माता

·       बलराम– हलधर, दाऊ

·       काढ़त– निकालना, गूंथना

·       बेनी– चोटी, शिखा

·       दूध– दुग्ध, पय

विपरीतार्थक शब्द-

·       संग्रह– विग्रह

·       रात– दिन

·       लंबा– छोटा

·       विज्ञ– अज्ञ

·       प्रकट– ओझल 

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