Diary Ka Ek Panna is one of the intriguing chapters that class 10th students encounter in their Hindi curriculum. It’s like a window into someone's personal thoughts, experiences, and moments that are both intimate and enlightening. For students looking to delve deep into this chapter, exploring the question answers for Diary Ka Ek Panna is a great way to start. These question answers are not just about recalling what's written but also about connecting with the emotions and the experiences that the diary entry is trying to convey.
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As for the Diary Ka Ek Panna questions and answers, these are carefully designed to test students' comprehension of the chapter. Answering these questions requires students to think critically and reflect on what they have read. It's not just about what is written in the diary entry, but also about the underlying message and the insights it provides into human emotions and life.
Teachers and parents should encourage students to also focus on the Diary Ka Ek Panna important questions. These questions often target the central ideas of the chapter and are likely to appear in exams. Being well-prepared with these can give students an edge.
In conclusion, Diary Ka Ek Panna in class 10th is more than just another chapter in the Hindi textbook. It's an opportunity for students to understand the art of diary writing and the significance of expressing one's thoughts and feelings. The question answers associated with it are key to developing a deeper understanding and appreciation for this personal yet universal form of writing.
अध्याय-8: डायरी का एक पन्ना
सारांश
इस पाठ में लेखक सीताराम सेकसरिया ने 26 जनवरी
1931 को कोलकाता में मनाए गए स्वतंत्रता दिवस का विवरण प्रस्तुत किया है। लेखक ने बताया
है की भारत में स्वतंत्रता दिवस पहली बार 26 जनवरी 1930 में मनाया गया था परन्तु उस
साल कोलकाता की स्वतंत्रता दिवस में ज्यादा हिस्सेदारी नही थी परन्तु इस साल पूरी तैयारियाँ
की गई थीं। केवल प्रचार में दो हजार रूपए खर्च किये गए थे। लोगों को घर-घर जाकर समझाया
गया।
बड़े बाजार के प्रायः मकानों पर तिरंगा फहराया गया
था। कलकत्ता के हर भाग में झंडे लगाये गए थे, ऐसी सजावट पहले कभी नही हुई थी। पुलिस
भी प्रत्येक मोड़ में तैनात होकर अपनी पूरी ताकत से गश्त दे रही थी। घुड़सवारों का भी
प्रबंध था।
मोनुमेंट के नीचे जहाँ सभा होने वाली थी उस जगह
को पुलिस ने सुबह छः बजे ही घेर लिया फिर भी कई जगह सुबह में ही झंडा फहराया गया। श्रद्धानंद
पार्क में बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू ने जब झंडा गाड़ा तब
उन्हें पकड़ लिया। तारा सुंदरी पार्क में बड़ा-बाजार कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री
हरिश्चंद्र सिंह को झंडा फहराने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया। वहाँ मारपीट भी हुई
जिसमे दो-चार लोगों के सिर फट गए तथा गुजरात सेविका संघ की ओर से निकाले गए जुलुस में
कई लड़कियों को गिरफ्तार किया गया।
मारवाड़ी बालिका विद्यालय की लड़कियों ने 11 बजे झंडा
फहराया। जगह- जगह उत्सव और जुलुस के फोटो उतारे गए। दो-तीन कई आदमियों को पकड़ लिया
गया जिनमें पूर्णोदास और परुषोत्तम राय प्रमुख थे। सुभाष चन्द्र बोस के जुलुस का भार
पूर्णोदास पर था।
स्त्री समाज भी अपना जुलुस निकालने और ठीक स्थान
पर पहुँचनें की कोशिश कर रहीं थीं। तीन बजे से ही मैदान में भीड़ जमा होने लगी और लोग
टोलियां बनाकर घूमने लगे। इतनी बड़ी सभा कभी नही की गयी थी पुलिस कमिश्नर के नोटिस के
आधार पर अमुक-अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती थी और भाग लेने वाले व्यक्तियों
को दोषी समझा जाएगा। कौंसिल के नोटिस के अनुसार चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया
जाना था और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जानी थी।
ठीक चार बजे सुभाष चन्द्र बोस जुलुस के साथ आए।
भीड़ ज्यादा होने की वजह से पुलिस उन्हें रोक नही पायी। पुलिस ने लाठियां चलायीं, कई
लोग घायल हुए और सुभाष बाबू पर भी लाठियां पड़ीं। वे जोर से 'वन्दे मातरम्' बोल रहे
थे और आगे बढ़ते रहे। पुलिस भयानक रूप से लाठियां चला रहीं थी जिससे क्षितीश चटर्जी
का सिर फट गया था। उधर स्त्रियां मोनुमेंट की सीढियाँ चढ़कर झंडा फहरा रही थीं। सुभाष
बाबू को पकड़ लिया गया और गाडी में बैठाकर लॉकअप भेज दिया गया।
कुछ देर बाद वहाँ से स्त्रियां जुलुस बनाकर चलीं
और साथ में बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गयी। पुलिस ने डंडे बरसाने शुरू कर दिए जिससे बहुत
आदमी घायल हो गए। धर्मतल्ले के मोड़ के पास आकर जुलुस टूट गया और करीब 50-60 महिलाएँ
वहीँ बैठ गयीं जिसे पुलिस से पकड़कर लालबाजार भेज दिया। स्त्रियों का एक भाग आगे विमला
देवी के नेतृत्व में आगे बढ़ा जिसे बहू बाजार के मोड़ पर रोक गया और वे वहीँ बैठ गयीं।
डेढ़ घंटे बाद एक लारी में बैठाकर लालबाजार ले जाया गया।
वृजलाल गोयनका को पकड़ा गया और मदालसा भी पकड़ी गयीं।
सब मिलाकर 105 स्त्रियां पकड़ी गयीं थीं जिन्हें बाद में रात 9 बजे छोड़ दिया गया। कलकत्ता
में आज तक एक साथ इतनी ज्यादा गिरफ्तारी कभी नहीं हुई थी। करीब दो सौ लोग घायल हुए
थे। पकड़े गए आदमियों की संख्या का पता नही चला पर लालबाजार के लॉकअप में स्त्रियों
की संख्या 105 थी। आज का दिन कलकत्तावासियों के लिए अभूतपूर्व था। आज वो कलंक धुल गया
की कलकत्तावासियों की यहाँ काम नही हो सकता।
NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 10 SPARSH CHAPTER 9
मौखिक प्रश्न (पृष्ठ संख्या 73)
प्रश्न 1 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो
पंक्तियों में दीजिए-
a. कलकत्ता वासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का
दिन क्यों महत्वपूर्ण था?
b. सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?
c. विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के
झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
d. लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों
पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
e. पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों और मैदानों को
क्यों घेर लिया था?
उत्तर-
a. देश का स्वतंत्रता दिवस एक वर्ष पहले इसी
दिन मनाया गया था। इससे पहले बंगाल वासियों की भूमिका नहीं थी। अब वे प्रत्यक्ष तौर
पर जुड़ गए। इसलिए यह महत्वपूर्ण दिन था।
b. सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर
था किन्तु पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया।
c. बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री
अविनाश बाबू ने जैसे ही झंडा गाड़ा, पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और लोगों पर लाठियाँ
चलाई।
d. लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों
पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर बताना चाहते थे कि वे अपने को आज़ाद समझ कर आज़ादी मना रहे
हैं। उनमें जोश और उत्साह है।
e. आज़ादी मनाने के लिए पूरे कलकत्ता शहर में
जनसभाओं और झंडारोहण उत्सवों का आयोजन किया गया। पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों
को लोगों को स्वतंत्रता दिवस मनाने से रोकने के लिए घेर लिया था।
लिखित प्रश्न (पृष्ठ संख्या 73-74)
प्रश्न 1 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों
में) लिखिए–
a. 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए
क्या-क्या तैयारियाँ की गईं?
b. आज जो बात थी वह निराली थी' - किस बात से
पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।
c. पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस
में क्या अंतर था?
d. धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट
गया?
e. डॉ. दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख
तो कर ही रहे थे, उनके फ़ोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फ़ोटो खींचने की क्या वजह
हो सकती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
a. 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए
कलकत्ता शहर ने शहर में जगह-जगह झंडे लगाए गए थे। कई स्थानों पर जुलूस निकाले गए तथा
झंड़ा फहराया गया था। टोलियाँ बनाकर भीड़ उस स्थान पर जुटने लगी जहाँ सुभाष बाबू का
जुलूस पहुँचना था। पुलिस की लाठीचार्ज तथा गिरफ्तारी लोगों के जोश को कम न कर पाए।
b. 26 जनवरी का दिन इसलिए निराला था क्योंकि
स्वतंत्रता दिवस मनाने की प्रथम पुनरावृत्ति थी। इस दिन को निराला बनाने के लिए कलकत्तावासी
हर संभव प्रयास कर रहे थे। पुलिस ने सभा करने को गैरकानूनी कहा था किंतु सुभाष बाबू
के आह्वान पर पूरे कलकत्ता में अनेक संगठनों के माध्यम से जुलूस व सभाओं की जोशीली
तैयारी थी। स्त्रियाँ भी जुलूस में बढ़चढ़कर भाग ले रही थी। पूरा शहर झंडों से सजा था
तथा कौंसिल ने मोनुमेंद के नीचे झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ने का सरकार
को खुला चैलेंज दिया हुआ था। पुलिस भरपूर तैयारी के बाद भी कामयाब नहीं हो पाई। निषेधाज्ञा
के बावजूद सैकड़ो लोग तीन बजे से ही पार्क में पहुँच रहे थे।
c. पुलिस कमिश्नर ने नोटिस निकाला था कि अमुक-अमुक
धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती जो लोग काम करने वाले थे, उन सबको इंस्पेक्टरों
द्वारा नोटिस और सूचना दे दी गई थी और बता दिया गया था कि सभा में भाग लेने पर दोषी
समझे जाएँगे। कौंसिल के नोटिस के अनुसार मोनुमेंट के ठीक नीचे चार बजकर चौंतीस मिनट
पर झंडा फहराया जाएगा। और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।
d. जब सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया तो स्त्रियाँ
जुलूस बनाकर चलीं परन्तु पुलिस ने लाठी चार्ज से उन्हें रोकना चाहा जिससे कुछ लोग वहीं
बैठ गए, कुछ घायल हो गए और कुछ पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए। इसलिए जुलूस टूट गया।
e. डॉ. दास गुप्ता लोगों की फ़ोटो खिचवा रहे
थे। इससे अंग्रेज़ों के जुल्म का पर्दाफ़ाश किया जा सकता था, दूसरा यह भी पता चल सकता
था कि बंगाल में स्वतंत्रता की लड़ाई में बहुत काम हो रहा है।
प्रश्न 2 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों
में) लिखिए-
a. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की
क्या भूमिका थी?
b. जुलूस के लालबाज़ार आने पर लोगों की क्या
दशा हुई?
c. जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से
आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई
थी।' यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई
है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
d. बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में
रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार
में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
a. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की
महत्वपूर्ण भूमिका थी जगह-जगह स्त्रियाँ अपना जुलूस निकालने तथा ठीक स्थान पर पहुँचने
की कोशिश कर रही थीं। स्त्रियों ने मोनुमेंट की सीढ़ियों पर झंडा फहराया और घोषणा पढ़
रही थीं, बड़ी संख्या में स्त्रियाँ झंडे लिए हुए थीं। धर्मतल्ले पर उन्होंने मोड़
पर धरना दिया। पुलिस ने उन्हें पकड़कर लाल बाजार भेज दिया। कुल मिलाकर 105 स्त्रियाँ
गिरफ्तार की गई थीं। इससे पहले एक साथ इतनी स्त्रियाँ कभी गिरफ्तार नहीं की गईं थीं।
b. जुलूस जैसे ही लालबाजार पहुँचा, आंदोलनकारी
स्त्रियाँ वहीं मोड़ पर बैठ गईं। उनके आस-पास बहुत बड़ी भीड़ जमा हो गई। पुलिस लाठी
के प्रहार से भीड़ को तितर-बितर करने में जुट गई। कई लोगों को पकड़कर लॉकअप में बंद
कर दिया गया। बृजलाल गोयनका ने बहुत उत्साह दिखाया। वह बड़ी तेजी से मोनुमेंट की ओर
दौड़ा किंतु गिर पड़ा। पुलिस वाले ने उसे पकड़ कर कहीं दूर छोड़ दिया। वह फिर से स्त्रियों
के जुलूस में शामिल हो गया। वहाँ फिर से पकड़ा गया और छोड़ दिया गया। अब उसने 200 साथियों
के साथ जुलूस निकाला। वहाँ उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार वहाँ मार-पीट और लुका-छिपी
का भयानक खेल चलता रहा।
c. यहाँ पर अंग्रेजी राज्य द्वारा सभा न करने
के कानून को भंग करने की बात कही गई है। वास्तव में यह कानून भारतवासियों की स्वाधीनता
को दमन करने का कानून था इसलिए इसे भंग करना उचित था। इस समय देश की आज़ादी के लिए
हर व्यक्ति अपना सर्वस्व लुटाने को तैयार था। अंग्रेज़ों ने कानून बनाकर आन्दोलन, जुलूसों
को गैर कानूनी घोषित किया हुआ था परन्तु लोगों पर इसका कोई असर नहीं था। वे आज़ादी
के लिए अपना प्रदर्शन करते रहे, गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का प्रयास करते रहे थे।
d. इस दिन के अपूर्व होने का यह कारण था क्योंकि
बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ पर अंग्रेजों के खिलाफ कोई काम
नहीं हो रहा था इस जुलूस के बाद यह कलंक काफी हद तक धुल गया था। लोगों की सोच में परिवर्तन
आया और यहाँ की स्त्रियों ने भी बढ़-चढकर आंदोलन में भाग लिया था। लाल बाजार के लॉकअप
में स्त्रियों की भारी संख्या के कारण इस दिन को अपूर्व बताया गया है।
प्रश्न 3 निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
a. आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल
के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में
धुल गया।
b. खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई
थी?
उत्तर-
a. 26 जनवरी, 1931 को कोलकाता में राष्ट्रीय
झंडा फहराने तथा पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने के लिए जो संघर्ष हुआ, वह बहुत बड़ा काम
था। हजारों-हजारों नर-नारी जान-माल की परवाह न करते हुए जुलूस में साथ चले। उन्होंने
पुलिस की लाठियाँ खाईं, अत्याचार सहे, गिरफ्तारी दी। इससे बंगाल और कोलकाता का नाम
स्वतंत्रता-संग्राम में ऊपर आ गया। पहले कोलकाता के बारे में यह धारणा थी कि यहाँ आज़ादी
का आंदोलन गति नहीं पकड़ रहा है। इस संघर्ष ने कोलकाता के नाम पर लगे इस कलंक को धो
डाला।
b. पुलिस ने कोई प्रदर्शन न हो इसके लिए कानून
निकाला कि कोई जुलूस आदि आयोजित नहीं होगा परन्तु सुभाष बाबू की अध्यक्षता में कौंसिल
ने नोटिस निकाला था कि मोनुमेंट के नीचे झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिक्षा
पढ़ी जाएगी। सभी को इसके लिए आंमत्रित किया गया, खूब प्रचार भी हुआ। सारे कलकत्ते में
झंडे फहराए गए थे। सरकार और आम जनता में खुली लड़ाई थी।
भाषा अध्ययन प्रश्न (पृष्ठ संख्या 74-75)
प्रश्न 1 रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार होते
हैं-
सरल वाक्य- सरल वाक्य में कर्ता, कर्म, पूरक, क्रिया
और क्रिया विशेषण घटकों या इनमें से कुछ घटकों का योग होता है। स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त
होने वाला उपवाक्य ही सरल वाक्य है।
उदाहरण - लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।
संयुक्त वाक्य- जिस वाक्य में दो या दो से अधिक
स्वतंत्र या मुख्य उपवाक्य समानाधिकरण योजक से जुड़े हों, वह संयुक्त वाक्य कहलाता
है।
योजक शब्द - और, परंतु, इसलिए आदि।
उदाहरण - मोनूमेंट के नीचे झंडा फहराया जाएगा और
स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।
मिश्र वाक्य- वह वाक्य जिसमें एक प्रधान उपवाक्य
हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, मिश्र वाक्य कहलाता है।
उदाहरण - जब अविनाश बाबू ने झंडा गाड़ा तब पुलिस
ने उनको पकड लिया?
निम्नलिखित वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलिए-
a.
·
दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाजार गया और वहाँ पर गिरफ्तार हो गया।
·
मैदान में हज़ारों आदमियों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान
में घूमने लगे।
·
सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लालबाजार लॉकअप में भेज दिया
गया।
b. बड़े भाई साहब' पाठ में से भी दो-दो सरल,
संयुक्त और मिश्र वाक्य छाँटकर लिखिए।
उत्तर-
a.
·
दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाजार जाकर गिरफ्तार हो गया।
·
हज़ारों आदमियों की भीड़ होने पर लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूमने लगे।
·
सुभाष बाबू को पकड़कर गाड़ी में बैठाकर लालबाजार लॉकअप में भेज दिया गया।
b.
सरल वाक्य–
·
वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे।
·
उनकी रचनाओं को समझना छोटे मुँह बड़ी बात है।
संयुक्त वाक्य−
·
उनकी नज़र मेरी ओर उठी और प्राण निकल गए।
·
मुद्रा कांतिहीन हो गई थी, मगर बेचारे फेल हो गए।
मिश्र वाक्य–
·
मैंने बहुत चेष्टा की कि इस पहेली का कोई अर्थ निकालूँ लेकिन असफल रहा।
·
मैं कह देता कि मुझे अपना अपराध स्वीकार है।
प्रश्न 2 निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से
पढ़िए और समझिए कि जाना, रहना और चुकना क्रियाओं का प्रयोग किस प्रकार किया गया है।
a. कई मकान सजाए गए थे।
कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए
थे।
b. बड़े बाजार के प्राय: मकानों पर राष्ट्रीय
झंडा फहरा रहा था।
कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं।
पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त
देकर प्रदर्शन कर रही थी।
c. सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर
था, वह प्रबंध कर चुका था।
पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था।
उत्तर-
a. कई मकान सजाए गए थे।
कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए
थे।
b. बड़े बाजार के प्राय: मकानों पर राष्ट्रीय
झंडा फहरा रहा था।
कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं।
पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त
देकर प्रदर्शन कर रही थी।
c. सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर
था, वह प्रबंध कर चुका था।
पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था।
प्रश्न 3 नीचे दिए गए शब्दों की संरचना पर
ध्यान दीजिए -
विद्या + अर्थी - विद्यार्थी
‘विद्या' शब्द का अंतिम स्वर 'आ' और दूसरे
शब्द 'अर्थी' की प्रथम स्वर ध्वनि 'अ' जब मिलते हैं तो वे मिलकर दीर्घ स्वर 'आ' में
बदल जाते हैं। यह स्वर संधि है जो संधि का ही एक प्रकार है।
संधि शब्द का अर्थ है- जोड़ना। जब दो शब्द
पास-पास आते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि बाद में आने वाले शब्द की पहली ध्वनि
से मिलकर उसे प्रभावित करती है। ध्वनि-परिवर्तन की इस प्रक्रिया को संधि कहते हैं।
संधि तीन प्रकार की होती है- स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि। जब संधि-युक्त पदों
को अलग-अलग किया जाता है तो उसे संधि विच्छेद कहते हैं;
जैसे- विद्यालय - विद्या + आलय
नीचे दिए गए शब्दों की संधि कीजिए-
a. श्रद्धा + आनंद = ………………..
b. प्रति + एक = ………………..
c. पुरुष + उत्तम = ………………..
d. झंडा + उत्सव = ………………..
e. पुनः + आवृति = ………………..
f. ज्योतिः + मय = ………………
उत्तर-
a. श्रद्धा + आनंद = श्रद्धानंद।
b. प्रति + एक = प्रत्येक।
c. पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम।
d. झंडा + उत्सव = झंडोत्सव।
e. पुनः + आवृति = पुनरावृति।
f. ज्योतिः + मय = ज्योतिर्गमय।