He Bhukh Mat Machal Class 11 Question Answer

In Class 11 Hindi, students encounter the chapter on Akka Mahadevi, a celebrated saint and poetess whose profound devotion is depicted through her vachanas or poetic verses. Alongside this, the poem 'He Bhukh Mat Machal' addresses the philosophical aspect of hunger and desire.

Studying Akka Mahadevi's poetry helps students explore themes of spirituality, while 'He Bhukh Mat Machal' prompts them to reflect on the nature of human cravings. Questions about Akka Mahadevi's chapters often lead to discussions about the meaning of renunciation, devotion, and the search for the divine, which are central to her writings. On the other hand, 'He Bhukh Mat Machal' compels students to think about the psychological and emotional aspects of hunger.

The phrase 'Apna Ghar' in the context of Akka Mahadevi's poetry is a metaphor for the soul or the inner sanctuary of self-realization and unity with the divine. It suggests a journey of returning to one’s own spiritual essence and true identity.

For both chapters, the question and answer sections aim to enhance students' understanding of these deep and sometimes abstract concepts. They are crafted to ensure that students not only find the correct answers but also appreciate the symbolic and literal meanings within the poems.

At WitKnowLearn, we make sure that the explanations, summaries, and question answers are clear and comprehensive, aiding students in grasping the essence of the verses and the intentions of the poets. Understanding these chapters allows students to engage with the text on a deeper level, preparing them for their exams and enriching their knowledge of Hindi literature's spiritual and philosophical dimensions.

अध्याय-8: हे भूख! मत मचल

सारांश


हो भूख ! मत मचल

प्यास, तड़प मत हे

हे नींद! मत सता

क्रोध, मचा मत उथल-पुथल

हे मोह! पाश अपने ढील

 

लोभ, मत ललचा

मद ! मत कर मदहोश

ईर्ष्या, जला मत

अो चराचर ! मत चूक अवसर

आई हूँ सदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का

अर्थ - इसमें अक्क महादेवी इंद्रियों से आग्रह करती हैं। वे भूख से कहती हैं कि तू मचलकर मुझे मत सता। सांसारिक प्यास को कहती हैं कि तू मन में और पाने की इच्छा मत जगा। हे नींद ! तू मानव को सताना छोड़ दे, क्योंकि नींद से उत्पन्न आलस्य के कारण वह प्रभु-भक्ति को भूल जाता है। हे क्रोध! तू उथल-पुथल मत मचा, क्योंकि तेरे कारण मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है। वह मोह को कहती हैं कि वह अपने बंधन ढीले कर दे। तेरे कारण मनुष्य दूसरे का अहित करने की सोचता है। हे लोभ! तू मानव को ललचाना छोड़ दे। हे अहंकार! तू मनुष्य को अधिक पागल न बना। ईष्य मनुष्य को जलाना छोड़ दे। वे सृष्टि के जड़-चेतन जगत् को संबोधित करते हुए कहती हैं कि तुम्हारे पास शिव-भक्ति का जो अवसर है, उससे चूकना मत, क्योंकि मैं शिव का संदेश लेकर तुम्हारे पास आई हैं। चराचर को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

मँगवाओ मुझसे भीख

और कुछ ऐसा करो

कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह

झोली फैलाऊँ और न मिले भीख

 

कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को

तो वह गिर जाए नीचे

और यदि में झूकूं उसे उठाने

तो कोई कुत्ता आ जाए

और उसे झपटकर छीन ले मुझसे।

अर्थ - कवयित्री ईश्वर से प्रार्थना करती है कि हे जूही के फूल को समान कोमल व परोपकारी ईश्वर! आप मुझसे ऐसे-ऐसे कार्य करवाइए जिससे मेरा अह भाव नष्ट हो जाए। आप ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न कीजिए जिससे मुझे भीख माँगनी पड़े। मेरे पास कोई साधन न रहे। आप ऐसा कुछ कीजिए कि मैं पारिवारिक मोह से दूर हो जाऊँ। घर का मोह सांसारिक चक्र में उलझने का सबसे बड़ा कारण है। घर के भूलने पर ईश्वर का घर ही लक्ष्य बन जाता है। वह आगे कहती है कि जब वह भीख माँगने के लिए झोली फैलाए तो उसे कोई भीख नहीं दे। ईश्वर ऐसा कुछ करे कि उसे भीख भी नहीं मिले। यदि कोई उसे कुछ देने के लिए हाथ बढ़ाए तो वह नीचे गिर जाए। इस प्रकार वह सहायता भी व्यर्थ हो जाए। उस गिरे हुए पदार्थ को वह उठाने के लिए झुके तो कोई कुत्ता उससे झपटकर छीनकर ले जाए। कवयित्री त्याग की पराकाष्ठा को प्राप्त करना चाहती है। वह मान-अपमान के दायरे से बाहर निकलकर ईश्वर में विलीन होना चाहती है।

 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 11 HINDI AAROH POEM 6

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 172)

प्रश्न. 1 लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं-इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।

उत्तर- लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं। मनुष्य की इंद्रियों का कार्य है-स्वयं को तृप्त करना। इनकी तृप्ति के चक्कर में मनुष्य जीवन भर भटकता रहता है। इंद्रियाँ मनुष्य को भ्रमित करती हैं तथा उसे कर्महीनता की तरफ प्रेरित करती हैं। इसके लिए इंद्रियों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। किसी लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब मन में एकाग्रता हो तथा इंद्रियों को वश में रखकर परिश्रम किया जाए। प्रत्येक लक्ष्य में इंद्रियाँ बाधक बनती हैं, परंतु बुदधि द्वारा उनको वश में किया जा सकता है।

प्रश्न. 2 ओ चराचर! मत चूक अवसर-इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- यह पंक्ति अक्कमहादेवी अपने प्रथम वचन में उस समय कहती हैं जब वे अपने समस्त विकारों को शांत हो जाने के लिए। कह चुकी हैं। इसका आशय है कि इंद्रियों के सुख के लिए भाग-दौड़ बंद करने के पश्चात् ईश्वर प्राप्ति का मार्ग सरल हो जाता है। अतः चराचर (जड़-चेतन) को संबोधित कर कहती हैं कि तू इस मौके को मत खोना। विकारों की शांति के पश्चात् ईश्वर प्राप्ति का अवसर तुम्हारे हाथ में है, इसका सदुपयोग करो।

प्रश्न. 3 ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है। ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।

उत्तर- ईश्वर के लिए जूही के फूल का दृष्टांत दिया गया है। जूही का फूल कोमल, सात्विक, सुगंधित व श्वेत होता है। यह लोगों का मन मोह लेता है। वह बिना किसी भेदभाव के सबको खुशबू बाँटता है। इसी तरह ईश्वर भी सभी प्राणियों को आनंद देता है। वह कोई भेदभाव नहीं करता तथा सबका कल्याण करता है।

प्रश्न. 4 अपना घर से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों कही गई है?

उत्तर अपना घर से तात्पर्य सांसारिक मोह-माया से है। संसार की वह चीजें जो हमें अपने-आप में उलझा लेती हैं, जिनसे हम प्रेम करते हैं वे हमारे ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में बाधक होती हैं। यदि हम उन्हें भूल जाएँ तो ईश्वर की ओर हमारा मन पूरी एकाग्रता के साथ लगता है। इसीलिए उन्हें भूल जाने की बात कही गई है।

प्रश्न. 5 दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?

उत्तर- दूसरे वचन में ईश्वर से सब कुछ छीन लेने की कामना की गई है। कवयित्री ईश्वर से प्रार्थना करती है कि वह उससे सभी तरह के भौतिक साधन, संबंध छीन ले। वह ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करे कि वह भीख माँगने के लिए मजबूर हो जाए। इससे उसका अहभाव नष्ट हो जाएगा। दूसरे, भूख मिटाने के लिए जब वह झोली फैलाए तो उसे भीख न मिले। अगर कोई देने के लिए आगे आए तो वह भीख नीचे गिर जाए। जमीन पर गिरी भीख को भी कुत्ता झपटकर ले जाए। वस्तुत: कवयित्री ईश्वर से सांसारिक लगाव को समाप्त करने के लिए कामना करती है ताकि वह ईश्वर में ध्यान एकाग्र भाव से लगा सके।

कविता के आस-पास

प्रश्न. 1 क्या अक्कमहादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जा सकता है? चर्चा करें।

उत्तर- हाँ, अक्क महादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जा सकता है। दोनों ने वैवाहिक जीवन को तोड़ा। दोनों ने सामाजिक बंधनों को नहीं माना। मीरा कृष्ण की दीवानी थी। उसने अपने जीवन में कृष्ण को अपना लिया था। इसी तरह अक्क महादेवी शिव की भक्त थीं। वे सांसारिकता को त्यागकर शिव के प्रति समर्पित थीं। वे मीरा से भी एक कदम आगे थीं। उन्होंने तो वस्त्र भी त्याग दिए थे। यह कार्य उन्हें योगियों के समक्ष लाकर खड़ा कर देता है।

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