The poem Ghar Ki Yaad in Class 11 Hindi takes students on a heartfelt journey back to the comfort and warmth of home. This chapter in the Hindi Aroh textbook captures the essence of nostalgia, the ache of separation, and the deep-seated yearning for the solace of one's own space. It's a universal narrative that resonates with every heart that throbs with memories of home.
At WitKnowLearn, we delve into the emotions conveyed in Ghar Ki Yaad with empathy and understanding, offering clear and concise summaries, thoughtful explanations, and well-structured answers to the questions related to this chapter. Each explanation is designed to ensure that students don't just memorize the lines but also connect with the emotions and imagery presented in the poem.
The vyakhya, or detailed explanation of Ghar Ki Yaad, is crafted to simplify the complex emotions and literary devices used, allowing Class 11 students to appreciate the poem's beauty and depth. Our resources aim to make learning an emotional journey as much as an educational one, ensuring that students can fully grasp the poem's significance.
For those looking to answer questions from Class 11 Hindi Chapter 3, our resources serve as a guiding light, making sure that every learner is well-equipped to tackle their exams with confidence. We break down the themes and help students engage with the text, preparing them to answer any question that might come their way.
In essence, Ghar Ki Yaad is more than just a chapter in a textbook; it is a reflection of a common emotional experience. And here at WitKnowLearn, we bridge the gap between literary exploration and personal reflection, making the journey through Class 11 Hindi as enriching as the feeling of coming home.
अध्याय-3: घर की याद
सारांश
आज पानी गिर रहा है,
बहुत पानी गिर रहा है,
रात भर गिरता रहा है,
प्राण-मन धिरता रहा है,
बहुत पानी गिर रहा हैं,
घर नजर में तिर रहा है,
घर कि मुझसे दूर है जो,
घर खुशी का पूर हैं जो,
घर कि घर में चार भाई,
मायके में बहिन आई,
बहिन आई बाप के घर,
हाय रे परिताप के घर।
घर कि घर में सब जुड़े हैं,
सब कि इतने कब जुड़े हैं,
चार भाई चार बहिन,
भुजा भाई प्यार बहिन,
और माँ बिन-पढ़ी मोरी,
दु:ख में वह गढ़ी मेरी
माँ कि जिसकी गोद में सिर,
रख लिया तो दुख नहीं फिर,
माँ कि जिसकी स्नेह-धारा,
का यहाँ तक भी पसारा,
उसे लिखना नहीं आता,
जो कि उसका पत्र पाता।
पिता जी जिनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
जो अभी भी दौड़ जाएँ
जो अभी भी खिलखिलाएँ,
मौत के आगे न हिचकें,
शर के आगे न बिचकें,
बोल में बादल गरजता,
काम में झझ लरजता,
अर्थ - सावन की बरसात में कवि को घर के सभी सदस्यों की याद आती है। उसे अपनी माँ की
याद आती है। उसकी माँ अनपढ़ है। उसने बहुत कष्ट सहन किया है। वह दुखों में ही रची हुई
है। माँ बहुत स्नेहमयी है। उसकी गोद में सिर रखने के बाद दुख शेष नहीं रहता अर्थात्
दुख का अनुभव नहीं होता। माँ का स्नेह इतना व्यापक है कि जेल में भी कवि उसको अनुभव
कर रहा है। वह लिखना भी नहीं जानती। इस कारण उसका पत्र भी नहीं आ सकता। कवि अपने पिता
के बारे में बताता है कि वे अभी भी चुस्त हैं। बुढ़ापा उन्हें एक क्षण के लिए भी आगोश
में नहीं ले पाया है। वे आज भी दौड़ सकते हैं तथा खूब खिल-खिलाकर हँसते हैं। वे इतने
साहसी हैं कि मौत के सामने भी हिचकते नहीं हैं तथा शेर के आगे डरते नहीं है। उनकी वाणी
में ओज है। उसमें बादल के समान गर्जना है। जब वे काम करते हैं तो उनसे तूफ़ान भी शरमा
जाता है अर्थात् वे तेज गति से काम करते हैं।
आज गीता पाठ करके,
दंड दो सौ साठ करके,
खूब मुगदर हिला लेकर,
मूठ उनकी मिला लेकर,
जब कि नीचे आए होंगे,
नैन जल से छाए होंगे,
हाय, पानी गिर रहा है,
घर नजर में तिर रहा हैं,
चार भाई चार बहिनें
भुजा भाई प्यार बहिनें
खेलते या खड़े होंगे,
नजर उनकी पड़े होंगे।
पिता जी जिनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
रो पड़े होंगे बराबर,
पाँचवें का नाम लेकर,
अर्थ - कवि अपने पिता के विषय में बताता है कि आज वे गीता का पाठ करके, दो सौ साठ
दंड-बैठक लगाकर, मुगदर को दोनों हाथों से हिलाकर व उनकी मूठों को मिलाकर जब वे नीचे
आए होंगे तो उनकी आँखों में पानी आ गया होगा। कवि को याद करके उनकी आँखें नम हो गई
होंगी। कवि को घर की याद सताती है। घर में चार भाई व चार बहनें हैं जो सुरक्षा व प्यार
में बँधे हैं। उन्हें खेलते या खड़े देखकर पिता जी को पाँचवें की याद आई होगों और वे
जिन्हें कभी बुढ़ापा नहीं व्यापा था, कवि का नाम लेकर रो पड़े होंगे।
पाँचवाँ मैं हूँ अभागा,
जिसे सोने पर सुहागा,
पिता जी कहते रहे हैं,
प्यार में बहते रह हैं,
आज उनके स्वर्ण बेटे,
लगे होंगे उन्हें हेटे,
क्योंकि मैं उन पर सुहागा
बाँधा बैठा हूँ अभागा,
अर्थ - कवि कहता है कि वह उनका भाग्यहीन पाँचवाँ पुत्र है। वह उनके साथ नहीं है, परंतु
पिता जी को सबसे प्यारा है। जब भी कभी कवि के बारे में चर्चा चलती है तो वे भाव-विभोर
हो जाते हैं। आज उन्हें अपने सोने जैसे बेटे तुच्छ लगे होंगे, क्योंकि उनका सबसे प्यारा
बेटा उनसे दूर जेल में बैठा है।
और माँ ने कहा होगा,
दुख कितना बहा होगा,
आँख में किसलिए पानी
वहाँ अच्छा है भवानी
वह तुम्हारी मन समझकर,
और अपनापन समझकर,
गया है सो ठीक ही है,
यह तुम्हारी लीक ही है,
पाँव जो पीछे हटाता,
कोख को मेरी लजाता,
इस तरह होआो न कच्चे,
रो पड़गे और बच्चे,
अर्थ - माँ ने पिता जी को समझाया होगा। ऐसा करते समय उसके मन में भी बहुत दु:ख बहा
होगा। वह कहती है कि भवानी जेल में बहुत अच्छा है। तुम्हें आँसू बहाने की जरूरत नहीं
है। वह आपके दिखाए मार्ग पर चला है और इसे अपना उद्देश्य बनाकर गया है। यह ठीक है।
यह तुम्हारी ही परंपरा है। यदि वह आगे बढ़कर वापस आता तो यह मेरे मातृत्व के लिए लज्जा
की बात होती। अत: तुम्हें अधिक कमजोर होने की जरूरत नहीं है। यदि तुम रोओगे तो बच्चे
भी रोने लगेंगे।
NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 11 HINDI AAROH POEM 3
अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 156-157)
कविता के
साथ
प्रश्न.
1 पानी के रात भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है?
उत्तर- कवि
अपने घर से बहुत दूर जेल में कैद है। उसे घर से दूर रहने की पीड़ा है। आकाश में बादल
घिरकर बारिश करने लगते हैं। ऐसे में कवि के मन को स्मृतियाँ घेर रही हैं। जैसे-जैसे
पानी गिर रहा है, वैसे-वैसे कवि के हृदय में प्रियजनों की स्मृतियाँ चलचित्र की तरह
उभरती जा रही हैं। पानी के बरसने के कारण ही उसके प्राण व मन घर की याद में व्याकुल
हो जाते हैं।
प्रश्न.
2 मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को परिताप का घर क्यों कहा है?
उत्तर- सावन
का महीना उत्तर भारत में बहन-बेटियों के मायके आने का महीना है। आज पानी गिरने से कवि
को बहनों के आने पर हँसी-खुशी से भर जानेवाले घर की याद आती है और वह जानता है कि इस
वर्ष बहनों को केवल चार भाई मिलेंगे और पाँचवें (कवि स्वयं) का अभाव घरभर को दुख से
भर देगा। भाई जेल में यातना झेल रहा है, वह उन सबसे दूर है। इसलिए भुजाओं के समान सहयोग
देनेवाले चारों भाई और प्यार का प्रतीक बहनें और माता-पिता सभी दुखी हैं। यह बात दूर
जेल में बैठा कवि जानता है। इसीलिए वह घर को परिताप (दुख) का घर कह रहा है।
प्रश्न.
3 पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?
उत्तर- कविता
में पिता के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं को उकेरा गया है-
पिता जी पूर्णत:
स्वस्थ हैं। बुढ़ापे ने उन्हें छुआ तक नहीं।
·
वे खिलखिलाकर हँसते हैं।
·
वे दौड़ लगाते हैं तथा दंड
पेलते हैं।
·
वे मौत के सामने आने पर भी
नहीं डरते।
·
वे तूफ़ान की रफ़्तार से काम
करने की क्षमता रखते हैं।
·
वे गीता का पाठ करते हैं।
·
वे भावुक प्रवृत्ति के हैं।
अपने पाँचवें बेटे को याद करके उनकी आँखें भर आती हैं।
·
वे देश-प्रेमी हैं। उनकी प्रेरणा
पर ही कवि ने स्वाधीनता आंदोलन में भाग लिया।
प्रश्न.
4 निम्नलिखित पंक्तियों में बस शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए –
मैं मजे में
हूँ सही है,
घर नहीं हूँ
बस यही है,
किंतु यह
बस बड़ा बस है,
इसी बस से
सब विरस है।
उत्तर- एक
ही शब्द बस’ का अनेक बार प्रयोग और अलग-अलग अर्थ में प्रयोग कर कवि ने यमक अलंकार से
भी अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया है। सबसे पहले कवि कहता है कि मैं बिलकुल ठीक हूँ, बस
अर्थात् केवल यह बात है कि घर पर आपके साथ नहीं हूँ। कवि आगे कहता है कि यह बस अर्थात्
केवल अपने-आप में बड़ी बात है। वह कहना चाहता है कि घर से दूर रहना मामूली बात नहीं।
पर इस बस पर वश नहीं है, यह विवशता है। इस विवशता ने सब कुछ विरस अर्थात् रसहीन कर
दिया है अर्थात् मात्र घर से दूर रहना जीवन के सभी रसों को सोख रहा है। इन पंक्तियों
में बस मात्र केवल, बस वश, नियंत्रण, समापन के अर्थ में प्रयुक्त किया गया है जो एक
चमत्कारपूर्ण प्रयोग है। सहज शब्दों में ऐसे प्रयोग भवानी प्रसाद मिश्र ही कर सकते
हैं।
प्रश्न.
5 कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मन:स्थिति
को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है?
उत्तर- कवि
जेल में है। वह सावन को कहता है कि वह उसके परिवार वालों को उसकी निराशा के बारे में
न बताए। यहाँ का दुखदायी माहौल, कवि का मौन रहना, आम आदमी से दूर भागना, रातभर जागते
रहना, तनाव व निराशा के कारण स्वयं तक को न पहचानना आदि स्थितियाँ नहीं बताने का आग्रह
करता है। वह उसे चेतावनी भी देता है कि वह कहीं सब कुछ सही न बक दे। उसके बताने के
तरीके से भी परिवार वालों को संदेह नहीं होना चाहिए। कवि अपने माता-पिता को कोई पीड़ा
नहीं देना चाहता। वह उन्हें खुश देखना चाहता है।
कविता के
आस-पास
प्रश्न.
1 ऐसी पाँच रचनाओं का संकलन कीजिए जिसमें प्रकृति के उपादानों की कल्पना संदेशवाहक
के रूप में की गई है।
उत्तर- पुस्तकालय
में जाकर ‘मेघदूत’, ‘भगवान के डाकिए’ जैसी पाँच रचनाएँ संकलित कीजिए।
प्रश्न.
2 घर से अलग होकर आप घर को किस तरह से याद करते हैं? लिखें।
उत्तर- घर हमारे लिए स्वर्ग-सा सुखकर और सबसे आत्मीय स्थान होता है। घर से दूर रहकर भी हमारा मन पल-पल घर के विषय में ही कल्पनाएँ करता रहता है। हर परिस्थिति में हम सोचते रहते हैं कि इस समय मेरे घर में क्या हो रहा होगा, मेरी माँ क्या कर रही होंगी? मेरे पिता जी क्या कर रहे होंगे ? मेरे भाई-बहन मुझे याद कर रहे होंगे। कोई त्योहार हो या मौसम बदले, सरदी-गरमी-वर्षा हर परिवर्तन हमने अपने घर में देखा है तो घर से दूर होने पर हम हर स्थिति में यही सोचते हैं कि यहाँ तो ऐसा है, पर मेरे घर में वही हो रहा होगा जो मेरे सामने होता था। घर का सुख, घर के भोजन का स्वाद तक हमें याद रहता है। संसार के किसी भी कोने में हम नए-नए पकवानों की तुलना भी अपने घर के खाने से करते। रहते हैं। विदेश जाकर अपने त्योहार, संस्कार-पूजा के तरीके, घर की धूप-छाँव, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सब कुछ को याद करते हैं। उसे जीवन का सहारा, शरण-स्थली मानते हैं।